कुल पेज दृश्य

18 जनवरी 2025

उत्तर प्रदेश में चीनी की रिकवरी दर में गिरावट, मिलों की उत्पादन लागत बढ़ी

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 2024-25 में उत्तर प्रदेश में चीनी की रिकवरी दर में 0.3 से 1 फीसदी तक की कमी आई है, जिस कारण चीनी मिलों की उत्पादन लागत करीब 140 क्विंटल तक बढ़ गई है।


उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) ने चीनी की रिकवरी में आई गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे उत्पादन की लागत बढ़ गई। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को भेजे गए पत्र में एसोसिएशन ने कहा कि रिकवरी में 0.3 से 1 फीसदी तक की गिरावट देखी गई।

यूपीएसएमए के अनुसार पिछले साल जनवरी में गन्ने के एसएपी में वृद्धि के बावजूद चालू
फसल सीजन में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य, एमएसपी कीमतों में वृद्धि नहीं की गई है। एसोसिएशन के अनुसार चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) आखिरी बार 2019 में संशोधित किया गया था और तब से यह स्थिर बना हुआ है।

पिछले साल जनवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने की तीनों किस्मों के लिए एसएपी में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी। जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 370 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। इसी तरह से सामान्य किस्मों के लिए यह 340 रुपये से बढ़ाकर 360 रुपये हो गया, जबकि देर से पकने वाली किस्मों के लिए यह 335 रुपये से बढ़ाकर 355 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। यूपीएसएमए की ताजा चिंता गन्ना विकास विभाग से मिले संकेतों के कारण आई है। राज्य के गन्ना किसानों के अनुसार चालू पेराई सीजन आरंभ हुए तीन माह से ज्यादा हो गए है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने के एसएपी में बढ़ोतरी नहीं की है।

सूत्रों के अनुसार गन्ने के एसएपी का मुद्दा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले ही जोर पकड़ चुका है, जहां सबसे ज्यादा चीनी मिलें लगी हुई हैं। सूत्रों के अनुसार एसएपी पर फैसला अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली राज्य कैबिनेट द्वारा लिए जाने की उम्मीद है। जानकारों के अनुसार मुख्य सचिव और गन्ना विकास विभाग की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति इस मुद्दे को कैबिनेट के समक्ष उठाएगी।

यूपीएसएमए के अनुसार माल ढुलाई लागत में वृद्धि के बावजूद परिवहन छूट कम रही है। यूपीएसएमए ने देशी शराब के निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले मोलासेस के लिए 152 रुपये प्रति क्विंटल की कम कीमत के बारे में भी लिखा है। जानकारों के अनुसार मुक्त बाजार में मोलासेस की कीमत 1,000 रुपये प्रति क्विंटल आंकी गई है। एसोसिएशन ने लिखा, यहां तक कि एथेनॉल (भले ही यह एक अलग व्यवसाय है) से होने वाली प्राप्ति में पिछले दो वर्षों में गन्ने की कीमत में हुई वृद्धि की तुलना में कोई समान मूल्य वृद्धि नहीं देखी गई है। उन्होंने सरकार से प्राथमिकता के आधार पर एथेनॉल की कीमतों को संशोधित करने का आग्रह भी किया है।

कोई टिप्पणी नहीं: