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30 जुलाई 2024

देशभर की मंडियों में जून अंत तक 306.30 लाख गांठ की हो चुकी है आवक - एसईए

नई दिल्ली। उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 में 30 जून 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 306.30 लाख गांठ की हो चुकी है।


पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में जून अंत तक देश से 25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन का निर्यात हो चुका है, जबकि इस दौरान 7 लाख गांठ का आयात हुआ है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में 26 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान है जबकि जून अंत तक देश से 25 लाख गांठ के निर्यात की शिपमेंट हो चुकी है। पिछले फसल सीजन के दौरान केवल 15.50 लाख गांठ कॉटन का ही निर्यात हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में भारतीय रुई सस्ती होने के कारण मार्च 24 तक निर्यात सौदों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन पिछले तीन महीनों से आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जिस कारण निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई है।

चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात 16.40 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि जून अंत तक 7 लाख गांठ कॉटन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है। पिछले फसल सीजन के दौरान 12.50 लाख गांठ कॉटन का आयात ही हुआ था।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 28.90 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 306.39 लाख गांठ की आवक मंडियों में हो चुकी है। जून अंत तक करीब 7 लाख गांठ का आयात हो चुका है, अत: कुल उपलब्धता 342.29 लाख गांठ की बैठी।

इस दौरान कॉटन की खपत 240 लाख गांठ की हो चुकी है, जबकि 25 लाख गांठ का निर्यात हुआ है। अत: मिलों के पास जून अंत में 40 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। इसके अलावा सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमएनसी, जिनर्स और व्यापारी तथा निर्यातकों के पास जून अंत में 37.29 लाख गांठ कॉटन का बकाया स्टॉक है।

चालू फसल सीजन 2023-24 में उत्तर भारत के राज्यों में 46 लाख गांठ का उत्पादन हुआ है, जबकि गुजरात में 88 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 86.50 लाख गांठ के अलावा मध्य प्रदेश में 18.50 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। तेलंगाना में चालू सीजन में 35 लाख गांठ, आंध्र प्रदेश में 12.50 लाख गांठ तथा कर्नाटक में 20 लाख गांठ के अलावा तमिलनाडु में 5.50 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। ओडिशा में चालू सीजन में 3.70 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 2 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। अत: देशभर में कुल 317.70 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

चालू फसल सीजन के अंत में 30 सितंबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 20 लाख गांठ बचने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले साल की समान अवधि के 28.90 लाख गांठ की तुलना में कम है।

स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर बनी रहने से गुजरात एवं उत्तर भारत में कॉटन मंदी

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण शनिवार को गुजरात एवं उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया। विश्व बाजार में जिस तरह से कॉटन के दाम कमजोर हो रहे हैं, उसे देखते हुए घरेलू बाजार में इसकी मौजूदा कीमतों में और भी नरमी आने की उम्मीद है।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को 150 रुपये कमजोर होकर दाम 56,500 से 57,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। सप्ताह भर में गुजरात में कॉटन की कीमतों में 950 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5800 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए। इस दौरान हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5725 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5525 से 5925 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 56,400 से 56,600 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 14,00 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

व्यापारियों के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के साथ ही अमेरिकी कृषि बाजारों में कमजोरी के कारण शुक्रवार को आईसीई कॉटन वायदा में 1 फीसदी से अधिक की गिरावट आई थी। आईसीई कॉटन वायदा में कीमतें अक्टूबर 2020 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। अत: घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। घरेलू बाजार से कॉटन के निर्यात में पड़ते नहीं लग रहे, साथ ही सूती धागे की स्थानीय मांग भी कमजोर है। अत: कॉटन की मौजूदा कीमतों में तेजी के आसार नहीं है। उत्पादक राज्यों में कपास के दाम भी चालू सप्ताह में कमजोर हुए, साथ ही बिनौला एवं कपास खली में भी मांग सीमित बनी हुई है।

उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आई है तथा अधिकांश जिनिंग मिलों ने उत्पादन भी बंद कर दिया है। इस सब के बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों के आधार पर ही तय होंगी। कॉटन की मौजूदा कीमतों में जिनर्स को पड़ते नहीं लग रहे, इसलिए बिकवाली भी सीमित बनी हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 26 जुलाई तक देशभर में कपास की बुआई चालू खरीफ सीजन में 6.88 फीसदी घटकर 105.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 113.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू खरीफ में फसलों की कुल बुआई 2.29 फीसदी बढ़ी, कपास एवं धान की कम

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई बढ़कर 2.29 फीसदी बढ़कर 811.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 793.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


हालांकि इस दौरान दलहन के साथ ही तिलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई के क्षेत्रफल में जहां बढ़ोतरी हुई है, वहीं कपास एवं धान की रोपाई में कमी आई है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार 1 जून से 26 जुलाई के दौरान भारत में 399.2 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य: इस दौरान 409.4 मिमी बारिश होती है। अत: इस दौरान सामान्य से 3 फीसदी कम बारिश हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 26 जुलाई 2024 तक दलहनी फसलों की बुआई 14.11 फीसदी बढ़कर 102.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 89.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 38.53 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 23.12 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 30.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 28.73 लाख हेक्टेयर में, 23.86 लाख हेक्टेयर में तथा 27.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 7.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.16 लाख हेक्टेयर से कम है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में थोड़ा घटकर 215.97 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 216.39 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 171.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 165.37 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 121.73 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 41.03 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 116.99 लाख हेक्टेयर में, 36.08 लाख हेक्टेयर में तथा 0.46 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 7.32 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 0.72 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.22 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 153.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 145.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 78.80 लाख हेक्टेयर में बाजरा 56.46 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 12.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 69.36 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 60.60 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 10.58 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 6.86 फीसदी घटकर 105.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 113.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.05 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

जनवरी से जून के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 27 फीसदी से ज्यादा बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू साल 2024 के जनवरी से जून के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 27.47 फीसदी बढ़कर 406,779 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 319,097 टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जनवरी-24 से जून-24 के दौरान मूल्य के हिसाब से कैस्टर तेल का निर्यात 4,913.07 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 4,357.86 करोड़ रुपये का ही हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार शुक्रवार को गुजरात में कैस्टर सीड के भाव 5 रुपये तेज होकर 1,190 से 1,215 रुपये प्रति 20 किलो हो गए तथा आवक 36,000 बोरियों, एक बोरी 35 किलो की हुई। राजस्थान की मंडियों में कैस्टर सीड की आवक 6,000 बोरियों के अलावा 4,000 की आवक सीधी मिलों में हुई है। अत: देशभर की मंडियों में कुल आवक करीब 46,000 बोरियों की हुई।  

इस दौरान राजकोट में कैस्टर तेल के दाम 2 रुपये कमजोर होकर 1,228 रुपये और एफएसजी के 2 रुपये घटकर 1,238 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। राजकोट में गुरुवार को कैस्टर तेल की कीमतों में 20 रुपये प्रति 10 किलो की तेजी आई थी। इस बीच, कांडला डिलीवरी कैस्टर तेल के भाव 1,237-1,240 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर स्थिर बने रहे।

एनसीडीईएक्स पर, शाम के सत्र में कैस्टर तेल का अगस्त वायदा अनुबंध में 57 रुपये की गिरावट के साथ भाव 6,140 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा थे, जबकि सितंबर वायदा अनुबंध में इसके भाव 63 रुपये की गिरावट के साथ 6,195 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा थे। 

25 जुलाई 2024

चालू खरीफ सीजन में तेलंगाना में धान, दलहन एवं कपास की बुआई बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 24 जुलाई तक तेलंगाना में धान एवं दलहन के साथ ही कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान तिलहनी फसलों की बुआई पीछे चल रही है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 24 जुलाई 2024 तक राज्य में खरीफ फसलों की बुआई 1.77 फीसदी घटकर 68,72,875 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में बुआई 69,96,796 एकड़ में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर 3,99,309 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3,66,069 एकड़ में ही बुआई हो पाई थी। धान की रोपाई 12,25,263 एकड़ में तथा मक्का की 3,69,180 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 12,02,905 एकड़ में और 3,51,265 एकड़ में हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 4,66,231 एकड़ में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4,29,590 एकड़ की तुलना में ज्यादा है। अरहर की बुआई चालू खरीफ में 3,88,343 एकड़ में मूंग की 59,244 एकड़ में तथा उड़द की 18,380 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3,71,870 एकड़ में, 40,791 एकड़ में तथा 15,123 एकड़ में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में चालू खरीफ सीजन में घटकर 3,77,410 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 4,16,198 एकड़ में हो चुकी थी। सोयाबीन की बुआई राज्य में अभी तक 3,67,454 एकड़ में तथा मूंगफली की 7,764 एकड़ में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4,11,719 एकड़ में तथा 3,813 एकड़ में ही हुई थी। कैस्टर सीड की बुआई चालू सीजन में 1,823 एकड़ में हुई है।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 39,95,132 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 39,87,347 एकड़ में ही हुई थी।

23 जुलाई 2024

आम बजट : कृषि क्षेत्र हेतु 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष मिशन शुरू किया जाएगा, जिसमें 32 विभिन्न फसलों की कुल 109 नई किस्में पेश की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, सब्जी उत्पादन बढ़ाने के लिए एक क्लस्टर योजना लागू की जाएगी।


वित्त मंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास और रोजगार सृजन को तेज करना नीतिगत प्राथमिकता होगी। देश भर में एक करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती के लिए मजबूत समर्थन, क्रियान्वयन में सहायता के लिए 10 हजार आवश्यकता  आधारित जैव इनपुट संस्थान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार उत्पादकता में बढ़ोतरी और जलवायु के अनुकूल किस्मों को विकसित करने के लिए कृषि अनुसंधान व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करेगी।

चैलेंज मोड में निजी क्षेत्र को शामिल करते हुए वित्त पोषण प्रदान किया जाएगा, निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के विशेषज्ञ इन अनुसंधानों के संचालन की देखरेख करेंगे। उन्होंने कहा कि अगले दो वर्षों में देश भर के एक करोड़ किसानों को प्रमाणन और ब्रांडिंग द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। वैज्ञानिक संस्थानों और पंचायतों के माध्यम से उनका क्रियान्वयन किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए, हम उनके उत्पादन भंडारण और विपणन को मजबूत करेंगे। बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन के लिए क्लस्टर को प्रमुख संग्रहण केंद्र के करीब विकसित किया जाएगा। हम उत्पादन, संग्रहण, भंडारण और विपणन सहित आपूर्ति श्रृंखला के लिए एफपीओ, सहयोग और स्टार्टअप को बढ़ावा देंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में तीन वर्षों में किसानों और उनकी भूमि को कवर करने के लिए कृषि में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करेगी। इस वर्ष के दौरान 400 जिलों में डीपीआई के सहयोग से डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा। 6 करोड़ किसानों और उनकी भूमि का विवरण किसान और भूमि रजिस्ट्री में लाया जाएगा। 5 राज्यों में जन समर्थ आधारित किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे।

इसके पहले वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा बजट को प्राथमिकताओं के लिए याद रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में 9 क्षेत्रों पर फोकस किया गया है, ये क्षेत्र हैं, कृषि में उत्पादकता और लचीलापन, रोजगार और कौशल, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएं, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, नवाचार, अनुसंधान और विकास तथा अगली पीढ़ी के सुधार।

जुलाई में हुई बारिश से राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई का कार्य 72 फीसदी पूरा

नई दिल्ली। जुलाई में हुई बारिश से राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई के कार्य में तेजी आई है। राज्य में 19 जुलाई तक 72.26 फीसदी बुआई पूरी हो चुकी है, हालांकि यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में पीछे चल रही है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 19 जुलाई 2024 तक राज्य में 119.04 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 144.11 लाख हेक्टेयर में बुआई चुकी थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में 164.75 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य तय किया है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 22 जुलाई के दौरान सामान्य की तुलना में 3 फीसदी ज्यादा कम हुई है। जून के मुकाबले जुलाई में राज्य में बारिश ज्यादा हुई है।

राज्य में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई राज्य में 48.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 60.64 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 31.57 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 9.11 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 5.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 43.15 लाख हेक्टेयर में, 9.34 लाख हेक्टेयर में और 6.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई राज्य में 2.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.02 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू सीजन में 25.94 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 30.07 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 17.60 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.75 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 5 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 19.61 लाख हेक्टेयर में, 3.15 लाख हेक्टेयर एवं 6.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 19.77 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 22.09 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 10.80 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 7.43 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 1.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.36 लाख हेक्टेयर और 7.76 लाख हेक्टेयर में और 2.06 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 4.95 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.77 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 16.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 20.15 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

अक्टूबर से जून के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 11 फीसदी बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 9 महीनों अक्टूबर से जून के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 11.27 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 17.77 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 15.97 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 9 महीनों अक्टूबर से जून के दौरान 75.36 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 73.03 लाख टन की तुलना में ज्यादा है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.24 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 6.05 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 50.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: मिलों के पास पहली जुलाई 2024 को 2.45 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.39 लाख टन से ज्यादा है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले 9 महीनों अक्टूबर से जूद के दौरान देशभर की मंडियों में 98 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 99 लाख टन से कम है। इस दौरान 95.50 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि 3.95 लाख टन की सीधी खपत एवं 0.06 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली जुलाई 2024 को 36.32 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 46.15 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है।

स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने से गुजरात उत्तर भारत में कॉटन मंदी

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण शनिवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को 50 रुपये कमजोर होकर दाम 57,600 से 58,000 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। राज्य में पिछले चार कार्यदिवस में कॉटन की कीमतों में 400 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आ चुका है।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 25 रुपये कमजोर होकर 5925 से 5950 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 25 घटकर 5825 से 5850 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 50 रुपये नरम होकर 5650 से 6025 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव घटकर 57,300 से 57,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आवक 17,700 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन की कीमतें कमजोर हुई। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में शुक्रवार को तीन अंकों की गिरावट आई थी, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि अगस्त से त्योहारी सीजन शुरू होगा, जिस कारण कपड़े की मांग में सुधार आने का अनुमान है। अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, अत: मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी।

जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आई है तथा अधिकांश जिनिंग मिलों ने उत्पादन भी बंद कर दिया है। इस सब के बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों के आधार पर ही तय होंगी। कॉटन की मौजूदा कीमतों में जिनर्स को पड़ते नहीं लग रहे, इसलिए बिकवाली भी सीमित बनी हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 19 जुलाई तक देशभर में कपास की बुआई चालू खरीफ सीजन में घटकर 102.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 105.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राजस्थान में खरीफ फसलों की 70 फीसदी बुआई पूरी, पिछले साल की तुलना में कम

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू खरीफ सीजन 2024 में 15 जुलाई तक 69.80 फीसदी बुआई पूरी हो चुकी है, हालांकि यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में पीछे चल रही है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 15 जुलाई तक राज्य में 114.99 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 134.88 लाख हेक्टेयर में बुआई चुकी थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में 164.75 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य तय किया है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 19 जुलाई के दौरान सामान्य की तुलना में 4 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

राज्य में मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई राज्य में 46.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 58.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 30.57 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 8.71 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 5.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 41.54 लाख हेक्टेयर में, 9.04 लाख हेक्टेयर और 5.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों की बुआई केवल 24.94 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 27.82 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 16.89 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.58 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 4.93 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 18.09 लाख हेक्टेयर में, 3.04 लाख हेक्टेयर एवं 6.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 19.53 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 20.69 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 10.58 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 7.27 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 1.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 10.83 लाख हेक्टेयर और 7.51 लाख हेक्टेयर में और 1.83 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 4.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.73 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 16.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 17.25 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

चालू खरीफ सीजन में धान एवं दलहन के साथ तिलहन की बुआई ज्यादा, मोटे अनाजों की कम

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई बढ़कर 3.48 फीसदी बढ़कर 704.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 680.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार 1 जून से 19 जुलाई के दौरान भारत में 324.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य: इस दौरान 332.5 मिमी बारिश होती है। अत: इस दौरान सामान्य से 2 फीसदी कम बारिश हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 19 जुलाई 2024 तक दलहनी फसलों की बुआई 22.31 फीसदी बढ़कर 85.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 70.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 33.48 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 19.62 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 25.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 19.34 लाख हेक्टेयर में, 19.86 लाख हेक्टेयर में तथा 22.76 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोठ की बुवाई चालू खरीफ में 4.95 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.08 लाख हेक्टेयर से कम है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 166.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 155.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 163.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 150.91 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 119.04 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 37.34 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 108.97 लाख हेक्टेयर में, 33.15 लाख हेक्टेयर में तथा 0.342 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 5.61 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 0.29 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.22 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में घटकर 123.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 134.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की 67.78 लाख हेक्टेयर में बाजरा 42.09 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 9.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 63 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 57.99 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 10.07 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में घटकर 102.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 105.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 57.05 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

19 जुलाई 2024

तेलंगाना में चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुआई 28.63 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 10 जुलाई तक तेलंगाना में खरीफ फसलों की बुआई 28.63 फीसदी बढ़कर 54,61,238 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में बुआई 42,45,791 एकड़ में ही हुई थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 10 जुलाई 2024 तक राज्य में मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर 2,80,924 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1,38,628 एकड़ में ही बुआई हो पाई थी। धान की रोपाई 4,14,016 एकड़ में तथा मक्का की 2,57,994 एकड़ में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2,09,462 एकड़ में और 1,28,939 एकड़ में हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 3,56,456 एकड़ में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2,57,497 एकड़ की तुलना में ज्यादा है। अरहर की बुआई चालू खरीफ में 2,95,033 एकड़ में मूंग की 44,141 एकड़ में तथा उड़द की 17,161 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2,31,705 एकड़ में, 17,660 एकड़ में तथा 6,578 एकड़ में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई राज्य में चालू खरीफ सीजन में 3,24,692 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 2,86,933 एकड़ में ही हुई थी। सोयाबीन की बुआई राज्य में अभी तक 3,20,213 एकड़ में तथा मूंगफली की 3,383 एकड़ में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2,85,605 एकड़ में तथा 947 एकड़ में ही हुई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 36,88,217 एकड़ में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 28,70,199 एकड़ में ही हुई थी। 

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में डीओसी का निर्यात 9 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान डीओसी के निर्यात में 9 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 1,102,632 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,210,045 टन का ही हुआ था। निर्यात में कमी का प्रमुख कारण सरसों डीओसी एवं कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी तथा निर्यात पर प्रतिबंध के कारण सितंबर 2023 से राइस ब्रान डीओसी का निर्यात न होना है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2024-25 के जून में डीओसी के निर्यात में 20 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 335,196 टन हुआ है, जबकि पिछले साल जून में इनका निर्यात केवल 280,001 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार राइस ब्रान डीओसी की कीमतें अब निचले स्तर पर पहुंच गई हैं तथा आगामी दिनों में उपलब्धता बढ़ने के साथ ही इसके दाम और भी नीचे जाने की संभावना है। अत: राइस ब्रान डीओसी की कीमतों में भारी गिरावट को देखते हुए एसोसिएशन ने एक बार फिर केंद्र सरकार से अपील की है कि इसके निर्यात पर लगे प्रतिबंध को 31 जुलाई, 2024 से आगे न बढ़ाया जाए।

इस समय सोया डीओसी के दाम एक्स-रॉटरडैम 423 डॉलर प्रति टन हैं, जबकि घरेलू बाजार में एक्स कांडला इसके दाम 495 डॉलर प्रति टन हैं। अत: अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोया डीओसी महंगी है। सोया डीओसी का उत्पादन बढ़ने से इसकी कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। इसी तरह सरसों डीओसी के दाम एक्स-हैम्बर्ग में 303 डॉलर प्रति टन हैं, जबकि घरेलू सरसों डीओसी के दाम 287 डॉलर प्रति टन हैं।

भारतीय बंदरगाह पर जून में सोया डीओसी का भाव घटकर 497 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मई में इसका दाम 506 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य जून में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 289 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मई में इसका भाव 284 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से केस्टर डीओसी का दाम मई के 77 डॉलर प्रति टन से बढ़कर जून में 82 डॉलर प्रति टन हो गया।

महीने भर में चना, अरहर और उड़द की कीमतों में 4 फीसदी की गिरावट आई - केंद्र सरकार

नई दिल्ली। पिछले एक महीने में उत्पादक मंडियों में चना, अरहर एवं उड़द की कीमतों में करीब 4 फीसदी की गिरावट आई है, हालांकि इस दौरान दलहन के खुदरा भाव में मंदा नहीं आया है।


केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने आज दिल्ली में खुदरा विक्रेता संघ (आरएआई) दलहन की कीमतों, लाइसेंसिंग आवश्यकताओं के साथ ही स्टॉक आदि की जानकारी देने के साथ ही अन्य मुद्दों पर बैठक की।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में दलहन की थोक एवं खुदरा कीमतों पर चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि पिछले एक महीने में देशभर की प्रमुख मंडियों में चना, अरहर और उड़द की कीमतों में 4 फीसदी तक की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा कीमतों में ऐसी कोई गिरावट नहीं देखी गई है। उन्होंने थोक मंडी कीमतों और खुदरा कीमतों में असमानता पर कहा कि लगता है कि खुदरा विक्रेताओं को अधिक मार्जिन मिल रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि चालू खरीफ सीजन दालों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने प्रमुख खरीफ दाल उत्पादक राज्यों में अरहर और उड़द के उत्पादन को बढ़ाने में कई प्रयास किए हैं, जिसमें नैफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का वितरण शामिल है और कृषि विभाग सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए राज्य कृषि विभागों के साथ निरंतर संपर्क में है।

उन्होंने उद्योग से उपभोक्ताओं के लिए दालों की कीमतों को वाजिब बनाए रखने के लिए सरकार की तरफ से हर संभव सहायता देने को कहा। उन्होंने बताया कि खुदरा विक्रेताओं सहित सभी स्टॉक होल्डिंग संस्थाओं के दलहन के स्टॉक की स्थिति पर सरकार द्वारा बारीकी से नजर रखी जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन न हो।

उन्होंने कहा कि बाजार के खिलाड़ियों द्वारा स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने तथा सट्टेबाजी और मुनाफाखोरी करने पर सरकार की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस अवसर पर खुदरा उद्योग के प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि वे अपने खुदरा मार्जिन में आवश्यक समायोजन करेंगे और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर दालें मिल सके, यह सुनिश्चित करेंगे। बैठक में आरएआई, रिलायंस रिटेल, डी मार्ट, टाटा स्टोर्स, स्पेंसर, आरएसपीजी के साथ वी मार्ट आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

16 जुलाई 2024

दलहन एवं तिलहन के साथ कपास तथा धान की रोपाई ज्यादा, मोटे अनाजों की कम

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में दलहनी फसलों के साथ ही तिलहन एवं कपास तथा धान की रोपाई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान मोटे अनाजों की बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 14 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 2 फीसदी कम बारिश हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 15 जुलाई 2024 तक दलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 62.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 49.50 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 28.14 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 13.90 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 15.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 9.66 लाख हेक्टेयर में, 12.75 लाख हेक्टेयर में तथा 19.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 115.64 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 95.78 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 140.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 115.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 108.10 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 28.20 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 82.44 लाख हेक्टेयर में, 28.27 लाख हेक्टेयर में तथा 0.34 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 3.21 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 0.16 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.20 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में घटकर 97.64 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 104.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की 58.86 लाख हेक्टेयर में बाजरा 28.32 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 7.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 43.84 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 50.09 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 8.64 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 95.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 93.02 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 57.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 56.86 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

चालू खरीफ सीजन में फसल की बुआई 10.33 फीसदी बढ़कर 575.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इनकी बुआई केवल 521.25 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

चालू खरीफ सीजन में राजस्थान में फसलों की पिछले बुआई 28.46 फीसदी पिछड़ी

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू खरीफ सीजन 2024 में 12 जुलाई तक फसलों की 92.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 129.06 लाख हेक्टेयर की तुलना में 28.46 फीसदी कम है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 13 जुलाई के दौरान सामान्य की तुलना में 14 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। हालांकि जून में बारिश सामान्य से कम हुई थी।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 12 जुलाई तक राज्य में दलहनी फसलों की बुआई केवल 17.29 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 26.98 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 11.81 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.33 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 2.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 17.66 लाख हेक्टेयर में, 3 लाख हेक्टेयर एवं 5.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 17.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 20.11 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 10.24 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 6.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 10.68 लाख हेक्टेयर और 7.42 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई राज्य में 38.97 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 55.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 24.27 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 8.14 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 4.86 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 39.59 लाख हेक्टेयर में, 8.97 लाख हेक्टेयर और 5.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 4.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.72 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 10.89 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

12 जुलाई 2024

गेहूं, चावल एवं मोटे अनाजों की ओएमएसएस के तहत बिक्री पहली अगस्त से - केंद्र सरकार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत गेहूं के साथ ही चावल और मोटे अनाजों की बिक्री पहली अगस्त 2024 से शुरू करने का निर्णय लिया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार ओएमएसएस के तहत गेहूं, चावल और मोटे अनाजों की बिक्री 31 मार्च, 2025 तक या फिर अगले आदेश तक जारी रहेगी।


केंद्र सरकार ओएमएसएस के गेहूं की बिक्री के लिए उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) क्वालिटी के लिए 2,325 रुपये प्रति क्विंटल इसमें परिवहन लागत जोड़कर की जायेगी। इसके अलावा अंडर रिलैक्स स्पेसिफिकेशन (यूआरएस) क्वालिटी के गेहूं की बिक्री 2,300 रुपये प्रति क्विंटल में परिवहन लागत जोड़कर की जायेगी। गेहूं की बिक्री विपणन समय की अवधि को छोड़कर, ई-नीलामी के माध्यम से की जायेगी।

नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसे केंद्रीय सहकारी संगठन अपने स्टोर या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारत ब्रांड के तहत बिक्री कर सकते हैं। ओएमएसएस (डी) के तहत राज्य सरकारों, निगमों या राज्य सरकारों के संघों को गेहूं की बिक्री की अनुमति नहीं है।

केंद्र सरकार ने निजी पार्टियों और छोटे व्यापारियों के लिए चावल की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य 2,800 रुपये और केंद्रीय सहकारी संगठनों और सामुदायिक रसोई के लिए 2,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। राज्य सरकारों को बिक्री गैर-अधिशेष राज्यों तक सीमित है और वे ई-नीलामी में भाग नहीं ले सकते।

ओएमएसएस के तहत मोटे अनाज की बिक्री के लिए केंद्र सरकार ने बाजरा के लिए आरक्षित मूल्य 2,500 रुपये प्रति क्विंटल और रागी के लिए 3,846 रुपये प्रति क्विंटल तथा ज्वार के लिए 3,180 रुपये प्रति क्विंटल और मक्का के लिए 2,090 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।

मोटे अनाजों की बिक्री ई-नीलामी के माध्यम से की जायेगी, जिसमें परिवहन लागत आरक्षित मूल्य में जोड़ी जाएगी।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के परामर्श से बिक्री की मात्रा और समय का प्रबंधन करेगा, ताकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और तय मानकों बफर स्टॉक के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके। इस योजना का उद्देश्य घरेलू बाजार में मूल्य को स्थिर करना और देश भर में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

चालू तेल वर्ष के पहले आठ महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 2 फीसदी कम- एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीनों नवंबर 23 से जून 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 2 फीसदी घटकर 10,229,106 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 10,483,120 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जून 2024 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 18 फीसदी बढ़कर 1,550,659 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जून में इनका आयात 1,314,476 टन का ही हुआ था। जून 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,527,481 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 23,178 टन का हुआ है।

एसईए के अनुसार वित्त मंत्री 23 जुलाई को वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी। हमें विश्वास है कि इस वर्ष का केंद्रीय बजट कृषि पर केंद्रित होगा और तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता के साथ खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन शुरू होगा, जिससे कि आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी। इसी के अनुरूप, एसईए ने एक पूर्व बजट ज्ञापन तैयार किया है, जिसमें विशेष रूप से क्रूड और रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क के अंतर को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करने की मांग की गई है।

साथ ही ज्ञापन में किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में सहायता करने की पुरजोर वकालत की गई, क्रूड तेल के आयात शुल्क को 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाना चाहिए और रिफाइंड तेल के आयात शुल्क को धीरे-धीरे 35 फीसदी तक बढ़ाया जाना चाहिए ताकि घरेलू किसानों को लाभ मिल सके। देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए, ताकि अगले 10 वर्षों में हमारी आयात पर निर्भरता 15-20 फीसदी तक कम हो सके।

तेल वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीनों नवंबर 23 से जून 24 के दौरान 1,381,818 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलिन) का आयात हुआ है, जबकि इसके पिछले तेल वर्ष नवंबर 22 से जून 23 के दौरान 1,403,581 टन का आयात हुआ था, जोकि 2 फीसदी कम है। नवंबर 22 से जून 23 के दौरान 8,963,296 टन क्रूड तेल का आयात किया गया था, जबकि तेल वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीनों में 8,713,347 टन क्रूड तेल का आयात हुआ है, जोकि 3 फीसदी कम है।

मई के मुकाबले जून में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी का रुख रहा। जून में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 924 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मई में इसका दाम 911 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम जून में बढ़कर 954 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि मई में इसका भाव 951 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव जून में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 1,049 डॉलर प्रति टन का हो गया, जबकि मई में इसका भाव 1,000 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर मई के 987 डॉलर से बढ़कर जून में 1,065 डॉलर प्रति टन हो गया।

10 जुलाई 2024

राजस्थान में खरीफ फसलों की 46 फीसदी हो चुकी है बुआई, पिछले साल की तुलना में पिछड़ी

नई दिल्ली। राजस्थान में चालू खरीफ सीजन 2024 में 8 जुलाई तक 75.63 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य का 45.91 फीसदी है। जून में बारिश सामान्य से कम हुई थी, इसलिए पिछले साल की तुलना में बुआई पीछे चल रही है। पिछले साल इस समय तक राज्य में 113.67 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी थी।


जानकारों के अनुसार राज्य में पहली जून से 9 जुलाई के दौरान सामान्य की तुलना में 17 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इसलिए चालू महीने में बुआई में तेजी आई है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 8 जुलाई तक राज्य में दलहनी फसलों की बुआई केवल 12.01 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 22.32 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में 7.89 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 1.55 लाख हेक्टेयर में तथा मोठ की 2.28 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 15.03 लाख हेक्टेयर में, 2.67 लाख हेक्टेयर एवं 4.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई 16.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.36 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई राज्य में 9.65 लाख हेक्टेयर में तथा मूंगफली की 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 9.67 लाख हेक्टेयर और 7.28 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

मक्का, बाजरा एवं धान के साथ ही ज्वार की बुआई राज्य में 31.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 51.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 19.26 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 6.86 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 3.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 37.28 लाख हेक्टेयर में, 8.05 लाख हेक्टेयर और 4.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 4.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.60 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से ग्वार सीड की बुआई राज्य में चालू खरीफ में घटकर केवल 9.37 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.31 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

खरीफ फसलों की बुआई 14.10 फीसदी बढ़कर 378 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में फसल की कुल बुआई 14.10 फीसदी बढ़कर 378.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इनकी बुआई केवल 331.90 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 8 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 2 फीसदी अधिक बारिश हुई है। जून में देशभर में बारिश सामान्य से कम हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 8 जुलाई 2024 तक धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 59.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 50.26 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 36.81 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 23.78 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 20.82 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 5.37 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 8.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.09 लाख हेक्टेयर में, 3.67 लाख हेक्टेयर में तथा 11.79 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 80.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 51.97 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में 60.63 लाख हेक्टेयर में, मूंगफली की 17.85 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 0.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 28.86 लाख हेक्टेयर में, 21.24 लाख हेक्टेयर में तथा 0.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अन्य तिलहनी फसलों में शीशम की बुआई 1.04 लाख हेक्टेयर में, कैस्टर सीड की 0.10 लाख हेक्टेयर में तथा नाइजर की 0.19 लाख हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में घटकर 58.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 82.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की 41.09 लाख हेक्टेयर में बाजरा 11.41 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार 3.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में मक्का की बुआई 30.22 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 43.02 लाख हेक्टेयर में तथा ज्वार की 7.16 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कपास की बुआई खरीफ सीजन में 80.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 62.34 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 56.88 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 55.45 लाख हेक्टेयर की तुलना में ज्यादा है।

5वें कॉटन सीड ऑयल कॉन्क्लेव का आयोजन 12-13 जुलाई को अहमदाबाद में - एसईए

नई दिल्ली। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) और ऑल इंडिया कॉटनसीड क्रशर्स एसोसिएशन (एआईसीओएससीए) द्वारा आयोजित 5वें कॉटनसीड ऑयल कॉन्क्लेव का आयोजन 12 और 13 जुलाई 2024 को अहमदाबाद में किया जायेगा।


एसईए द्वारा जारी विज्ञिप्त के अनुसार एसईए एवं एआईसीओएससीए द्वारा आयोजित कॉटनसीड ऑयल कॉन्क्लेव - 2024 का आयोजन 12 और 13 जुलाई 2024 को कोर्टयार्ड बाय मैरियट, अहमदाबाद, गुजरात में किया जायेगा। इसमें कॉटन वॉश के साथ ही कपास खली एवं कपास के उत्पादन के साथ ही खपत पर उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि अपनी राय देंगे।

एसईए के अनुसार इस कॉन्क्लेव में पूरे भारत से 300 से अधिक प्रतिनिधि और विशेष आमंत्रित लोग एकत्रित होंगे और प्रतिनिधियों को एक, दूसरे के साथ बैठक एवं नए व्यावसायिक संपर्क विकसित करने और मौजूदा संबंधों को मजबूत करने का अनूठा अवसर मिलेगा।

कॉटन वॉश खाना पकाने के तेल के रूप में पसंद किया जाता है क्योंकि यह भोजन के स्वाद को छुपाने के बजाय उसे बाहर लाने में मदद करता है। साथ ही अल्जाइमर रोग तथा कैंसर, सूजन की स्थिति, घाव, कट, खरोंच और त्वचा की स्थिति में सहायक है। यह तेजी से उपचार में मदद करता है, संज्ञानात्मक स्वास्थ्य में सुधार करता है, प्रोस्टेट कैंसर को रोकता है तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है और सूजन को कम करता है।

कॉन्क्लेव में राज्य के माननीय मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने मुख्य अतिथि बनने के लिए सहमति व्यक्त की है। इसके साथ ही बलवंत सिंह राजपूत, माननीय उद्योग मंत्री एमएसएमई, नागरिक उड्डयन और श्रम और रोजगार, गुजरात सरकार, राघवजी भाई हंसराज भाई पटेल, कैबिनेट मंत्री कृषि, पशुपालन, गुजरात सरकार, पाशा पटेल, माननीय अध्यक्ष, महाराष्ट्र कृषि सीपीसी, महाराष्ट्र सरकार, सुश्री नंदिता मिश्रा, वरिष्ठ ईए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, नई दिल्ली, अजीत कुमार साहू, संयुक्त सचिव (तिलहन), कृषि और किसान कल्याण विभाग, कृषि और किसान मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि होंगे।

कपास किसानों को उचित मूल्य मिलें महाराष्ट्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी - कृषि मंत्री

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने राज्य विधानसभा को आश्वासन दिया कि सरकार कपास किसानों को उचित मूल्य मिलें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह विधायक हरीश पिंपले द्वारा कपास की उत्पादन लागत और बाजार मूल्य के बीच असमानता के संबंध में उठाए गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।


मंत्री ने कहा कि सरकार ने कपास किसानों को समर्थन देने के लिए विभिन्न उपाय शुरू किए हैं, जिसमें सटीक मूल्य निर्धारण और खरीद सुनिश्चित करने के लिए एक समिति की स्थापना भी शामिल है।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी मीडियम स्टेपल का 7,125 रुपये प्रति क्विंटल तथा लौंग स्पेशल का 7,521 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। पिछले खरीफ विपणन सीजन के लिए मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 6,620 रुपये प्रति क्विंटल तथा लौंग स्पेशल कपास का 7,020 रुपए प्रति क्विंटल था।

मंत्री ने यह भी घोषणा की कि सरकार कम कीमतों से प्रभावित सोयाबीन किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाओं के कारण नुकसान झेलने वाले कपास किसानों को अधिकतम दो हेक्टेयर तक 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कपास किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने एक समिति गठित करने का भी निर्णय लिया है। समिति में कृषि अधिकारी, तलाठी और ग्राम सेवक शामिल होंगे, जो यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे कि किसानों को उनके कपास का सही मूल्य मिले।

उन्होंने बताया कि सरकार स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के अनुसार कपास के लिए एमएसपी बढ़ाने के तरीके तलाश रही है। साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार बुलढाणा जिले में कपास किसानों को धोखा देने वाले निजी व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।