आर एस राणा
नई
दिल्ली। ब्राजील और आस्ट्रेलिया के बाद मध्य अमेरिकी देश ग्वाटेमाला ने
सोमवार को चीनी सब्सिडी को लेकर भारत को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ)
की विवाद निपटान व्यवस्था में पहुंच गया है। ग्वाटेमाला ने आरोप लगाया है
कि भारत द्वारा किसानों को दी जा रही चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों
के अनुरूप नहीं है।
ग्वाटेमाला ने इस मामले में भारत के साथ
डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान की निगरानी के नियमों और प्रक्रियाओं के तहत
विचार विमर्श चाहा है। ग्वाटेमाला ने यह मामला कृषि और सब्सिडी पर
डब्ल्यूटीओ की विभिन्न धाराओं के तहत दायर किया है।
सरकार ने दी है मिलों को राहत
ग्वाटेमाला
का कहना है कि भारत सरकार गन्ना किसानों के साथ ही चीनी मिलों को रियायतें
दे रही है जिसका असर विश्व बाजार में चीनी की कीमतों पर पड़ता है। भारत
सरकार ने घरेलू बाजार में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) तय के साथ
ही गन्ना किसानों को सब्सिडी और चीनी मिलों को भी राहत दी है, ताकि गन्ना
किसानों को वित्तीय सहायता दी सके। इसके अलावा चीनी मिलों को बफर स्टॉक
बनाने के लिए भी सब्सिडी दी है। उन्होंने कहना है कि भारत ने चीनी के
निर्यात को बढ़ाने के लिए परिवहन लागत, माल ढुलाई, हैंडलिंग आदि के लिए
चीनी मिलों को सब्सिडी दी है।
घेरलू बाजार उपलब्धता मांग की तुलना में ज्यादा
पेराई
सीजन 2017-18 (अक्टूबर से सितंबर) में देश में चीनी का रिकार्ड उत्पादन
325 लाख टन का हुआ था, जबकि घरेलू बाजार में नए पेराई सीजन के शुरू में
बकाया स्टॉक भी ज्यादा था। अत: घरेलू बाजार में चीनी की कुल उपलब्धता मांग
से ज्यादा होने के कारण चीनी की कीमतों में मंदा आया था। उद्योग के अनुसार
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में भी चीनी का उत्पादन 307
लाख टन होने का अनुमान है जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 255 लाख
टन की ही होती है।....... आर एस राणा
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