नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान देश से जहां बासमती चावल के निर्यात में 10.78 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 36.68 फीसदी की भारी गिरावट आई है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 10.78 बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 35.43 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 31.98 लाख टन का हुआ था।
गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष की पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 36.68 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 83.42 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 113.75 लाख टन का हुआ था।
केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। केंद्र ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।
केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा पिछले साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है।
व्यापारियों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में कमी आने से घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों चालू महीने में दबाव आया है। हालांकि उत्तर भारत के राज्यों में धान की दैनिक आवकों में भी कमी आई है।
दिल्ली में मंगलवार पूसा 1,509 किस्म के बासमती सेला चावल का भाव 7,000 से 7,200 रुपये और इसके स्टीम चावल के भाव 7,700 से 7,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इसी तरह से पूसा 1,121 किस्म के स्टीम चावल का भाव दिल्ली में 9,000 से 9,200 रुपये तथा इसके सेला चावल का दाम 8,100 से 8,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
हरियाणा की सिरसा मंडी में मंगलवार को 1,401 किस्म के धान का भाव 4,363 रुपये, तथा 1,718 किस्म के धान के भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पंजाब की अमृतसर मंडी में पूसा 1,121 किस्म के धान का भाव 4,550 रुपये, तथा 1,718 किस्म के धान के भाव 4,475 से 4,486 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 10.78 बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 35.43 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 31.98 लाख टन का हुआ था।
गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष की पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 36.68 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 83.42 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 113.75 लाख टन का हुआ था।
केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। केंद्र ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।
केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा पिछले साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है।
व्यापारियों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में कमी आने से घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों चालू महीने में दबाव आया है। हालांकि उत्तर भारत के राज्यों में धान की दैनिक आवकों में भी कमी आई है।
दिल्ली में मंगलवार पूसा 1,509 किस्म के बासमती सेला चावल का भाव 7,000 से 7,200 रुपये और इसके स्टीम चावल के भाव 7,700 से 7,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इसी तरह से पूसा 1,121 किस्म के स्टीम चावल का भाव दिल्ली में 9,000 से 9,200 रुपये तथा इसके सेला चावल का दाम 8,100 से 8,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
हरियाणा की सिरसा मंडी में मंगलवार को 1,401 किस्म के धान का भाव 4,363 रुपये, तथा 1,718 किस्म के धान के भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पंजाब की अमृतसर मंडी में पूसा 1,121 किस्म के धान का भाव 4,550 रुपये, तथा 1,718 किस्म के धान के भाव 4,475 से 4,486 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें