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08 फ़रवरी 2024

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से अरहर एवं उड़द में मंदा, चना के साथ ही देसी मसूर महंगी

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से घरेलू बाजार में बुधवार को अरहर एवं उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि इस दौरान चना के साथ ही देसी मसूर के दाम तेज हुए।  दाल मिलों की सीमित मांग से मूंग की कीमतें स्थिर बनी रही।


चेन्नई में बर्मा की उड़द एसक्यू और एसक्यू के भाव 10 से 15 डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि इस दौरान लेमन अरहर की कीमतें 15 डॉलर तेज हो गई। उड़द एफएक्यू के भाव जनवरी एवं फरवरी शिपमेंट के 10 डॉलर कमजोर होकर भाव 1,090 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 15 डॉलर घटकर 1,180 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 15 डॉलर तेज होकर दाम 1,310 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए।

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से उड़द के दाम कमजोर हुए, साथ ही चेन्नई में आयातित उड़द के दाम डॉलर में भी कमजोर हुए। व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्ट ने बर्मा में उत्पादन कम बताकर दाम तेज किए थे, लेकिन मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पाया है।बढ़े दाम पर जहां दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही उड़द की खरीद कर रही हैं वहीं उड़द दाल में बढ़ी हुई कीमतों में खुदरा एवं थोक मांग भी सामान्य की तुलना कमजोर हुई। इसलिए इसके भाव में तेजी आने पर मुनाफावसूली करते रहना चाहिए। वैसे भी आगामी दिनों में नई उड़द की आवक तमिलनाडु के साथ ही तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की उत्पादक मंडियों में बढ़ेगी। उधर बर्मा में भी नई उड़द की आवक बढ़ेगी। व्यापारियों के अनुसार अगले सप्ताह से कृष्णा जिले में नई उड़द की आवक शुरू हो जायेगी, तथा 15 फरवरी के बाद नई फसल की आवकों में बढ़ोतरी होगी।

घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि चेन्नई में लेमन अरहर के दाम डॉलर में तीसरे दिन भी तेज हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार अरहर में स्टॉकिस्ट सक्रिय है, इसलिए तेजी, मंदी बनी हुई है। उधर नेफेड और एनसीसीएफ अरहर की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, साथ ही अरहर में बढ़े दाम पर दाल मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण बढ़ी हुई कीमतों में मुनाफावसूली करते रहना चाहिए। केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की समीक्षा कर रही है, जबकि घरेलू मंडियों में जहां देसी अरहर की आवक अभी बनी रहेगी, साथ ही म्यांमार से लेमन अरहर का आयात भी आगामी दिनों में बढ़ेगा। अरहर दाल में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है। हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में अरहर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है।

दाल मिलों की मांग बनी रहने से चना की कीमतों में तेजी जारी रही। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी, जबकि उत्पादक राज्यों में अच्छी क्वालिटी का पुराना स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। चालू रबी में चना की बुआई भी पिछले साल की तुलना में घटी है तथा पाइप लाइन भी खाली है। इसलिए इसके भाव में हल्का सुधार और भी बन सकता है, लेकिन अब बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए, क्योंकि फरवरी के अंत में नए चना की आवक बढ़ेगी, तथा मार्च में आवकों का दबाव बनेगा। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी से चना का उत्पादन अनुमान है।

सूत्रों के अनुसार नेफेड के फसल सीजन 2022 का चना का स्टॉक केवल 34,000 टन एवं फसल सीजन 2021 का 400 टन बचा हुआ है, जबकि 2020 का स्टॉक समाप्त हो चुका है। नेफेड ने 2023 के चना की बिक्री बंद कर दी है।  

मुंबई में कनाडा की पीली मटर के दाम 5,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के दाम 4,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मुंद्रा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के भाव 4,525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम तेज हुए हैं, तथा आयातित की कीमतें स्थिर ही बनी रही। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग बनी रहने के आसार हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक सीमित मात्रा में ही हो रही है, क्योंकि उत्पादक राज्यों में किसानों एवं स्टॉकिस्टों के पास देसी मसूर का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। नई फसल की आवक फरवरी के अंत में बढ़ेगी। इसलिए इसकी कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। चालू रबी में मसूर की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, जिस कारण उत्पादन अनुमान ज्यादा है।

देसी मूंग की कीमतें स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल में मांग अभी बनी रहेगी, साथ ही चालू रबी में इसकी बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है। इसलिए मौजूदा कीमतों में अभी ज्यादा मंदा नहीं आएगा। उत्पादक राज्यों में मूंग की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हुई है। इसलिए एकतरफा बड़ी तेजी के आसार भी नहीं है। नेफेड राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में लगातार मूंग की बिकवाली कर रही है।

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