नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की सक्रियता से घरेलू बाजार में शुक्रवार को अरहर एवं उड़द में मिलाजुला रुख देखा गया, जबकि इस दौरान देसी मसूर के साथ ही मूंग की कीमतें कमजोर हो गई। चना के दाम दिल्ली में मजबूत हुए।
चेन्नई में बर्मा की उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव में 40-40 डॉलर प्रति टन की तेज आई। इस दौरान लेमन अरहर की कीमतें भी 50 डॉलर तेज हो गई। उड़द एफएक्यू के भाव जनवरी एवं फरवरी शिपमेंट के 40 डॉलर तेज होकर 1,085 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 40 डॉलर बढ़कर दाम 1,180 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 50 डॉलर तेज होकर दाम 1,270 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। हालांकि शाम के सत्र में इसमें पांच से दस डॉलर की गिरावट आई।
व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सुबह के सत्र में उड़द के दाम तेज खुले थे, लेकिन शाम के सत्र में मुनाफावसूली से कीमतों में मंदा आया। उड़द के बाजार में चेन्नई के स्टॉकिस्ट तेजी करना चाहते हैं, क्योंकि उनके पास आयातित माल उंचे भाव के है। हालांकि उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है, जबकि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही उड़द की खरीद कर रहा है। इसलिए इसके भाव में बड़ी तेजी टिक नहीं पा रही है। जानकारों के अनुसार आगामी दिनों में नई उड़द की आवक तमिलनाडु के साथ ही तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की उत्पादक मंडियों में बढ़ेगी। उधर बर्मा में भी नई उड़द की आवक बढ़ेगी तथा बर्मा में उड़द का उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है।
स्टॉकिस्टों की सक्रियता से अरहर की कीमतें सुबह के सत्र में तेज हुई, लेकिन शाम को मुनाफावसूली से भाव सुबह की तुलना में नरम हो गए। उधर चेन्नई में लेमन अरहर के दाम डॉलर में सुबह तेज हुए थे, लेकिन बढ़े दाम व्यापार नहीं हुआ। व्यापारियों के अनुसार अरहर में स्टॉकिस्ट सक्रिय है, इसलिए दाम तेज करना चाहते हैं। नेफेड और एनसीसीएफ अरहर की खरीद बाजार भाव पर सीमित मात्रा में ही कर रही है। वैसे भी अरहर में बढ़े दाम पर दाल मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण बढ़ी हुई कीमतों में मुनाफावसूली करते रहना चाहिए। केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की समीक्षा कर रही है, जबकि घरेलू मंडियों में जहां देसी अरहर की आवक अभी बनी रहेगी, साथ ही म्यांमार से लेमन अरहर का आयात भी आगामी दिनों में बढ़ेगा। अरहर की फसल की आवकों को देखते हुए मिलर्स भी इस समय जरूरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे है। अरहर दाल में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है। हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में अरहर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है।
स्टॉकिस्टों की सक्रियता से चना में तेजी, मंदी बनी हुई है। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी, जबकि उत्पादक राज्यों में अच्छी क्वालिटी का पुराना स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। चालू रबी में चना की बुआई भी पिछले साल की तुलना में घटी है तथा पाइप लाइन भी खाली है। इसलिए इसके भाव में हल्का सुधार बन सकता है, लेकिन अब बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए, क्योंकि फरवरी के अंत में नए चना की आवक बढ़ेगी, तथा मार्च में आवकों का दबाव बनेगा। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी से चना का उत्पादन अनुमान है।
मुंबई में कनाडा की पीली मटर के दाम 5,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के दाम 4,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मुंद्रा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के भाव 4,525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
दिल्ली में देसी मसूर के दाम कमजोर हो गए, जबकि आयातित के भाव स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग बनी रहने के आसार हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक सीमित मात्रा में ही हो रही है, क्योंकि उत्पादक राज्यों में किसानों एवं स्टॉकिस्टों के पास देसी मसूर का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। नई फसल की आवक फरवरी के अंत में शुरू होगी, तथा मार्च में आवक बढ़ेगी। इसलिए इसकी कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। चालू रबी में मसूर की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, जिस कारण उत्पादन अनुमान ज्यादा है।
मूंग की कीमतें दिल्ली में नरम हुई है, लेकिन उत्पादक राज्यों में इसके दाम स्थिर ही बने हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल में मांग अभी बनी रहेगी, साथ ही चालू रबी में इसकी बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है। इसलिए मौजूदा कीमतों में अभी ज्यादा मंदा नहीं आएगा। उत्पादक राज्यों में मूंग की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हुई है। इसलिए एकतरफा बड़ी तेजी के आसार भी नहीं है। नेफेड राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में लगातार मूंग की बिकवाली कर रही है।
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