नई दिल्ली। उद्योग ने केंद्र सरकार से घरेलू मांग और आपूर्ति के बाद अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति देने की मांग पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में 36 लाख टन अतिरिक्त चीनी बचने की भविष्यवाणी की है, जिससे मिलों के लिए लागत बढ़ सकती है। पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2023-24 के आरंभ में 56 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि देश में चीनी की सालाना 285 लाख टन की खपत होने का अनुमान है। ऐसे में चालू पेराई सीजन के अंत में सितंबर 2024 को चीनी का बकाया स्टॉक 91 लाख टन बचने का अनुमान है। अत: बकाया स्टॉक तय मानकों 55 लाख टन बफर स्टॉक से अधिक है।
इस्मा के अनुसार देश में चीनी की उपलब्धता घरेलू खपत और बकाया स्टॉक की तुलना में अधिक है। इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) प्रोग्राम को मिलों द्वारा कुशलतापूर्वक चलाया जा रहा है। हालांकि, गन्ने और सीरे से इथेनॉल उत्पादन पर लगी अस्थायी रोक के कारण चीनी को वापस इथेनॉल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
इस्मा ने सरकार से घरेलू मांग और आपूर्ति का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने के बाद अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। निर्यात की अनुमति देने से चीनी मिलों की वित्तीय तरलता बढ़ेगी और जिस कारण गन्ना किसानों को समय पर भुगतान की सुविधा मिलेगी। एसोसिएशन का मानना है कि अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति से चीनी उद्योग के सुचारू संचालन में मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार ने गन्ना पेराई सीजन 2024-25 के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है, जिससे एफआरपी बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। एफआरपी में यह बढ़ोतरी सीधे तौर पर गन्ने की लागत और परिणामस्वरूप, चीनी उत्पादन की लागत में वृद्धि करेगी, जिस कारण चीनी मिलों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर किसानों को भुगतान करना आवश्यक है।
इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि एसोसिएशन गन्ना किसानों की बेहतरी और देश में चीनी उद्योग के निरंतर विकास के लिए कार्य कर रही है। गन्ना किसानों की आर्थिक भलाई के तरीके खोजने और चालू पेराई सीजन में उत्पन्न अतिरिक्त चीनी का उपयोग करने के लिए व्यावहारिक समाधानों को लागू करने के लिए सरकार के साथ लगातार काम कर रहे हैं। अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति देने से न केवल घरेलू खपत के लिए तय मात्रा में बफर स्टॉक उपलब्ध रहेगा, बल्कि इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) को भी बनाए रखा जा सकेगा। साथ ही चीनी मिलों की वित्तीय तरलता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, ताकि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान किया जा सकेगा।
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