आर एस राणा
नई
दिल्ली। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार
द्वारा मंजूर किए 15,000 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन में से बैंकों ने अभी
तक केवल 26.67 फीसदी कर्ज यानि 4,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को ही हरी
झंडी दी है। इसीलिए गन्ना किसानों का बकाया कम होने के बजाए लगातार बढ़ ही
रहा है। उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन के पहले पांच महीनों में ही
बकाया बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये को पार कर चुका है, जिसमें उत्तर प्रदेश की
चीनी मिलों पर 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
केंद्र सरकार
ने 8 मार्च 2019 को चीनी मिलों को 10 हजार करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन
प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जबकि इससे पहले भी सरकार ने जून 2018 में 4,440
करोड़ का सॉफ्ट लोन देने की घोषणा की थी। इसके अलावा बकाया भुगतान में तेजी
लाने के लिए केंद्र सरकार ने सितंबर 2018 में भी चीनी मिलों के लिए 5,500
करोड़ रुपये को पैकेज को मंजूरी दी थी।
नेशनल फैडरेशन ऑफ
कॉ-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफएल) के प्रबंध निदेशक प्रकाश
पी. नायकनावारे ने आउटलुक तो बताया कि चीनी मिलों के साफ्ट लोन के अभी तक
करीब 4,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को बैंको द्वारा मंजूरी दी गई है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को राहत देने के लिए साफ्ट
लोन देने के प्रस्ताव को जो मंजूरी है, वह कदम तो अच्छा है लेकिन यह रास्ता
लंबा है। अत: इसके परिणाम अगले दो से ढाई साल बाद ही सामने आयेंगे।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य को 29
रुपये से बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो कर दिया, जबकि चीनी मिलों को लागत
करीब 35 रुपये प्रति किलो की आ रही है। अत: अभी भी लागत से 4 रुपये प्रति
किलो नीचे भाव पर ही चीनी बिक रही है जिस कारण मिलों पर किसानों का बकाया
बढ़ रहा है।
मजबूत बैलेंस शीट वाली मिलों को ही बैंक दे रहे हैं ऋण
इंडियन
शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने बताया कि
केंद्र सरकार ने एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को साफ्ट लोन
देने के प्रस्तावों को जो मंजूरी है, यह कदम तो अच्छा है लेकिन इसका तत्काल
लाभ नहीं मिलेगा। ऐथनॉल प्लांट लगाने के लिए, बड़े बजट की जरुरत होती है
अत: बैंक भी उन्हीं चीनी मिलों के प्रस्ताव को मंजूर करेंगे, जिनकी बैलेंस
शीट अच्छी होगी। इसके अलावा एथेनॉल प्लांट के लिए पर्यावरण मंजूरी में भी
समय लगता है। उन्होंने बताया कि चीनी की उपलब्धता देश में ज्यादा है जबकि
निर्यात पड़ते लग नहीं रहे हैं। अत: जब तक चीनी का निर्यात नहीं बढ़ेगा,
स्थिति में सुधार आने की संभावना कम है।
लागत से नीचे भाव में चीनी बेच रही है मिलें
उद्योग
से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने हाल ही में साफ्ट लोन के
प्रस्ताव को जो मंजूरी दी है, उसके अनुसार 28 फरवरी तक जिन चीनी मिलों ने
किसानों का 25 फीसदी का भुगतान किया है, वहीं मिलें सॉफ्ट लोने के लिए
आवेदन कर सकेगी। ऐसे में जिन चीनी मिलों की स्थिति मजबूत होगी, वहीं मिलें
इसके लिए आवेदन कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि मिलें चीनी की बिक्री तीन से
साढ़े तीन रुपये प्रति किलो लागत से कम भाव पर कर रही हैं, अत: उधारी चुकान
के लिए सॉफ्ट लोन क्यों लेंगी? उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने जो 114
प्रस्तावों को मंजूरी दी है, उनमें उत्तर प्रदेश के 39 प्रस्ताव हैं।
सॉफ्ट लोन के लिए सरकार को मिलें हैं 268 आवेदन
खाद्य
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने एथेनॉल
उत्पादन बढ़ाने के लिए करीब 6,000 करोड़ रुपये के 114 प्रस्तावों को मंजूरी
दी है जबकि सरकार को 13,400 करोड़ रुपये के 268 आवेदन सॉफ्ट लोन के लिए
प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि अन्य आवेदनों का अवलोकन किया जा रहा है
तथा उम्मीद है कुछ और आवेदनों को जल्द ही मंजूरी दी जाए।
मिलों के राहत देने के बावजूद किसानों का बकाया बढ़ा
एथेनॉल
का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 8 मार्च 2019 को चीनी मिलों को
10 हजार करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जबकि इससे
पहले भी सरकार ने जून 2018 में 4,400 करोड़ का सॉफ्ट लोन देने की घोषणा की
थी। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार चीनी
मिलों को कई अन्य तरह की राहत भी दे चुकी है लेकिन इन सब के बावजूद भी
चीनी मिलों पर किसानों का बकाया लगातार बढ़ ही रहा है। पहली अक्टूबर 2018
से शुरू हुए चालू गन्ना पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के पहले
पांच महीनों में ही गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये को
पार कर चुका है।....... आर एस राणा
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