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30 जुलाई 2022

आईसीए ने भारतीय कपास आयातकों के अनुबंध रद्द करने के प्रस्ताव को ठुकराया

नई दिल्ली। भारतीय कपड़ा मिलें, जिन्होंने कॉटन आयात के लिए अनुबंध किए थे, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अतः मिलों नेे इंटरनेशनल कॉटन एसोसिएशन, आईसीए को पत्र लिखकर आयात सौदों के आर्डर कैंसिल करने की मांग की थी, जिसे आईसीए के ठुकरा दिया है। आईसीए ने भारतीय आयातकों सुझाव दिया है कि आयातक वैश्विक निकाय के उपनियमों के अनुसार इन सौदों को वापस बेच सकते हैं।

तमिलनाडु स्पिनिंग मिल्स एसोसिएशन (TASMA) को भेजे गए एक पत्र में, जिन्होंने इस मुद्दे को उठाया था, आईसीए ने कहा कि कोई भी अनुबंध जो आईसीए के उपनियमों और नियमों के अधीन है, वह रद्द नहीं किया जा सकता है।

आईसीए ने स्पष्ट किया कि अनुबंध को बंद होने की तिथि पर बाजार मूल्य पर वापस बेचा जा सकता है। हालांकि, किसी विशेष अनुबंध में निर्दिष्ट होने पर शर्तें लागू होंगी।

नियम 238 के अनुसार, यदि किसी कारण से अनुबंध के हिस्से का अनुबंध नहीं किया गया है, या नहीं किया जाएगा (चाहे किसी भी पार्टी द्वारा अनुबंध के उल्लंघन के कारण या किसी अन्य कारण से) यह कैंसिल नहीं होगा। सभी मामलों में संपर्क या अनुबंध का हिस्सा, अनुबंध की तिथि पर लागू नियमों के अनुसार विक्रेता को वापस चालान करके बंद कर दिया जाएगा। नियम 239 के अनुसार, बंद होने की तिथि पर प्रचलित कीमतों को वापस चालान के लिए लागू किया जाएगा।

जानकारों के अनुसार भारतीय आयातकों ने बढ़ी हुई कीमतों पर कॉटन का अनुबंध किया था। लेकिन बाद के महीनों में कीमतें गिर गईं। साथ ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने से भी भारतीय आयातकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही शिपमेंट में देरी से आयातित कपास की खपत के लिए आयातकों की योजना भी बाधित हुई है।

बाजार सूत्रों के अनुसार लगभग 10 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो के आयात सौदें भारतीय आयातकों द्वारा अनुबंधित किए हुए हैं जिस कारण आयातक भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से, दक्षिण भारत स्थित मिलों ने घरेलू आपूर्ति की कमी के कारण कपास के आयात सौदे किए थे।

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