आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवक कम हो गई है, इसलिए इसकी मौजूदा कीमतों में 75 से 100 रुपये का मंदा और आ सकता है, लेकिन बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है। जयपुर मंडी में सरसों के भाव 3,800 रुपये, अलवर में 3,575 रुपये तथा भरतपुर मंडी में 3,500 से 3,525 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है।
चालू सीजन में सरसों की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार 79.12 लाख टन उत्पादन का अनुमान था जबकि आज तीसरे आरंभिक अनुमान में इसके उत्पादन अनुमान में और बढ़ोतरी की संभावना है।
इस समय आयातित तेल सस्ते हैं, मलेशिया और इंडोनेशिया में पॉम तेल के भाव नीचे बने हुए हैं, साथ ही अमेरिका में सोया रिफाइंड तेलों में भी मंदा है। डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने से आयातित तेल सस्ते पड़ रही है, इसीलिए सरसों तेल में मांग कमजोर है। सरसों तेल के साथ सरसों खल में भी मांग कमजोर होने से तेल मिलों को अभी भी पेरिटी नहीं लग रही है। ऐसे में सरसों की कीमतों में तेजी जुलाई-अगस्त के बाद ही बनेगी, तथा आगे इसकी कीमतों में तेजी काफी हद तक मानसूनी बारिश कैसी होती है, इस पर भी निर्भर करेगी। व्यापारियों का मानना है कि जुलाई-अगस्त के बाद 42 फीसदी कंडीशन की सरसों का भाव बढ़कर 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल बन सकता है।.............. आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवक कम हो गई है, इसलिए इसकी मौजूदा कीमतों में 75 से 100 रुपये का मंदा और आ सकता है, लेकिन बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है। जयपुर मंडी में सरसों के भाव 3,800 रुपये, अलवर में 3,575 रुपये तथा भरतपुर मंडी में 3,500 से 3,525 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है।
चालू सीजन में सरसों की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार 79.12 लाख टन उत्पादन का अनुमान था जबकि आज तीसरे आरंभिक अनुमान में इसके उत्पादन अनुमान में और बढ़ोतरी की संभावना है।
इस समय आयातित तेल सस्ते हैं, मलेशिया और इंडोनेशिया में पॉम तेल के भाव नीचे बने हुए हैं, साथ ही अमेरिका में सोया रिफाइंड तेलों में भी मंदा है। डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने से आयातित तेल सस्ते पड़ रही है, इसीलिए सरसों तेल में मांग कमजोर है। सरसों तेल के साथ सरसों खल में भी मांग कमजोर होने से तेल मिलों को अभी भी पेरिटी नहीं लग रही है। ऐसे में सरसों की कीमतों में तेजी जुलाई-अगस्त के बाद ही बनेगी, तथा आगे इसकी कीमतों में तेजी काफी हद तक मानसूनी बारिश कैसी होती है, इस पर भी निर्भर करेगी। व्यापारियों का मानना है कि जुलाई-अगस्त के बाद 42 फीसदी कंडीशन की सरसों का भाव बढ़कर 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल बन सकता है।.............. आर एस राणा
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