21 जुलाई 2012
कॉपर में बिकवाली से कमाएं अल्पावधि में मुनाफा
अगले कुछ महीनों में डॉलर के और मजबूत होने की संभावना बन रही है। जिससे कॉपर की मांग प्रभावित होने से इसकी कीमतों में गिरावट आएगी। अल्पावधि में बिकवाली से होगा मुनाफा।
यूरो जोन के आर्थिक संकट का कोई हल नहीं निकलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉपर की मांग लगातार प्रभावित हो रही है। ऐसे में घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव बना रहने की संभावना है। हालांकि वायदा बाजार में पिछले 20 दिन में इसकी कीमतों में करीब एक फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। लेकिन फिलहाल वैश्विक स्तर पर अमेरिका, यूरोप व चीन के ग्रोथ आंकड़ों में कमजोरी के रुख से कॉपर की मांग में गिरावट जारी रहने की संभावना है। ऐसे में वायदा बाजार में निवेशक कम अवधि के लिए कॉपर में मौजूदा भाव पर बिकवाली करके मुनाफा कमा सकते हैं।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर 2 जुलाई को कॉपर के अगस्त वायदा अनुबंध का भाव 426 रुपये प्रति किलो के स्तर पर था जो शुक्रवार को शाम पांच बजे तक 430 रुपये प्रति किलो के भाव पर दर्ज किया गया। इस दौरान लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर भी इसके भाव में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। पिछले दस दिन में ही एलएमई पर कॉपर का भाव प्रति टन 210 डॉलर तक बढ़ गया है। 9 जुलाई को कॉपर की तीन माह की खरीद का भाव 7,551 डॉलर प्रति टन के स्तर पर था जो 19 जुलाई को 7,551 डॉलर प्रति टन दर्ज किया गया।
शेअरखान कमोडिटीज के रिसर्च विश्लेषक (मेटल्स एंड एनर्जी) प्रवीण सिंह ने बताया कि यूरो जोन के बढ़ते आर्थिक संकट से अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेस मेटल्स की मांग पर असर पड़ रहा है। कॉपर के सबसे बड़े उपभोक्ता देश चीन में विकास के आंकड़ों व यूरोप में आर्थिक मंदी के कारण कॉपर में आगे गिरावट आने की संभावना है।डॉलर के मुकाबले यूरो की स्थिति कमजोर होने से भी कीमतें प्रभावित हो रही हैं। अगले कुछ महीनों में डॉलर के और मजबूत होने की संभावना बन रही है। जिससे कॉपर की मांग प्रभावित होने से इसकी कीमतों में गिरावट आएगी।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों में कॉपर की वायदा कीमतों में तेजी दर्ज की गई है। यह तेजी वैश्विक स्तर पर यूरो जोन के लिए नीति-निर्माताओं की ओर से लिए जा रहे निर्णयों के कारण दर्ज की गई है। लेकिन अगले कुछ समय में मांग कमजोर बनी रहने के कारण कॉपर के मूल्य में तेजी आने के संकेत नहीं हैं। इसलिए वायदा बाजार में निवेशक मौजूदा भाव पर कॉपर में बिकवाली कर मुनाफा कमा सकते हैं।
कर्वी कॉमट्रेड के विश्लेषक (मेटल्स) सुमित मुखर्जी के मुताबिक भी अल्पावधि में कॉपर की कीमतों में मंदी के संकेत हैं। कॉपर आर्थिक दृष्टि से बहुत संवेदनशील धातु है। फिलहाल इसमें उछाल का ट्रेंड देखने को मिल रहा है जो आने वाले एक-डेढ़ माह में नीचे आ सकता है। हालांकि विशेषज्ञ बताते हैं कि तीन माह के बाद कॉपर की कीमतों में सुधार आना शुरू होगा।
इसकी सबसे बड़ी वजह वैश्विक बाजार में कॉपर की कमी होना हो सकता है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर उत्पादन में कमी के कारण करीब 93,000 टन कॉपर की कमी आने के संकेत हैं। मुखर्जी ने बताया कि दीर्घावधि में यूरो जोन के हालात सुधरने पर कॉपर की मांग बढ़ेगी, ऐसे में कॉपर के उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत होगी।विश्व के बड़े कॉपर उत्पादक देशों ने संकेत दिए हैं कि वे आने वाले समय में कॉपर उत्पादन को बढ़ाएंगे।
बड़े उत्पादक देश चिली और पेरू ने भी उत्पादन बढ़ाने के संकेत दिए हैं। कॉपर की कमी को देखते हुए उत्पादक देशों को कॉपर के उत्पादन में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक दीर्घावधि में कॉपर की मांग बढ़ी तो उत्पादन कम होने से कीमतों में सुधार आएगा लेकिन अल्पावधि में फिलहाल यूरो जोन के बढ़ते कर्ज संकट से कीमतें नीचे रहने के संकेत हैं।
दिल्ली के फ्रेंड्स कॉलोनी मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश चंद गुप्ता ने बताया कि पिछले कई महीनों से रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा होने के कारण कॉपर के आयात में कमी आई है। कॉपर का आयात घटकर 50 फीसदी से भी कम रह गया है। ऐसे में घरेलू बाजार में कॉपर की कीमतें बढ़ी हैं। कॉपर महंगा होने के कारण इसके खरीदार कम हो गए हैं और मांग में कम से कम 30 फीसदी गिरावट आई है।
कारोबारियों के मुताबिक बारिश के सीजन में कंस्ट्रक्शन रुक जाने की वजह से कॉपर की मांग में और गिरावट आने के आसार हैं। ऐसे में यदि डॉलर की कीमतों में नरमी आती है तो कॉपर के आयात में बढ़ोतरी हो सकती है। कॉपर का आयात बढऩे की स्थिति के साथ घरेलू बाजार में मांग कमजोर होने के कारण आगे कॉपर के मूल्य में कमी आ सकती है। (Business Bhaskar)
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