21 जुलाई 2012
सूखे पर हरकत में आई सरकार
नई दिल्ली मानसून के दगा देने से पैदा हुई सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। खाद्यान्न के मुकाबले पशुचारा और पेयजल आपूर्ति की समस्या के गंभीर होने की आशंका है। इसके मद्देनजर सरकार ने आकस्मिक योजना तैयार की है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और सौराष्ट्र में आकस्मिक योजना लागू करने के निर्देश दे दिए गए हैं। देश की 60 फीसद से अधिक खेती बारिश पर टिकी है। खासतौर पर खरीफ सीजन में धान को छोड़कर बाकी फसलें मानसूनी बारिश के भरोसे ही रहती है। लेकिन इस बार खराब मानसून की वजह से असिंचित क्षेत्र में खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है। इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या मवेशियों के लिए चारा और पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। चालू सप्ताह में भी दक्षिण-पश्चिम मानसून के बादल 23 फीसद कम बरसे। असिंचित क्षेत्रों की हालत और भी खराब होने लगी है। कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूखा घोषित हो चुका है। केंद्रीय कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने कहा कि इन दोनों राज्यों के लिए आकस्मिक योजना को लागू करने के निर्देश दे दिए गए हैं। योजना आयोग की असिंचित क्षेत्र के लिए तैयार आकस्मिक योजना के मुताबिक बागवानी और जंगली क्षेत्र सूखे से सर्वाधिक प्रभावित हैं। राज्य सरकारों को निर्देश दिए गए हैं कि जहां खरीफ फसलें सूख गईं हों, वहां स्थानीय जलवायु के हिसाब से वैकल्पिक फसलों की खेती कराई जाए। किसानों को हरसंभव मदद मुहैया कराने के लिए रियायती दर पर बीज और खाद की आपूर्ति की जाए। असिंचित क्षेत्रों में वैकल्पिक फसलों की बुवाई के सुझाव भी दिए गए हैं। खासतौर पर दलहन और तिलहन की फसलों को तवज्जो दी जानी चाहिए। पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश जैसे सिंचित क्षेत्रों में नहरों और भूजल से होने वाली सिंचाई के लिए स्पि्रंकल विधि के प्रयोग का सुझाव दिया गया है। इन क्षेत्रों में नलकूपों के लिए विद्युत आपूर्ति व डीजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। असिंचित क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति बनाए रखने के लिए जलाशयों, हैंडपंपों और नलकूपों के साथ पानी के टैंकरों की तैयारी कर लेनी चाहिए। पेयजल और पशुचारे की ढुलाई के लिए रेलवे और परिवहन के अन्य साधनों को तैयार करने के लिए सतर्क कर दिया गया है। सूखे का सबसे ज्यादा असर पशुओं पर पड़ता है। चारे की कमी से उनकी परेशानियां और बढ़ सकती हैं। (Dainik Jagran)
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