27 जुलाई 2012
बारिश की कमी से कॉटन के मूल्य में तेजी का करंट
पिछले एक माह में घरेलू मंडियों में कॉटन के दाम 12 फीसदी बढ़े
फसल का हाल
प्रमुख कॉटन उत्पादक राज्यों गुजरात, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में मानसूनी की बेरुखी से कॉटन की कीमतों में तेजी आई है। पूरे देश में अभी तक 83.73 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस अवधि में 92.44 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
मानसूनी बारिश की कमी के साथ ही यार्न मिलों और स्टॉकिस्टों की खरीद बढऩे से महीने भर में कॉटन (जिनिंग की हुई रुई) की कीमतों में 11.9 फीसदी की तेजी आ चुकी है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन का दाम बढ़कर गुरुवार को 37,200 से 37,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) हो गया। प्रमुख उत्पादक राज्यों में आगामी दिनों में मौसम में सुधार नहीं आया तो मौजूदा कीमतों में और भी तेजी आ सकती है।
नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि प्रमुख कॉटन उत्पादक राज्यों गुजरात, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में मानसूनी की बेरुखी से कॉटन की कीमतों में तेजी आई है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम स्थिर बन हुए हैं लेकिन घरेलू बाजार में यार्न मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की खरीद पहले की तुलना में बढ़ गई है जिससे तेजी को बल मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन की कीमतें 24 जुलाई को 70.29 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुई जबकि 26 जून को इसका भाव 70.51 सेंट प्रति पाउंड था। गुजरात जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दलीप पटेल ने बताया कि गुजरात में बारिश नहीं होने से कपास की बुवाई हो चुकी फसल भी प्रभावित होने लगी है।
ऐसे में बिकवाली पहले की तुलना में कम हो गई है इसीलिए दाम लगातार बढ़ रहे हैं। सौराष्ट्र और कच्छ में चालू सीजन में सामान्य से 77 फीसदी और गुजरात रीजन में 55 फीसदी कम बारिश हुई है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास के दाम 26 जून को 33,000 से 33,500 रुपये प्रति कैंडी थे जो गुरुवार को बढ़कर 37,200 से 37,500 रुपये प्रति कैंडी हो गए।
कृषि मंत्रालय के अनुसार गुजरात में कपास की बुवाई 13.39 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 20.21 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। पूरे देश में अभी तक 83.73 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 92.44 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
कॉटन आयात तिगुना होने का अनुमान
मुंबई घरेलू बाजार में कॉटन की सीमित सप्लाई होने और विदेश में भाव कम होने के कारण टैक्सटाइल मिलों ने इसका आयात बढ़ा दिया है। 30 सितंबर को समाप्त होने वाले मौजूदा मार्केटिंग सीजन 2011-12 के दौरान कुल कॉटन आयात बढ़कर तीन गुना हो सकता है। मिलें पांच लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन का आयात पहले ही कर चुकी हैं। (Buisness Bhaskar.....R S Rana)
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