नई दिल्ली। सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान अन्य राज्यों में अभी तक फसल की स्थिति है, तथा समय अगेती फसल में दाने भरने शुरू हो गए हैं। इस समय फसल को बारिश की सख्त जरूरत है, अगर बारिश में और देरी हुई तो इसका असर नई फसल की उत्पादकता पर पड़ेगा।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुआई को 45 से 60 दिन हो चुके हैं, तथा समय फली बनने से लेकर फलियों में दारे भरने की अवस्था है। हालांकि अभी तक तक कुल मिलाकर फसल की स्थिति सामान्य है और एक पखवाड़े भर के दौरान बारिश हुई तो फसल को फायदा होगा। पूरे राज्य में, विशेषकर पश्चिमी क्षेत्र में तत्काल बारिश की आवश्यकता है। अगर बारिश में और देरी हुई तो फिर पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार मध्य प्रदेश में पहली जून से 29 अगस्त तक बारिश सामान्य की तुलना में 13 फीसदी कम हुई है। अगस्त के दौरान राज्य में बारिश सामान्य से काफी कम हुई है।
सोपा के अनुसार महाराष्ट्र में फसल 45 से 60 दिन पुरानी है, और फली बनने से लेकर फली में दाने भरने की अवस्था में है। अभी तक फसल की कुल स्थिति सामान्य है लेकिन तत्काल बारिश की आवश्यकता है। बारिश में देरी की स्थिति में, फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे पैदावार कम हो जाएगी। खासकर के मराठवाड़ा में, जहां सोयाबीन की बुवाई ज्यादा हुई है।
आईएमडी के अनुसार महाराष्ट्र में पहली जून से 29 अगस्त तक बारिश सामान्य की तुलना में 10 फीसदी कम हुई है। अगस्त के दौरान राज्य में बारिश सामान्य से काफी कम हुई है।
सोपा के अनुसार राजस्थान के साथ ही अन्य राज्यों में भी फसल 45 से 60 दिन पुरानी है, और फली बनने से लेकर फली में दाने भरने की अवस्था में है। अभी तक फसल की कुल स्थिति सामान्य है लेकिन तत्काल सभी राज्यों में फसल को बारिश की आवश्यकता है। बारिश में देरी और देरी हुई तो, फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे पैदावार में कमी आशंका है।
आईएमडी के अनुसार राजस्थान में पहली जून से 29 अगस्त तक बारिश सामान्य की तुलना में 14 फीसदी अधिक हुई है। हालांकि राज्य में अगस्त के दौरान बारिश सामान्य से काफी कम हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में देशभर के राज्यों में 124.71 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हो चुकी है।
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