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19 मई 2022

कॉटन उत्पादन अनुमान में उद्योग ने फिर की कटौती, 323.63 लाख गांठ का अनुमान

नई दिल्ली। प्रतिकूल मौसम के साथ ही पिंक बालवर्म की मार चालू सीजन में कपास की फसल पर पड़ी थी, जिस कारण इसके उत्पादन अनुमान में उद्योग ने एक बार फिर कटौती कर दी। उद्योग के अनुसार पहली अक्टूबर 2021 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में कॉटन का उत्पादन घटकर 323.63 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो ही होने का अनुमान है, जबकि इसके पहले उद्योग ने 335.13 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया था, जबकि उससे पहले 343.13 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान था।

कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया, सीएआई के अनुसार कॉटन के तीसरे आरंभिक अनुमान मेें और 11.50 लाख गांठ की कमी आने की आशंका है। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में पांच लाख गांठ, महाराष्ट्र में पांच लाख गांठ, मध्य प्रदेश में एक लाख गांठ, तेलंगाना में 2 लाख गांठ और कर्नाटक में 50 हजार गांठ कम होने का अनुमान है। हालांकि इस दौरान तमिलनाडु में उत्पादन 2 लाख गांठ ज्यादा होने की उम्मीद है।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में कॉटन की खपत पहले के अनुसार 340 लाख गांठ से कम होकर 320 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। हालांकि पिछले साल 335 लाख गांठ की खपत हुई थी। अप्रैल अंत तक 200 लाख गांठ की खपत हो चुकी है।

चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात बढ़कर 15 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि पिछले फसल सीजन में 10 लाख गांठ का आयात हुआ था। चालू फसल सीजन में अप्रैल अंत तक करीब 6 लाख गांठ कॉटन का आयात हो चुका है।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में कॉटन का निर्यात 45 लाख गांठ के पहले अनुमान से घटकर 40 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है, जिसमें से अप्रैल अंत तक 36 लाख गांठ का निर्यात हो भी चुका है।

सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2021-22 में पहली अक्टूबर 2021 से अप्रैल 2022 अंत  तक देशभर की मंडियों में 277.49 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है, जोकि कुल उत्पादन का करीब 85 फीसदी है। अत: उत्पादक राज्यों में अब केवल 15 फीसदी कपास ही बची हुई है।

उद्योग के अनुसार मिलों के पास अप्रैल के अंत में करीब 78 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है, जोकि औसतन मिलों की खपत का करीब 89 दिनों का है। उधर कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई, महाराष्ट्र फैडरेशन, एमएनसी, जिनर्स, व्यापारी और एमसीएक्स के पास मार्च अंत में कॉटन का करीब 44.49 लाख गांठ का बकाया स्टॉक है। ऐसे में माना जा रहा है कि सीजन के अंत में 30 सितंबर 2022 को कॉटन का बकाया स्टॉक 53.63 लाख गांठ का बचेगा।

व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में हाल ही में जिस अनुपात में कॉटन के दाम तेज हुए हैं, उसके आधार पर यार्न की कीमतें नहीं बढ़ पाई। साथ ही कई राज्यों में मिलों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए छोटी स्पिनिंग मिलों ने उत्पादन लगभग बंद कर दिया है, जबकि बड़ी मिलें भी केवल एक या डेढ़ शिफ्ट में ही काम कर रही है। हालांकि जिनर्स दाम घटाकर गांठों की बिकवाली नहीं कर रह हैं, जबकि नई फसल की आवक बनने में अभी समय है। इसलिए हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।

गुजरात की मंडियों में ए ग्रेड कॉटन के दाम 1,00,000 से 1,00,500 रुपये, बी ग्रेड किस्म की कॉटन के भाव 99,500 से 1,00,000 रुपये और एवरेज ग्रेड की कॉटन के भाव 95,500 से 97,000 रुपये प्रति कैंडी क्वालिटीनुसार बोले गए।

विदेशी बाजार में शुक्रवार को कॉटन की कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया। आईसीई कॉटन के जुलाई वायदा अनुबंध में 33 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 145.20 सेंट पर बंद हुए, जबकि दिसंबर वायदा अनुबंध में 32 प्वांइट का सुधार आकर भाव 127.99 सेंट हो गए। मार्च-2023 वायदा अनुबंध में 47 प्वांइट की तेजी आकर भाव 122.82 सेंट हो गए।

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