नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत गेहूं के साथ ही चावल और मोटे अनाजों की बिक्री पहली अगस्त 2024 से शुरू करने का निर्णय लिया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार ओएमएसएस के तहत गेहूं, चावल और मोटे अनाजों की बिक्री 31 मार्च, 2025 तक या फिर अगले आदेश तक जारी रहेगी।
केंद्र सरकार ओएमएसएस के गेहूं की बिक्री के लिए उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) क्वालिटी के लिए 2,325 रुपये प्रति क्विंटल इसमें परिवहन लागत जोड़कर की जायेगी। इसके अलावा अंडर रिलैक्स स्पेसिफिकेशन (यूआरएस) क्वालिटी के गेहूं की बिक्री 2,300 रुपये प्रति क्विंटल में परिवहन लागत जोड़कर की जायेगी। गेहूं की बिक्री विपणन समय की अवधि को छोड़कर, ई-नीलामी के माध्यम से की जायेगी।
नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसे केंद्रीय सहकारी संगठन अपने स्टोर या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारत ब्रांड के तहत बिक्री कर सकते हैं। ओएमएसएस (डी) के तहत राज्य सरकारों, निगमों या राज्य सरकारों के संघों को गेहूं की बिक्री की अनुमति नहीं है।
केंद्र सरकार ने निजी पार्टियों और छोटे व्यापारियों के लिए चावल की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य 2,800 रुपये और केंद्रीय सहकारी संगठनों और सामुदायिक रसोई के लिए 2,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। राज्य सरकारों को बिक्री गैर-अधिशेष राज्यों तक सीमित है और वे ई-नीलामी में भाग नहीं ले सकते।
ओएमएसएस के तहत मोटे अनाज की बिक्री के लिए केंद्र सरकार ने बाजरा के लिए आरक्षित मूल्य 2,500 रुपये प्रति क्विंटल और रागी के लिए 3,846 रुपये प्रति क्विंटल तथा ज्वार के लिए 3,180 रुपये प्रति क्विंटल और मक्का के लिए 2,090 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
मोटे अनाजों की बिक्री ई-नीलामी के माध्यम से की जायेगी, जिसमें परिवहन लागत आरक्षित मूल्य में जोड़ी जाएगी।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के परामर्श से बिक्री की मात्रा और समय का प्रबंधन करेगा, ताकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और तय मानकों बफर स्टॉक के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके। इस योजना का उद्देश्य घरेलू बाजार में मूल्य को स्थिर करना और देश भर में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
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