ओएमएसएस के तहत 50 लाख टन गेहूं बेचने का व्यावहारिक फैसला_ केन्द्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बेचे जाने वाले गेहूं की मात्रा को एकाएक 15 लाख टन से बढ़ाकर 50 लाख टन निर्धारित करने का जो निर्णय लिया है उसे कुछ विश्लेषक व्यावहारिक तथा कुछ अन्य समीक्षक जोखिम पूर्ण कदम मान रहे हैं। उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि चालू माह के आरंभ में यानी 1 अगस्त 2023 को केन्द्रीय पूल में 280.39 लाख टन का स्टॉक मौजूद था जो 1 जुलाई के स्टॉक 301.45 लाख टन, 1 अगस्त 2021 के स्टॉक 564.80 लाख टन से काफी कम मगर 1 अगस्त 2022 के स्टॉक 266.45 लाख टन से ज्यादा था।
1 अगस्त 2023 को मौजूद 280.39 लाख टन के स्टॉक में से 50 लाख टन गेहूं यदि ओएमएसएस के तहत बेचा गया तो सरकार के पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आपूर्ति के लिए इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का सीमित स्टॉक बच जाएगा। मालूम हो कि अब गेहं की नई सरकारी खरीद अप्रैल 2024 में आरंभ होगी जो अभी बहुत दूर है। हालांकि इन योजनाओं में आपूर्ति के लिए गेहूं की कमी नहीं पड़ेगी लेकिन इसकी बकाया अधिशेष स्टॉक अवश्य ही काफी घट जाएगा।
पहले माना जा रहा था कि सरकार विदेशों से स्वयं या प्राइवेट व्यापारियों के जरिए भारी मात्रा में गेहूं मंगवाकर घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास कर सकती है मगर सरकार ने अब दूसरा वैकल्पिक रास्ता अपनाया है। वैसे भी ओएमएसएस के अंतर्गत 50 लाख टन गेहूं को 31 मार्च 2024 तक बेचा जाना है। इसलिए इसमें ज्यादा जोखिम नहीं है। गेहूं का स्टॉक बेशक सीमित है। लेकिन सरकार का प्रयास इसके घरेलू बाजार भाव में आ रही तेजी पर अंकुश लगाने का है।
लेकिन समस्या यह है कि ओएमएसएस के तहत प्रत्येक खरीदार को 10 से 100 टन तक ही गेहूं खरीदने की अनुमति दी गई है। इसकी सीमा बढ़ाए जाने की मांग हो रही है लेकिन सरकार का तर्क कुछ अलग है। इससे एक बात तो लगभग निश्चित है कि भारतीय खाद्य निगम की साप्ताहिक ई-नीलामी की प्रक्रिया नियमित रूप से जारी रहेगी। मिलर्स गेहूं की खरीद नियमित रूप से करते रहेंगे और मार्केट में माल की उपलब्धता बनी रहेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें