नई दिल्ली। देश में बीस साल बाद पहली जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसल सरसों के इनवायरेंमेंटल रिलीज को मंजूरी की सिफारिश कर दी गई है। भारतीय कृषि क्षेत्र में पहली खाद्य फसल जिसकी खेती की अनुमति दी गई है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. दीपक पेंटल द्वारा विकसित जीएम सरसों की किस्म धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (डीएमएच-11) किस्म के लिए यह मंजूरी दी गई है। जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैजल कमेटी (जीईएसी) की 18 अक्टूबर, 2022 को हुई 147वीं बैठक में इसकी सिफारिश की गई है। सरसों की इस किस्म को हालांकि चालू रबी सीजन में इसकी बुआई नहीं हो पाएगी, क्योंकि सरसों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है। जीईएसी की सिफारिशों को सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे उगाना संभव हो पाएगा।
जीईएसी ने सरसों की जिस डीएमस-11 हाइब्रिड किस्म के इनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिश की है उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ दिल्ली कैंपस स्थित सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) ने विकसित किया है। ट्रांसजनिक सरसों हाइब्रिड डीएमएच-11 में पैरेंटल लाइन बीएन3.6 और एमओबीए2.99 बारनेस, बारस्टार और बार जीन का उपयोग किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक जीएईसी की सिफारिशों को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री की सहमति के बाद ही जारी किया जाता है। इसलिए यह माना जा रहा है कि पर्यावरण मंत्री जीईएसी के जीएम सरसों की किस्म के जारी सिफारिशों से सहमत हैं इसलिए इन सिफारिशों को सरकार की मंजूरी मिलने की संभावना काफी अधिक हो जाती है। साल 2010 के पहले तक जीईएसी की सिफारिशों को ही अंतिम मंजूरी माना जाता था लेकिन उसके बाद से इन सिफारिशों को जारी करने के पहले संबंधित मंत्री की सहमति लेने का प्रावधान कर दिया गया था।
जीईएसी की सिफारिशों को सरकारी मंजूरी मिलने के बाद जीएम सरसों की इस किस्म को बिना किसी कंट्रोल्ड एनवायरमेंट के उगाया जा सकेगा। इसके लिए पॉलिनेटर और दूसरे प्रभावों की निगरानी की जाएगी और आंकड़े एकत्र किये जाएंगे। माना जा रहा है कि यह एक स्टेंडर्ड प्रक्रिया है और अब इस किस्म का बीज तैयार किया जा सकेगा। निगरानी का काम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को दिया गया है। जीएम किस्म के कमर्शियल रिलीज के लिए आईसीएआर द्वारा बीज अधिनियम के तहत जो प्रक्रिया अपनाई जाती है वही अपनाई जाएगी। जीईएसी की मंजूरी चार साल के लिए मिली है।
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