नई दिल्ली। अक्टूबर में सोया डीओसी का निर्यात 35 फीसदी बढ़कर 213,154 टन का हुआ है, जबकि इससे पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 157,590 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान डीओसी का निर्यात 38 फीसदी बढ़कर 1,984,833 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान 1,433,813 टन का ही डीओसी का निर्यात हुआ था।
एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले सात महीनों के दौरान सरसों डीओसी का निर्यात बढ़कर 1,341,832 टन का हो गया, जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 658,230 टन से दोगुना है। सरसों का घरेलू उत्पादन बढ़ने के साथ ही क्रॉसिंग ज्यादा होने से इसकी उपलब्धता ज्यादा रही थी। वर्तमान में भारत से दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य सुदूर पूर्व के देशों को 295 डॉलर प्रति टन, एफओबी की दर से सरसों डीओसी का निर्यात निर्यात हो रहा है, जबकि हैम्बर्ग एक्स-मिल डीओसी की कीमत 363 डॉलर प्रति टन है।
चालू खरीफ सीजन में देश में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है, जबकि नोन जीएम होने के कारण भारतीय सोया डीओसी की विश्व के कई देशों से अच्छी मांग आती है। ऐसे में उम्मीद है कि आगामी दिनों में सोया डीओसी का निर्यात बढ़ेगा। अक्टूबर में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 40,196 टन का हुआ है, जबकि सितंबर में इसका निर्यात केवल 13,718 टन का ही हुआ था।
भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव अक्टूबर में घटकर 508 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 565 डॉलर प्रति टन था। हालांकि इस सरसों डीओसी का भाव भारतीय बंदरगाह पर सितंबर के भाव 295 डॉलर प्रति टन पर स्थिर बना रहा। कैस्टर डीओसी का भाव अक्टूबर में घटकर 141 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 152 डॉलर प्रति टन था। दक्षिण कोरिया के साथ ही वियतनाम और थाईलैंड को डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है।
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