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28 फ़रवरी 2024

उद्योग ने 10 लाख टन अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल के लिए डायवर्ट करने की अनुमति मांगी नई दिल्ली। चीनी उद्योग का कहना है कि सरकार को कम से कम 10 लाख टन अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल के लिए डायवर्ट करने की अनुमति देनी चाहिए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में सरकार को दस लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाना चाहिए।

नई दिल्ली। चीनी उद्योग का कहना है कि सरकार को कम से कम 10 लाख टन अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल के लिए डायवर्ट करने की अनुमति देनी चाहिए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में सरकार को दस लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाना चाहिए।

गुजरात में रबी फसलों की एमएसपी पर खरीद 15 मार्च से शुरू होगी

नई दिल्ली। गुजरात में राज्य सरकार ने रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 15 मार्च 2024 से करने का फैसला किया है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए गेहूं, ज्वार हाइब्रिड, मालदांडी और मक्का की खरीद सीधे किसानों से समर्थन मूल्य पर की जायेगी। राज्य के मंत्री कुंवरजी भाई ने बताया कि केंद्र सरकार ने रबी फसलों का एमएसपी केंद्र सरकार ने तय किया है, तथा राज्य सरकार ग्रीष्मकालीन बाजरा और ज्वार की खरीद के लिए किसानों को 300 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देगी।

उन्होंने बताया कि किसानों फसल बेचने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा तथा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन आज से शुरू हो जायेगा।

केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का समर्थन मूल्य 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

जानकारों के अनुसार गुजरात की मंडियों में नए गेहूं की आवक शुरू हो गई है, तथा मौसम अनुकूल रहा तो मार्च के पहले सप्ताह में इसकी दैनिक आवक बढ़ेगी। 

27 फ़रवरी 2024

चालू फसल सीजन में 20.54 लाख टन कैस्टर सीड के उत्पादन का अनुमान - एसईए

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 में देशभर के राज्यों में कैस्टर सीड का उत्पादन 20.54 लाख टन होने का अनुमान है।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए द्वारा अहमदाबाद में 22-23 फरवरी को आयोजित ग्लोबल कैस्टर कोन्फरन्स में चालू सीजन में देश में 20.54 लाख टन कैस्टर सीड के उत्पादन होने का अनुमान जारी किया है।

एसईए के अनुसार जनवरी में कैस्टर तेल का निर्यात घटकर 50,947 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल जनवरी में इसका निर्यात 51,521 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले दस महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान देश से कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 502,618 टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 491,054 टन का ही हुआ था। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कैस्टर तेल का कुल निर्यात 606,376 टन का हुआ था।

व्यापारी के अनुसार गुजरात की मंडियों में शनिवार को कैस्टर सीड की आवक 32,000-35,000 बोरी (1 बोरी-35 किलो) तथा राजस्थान की मंडियों में 5,000-7,000 बोरी एवं और मिलों में सीधी आवक करीब 3,000 बोरी को मिलाकर कुल आवक करीब 42,000 से 45,000 बोरियों के लगभग हुई।

गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड के दाम मजबूत होकर 1135-1160 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। कैस्टर तेल के दाम कमर्शियल के राजकोट में 1,185 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर बने रहे, जबकि एफएसजी के भाव 1,195 रुपये प्रति 10 किलो के पूर्व स्तर पर स्थिर रहे।

मार्च के लिए चीनी का कोटा 23.5 लाख टन का

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्व मंत्रालय ने मार्च 2024 के लिए मासिक घरेलू चीनी का कोटा 23.5 लाख टन का निर्धारित किया गया है तथा फरवरी के बचे हुए कोटे में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।

24 फ़रवरी 2024

समर सीजन में फसलों की बुआई शुरुआती चरण में बढ़ी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन के शुरुआती चरण में धान के साथ ही दलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान मोटे अनाजों के साथ ही तिलहन की बुवाई में कमी आई है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 23 फरवरी 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई थोड़ी बढ़कर 19.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 18.34 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई बढ़कर 24.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 22.84 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में बढ़कर 1.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.22 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है। इस दौरान उड़द की बुआई 37 हजार हेक्टेयर में तथा मूंग की 91 हजार हेक्टेयर के अलावा अन्य फसलों की बुआई 5 हजार हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 36 हजार हेक्टेयर, 81 हजार हेक्टेयर और पांच हजार हेक्टेयर हुई थी।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू समर सीजन में घटकर 1.25 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.33 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। मोटे अनाजों में मक्का की बुआई 1.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.04 लाख हेक्टेयर की तुलना में थोड़ी ज्यादा है। इस दौरान बाजरा की बुआई केवल 14 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 23 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में 1.91 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.94 लाख हेक्टेयर से कम है। इस दौरान मूंगफली की बुआई चालू सीजन में 1.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इसकी बुआई 1.44 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लावर की 15 हजार हेक्टेयर में और शीशम की 34 हजार हेक्टेयर में हुई है। 

22 फ़रवरी 2024

विश्व बाजार में आई गिरावट से घरेलू बाजार में कॉटन के दाम कमजोर

नई दिल्ली, 20 फरवरी। विश्व बाजार में आई गिरावट से घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को उत्तर भारत के राज्यों के साथ ही गुजरात में कॉटन के दाम घट गए।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 300 रुपये घटकर 57,400 से 57,800 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 50 रुपये घटकर 5575 से 5625 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 50 रुपये नरम होकर 5525 से 5625 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के दाम 15 रुपये कमजोर होकर 5050 से 5775 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम 25 रुपये नरम होकर 55,500 से 56,000 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 1,27,600 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को गिरावट का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन के दाम शाम के सत्र में कॉटन की कीमतों में तीन अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

विश्व बाजार में कॉटन के दाम कमजोर होने के कारण घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर हो गई, जिस कारण उत्तर भारत के साथ ही गुजरात में कॉटन मंदी हो गई। व्यापारियों के अनुसार विदेशी बाजार में महीने भर में कॉटन के दाम करीब 14 से 15 सेंट तेज हुए थे, अत: निवेशकों की मुनाफावसूली से इसकी कीमतों में आज तीन अंकों की बड़ी गिरावट आई है।  यही कारण है कि घरेलू बाजार मिलों की खरीद कमजोर हो गई। हालांकि स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, तथा उत्पादक मंडियों में आगामी दिनों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आयेगी। इसलिए हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार कम है।

जानकारों के अनुसार कॉटन के साथ ही यार्न के निर्यात में पड़ते भी अच्छे लग रहे हैं, जबकि आगामी दिनों में उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक घटकर करीब एक लाख गांठ की रह जायेगी। मिलों को औसत एक से सवा लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद करनी होगी, जबकि स्टॉकिस्ट एवं सीसीआई दाम घटाकर बिकवाली नहीं करेंगे। किसानों के पास कपास का बकाया स्टॉक अब केवल 30 से 35 फीसदी ही बचा हुआ है।  

कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 31 जनवरी तक देशभर की मंडियों में 172.10 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कपास की आवक हो चुकी है।  

पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में दिसंबर अंत तक कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई 19.28 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की खरीद कर चुकी है। अभी तक कुल खरीद में 80 फीसदी दक्षिण भारत के राज्यों से हुई है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई ने फसल सीजन 2023-24 के दौरान अपने कपास उत्पादन अनुमान को 294.10 लाख के पूर्व स्तर पर बरकरार रखा है। मालूम हो कि फसल सीजन 2022-23 के दौरान देशभर में 318.90 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

समर सीजन में धान, दलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई घटी, तिलहनी फसलों की बढ़ी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन के शुरुआती चरण में धान के साथ ही दलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई पीछे चल रही है, जबकि तिलहन की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 17 फरवरी तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई थोड़ी घटकर 13.28 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई 13.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई घटकर 16.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 16.51 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में 67 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 76 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है। इस दौरान उड़द की बुआई 19 हजार हेक्टेयर में तथा मूंग की 44 हजार हेक्टेयर के अलावा अन्य फसलों की बुआई 4 हजार हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू समर सीजन में 80 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.01 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। मोटे अनाजों में मक्का की बुआई 74 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 89 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में 1.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.45 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। हालांकि तिलहन में मूंगफली की बुआई चालू सीजन में 1.15 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इसकी बुआई 1.17 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

दिसंबर में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़ा

नई दिल्ली। दिसंबर में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 40,233 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल दिसंबर में इसका निर्यात केवल 38,147 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार वर्ष 2023 में देश से कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 618,424 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 582,399 टन का ही हुआ था।

मूल्य के हिसाब से वर्ष 2023 में देश से कैस्टर तेल का निर्यात 8,056.16 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 8,506.77 करोड़ रुपये का ही हुआ था।

बसंत पंचमी के कारण गुजरात की कई मंडियां बंद होने के कारण उत्पादक मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवकों में कमी दर्ज की गई। व्यापारी के अनुसार गुजरात की मंडियों में 12,000-15,000 बोरी (1 बोरी-35 किलो) तथा राजस्थान की मंडियों में 7000-8000 बोरी एवं और मिलों में सीधी आवक करीब 2,000 बोरी को मिलाकर 25,000 बोरियों के लगभग आवक हुई। गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड के दाम मजबूत होकर 1125-1150 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। कैस्टर तेल के दाम कमर्शियल के राजकोट में तेज होकर 1,170  रुपये प्रति 10 किलो हो गए, जबकि एफएसजी के भाव 1,180 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। 

अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़ा, गैर बासमती का घटा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान देश से जहां बासमती चावल के निर्यात में 10.78 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 36.68 फीसदी की भारी गिरावट आई है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 10.78 बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 35.43 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 31.98 लाख टन का हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में चालू वित्त वर्ष की पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 36.68 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 83.42 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 113.75 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। केंद्र ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा पिछले साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है।

व्यापारियों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में कमी आने से घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों चालू महीने में दबाव आया है। हालांकि उत्तर भारत के राज्यों में धान की दैनिक आवकों में भी कमी आई है।

दिल्ली में मंगलवार पूसा 1,509 किस्म के बासमती सेला चावल का भाव 7,000 से 7,200 रुपये और इसके स्टीम चावल के भाव 7,700 से 7,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इसी तरह से पूसा 1,121 किस्म के स्टीम चावल का भाव दिल्ली में 9,000 से 9,200 रुपये तथा इसके सेला चावल का दाम 8,100 से 8,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

हरियाणा की सिरसा मंडी में मंगलवार को 1,401 किस्म के धान का भाव 4,363 रुपये, तथा 1,718 किस्म के धान के भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पंजाब की अमृतसर मंडी में पूसा 1,121 किस्म के धान का भाव 4,550 रुपये, तथा 1,718 किस्म के धान के भाव 4,475 से 4,486 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

12 फ़रवरी 2024

समर में फसलों की कुल बुआई बढ़ी, दलहन एवं मोटे अनाजों की शुरुआती चरण में घटी

नई दिल्ली। समर सीजन में धान की रोपाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, जबकि दलहन एवं तिलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुवाई शुरुआती चरण में है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 9 फरवरी तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 8.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 7.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई बढ़कर 10.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.61 लाख हेक्टेयर में ही फसलों की बुआई हो पाई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में 28 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 31 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है। इस दौरान उड़द की बुआई 6 हजार हेक्टेयर में तथा मूंग की 18 हजार हेक्टेयर के अलावा अन्य फसलों की बुआई 4 हजार हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू समर सीजन में 57 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 58 हजार हेक्टेयर की तुलना में कम है। इस दौरान तिलहनी फसलों की बुआई चालू समर सीजन में एक लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 99 हजार हेक्टेयर से ज्यादा है। मूंगफली की बुआई चालू सीजन में 85 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इसकी बुआई 86 हजार हेक्टेयर में हो चुकी थी।  


चालू फसल सीजन के पहले चार महीनों में सोया डीओसी का निर्यात सात फीसदी से ज्यादा बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले चार महीनों अक्टूबर से जनवरी के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 7.21 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 6.09 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 5.68 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले चार महीनों अक्टूबर से जनवरी के दौरान 33.54 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 36.32 लाख टन की तुलना में कम है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.05 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 3 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 24 लाख टन की फीड हुई है। अत: मिलों के पास पहली फरवरी 2024 को 1.67 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.08 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले चार महीनों अक्टूबर से जनवरी के दौरान देशभर की मंडियों में 62 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 61 लाख टन से ज्यादा है। इस दौरान 42.50 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि 1.50 लाख टन की सीधी खपत एवं 0.02 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली फरवरी 2024 को 87.10 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 77.26 लाख टन की तुलना में ज्यादा है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है। 

09 फ़रवरी 2024

तेल मिलों की मांग बढ़ने से सरसों की कीमतों में तेजी, नई सरसों की आवकों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। तेल मिलों की मांग बढ़ने से घरेलू बाजार में गुरुवार को सरसों की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 50 रुपये तेज होकर दाम 5,625 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 3.80 लाख बोरियों की हुई, जिसमें नई सरसों की हिस्सेदारी 1.25 लाख बोरियों की है।


विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आज तेजी का रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम सुबह के सत्र में तेज थे, हालांकि बंद होने के समय सीमित तेजी दर्ज की गई। इस दौरान डालियान में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। शिकागो में सोया तेल के दाम भी तेज हुए। जानकारों का मानना है कि विश्व स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में हल्की तेजी तो बन सकती है, लेकिन बड़ी तेजी अभी टिक नहीं पायेगी। घरेलू बाजार में तेल मिलों की बिक्री कम आने से सरसों तेल की कीमतें तेज हो गई, हालांकि इस दौरान सरसों खल के भाव में गिरावट आई।

उत्पादक मंडियों में गुरूवार को भी सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है, इसलिए नई सरसों की आवक लगातार बढ़ रही है। जानकारों के अनुसार चालू महीने के अंत तक नई सरसों की आवकों का दबाव बन जायेगा तथा चालू सीजन में उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। इसलिए तेल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्य तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

बीएमडी पर सीपीओ वायदा के दाम सुबह के सत्र में तेजी आई थी, लेकिन फरवरी के पहले पांच दिनों के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी से शाम के सत्र में तेजी कम हो गई।

बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (बीएमडी) पर अप्रैल डिलीवरी वायदा अनुबंध में पाम तेल की कीमतें एक रिंगिट यानी की 0.03 फीसदी बढ़कर 3,878 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुई। इस दौरान डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध 0.25 फीसदी तेज हो गया, जबकि इसका पाम तेल वायदा अनुबंध 0.62 फीसदी तक तेज हुआ। शिकागो में सीबीओटी सोया तेल की कीमतें 0.91 फीसदी बढ़ गई।

एसपीपीओएमए के अनुसार 1 से 5 फरवरी के दौरान पाम तेल उत्पादों का उत्पादन जनवरी की समान अवधि की तुलना में 13.88 फीसदी बढ़ा है, जिससे इसकी कीमतों पर दबाव देखा गया।

एक सर्वेक्षण के अनुसार मलेशिया में जनवरी में पाम तेल का स्टॉक घटकर 2.14 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जोकि दिसंबर से 6.62 फीसदी कम है। इस दौरान क्रूड पाम तेल का उत्पादन पिछले महीने की तुलना में 11.83 फीसदी कम होने की उम्मीद है।

जानकारों के अनुसार फरवरी में मलेशियाई पाम उत्पादों के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही भारत से बढ़ती मांग को देखते हुए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि निकट अवधि में कीमतें सीमित दायरे में बनी रहेंगी।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतें मांग सुधरने से गुरुवार को तेज हुई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 7 रुपये तेज होकर दाम 1,022 रुपये प्रति 10 किलो हो गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 7 रुपये बढ़कर 1,012 रुपये प्रति 10 किलो बोले गए। जयपुर में गुरुवार को सरसों खल की कीमतें 20 रुपये कमजोर होकर दाम 2,755 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 3.80 लाख बोरियों की हुई, जबकि पिछले कारोबारी दिवस में भी आवक 3.50 लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में पुरानी सरसों की एक लाख बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में 25 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 35 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 15 हजार बोरी तथा गुजरात में 15 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 65 हजार बोरियों की आवक हुई। उत्पादक राज्यों की मंडियों में करीब 1.25 लाख बोरी नई सरसों की आवक हुई।

सरकार ने गेहूं की स्टॉक सीमा में की कटौती, व्यापारी एवं होलसेलर 500 टन रख सकेंगे

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक सीमा में एक बार फिर कटौती कर दी है। केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार अब व्यापारी एवं होलसेलर केवल 500 टन गेहूं ही स्टॉक में रख सकेंगे, इसके अलावा बड़े रिटेलर भी केवल 500 टन गेहूं का ही स्टॉक कर सकते हैं।


केंद्र सरकार ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल प्रभाव से थोक व्यापारियों, रिटेल, बड़े रिटेल और प्रोसेसिंग कंपनियों के लिए गेहूं का स्टॉक रखने के नियमों को एक बार फिर सख्त कर दिया है। केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार व्यापारी एवं होलसेलर केवल 500 टन गेहूं का स्टॉक में रख सकेंगे, जबकि पहले यह लिमिट 1,000 टन की थी। हालांकि रिटेलर पांच टन गेहूं का स्टॉक रख सकेंगे, जबकि रिटेलर के लिए पहले भी पांच टन गेहूं की मात्रा तय थी।

सरकार ने दिसंबर में व्यापारी एवं होलसेलर के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट की मात्रा को 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन कर दिया था, वहीं अब इसे घटाकर 500 टन कर दिया है।

इसके अलावा बिग चेन रिटेलर पांच टन आउटलेट पर और 500 टन गेहूं का स्टॉक डिपो में रख सकेंगे, जबकि पहले आउटलेट पर पांच टन की स्टॉक लिमिट ही थी, लेकिन डिपो पर 1,000 टन की मात्रा थी।

मिलर्स अप्रैल 2024 तक महीने की कुल उत्पादन क्षमता का 60 फीसदी गेहूं हर महीने स्टॉक में रख सकेंगे, जबकि पहले यह मात्रा 70 फीसदी की थी।

सभी स्टेक होल्डर को गेहूं के स्टॉक की जानकारी विभाग के पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर पंजीकरण करना और प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति अपडेट करना आवश्यक है। कोई भी संस्था जोकि पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई गई या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी।

यदि उपरोक्त संस्थाओं के पास गेहूं का स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक हैं, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे स्टॉक सीमा के अंदर लाना होगा। केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की कोई कृत्रिम कमी पैदा न हो।

इसके अलावा, सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत कई कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार ने ओएमएसएस के तहत 2,150 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बेचने के लिए 101.5 लाख टन गेहूं का आवंटन किया हुआ है। एफसीआई द्वारा साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से घरेलू बाजार में इसकी बिक्री की जा रही है तथा आवश्यकता के आधार पर जनवरी से मार्च 2024 के दौरान ओएमएसएस के तहत अतिरिक्त 25 लाख टन गेहूं का आवंटन और किया जा सकता है। ओएमएसएस के तहत अब तक एफसीआई साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से मिलर्स को 80.04 लाख टन गेहूं बेच चुकी है।

08 फ़रवरी 2024

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से अरहर एवं उड़द में मंदा, चना के साथ ही देसी मसूर महंगी

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से घरेलू बाजार में बुधवार को अरहर एवं उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि इस दौरान चना के साथ ही देसी मसूर के दाम तेज हुए।  दाल मिलों की सीमित मांग से मूंग की कीमतें स्थिर बनी रही।


चेन्नई में बर्मा की उड़द एसक्यू और एसक्यू के भाव 10 से 15 डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि इस दौरान लेमन अरहर की कीमतें 15 डॉलर तेज हो गई। उड़द एफएक्यू के भाव जनवरी एवं फरवरी शिपमेंट के 10 डॉलर कमजोर होकर भाव 1,090 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 15 डॉलर घटकर 1,180 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 15 डॉलर तेज होकर दाम 1,310 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए।

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से उड़द के दाम कमजोर हुए, साथ ही चेन्नई में आयातित उड़द के दाम डॉलर में भी कमजोर हुए। व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्ट ने बर्मा में उत्पादन कम बताकर दाम तेज किए थे, लेकिन मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पाया है।बढ़े दाम पर जहां दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही उड़द की खरीद कर रही हैं वहीं उड़द दाल में बढ़ी हुई कीमतों में खुदरा एवं थोक मांग भी सामान्य की तुलना कमजोर हुई। इसलिए इसके भाव में तेजी आने पर मुनाफावसूली करते रहना चाहिए। वैसे भी आगामी दिनों में नई उड़द की आवक तमिलनाडु के साथ ही तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की उत्पादक मंडियों में बढ़ेगी। उधर बर्मा में भी नई उड़द की आवक बढ़ेगी। व्यापारियों के अनुसार अगले सप्ताह से कृष्णा जिले में नई उड़द की आवक शुरू हो जायेगी, तथा 15 फरवरी के बाद नई फसल की आवकों में बढ़ोतरी होगी।

घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि चेन्नई में लेमन अरहर के दाम डॉलर में तीसरे दिन भी तेज हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार अरहर में स्टॉकिस्ट सक्रिय है, इसलिए तेजी, मंदी बनी हुई है। उधर नेफेड और एनसीसीएफ अरहर की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है, साथ ही अरहर में बढ़े दाम पर दाल मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण बढ़ी हुई कीमतों में मुनाफावसूली करते रहना चाहिए। केंद्र सरकार लगातार दलहन की कीमतों की समीक्षा कर रही है, जबकि घरेलू मंडियों में जहां देसी अरहर की आवक अभी बनी रहेगी, साथ ही म्यांमार से लेमन अरहर का आयात भी आगामी दिनों में बढ़ेगा। अरहर दाल में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है। हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में अरहर के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है।

दाल मिलों की मांग बनी रहने से चना की कीमतों में तेजी जारी रही। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी, जबकि उत्पादक राज्यों में अच्छी क्वालिटी का पुराना स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। चालू रबी में चना की बुआई भी पिछले साल की तुलना में घटी है तथा पाइप लाइन भी खाली है। इसलिए इसके भाव में हल्का सुधार और भी बन सकता है, लेकिन अब बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए, क्योंकि फरवरी के अंत में नए चना की आवक बढ़ेगी, तथा मार्च में आवकों का दबाव बनेगा। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी से चना का उत्पादन अनुमान है।

सूत्रों के अनुसार नेफेड के फसल सीजन 2022 का चना का स्टॉक केवल 34,000 टन एवं फसल सीजन 2021 का 400 टन बचा हुआ है, जबकि 2020 का स्टॉक समाप्त हो चुका है। नेफेड ने 2023 के चना की बिक्री बंद कर दी है।  

मुंबई में कनाडा की पीली मटर के दाम 5,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के दाम 4,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मुंद्रा बंदरगाह पर रसिया की पीली मटर के भाव 4,525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में देसी मसूर के दाम तेज हुए हैं, तथा आयातित की कीमतें स्थिर ही बनी रही। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग बनी रहने के आसार हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक सीमित मात्रा में ही हो रही है, क्योंकि उत्पादक राज्यों में किसानों एवं स्टॉकिस्टों के पास देसी मसूर का बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है। नई फसल की आवक फरवरी के अंत में बढ़ेगी। इसलिए इसकी कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। चालू रबी में मसूर की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, जिस कारण उत्पादन अनुमान ज्यादा है।

देसी मूंग की कीमतें स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल में मांग अभी बनी रहेगी, साथ ही चालू रबी में इसकी बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है। इसलिए मौजूदा कीमतों में अभी ज्यादा मंदा नहीं आएगा। उत्पादक राज्यों में मूंग की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हुई है। इसलिए एकतरफा बड़ी तेजी के आसार भी नहीं है। नेफेड राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश में लगातार मूंग की बिकवाली कर रही है।

उत्तर भारत के राज्यों में जनवरी अंत तक 39.40 लाख गांठ कॉटन की आवक हुई - उद्योग

नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा एवं अपर राजस्थान के साथ ही लोअर राजस्थान की मंडियों में चालू फसल सीजन 2023-24 में जनवरी अंत तक 39.40 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की आवक हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 26.76 लाख गांठ से ज्यादा है।

इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड, आईसीएएल के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 में पहली सितंबर 2023 से जनवरी 2024 के दौरान पंजाब की मंडियों में 2,97,453 गांठ कॉटन की आवक हुई है, जबकि इस दौरान हरियाणा की मंडियों में 11,30,360 गांठ कॉटन की आवक हुई। अपर राजस्थान की मंडियों में इस दौरान 12,85,700 गांठ और लोअर राजस्थान की मंडियों में 12,27,410 गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है।

आईसीएएल के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में फसल सीजन 2023-24 में 48.32 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन 2022-23 के 42.22 लाख गांठ से ज्यादा है। अत: जनवरी अंत तक कॉटन की आवक 39.40 लाख गांठ की इन राज्यों की मंडियों में हो चुकी है तथा इन राज्यों में अब केवल 8.92 लाख गांठ कॉटन का ही बकाया स्टॉक बचा हुआ है।

आईसीएएल के अनुसार इन राज्यों से कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने चालू फसल सीजन में 1,14,965 गांठ कॉटन की खरीद की है। पंजाब से 38,240 गांठ, हरियाणा से 40,100 गांठ एवं अपर राजस्थान से 16,625 गांठ के अलावा लोअर राजस्थान की मंडियों से 20 हजार गांठ का खरीद हुई है।


07 फ़रवरी 2024

खरीफ सीजन में देशभर के राज्यों से 643 लाख टन से अधिक हुई धान की खरीद

नई दिल्ली। खरीफ विपणन सीजन 2023-24 के दौरान देशभर के प्रमुख उत्पादक राज्यों से 31 जनवरी 2024 तक 643.39 लाख टन धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद हुई है।


सूत्रों के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2023-24 में धान की कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब एवं छत्तीसगढ़ की रही है।

पंजाब से खरीफ सीजन में 185.40 लाख टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीद हो चुकी है, जबकि छत्तीसगढ़ से 144.13 लाख टन धान खरीदा जा चुका है। अन्य राज्यों में हरियाणा से 58.92 लाख टन, तेलंगाना से 47.32 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश से 51.21 लाख टन धान की एमएसपी पर खरीद हो चुकी है।

ओडिशा से 45.72 लाख टन, मध्य प्रदेश से 37.72 लाख टन तथा बिहार से 21.98 लाख टन एवं आंध्र प्रदेश से 18.15 लाख टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीद हुई है।

अन्य राज्यों में पश्चिम बंगाल से 8.90 लाख टन, उत्तराखंड से 5.58 लाख टन तथा तमिलनाडु से 6.17 लाख टन और महाराष्ट्र से 7.98 लाख के अलावा केरल से 1.33 लाख टन धान की खरीद अभी तक हो चुकी है।

असम से 77,217 टन धान, चंडीगढ़ से 17,312 टन, गुजरात से 88,208 टन तथा हिमाचल प्रदेश से 22,898 टन तथा जम्मू कश्मीर से 23,858 टन और त्रिपुरा से 15,400 टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है। 

नीचे दाम पर तेल मिलों की मांग से सरसों की कीमतें तेज

नई दिल्ली। नीचे दाम पर तेल मिलों की मांग बढ़ने से घरेलू बाजार में मंगलवार को सरसों की कीमतें तेज हो गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये बढ़कर 5,575 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 3.35 लाख बोरियों की हुई, जिसमें नई सरसों की हिस्सेदारी 85 हजार बोरी की है।


विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आज तेजी का रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम लगातार दूसरे कार्यदिवस में तेज हुए, जबकि इस दौरान डालियान में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ोतरी दर्ज की गई। शिकागो में सोया तेल के दाम भी मजबूत हुए। जानकारों का मानना है कि विश्व स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में हल्की तेजी तो आ सकती है, लेकिन बड़ी तेजी अभी टिक नहीं पायेगी। घरेलू बाजार में तेल मिलों की बिक्री बढ़ने से सरसों तेल की कीमतें स्थिर से नरम हो गई, जबकि इस दौरान सरसों खल के भाव में सुधार आया।

उत्पादक मंडियों में मंगलवार को भी सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। उत्पादक राज्यों में मौसम साफ हुआ है, इसलिए नई सरसों की आवक लगातार बढ़ रही है। जानकारों के अनुसार चालू महीने के अंत तक आवकों का दबाव बन जायेगा तथा चालू सीजन में उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। इसलिए तेल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्य तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।

सरसों तेल के भाव स्थिर नरम

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में मंगलवार को नरमी दर्ज की गई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव दो रुपये कमजोर होकर दाम 1,015 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 2 रुपये घटकर भाव 1,005 रुपये प्रति 10 किलो बोले गए। इस दौरान गंगापुर में सरसों तेल कच्ची घानी के दाम 995 से 1,000 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। भरतपुर में सरसों तेल कच्ची घानी के दाम 1,010 से 1,015 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए।

विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आज तेजी का रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम लगातार दूसरे कार्यदिवस में तेज हुए, जबकि इस दौरान डालियान में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ोतरी दर्ज की गई। शिकागो में सोया तेल के दाम भी मजबूत हुए। जानकारों का मानना है कि विश्व स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में हल्की तेजी तो आ सकती है, लेकिन बड़ी तेजी अभी टिक नहीं पायेगी। घरेलू बाजार में तेल मिलों की बिक्री बढ़ने से सरसों तेल की कीमतें स्थिर से नरम हो गई।

विश्व बाजार में खाद्वय तेल तेज

बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (बीएमडी) पर अप्रैल डिलीवरी वायदा अनुबंध में पाम तेल की कीमतें 39 रिंगिट यानी की 1.03 फीसदी बढ़कर 3,841 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुई। इस दौरान डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध 0.03 फीसदी तेज हो गया, जबकि इसका पाम तेल वायदा अनुबंध 0.99 फीसदी तक तेज हुआ। शिकागो में सीबीओटी सोया तेल की कीमतें 0.97 फीसदी बढ़ गई।

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों के दाम तेज होने के साथ ही मलेशियाई में उत्पादन कम होने की आशंका से मलेशियाई एक्सचेंज में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) वायदा मंगलवार को उच्च स्तर पर बंद हुआ।

जानकारों के अनुसार अन्य खाद्वय तेलों की कीमतों में आई तेजी के साथ ही मलेशियाई पाम ऑयल बोर्ड के जनवरी के सर्वेक्षणों में कम उत्पादन और बकाया स्टॉक कम होने के अनुसार के साथ ही कमजोर रिंगिट के कारण पाम की कीमतें तेज हुई हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार पाम तेल का स्टॉक दिसंबर की तुलना में 6.62 फीसदी कम होकर 2.14 मिलियन टन तक कम रहेगा। जनवरी में क्रूड पाम तेल का उत्पादन 1.37 मिलियन टन हुआ है जोकि पिछले महीने से 11.83 फीसदी कम है।

मलेशियाई पाम ऑयल बोर्ड (एमपीओबी) 13 फरवरी को अपना मासिक डेटा जारी करने वाला है।

डॉलर के मुकाबले रिंगिट में 0.32 फीसदी की गिरावट आई।

सरसों खल मजबूत, डीओसी के दाम स्थिर

जयपुर में मंगलवार को सरसों खल की कीमतें 15 रुपये तेज होकर दाम 2,770 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान गंगापुर में सरसों खल के भाव 25 रुपये तेज होकर दाम 2,725 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नीमच मंडी में सरसों खल की कीमतें बढ़कर 2,750 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई।

निर्यातकों के साथ ही स्थानीय मांग सीमित होने से डीओसी की कीमतें स्थिर हो गई। कोटा में सरसों डीओसी के बिल्टी भाव 25,200 रुपये प्रति टन पर स्थिर हो गए। इस दौरान मुरैना में सरसों डीओसी के बिल्टी दाम 24,800 रुपये प्रति टन बोले गए। कानपुर में सरसों डीओसी के बिल्टी भाव 25,300 रुपये प्रति टन के स्तर पर स्थिर हो गए।

तेल मिलों की बिकवाली कम आने से सरसों खल की कीमतों में सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार तेल मिलों को नीचे दाम पर पड़ते नहीं लग रहे, क्योंकि मिलों के पास पुराना उंचे दाम का स्टॉक है। इसलिए मिलें नीचे दाम पर बिकवाली कम कर रही हैं। हालांकि बड़ी तेजी के आसार भी नहीं है, क्योंकि उत्पादक मंडियों में नई सरसों की आवक बढ़ने लगी है, तथा सरसों खल में खपत राज्यों की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है।

निर्यातकों के साथ ही स्थानीय मांग सीमित बनी रहने से घरेलू बाजार में डीओसी के दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार सरसों की नई फसल की आवकों में बढ़ोतरी मध्य फरवरी तक और बनेगी, तथा चालू सीजन में उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। इसलिए इसके भाव में अब बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।

कॉटन वॉश की कीमतें मजबूत

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों में तेजी का रुख रहा, जबकि घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमतें मजबूत हो गई। धुले में कॉटन वॉश के दाम पांच रुपये तेज होकर 810 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। इस दौरान अमरावती में कॉटन वॉश के दाम सात रुपये तेज होकर 822 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। अकोला में कॉटन वॉश की कीमतें पांच रुपये बढ़कर 805 रुपये प्रति दस किलो के स्तर पर पहुंच गई।

विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आज तेजी का रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम लगातार दूसरे कार्यदिवस में तेज हुए, जबकि इस दौरान डालियान में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ोतरी दर्ज की गई। शिकागो में सोया तेल के दाम भी मजबूत हुए। घरेलू मंडियों में भी कॉटन वॉश की कीमतों में हल्की तेजी, मंदी बनी रहने की उम्मीद है।

बिनौला स्थिर से नरम, कपास खली मंदी

तेल मिलों की मांग कमजोर होने से बिनौले के भाव उत्तर भारत के राज्यों में स्थिर से नरम हो गए। हरियाणा में बिनौले के भाव 2250 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान श्रीगंगानगर लाइन में बिनौला के भाव 100 रुपये घटकर 2250 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। बिनौला के दाम पंजाब में 2100 से 2350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

तेल मिलों की बिकवाली बढ़ने से कपास खली की कीमतें कमजोर हो गई। सेलु में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमतें 20 रुपये घटकर दाम 2,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के दाम 20 रुपये नरम होकर 2,700 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। शाहपुर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के दाम 30 रुपये कमजोर होकर 2770 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

तेल मिलों की मांग कमजोर से बिनौला की कीमतें उत्तर भारत के राज्यों में स्थिर से नरम हुई। विश्व बाजार में खाद्य तेलों में तेजी का रुख रहा, हालांकि व्यापारी विश्व बाजार में इसकी कीमतों में अभी बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है। घरेलू मंडियों में कपास की दैनिक आवक अभी बराबर बनी रहने की उम्मीद है, जिस कारण बिनौला की उपलब्धता ज्यादा, इसलिए तेल मिलें जरुरत के हिसाब से ही बिनौला की खरीद कर रही हैं।

ग्राहकी कमजोर होने के कारण कपास खली की कीमतें कमजोर हो गई। व्यापारियों के अनुसार कपास खली में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, दूसरी और नीचे दाम तेल मिलों को भी पड़ते नहीं लग रहे हैं वहीं खपत राज्यों की मांग भी बढ़ नहीं पा रही है। इसलिए इसकी कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार कम है। उत्पादक राज्यों में कपास की दैनिक आवक अभी बनी रहेगी, जिस कारण बिनौला की उपलब्धता बढ़ने से कपास खली का उत्पादन ज्यादा हो रहा है।