आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अरहर के आयात को हत्तोसाहित करने के लिए 28 मार्च 2017 को इसके आयात पर तत्काल प्रभाव से 10 फीसदी का आयात शुल्क लगा दिया था, लेकिन अरहर के सबसे बड़े निर्यातक देश म्यांमार से शुन्य शुल्क पर आयात जारी है जिससे इसकी कीमतों में अपेक्षित सुधार नहीं आया।
कृषि मंत्रालय के अनुसार अरहर आयात का आयात म्यांमार, तंजानिया, मौजाम्बिक, मलावी और सुडान से होता है। कुल आयात में म्यांमार की हिस्सेदारी 46.35 फीसदी है, तथा म्यांमार और भारत दोनों ही एएसईएएन संगठन के सदस्य देश है, अतः एएसईएएन ट्रेड एग्रीमेंट के तहत म्यांमार से भारत को आयात होने वाली अरहर पर आयात शुल्क लागू नहीं होता, इसलिए म्यांमार से अरहर का शुन्य शुल्क पर आयात जारी है, जिससे घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में गिरावट आई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 10 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 5.73 लाख टन अरहर का आयात हुआ है, तथा आयातकों के अनुसार मार्च तक अरहर का कुल आयात बढ़कर 7 लाख टन के करीब होने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में अरहर का कुल आयात 4.62 लाख टन का ही हुआ था। अतः अरहर की घरेलू पैदावार ज्यादा होने के साथ ही आयात में भी हुई बढ़ोतरी के कारण ही इसकी कीमतों में गिरावट आई है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार अरहर की पैदावार 2016-17 में रिकार्ड 42.3 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 25.6 लाख टन का ही हुआ था। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जबकि उत्पादक मंडियों में अरहर 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। जानकारों के अनुसार आयात ऐसे ही जारी रहा तो चालू सीजन में अरहर की बुवाई में कमी आने की आशंका है।
केंद्र सरकार ने अरहर की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 24 अप्रैल तक जारी रखने का निर्णय लिया है जबकि पहले खरीद 15 अप्रैल को बंद होनी थी।...............आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अरहर के आयात को हत्तोसाहित करने के लिए 28 मार्च 2017 को इसके आयात पर तत्काल प्रभाव से 10 फीसदी का आयात शुल्क लगा दिया था, लेकिन अरहर के सबसे बड़े निर्यातक देश म्यांमार से शुन्य शुल्क पर आयात जारी है जिससे इसकी कीमतों में अपेक्षित सुधार नहीं आया।
कृषि मंत्रालय के अनुसार अरहर आयात का आयात म्यांमार, तंजानिया, मौजाम्बिक, मलावी और सुडान से होता है। कुल आयात में म्यांमार की हिस्सेदारी 46.35 फीसदी है, तथा म्यांमार और भारत दोनों ही एएसईएएन संगठन के सदस्य देश है, अतः एएसईएएन ट्रेड एग्रीमेंट के तहत म्यांमार से भारत को आयात होने वाली अरहर पर आयात शुल्क लागू नहीं होता, इसलिए म्यांमार से अरहर का शुन्य शुल्क पर आयात जारी है, जिससे घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में गिरावट आई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 10 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 5.73 लाख टन अरहर का आयात हुआ है, तथा आयातकों के अनुसार मार्च तक अरहर का कुल आयात बढ़कर 7 लाख टन के करीब होने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में अरहर का कुल आयात 4.62 लाख टन का ही हुआ था। अतः अरहर की घरेलू पैदावार ज्यादा होने के साथ ही आयात में भी हुई बढ़ोतरी के कारण ही इसकी कीमतों में गिरावट आई है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार अरहर की पैदावार 2016-17 में रिकार्ड 42.3 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 25.6 लाख टन का ही हुआ था। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जबकि उत्पादक मंडियों में अरहर 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। जानकारों के अनुसार आयात ऐसे ही जारी रहा तो चालू सीजन में अरहर की बुवाई में कमी आने की आशंका है।
केंद्र सरकार ने अरहर की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 24 अप्रैल तक जारी रखने का निर्णय लिया है जबकि पहले खरीद 15 अप्रैल को बंद होनी थी।...............आर एस राणा
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