स्काइमेट ने
2017 के
लिए मॉनसून का
पूर्वानुमान जारी कर दिया
है। स्काइमेट के
अनुसार इस वर्ष
भारत में 95 प्रतिशत के
आसपास बारिश हो
सकती है। इसमें
5% का
एरर मार्जिन रखा
गया है। हालांकि शुरुआती दौर
में मॉनसून के
बेहतर प्रदर्शन और
प्रगति की संभावना है।
तमिलनाडु और केरल को
छोड़कर देश के
बाकी हिस्सों में
मॉनसून का आगाज
अच्छा होगा। जून
में सामान्य वर्षा
का अनुमान है।
भारत
का लगभग 60% कृषि
क्षेत्र सिंचाई के लिए
वर्षा पर निर्भर
है। ऐसे में
मॉनसून पूर्वानुमान को
देखते हुए कह
सकते हैं कि
भारत की कृषि
इस वर्ष भी
कठिन दौर में
है। लगभग 48% खाद्य
फसलों और 68% गैर
खाद्य फसलों की
सिंचाई बारिश के
पानी से ही
होती है।
वर्षा
पर निर्भर कृषि
क्षेत्र की बात करें
तो इसका विस्तार पश्चिम
में गुजरात से
लेकर पूर्व में
मध्य प्रदेश तक
और राजस्थान से
लेकर दक्षिण भारत
के किनारों तक
फैला है। यह
इलाके प्रमुख खरीफ
उत्पादक क्षेत्र हैं। यहाँ सोयाबीन से
लेकर कपास, मूंगफली और
दलहन के साथ-साथ अन्य खाद्यान्नों का
बड़े पैमाने पर
उत्पादन होता है। कम
वर्षा से इस
बात की आशंका
है कि इन
फसलों के उत्पादन पर
बुरा असर पड़
सकता है।
स्काईमेट के
मॉनसून पूर्वानुमान के
अनुसार गुजरात, कोकण
गोवा, मध्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल
और तमिलनाडु में
बारिश कम होगी
जिससे फसलों की
उत्पादकता के साथ-साथ
गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।
एक दिलचस्प तथ्य
यह भी है
कि फसलों की
बुआई का दायरा
कम नहीं होगा
क्योंकि मॉनसून का शुरुआती चरण
अपेक्षाकृत काफी बेहतर रहने
की संभावना है।
मॉनसून
के आरंभ में
अच्छी बारिश को
देखते हुए किसान
बुआई का काम
इस उम्मीद में
आगे बढ़ाएंगे कि
मॉनसून बाकी दिनों
में भी अच्छी
वर्षा देगा। लेकिन
यह एक डरावना
सच है कि
एल नीनो जुलाई
से उभार पर
होगा जिससे मॉनसून
का दूसरा चरण
कमजोर होने की
प्रबल संभावना है।
अगस्त महीने तक
फसलें विकास की
अवस्था में होती
हैं और ऐसे
में पानी की
कमी उत्पादन और
गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करेगी।………..www.skymetweather.com
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