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30 जुलाई 2022

मिलों की मांग बनी रहने से अरहर के साथ ही उड़द के दाम तेज

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बनी रहने के कारण शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन उड़द के साथ ही अरहर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि चना के भाव में हल्की नरमी आई, जबकि अन्य दालों के दाम लगभग स्थिर बने रहे। 

बर्मा में स्थानीय व्यापारियों की मांग से लेमन अरहर के भाव में 25 डॉलर की तेजी आकर दाम 900 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ हो गए। हालांकि इन भाव में भारतीय आयातकों ने कोई व्यापार नहीं किया। सूत्रों के अनुसार पहली अगस्त को एक वैसल चेन्नई के लिए अरहर और उड़द का लोड होने की उम्मीद है।बर्मा में निर्यातकों को निर्यात लाइसेंस प्राप्त करने में परेशानी आ रही है, तथा इसमें लंबा समय लग रहा है। ऐसे में वहां से लोडिंग में समय लग रहा है।

व्यापारियों के अनुसार अरहर एवं उड़द का हाजिर बाजार में अच्छी क्वालिटी का बकाया स्टॉक कम है, जबकि आयात पड़ते महंगे हैं। इसलिए इनके भाव में अभी ज्यादा मंदा तो नहीं है, लेकिन स्टॉकिस्ट मुनाफावसूली से हल्की गिरावट कर सकते हैं। अन्य दालों में चना में आगे हल्की सुधार बन सकता है लेकिन आयात पड़ते सस्ते होने के कारण मसूर की कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रहेगी।

चालू खरीफ में जहां अरहर की बुआई में कमी आई है, वहीं उड़द एवं मूंग की बुआई जरुर बढ़ी है लेकिन देश के कई राज्यों में जहां मानसूनी सीजन के पहले दो महीनों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण सूखे जैसे हालात बने हुए हैं, वहीं कई राज्यों में जुलाई में हुई भारी बारिश से खरीफ दलहन की फसलों को नुकसान की भी आशंका है।

डॉलर की तुलना में रुपये में हल्का सुधार तो आया है, लेकिन अभी भी डालर की तुलना में रुपया 79.24 के स्तर पर है जिस कारण आयात पड़ते महंगे हैं। सूत्रों के अनुसार तंजानिया में अरहर का उत्पादन घटकर 1.90 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 2.05 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

चालू खरीफ सीजन में दलहनी फसलों की कुल बुआई बढ़कर 106.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 103.23 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

हालांकि खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 36.11 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 41.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

उड़द की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 28.01 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 29.26 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 27.94 लाख हेक्टेयर में और 25.29 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 150 रुपये की तेजी आकर दाम 7,400 से 7,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

महाराष्ट्र की देसी अरहर में स्टॉकिस्टों की बिकवाली कमजोर होने से कोई व्यापार नहीं हुआ। महाराष्ट्र में बारिश से बाढ़ से फसल को नुकसान की आशंका से बढ़िया अरहर में बिकवाली कमजोर रही।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 150 रुपये तेज होकर भाव 7,150 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर में मिलों की मांग से भाव 100 रुपये तेज होकर दाम 7,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अन्य अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें स्थिर बनी रही। तंजानिया की अरुषा और मटवारा की अरहर के भाव क्रमशः 5,850 से 5,900 रुपये और 5,700 से 5,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5,750 से 5,800 रुपये और मलावी अरहर के दाम 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव के भाव में 25 से 50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 7,775 से 7,800 रुपये तथा 8,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 100 रुपये बढ़कर 8,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में उड़द एफएक्यू के भाव 25 रुपये तेज होकर भाव 7,575 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि एसक्यू के भाव 75 रुपये बढ़कर 8,675 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतें क्रमशः 7,050 रुपये और 6,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

मुंबई में कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 6,950 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे, जबकि ऑस्ट्रेलियाई मसूर के दाम कंटेनर में 7,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में चना के भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर राजस्थानी चना की कीमतें 4,925 रुपये और मध्य प्रदेश के चना भाव 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

तंजानिया के चना के भाव मुंबई में 50 रुपये कमजोर होकर भाव 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

विश्व स्तर पर तेजी बनी रहने से घरेलू बाजार में सरसों तेज, दैनिक आवकों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली। विश्व स्तर पर तिलहन एवं खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी बनी रहने से शुक्रवार को भी घरेलू बाजार में सरसों के साथ तेल के भाव बढ़ गए। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव लगातार तीसरे दिन 50 रुपये तेज होकर 6,900 से 6,925 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 1.90 लाख बोरियों की हुई।

व्यापारियों के अनुसार सोया तेल के दाम मजबूत बने रहने से मलेशियाई पाम तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन करीब 9 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। जानकारों के सोया तेल के मुकाबले पाम तेल की कीमतें काफी नीचे बनी हुई है, जिस कारण पाम तेल की मांग में बढ़ोतरी हुई है। उधर अमेरिका के मिडवेस्ट में गर्म और शुष्क मौसम के कारण सोयाबीन के पूर्वानुमान में कमी की आशंका से आपूर्ति प्रभावित होने की चिंता बनी हुई है।

हालांकि इंडोनेशिया सरकार लगातार इन्वैंट्री को कम करने के लिए कदम उठा रही है। ऐसे में घरेलू बाजार में भी खाद्वय तेलों के दाम मजबूत बने रहने से सरसों की कीमतों में हल्का सुधार और भी आ सकता है लेकिन घरेलू बाजार में व्यापारी अभी बड़ी तेजी में नहीं है। हाजिर बाजार में नकदी की किल्लत है, जिस कारण तेल मिलें भी केवल जरुरत के हिसाब से ही सरसों की खरीद कर रही हैं।

मलेशिया में पाम तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन 8.82 फीसदी से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई। अक्टूबर महीने के पाम तेल वायदा अनुबंध में 349 रिगिंट की तेजी आकर भाव 4,306 रिगिंट प्रति टन हो गए। वैश्विक स्तर पर डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल अनुबंध 1.91 फीसदी तेज हो गया, जबकि इसका पाम तेल वायदा अनुबंध भी 3.35 फीसदी तक तेज हुआ। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल की कीमतें आज इलेक्ट्रॉनिक व्यापार में 3.25 फीसदी तक तेज हो गई।

इंडोनेशियाई व्यापार मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश ने अपनी घरेलू जरूरतों के साथ-साथ निर्यात में तेजी लाने के अपने कार्यक्रम के माध्यम से 28 जुलाई तक संयुक्त रूप से 4.23 मिलियन टन पाम तेल के निर्यात के लिए परमिट जारी कर दिए हैं।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें शुक्रवार को 20-20 रुपये तेज होकर भाव क्रमशः 1,393 रुपये और 1,383 रुपये प्रति 10 किलो हो गए। इस दौरान सरसों खल की कीमतें 2,675 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही।

देशभर की मंडियों में शुक्रवार को सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 1.90 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि गुरूवार को आवक 1.55 लाख बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में 90 हजार बोरी, मध्य प्रदेश में 15 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश में 30 हजार बोरी, हरियाणा और पंजाब में 15 हजार बोरी, गुजरात में 5 हजार बोरी तथा अन्य राज्यों की मंडियों में 35 हजार बोरी सरसों की आवक हुई।

चालू खरीफ में कर्नाटक, तेलंगाना और गुजरात में दलहन की बुआई घटी

नई दिल्ली। चालू मानसूनी सीजन के लगभग दो महीने बीतने को हैं, लेकिन इस दौरान हुई असामान्य बारिश का असर कर्नाटक, तेलंगाना और गुजरात में दालों की बुआई पर पड़ा है तथा इन राज्यों में बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है। जानकारों के इन राज्यों में जहां जून में सामान्य की तुलना में कम बारिश हुई थी, वहीं जुलाई में सामान्य से ज्यादा बारिश का असर बुआई पर पड़ा है।

कर्नाटक में 22 जुलाई तक चालू खरीफ में दलहनी फसलों की बुआई अभी तक केवल 16.94 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.31 लाख हेक्टेयर से कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 11.49 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 12.73 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। मूंग की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 3.88 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.93 लाख हेक्टेयर से कम है। उड़द की बुआई चालू खरीफ में 91,600 हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 91,900 से थोड़ी पिछे है।

गुजरात के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में 25 जुलाई तक चालू खरीफ सीजन में दालों की बुआई 2.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.80 लाख हेक्टेयर की तुलना में 24.84 फीसदी कम है। राज्य में अरहर की बुआई 1.72 लाख हेक्टयेर में, मूंग की 44,169 हेक्टेयर में और उड़द की बुआई 60,588 हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल इस समय तक राज्य में इनकी बुआई क्रमशः 1.95 लाख हेक्टेयर में, 53,115 हेक्टेयर में और 1.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तेलंगाना में 27 जुलाई तक खरीफ दालों की बुआई केवल 5.51 लाख एकड़ में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.26 लाख एकड़ की तुलना में 46.25 फीसदी कम है। राज्य में खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई 4.69 लाख एकड़ में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 8.56 लाख एकड़ में हो चुकी थी। राज्य में मूंग की बुआई 55,675 एकड़ में और उड़द की 25,830 एकड़ में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 1.27 लाख एकड़ और 41,088 एकड़ में हो चुकी थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 28 जुलाई तक नार्थ इस्ट कर्नाटक में जहां सामान्य से 29 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, वहीं साउथ इस्ट कर्नाटक में इस दौरान सामान्य की तुलना में 35 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

इसी तरह से तेलंगाना में इस दौरान सामान्य के मुकाबले 104 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है।

उधर गुजरात रीजन में इस दौरान जहां सामान्य से 49 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, जबकि सौराष्ट्र और कच्छ में इस दौरान सामान्य की तुलना में 66 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

आईसीए ने भारतीय कपास आयातकों के अनुबंध रद्द करने के प्रस्ताव को ठुकराया

नई दिल्ली। भारतीय कपड़ा मिलें, जिन्होंने कॉटन आयात के लिए अनुबंध किए थे, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अतः मिलों नेे इंटरनेशनल कॉटन एसोसिएशन, आईसीए को पत्र लिखकर आयात सौदों के आर्डर कैंसिल करने की मांग की थी, जिसे आईसीए के ठुकरा दिया है। आईसीए ने भारतीय आयातकों सुझाव दिया है कि आयातक वैश्विक निकाय के उपनियमों के अनुसार इन सौदों को वापस बेच सकते हैं।

तमिलनाडु स्पिनिंग मिल्स एसोसिएशन (TASMA) को भेजे गए एक पत्र में, जिन्होंने इस मुद्दे को उठाया था, आईसीए ने कहा कि कोई भी अनुबंध जो आईसीए के उपनियमों और नियमों के अधीन है, वह रद्द नहीं किया जा सकता है।

आईसीए ने स्पष्ट किया कि अनुबंध को बंद होने की तिथि पर बाजार मूल्य पर वापस बेचा जा सकता है। हालांकि, किसी विशेष अनुबंध में निर्दिष्ट होने पर शर्तें लागू होंगी।

नियम 238 के अनुसार, यदि किसी कारण से अनुबंध के हिस्से का अनुबंध नहीं किया गया है, या नहीं किया जाएगा (चाहे किसी भी पार्टी द्वारा अनुबंध के उल्लंघन के कारण या किसी अन्य कारण से) यह कैंसिल नहीं होगा। सभी मामलों में संपर्क या अनुबंध का हिस्सा, अनुबंध की तिथि पर लागू नियमों के अनुसार विक्रेता को वापस चालान करके बंद कर दिया जाएगा। नियम 239 के अनुसार, बंद होने की तिथि पर प्रचलित कीमतों को वापस चालान के लिए लागू किया जाएगा।

जानकारों के अनुसार भारतीय आयातकों ने बढ़ी हुई कीमतों पर कॉटन का अनुबंध किया था। लेकिन बाद के महीनों में कीमतें गिर गईं। साथ ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होने से भी भारतीय आयातकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही शिपमेंट में देरी से आयातित कपास की खपत के लिए आयातकों की योजना भी बाधित हुई है।

बाजार सूत्रों के अनुसार लगभग 10 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो के आयात सौदें भारतीय आयातकों द्वारा अनुबंधित किए हुए हैं जिस कारण आयातक भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से, दक्षिण भारत स्थित मिलों ने घरेलू आपूर्ति की कमी के कारण कपास के आयात सौदे किए थे।

अच्छे मानसून के बाद भी कर्नाटक में मोटे अनाज, दलहन एवं तिलहन की बुआई पिछे, कपास की आगे

दिल्ली। अच्छी बारिश के बावजूद भी चालू खरीफ सीजन में कर्नाटक में 22 जुलाई तक मोटे अनाजों के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई पिछड़ रही है, जबकि कपास की बुआई में जरुर बढ़ोतरी हुई है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 27 जुलाई तक सामान्य की तुलना में 107 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में दलहनी फसलों की बुआई अभी तक केवल 16.94 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.31 लाख हेक्टेयर से कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 11.49 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 12.73 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। मूंग की बुआई राज्य में चालू खरीफ में 3.88 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.93 लाख हेक्टेयर से कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 7.83 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में इनकी बुआई 8.67 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में राज्य में बढ़कर 4.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.78 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में 2.14 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस सयम तक इसकी बुआई 3.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। सनफ्लावर की बुआई चालू खरीफ में 1.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 95 हजार हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान, ज्वार, बाजरा एवं मक्का तथा रागी की बुआई चालू खरीफ में 17.17 हेक्टेयर में ही र्हुइ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 20.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। धान की रोपाई चालू सीजन में 2.44 हेक्टेयर में और मक्का की 12.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 2.82 लाख हेक्टेयर और 12.54 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में राज्य में बढ़कर 6.59 लाख हेक्टेयर हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 5.06 लाख हेक्टयेर में ही हुई थी। कपास की बुआई का लक्ष्य 7.28 लाख हेक्टेयर तय किया गया है।

अच्छी बारिश से राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई तय लक्ष्य के 86 फीसदी के करीब

नई दिल्ली। जून के साथ जुलाई में हुई अच्छी बारिश से राजस्थान में खरीफ फसलों की कुल बुआई तय लक्ष्य के 85.63 फीसदी तक पूरी हो चुकी हैं। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में 164.17 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया था, जबकि 25 जुलाई तक राज्य में 140.57 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 80.94 लाख हेक्टेयर में ही फसलों की बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में राज्य में मोटे अनाजों की बुआई 56.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि इनकी बुआई का लक्ष्य 61.67 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 32.19 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। धान की रोपाई राज्य में 1.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि तय लक्ष्य 2.10 लाख हेक्टेयर की 81.13 फीसदी है। इसी तरह से ज्वार की बुआई 5.91 लाख हेक्टेयर में बाजरा की 40.43 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 8.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि राज्य सरकार ने चालू खरीफ में इनकी बुआई का लक्ष्य क्रमशः 6.10 लाख हेक्टेयर, 44 लाख हेक्टेयर और 9.40 लाख हेक्टेयर तय किया हुआ है।

दालों की बुआई चालू खरीफ में राज्य में बढ़कर 30.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 15.78 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई थी। दालों की बुआई का लक्ष्य चालू खरीफ में 40.85 लाख हेक्टेयर का तय किया हुआ है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 18.55 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 11.45 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। अन्य दालों में मोठ की 7.99 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 20.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15.29 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई 7.39 लाख हेक्टेयर में और सोयाबीन की 10.97 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 6.94 लाख हेक्टेयर और 7.33 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 23.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि इसकी बुआई का लक्ष्य 25 लाख हेक्टेयर है। पिछले साल राज्य में इस समय तक केवल 9.95 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू सीजन में बढ़कर 6.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई केवल 5.93 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई थी। 

26 जुलाई 2022

घरेलू बाज़ार की अच्छी मॉग से बासमती 1401 स्टीम ने छुआ 9000 का आंकड़ा

घरेलू बाज़ार मे अच्छी मॉग और मार्केट मे बासमती प्रजाती की 1401 स्टीम मे कमी के चलते 1401 स्टीम मे 9000 पर नया बाजार दिल्ली मे इसका कारोवार चल रहा है इसके साथ साथ 1121 और 1718 स्टीम मे भी अच्छी मॉग होने से 1121 स्टीम 9200/9300 और 1718 स्टीम भी 8800/8900 तक बोली जा रहा है 1401 स्टीम 9000 होने से 1121 अथवा 1718 स्टीम जैसी प्रजातियो मे विकबाल पीछे हटने लगा है क्यों कि बाज़ार मे सीमित मात्रा मे ही चावल शेष है|

उधर ईरान की शिप्मैन्ट और ऐडवॉस सौदों के चलते बासमती सेले की सभी प्रजातियों ने बाज़ार मे अपनी पकड़ बना रखी है 1121&1718 सफेद सेला 8500 के आस पास व्यापार करता नज़र अरहा है अथवा इसके गोल्डेन सेला मे भी ग्राहक अच्छी मजबूती से 9000/9100 तक खरीदारी करता नज़र अरहा है हाला की 1509 नई क्रॉप के सेले मे पकाई और न आने और कुछ भारतीय निर्यातकों की मॉग कमजो़र होने से पिछले दो दिन से करिब 200/300 रु.का मन्दा देखने को मिला है लेकिन पुरानी क्रॉप की सभी प्रजातियाँ मे मार्केट अच्छे तरीके से चल रही है

इस बार कुछ विशेष्गयों के अनुसार भारत मे बासमती चावल की पाईप लाईन खाली हो जाऐगी उधर स्पेन और ईटली में सूखा पड़ जाने से खरिफ फसलों की पैदावार काफी हद तक पिछले वर्ष की तुलना मे कम अॉकी जा रही है भारत मे बासमती चावल की पाईप लाईन खाली अथवा ईरान दूआरा काफी बड़ी मात्रा मे भारत से ऐडवॉस सौदो के चलते आने बाली 2022-2023 की फसल पर शुरू से ही मारा मारी पढ़ जाऐगी और बासमती धान की सभी प्रजातियाे मे भाव ऊऩचे खुलने के आसार हैं यूरोप जैसे देशों मे अलनीनो (सूखा) पड़ जाने से इस बार भी भारतीय बासमती चावल मे एक्सपोर्ट अच्छा रहने की उम्मीद  जताई जा रही है

विभिन्न मंडियों में 26 जुलाई 2022 को जिंसों के भाव इस प्रकार रहे

विभिन्न मंडियों में 26 जुलाई 2022 को जिंसों के भाव इस प्रकार रहे

सिरसा मंडी ग्रुप
दिनांक 26-07-2022

नरमा   = 9400/-
कनक  = 2140/-
सरसों  = 5400-5950/-
मूँग.    = 3000-5400/-
ग्वार    = 4300-4800/-

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आज सलोनी भाव 7250 रहा


★आगरा (AGRA)
सरसों (MUSTARD)
बीपी (BP)-6950  +50
शारदा (SHARDA)-6900 +50
आदमपुर सरसों बोली  6021
खेरली मंडी 6540
मंदसौर 6250
खैरथल 6440
कालावाली 5990
भरतपुर 6425
अलवर 6500
अलीगढ 6000
घड़साना 6050
नोहर 6100
विजयनगर 6100
जयपुर 6825
दिल्ली 6350
टोंक 6430
गोलूवाला सरसो बिकी 6150
38%

Dt  26-07-2022

सरसों भाव (MUSTARD) 42%
केकरी(KEKRI) 6770
टोंक(TONK)6775/6800
नेवई(NEWAI) 6775
देई(DEI) 6550/75 

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Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Sarso Boli 6192

ऐलनाबाद मंडी बोली भाव
 दिनांक 26/07/2022
सरसो = 5450/6000 अब तक
चना = 4425/4611

नरवाना गेहूं

2270  पक्के में ट्रक लोढ  जुट बारदाना

गोलूवाला सरसो बिकी 6150
38%

Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Guwar Boli 4813

Gharaunda paddy 1509@3600

I'NDRI MANDI 1509 3350 3650

SIRSA
Narma 🌤️ 9300
Wheat 🌾 2140

3640 ladwa mandi 1509

KARNAL Mandi 1509 paddy 3650 top arrival 20000 approx

MANDI- NARELA. DEHLI

1509 New.
Rate- 3751. KRBL

Gharaunda mandi 1509@3551

बर्मा की उड़द तेज तो अरहर और चना के भाव रुके, मसूर और मूंग में मंदा

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण सोमवार को बर्मा की उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि मसूर और मूंग के भाव में गिरावट आई। अरहर के साथ ही चना की कीमतें लगभग स्थिर हो गई।

व्यापारियों के अनुसार अरहर एवं उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं, तथा बीते सप्ताह बर्मा में उड़द और लेमन अरहर की कीमतों में तेजी आई थी। घरेलू बाजार में जहां अरहर में अच्छी क्वालिटी की उपलब्धता कम है, वहीं समर सीजन की उड़द की आवक उत्पादक राज्यों की मंडियों में अब कम होने लगी है। खरीफ की उड़द की आवक सितंबर, अक्टूबर में ही बनेगी जबकि अरहर की नई फसल की आवक दिसंबर में बनेगी। ऐसे में इनकी कीमतों में आगे सुधार ही आने के आसार हैं।

पिछले 24 घंटों के दौरान गुजरात और मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है, जबकि जुलाई में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और तेलंगाना में भी सामान्य से ज्यादा बारिश होने के कारण कई क्षेत्रों में अरहर और उड़द के साथ ही मूंग की फसल को भी नुकसान की आशंका है।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान पश्चिमी मध्य प्रदेश में 44 फीसदी और पूर्वी मध्य प्रदेश में 99 फीसदी बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है। इस दौरान गुजरात रीजन में सामान्य से 88 फीसदी और सौराष्ट्र तथा कच्छ में सामान्य से 91 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई। पहली जून से 25 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 11 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है जबकि अभी भी करीब 18 फीसदी हिस्से में सामान्य से कम बारिश हुई है। इस दौरान 19 फीसदी क्षेत्रफल में अत्याधिक और 35 फीसदी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

नेफेड पुराने चना की लगातार बिकवाली कम रही है, तथा पुरानी चना की क्वालिटी काफी हल्की है। इसलिए जब तक नेफेड की बिकवाली बनी रहेगी, चना की कीमतोें में बड़ी तेजी के आसार नहीं है। उत्पादक मंडियों में मूंग समर मूंग की आवक बनी हुई है, जबकि चालू खरीफ में मूंग की बुआई पिछले साल की तुलना में बड़ी है। ऐसे में मूंग की कीमतों में स्टॉकिस्ट हल्की तेजी तो कर सकते हैं लेकिन बड़ी तेजी टिक नहीं पायेगी। कनाडा एवं आस्ट्रेलिया से आयातित मसूर के दाम नीचे हैं, तथा केंद्र सरकार ने मसूर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि को 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया है। इसलिए मसूर की कीमतों में भी बड़ी तेजी की उम्मीद कम है।  

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 7,750 रुपये तथा 8,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आंध्रप्रदेश लाइन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 8,200 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर हुआ।

चेन्नई में एसक्यू उड़द हाजिर डिलीवरी के भाव 8,475 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि उड़द एफएक्यू के हाजिर डिलीवरी के दाम 7,450 से 7,475 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव मिलों की सीमित खरीद से 7,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर 2022 की फसल के भाव 7,100 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली डिलीवरी के लिए महाराष्ट्र की नांदेड़ लाईन की अरहर 7,200 से 7,400 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर स्थिर बनी रही

इस दौरान चेन्नई में बर्मा की लेमन अरहर की कीमतें 6,900 से 6,925 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर में मिलों की सीमित मांग से 6,900 से 6,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें भी स्थिर हो गई। तंजानिया की अरुषा अरहर के दाम 5,800 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इस दौरान मटवारा की अरहर के भाव 5,600 से 5,700 रुपये के पूर्व स्तर पर स्थिर रहे। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5,700 से 5,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रही। मलावी अरहर के दाम 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 50-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7,150 रुपये और 6,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

केंद्र सरकार ने मसूर के शुल्क मुक्त आयात को 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया है। इसे पहले 30 सितंबर 2022 तक अनुमति दी गई थी।

कनाडा से आयातित मसूर के भाव बंदरगाह पर 6,270 रुपये प्रति क्विंटल बैठ रहे है।

मुंबई में कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 7,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे, जबकि ऑस्ट्रेलियाई मसूर के दाम कंटेनर में 7,200 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर हो गए। इन भाव में कोई खास व्यापार नहीं हुआ।

दिल्ली में राजस्थानी चना की कीमतें 4,925 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही, जबकि मध्य प्रदेश के चना के दाम 4,875 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में कानपूर लाई की मूंग के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 6,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि मध्य प्रदेश लाईन की मूंग के भाव 150 रुपये घटकर 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए।

गुजरात में कपास की बुआई बढ़ी, दलहन के साथ ही तिलहन की पिछ़ड़ी

नई दिल्ली। असमान्य बारिश का असर गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ा है, राज्य में जहां जून में सामान्य की तुलना में 49 फीसदी बारिश कम हुई थी, जबकि पहली जुलाई से 25 जुलाई तक जहां गुजरात रीजन में सामान्य से 52 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, वहीं सौराष्ट्र और कच्छ में इस दौरान सामान्य से 76 फीसदी ज्यादा बारशि दर्ज की गई।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 25 जुलाई तक राज्य में कपास की बुआई बढ़कर 24.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 21.77 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। हालांकि राज्य में कपास की बुआई का लक्ष्य 24 लाख हेक्टेयर ही था, अतः कुल बुआई तय लक्ष्य से ज्यादा क्षेत्रफल में हुई है।

हालांकि इस दौरान दलहन और तिलहनी फसलों की बुआई में कमी दर्ज की गई। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में राज्य में अभी तक केवल 19.47 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 21.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।  मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 16.26 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 18.68 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। मूंगफली की बुआई का लक्ष्य 18.42 लाख हेक्टेयर तय किया गया है। शीशम सीड, केस्टर एवं सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में क्रमशः 36,641 हेक्टेयर में, 76,970 हेक्टेयर में और 2.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 63,650 हेक्टेयर में, 39,637 हेक्टेयर में और 2.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 25 जुलाई तक केवल 2.85 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 3.80 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 1.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 1.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द की बुआई केवल 60,588 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.23 लाख हेक्टयेर में बुआई हो चुकी थी।

हालांकि धान, ज्वार, मक्का और बाजरा की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 9.24 लाख हेक्टेयर हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 8.42 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। धान की रोपाई 4.72 लाख हेक्टेयर में बाजरा की बुआई 1.62 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की बुआई 2.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 4.21 लाख हेक्टेयर, 1.29 लाख हेक्टयेर और 2.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

कई राज्यों में बारिश की कमी से खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई 16.41 फीसदी घटी

नई दिल्ली। देशभर के राज्यों में असामान्य बारिश होने की वजह से चालू खरीफ सीजन में जहां धान की रोपाई 16.41 फीसदी पीछे चल रही है, वहीं दलहन, तिलहन एवं मोटे अनाजों की बुआई में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 22 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 10 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में जहां सामान्य की तुलना में कम बारिश हुई है, वहीं दक्षिण और मध्य भारत के कई राज्यों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
 
कृषि मंत्रालय के अनुसार 22 जुलाई 2022 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 172.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 206.61 लाख हेक्टेयर से कम है।

दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 90.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 85.16 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 31.09 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 22.47 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 25.99 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 38.98 लाख हेक्टेयर में, 20.85 लाख हेक्टेयर में और 19.80 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 125.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 108.61 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 9.62 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 50.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल समय तक इनकी बुआई क्रमश: 7.66 लाख हेक्टेयर और 30.64 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। इसके अलावा मक्का की बुआई चालू खरीफ में 62.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 65.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 149.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 142.03 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में 33.29 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 108.37 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 1.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इनकी बुआई क्रमश: 36.13 लाख हेक्टेयर में, 98.99 लाख हेक्टेयर में और 1.04 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में डीओसी का निर्यात 39 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान डीओसी के निर्यात में 39 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 1,021,265 टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 735,892 टन का ही हुआ था।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जून में डीओसी के निर्यात में 119 फीसदी की भारी बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 431,840 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जून में इसका निर्यात 203,868 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले तीन महीनों में सरसों डीओसी का निर्यात 84 फीसदी बढ़कर 706,904 टन हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 384,807 टन का ही हुआ था। चालू रबी में सरसों के उत्पादन में हुई बढ़ोतरी के साथ ही इसकी क्रॉसिंग ज्यादा होने से डीओसी की उपलब्धता ज्यादा रही, जिसका असर चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में निर्यात पर देखा गया। वर्तमान में भारत दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और सुदूर पूर्व के देशों को सरसों डीओसी का सबसे ज्यादा निर्यात कर रहा है।

हालांकि विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में सोया डीओसी के निर्यात में कमी आई है। सोया डीओसी का भाव कांडला बंदरगाह पर औसतन 675 डॉलर प्रति टन, एफओबी है, जबकि अर्जेंटीना के सोया डीओसी का भाव 539 डॉलर सीआईएफ रॉटरडैम और ब्राजील के सोया डीओसी का भाव 522 डॉलर प्रति टन है।

भारतीय बंदरगाह पर जून मेें सोया डीओसी का भाव 694 डॉलर प्रति टन रहा, जोकि मई के भाव 720 डॉलर प्रति टन से कम है। इस दौरान सरसों डीओसी का भाव भारतीय बंदरगाह पर जून में घटकर 294 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मई में इसका भाव 306 डॉलर प्रति टन था। हालांकि इस दौरान केस्टर डीओसी का भाव मई के 143 डॉलर प्रति टन से बढ़कर जून में 152 डॉलर प्रति टन हो गया।

19 जुलाई 2022

मध्य और दक्षिण भारत के राज्यों में भारी बारिश एवं उत्तर प्रदेश के साथ बिहार में कमी

नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 19 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 12 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है लेकिन इस दौरान मध्य और दक्षिण भारत के कई राज्यों में जहां भारी बारिश से फसलों को नुकसान की आशंका है। वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं।

मौसम विभाग के अनुसार पिछले 48 घंटों में महराष्ट्र के कई जिलों में भारी बारिश होने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं, इससे खरीफ दलहन अरहर, उड़द और मूूंग को नुकसान होने की आशंका है। जानकारों के अनुसार भारी बारिश से लगभग 12 जिले जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है। उनमें वर्धा में सामान्य से 1171.4 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जबकि गढ़चिरोली में 596.1 फीसदी, चंद्रपुर में 495.9 फीसदी, नागपुर में 426.4 फीसदी, यवतमाल मेें 717.1 फीसदी, भंडारा में 289.2 फीसदी, नांदेड़ में 573 फीसदी, वाशिम में 508.1 फीसदी, अकोला में 462.1 फीसदी, बुलढाणा में 684.80 फीसदी, लातूर में 1170.40 फीसदी, परभनी में 406.70 फीसदी, हिंगोली में 406.70 फीसदी सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। मौसम विभाग ने आज 19 जुलाई के लिए भी महाराष्ट्र के विदर्भ में भारी बारिश का एलर्ट जारी किया है।

गुजरात सरकार के पहले प्राथमिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में भारी बारिश व बाढ़ से 50000 हेक्टेयर में खरीफ फसलों को नुकसान हुआ। मध्य गुजरात में सबसे अधिक नुक्सान हुआ है। जबकि दक्षिण गुजरात में तिलहन, अनाज और दलहन को सबसे अधिक नुकसान। सरकारी अधिकारीयों ने बताया कि अभी कई इलाकों में जल भराव होने से सर्वे बाकी है। महाराष्ट्र में भी 250000 हेक्टेयर में खरीफ फसलों को नुकसान। सबसे अधिक नुकसान सोयाबीन, अरहर, कॉटन, उड़द और मूंग को। सरकारी अधिकारी के अनुसार यदि बारिश कम नहीं हुई तो फसलों में नुकसान का दायरा बढ़ सकता है। राज्य के मुख्यमंत्री ने किसानों को हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।

तेलंगाना राज्य में भी भारी बारिश से खरीफ फसलों को नुकसान की रिपोर्ट मिल रही है। पिछले कुछ दिनों में तेलंगाना में हुई मूसलाधार बारिश ने राज्य में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। कृषि अधिकारियों के शुरूआती अनुमान के अनुसार, लगभग 20 प्रतिशत बिजाई की गई फसल बारिश के कारण ख़राब। आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, वारंगल, खम्मम, मेडक और  रेड्डी जिलों में फसल को भारी नुकसान। चालू खरीफ सीजन में किसानों ने राज्य में लगभग 53.79 लाख एकड़ फसलों की बिजाई की थी। जिसमे कपास 38.48 लाख एकड़, सोयाबीन 3.21 लाख एकड़, मक्का 2.50 लाख एकड़, धान 2.58 लाख एकड़ और दलहन 4.10 लाख एकड़ शामिल है।

दक्षिणी और मध्य भारत में अच्छी बारिश। लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश (-71%) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (-56%) इन केंद्रों में बारिश औसत से कम रही। दक्षिणी प्रायद्वीप +38% मध्य भारत +33%,  उत्तर पश्चिमी क्षेत्र -8% इन केंद्रों में बारिश औसत से अधिक रही। मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, तटीय आंध्र प्रदेश, कर्णाटक के तटीय क्षेत्रों, पश्चिमी राजस्थान, झारखण्ड (-49%बारिश), बिहार (-47%बारिश), पश्चिम बंगाल (-45%बारिश), नागालैंड-मणिपुर-मिजोरम-त्रिपुरा (-25%बारिश) इन राज्यों में भारी बारिश की संभावनाएं।

चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में बासमती एवं गैर बासमती चावल का निर्यात घटा

नई दिल्ली। घरेलू बाजार में कीमतें तेज होने के कारण चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले दो महीनों अप्रैल और मई में बासमती के साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात में क्रमश: 6.03 और 7.68 फीसदी की कमी आई है।

चालू सीजन में उत्पादन अनुमान में आई कमी के कारण घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमतें तेज बनी हुई है, साथ ही उत्पादक मंडियों में साठी धान की आवक होने लगी है, जबकि प्रमुख फसल सितंबर, अक्टूबर में आयेगी। इसलिए बासमती चावल के दाम अभी तेज ही बने रहने की उम्मीद है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले दो महीनों अप्रैल तथा मई में बासमती चावल का निर्यात 6.03 फीसदी घटकर केवल 6.85 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 7.29 लाख टन का हुआ था। इसी तरह से चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने अप्रैल एवं मई में गैर बासमती चावल का निर्यात 7.68 फीसदी घटकर केवल 26.79 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 29.02 लाख टन का हुआ था।

मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले दो महीनों अप्रैल एवं मई में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5,361 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल एवं मई के दौरान 4,556 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ था। हालांकि चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में गैर बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से घटकर 7,395 करोड़ रुपये का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 7,784 करोड़ रुपये का हुआ था।

दिल्ली की नरेला मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के भाव सोमवार को 4,022 से 4,171 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि नए साठी धान के भाव 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रह। उत्तर प्रदेश की मंडियों में पूसा 1,509 किस्म के साठी के भाव 3,300 से 3,900 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटी अनुसार हैं।

उत्तर भारत के राज्यों में धान की रोपाई पीछे, मानसूनी बारिश की कमी का असर

नई दिल्ली। मानसूनी बारिश कम होने के कारण चालू खरीफ सीजन में उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा के साथ ही उत्तर प्रदेश में धान की रोपाई पीछे चल रही है। भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार इन राज्यों में पहली जून से 15 जुलाई तक बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार पंजाब में चालू खरीफ में अभी तक 27.80 लाख हेक्टेयर में, उत्तर प्रदेश में 26.98 लाख हेक्टेयर में और हरियाणा 7.41 लाख हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमश: 29.47 लाख हेक्टेयर में, 35.29 लाख हेक्टेयर में और 7.94 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।

आईएमडी के अनुसार चालू खरीफ में पहली जून से 15 जुलाई तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहां सामान्य की तुलना में 69 फीसदी बारिश कम हुई है, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 59 फीसदी बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई। पंजाब में चालू सीजन में अभी तक सामान्य से 2 फीसदी और हरियाणा में 4 फीसदी बारिश कम हुई है।

जानकारों के अनुसार इन उत्तर भारत के राज्यों में सिंचाई के साधन है, तथा चालू सीजन में धान की कीमतें तेज रही थी, जिस कारण आगामी दिनों में धान की रोपाई में तेजी आएगी, साथ ही कुल रोपाई पिछले साल की तुलना में बढ़ने का अनुमान है।

मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में छत्तीसगढ़ में धान की रोपाई अभी तक 16.38 लाख हेक्टेयर में, बिहार में 6.06 लाख हेक्टेयर में और मध्य प्रदेश में 7.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी रोपाई क्रमश: 19.69 लाख हेक्टेयर में, 8.77 लाख हेक्टेयर में और 9.63 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी।

चालू खरीफ में धान की कुल रोपाई अभी तक कुल 128.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी रोपाई 155.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


देशभर में मानसून सक्रिय होने से खरीफ फसलों की बुआई 592 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। देशभर में मानसून की सक्रियता बढ़ने से खरीफ फसलों की बुआई में भी तेजी आई है। पहली जून से 15 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 14 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, हालांकि अभी भी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में 15 जुलाई 2022 तक फसलों की बुआई बढ़कर 592.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 591.30 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

मंत्रालय के अनुसार धान की रोपाई चालू खरीफ में 128.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 155.33 लाख हेक्टयेर से कम है।

दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 72.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 66.69 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 25.81 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 18.06 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 20.19 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 31.58 लाख हेक्टेयर में, 15.67 लाख हेक्टेयर में और 15.85 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 93.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 87.06 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 6.78 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 34.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल समय तक इनकी बुआई क्रमश: 6.32 लाख हेक्टेयर और 20.88 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। इसके अलावा मक्का की बुआई चालू खरीफ में 49.90 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 56.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 134.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 124.83 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में 28.89 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 99.35 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लवर की 1.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इनकी बुआई क्रमश: 29.72 लाख हेक्टेयर में, 90.32 लाख हेक्टेयर में और 91 हजार हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 102.80 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 96.58 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में 53.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 53.70 लाख हेक्टेयर से कम है।

14 जुलाई 2022

देशभर की मंडियों में विभिन्नों जिंसों के दाम 14 जुलाई 2022 के

देशभर की मंडियों में विभिन्नों जिंसों के दाम 14 जुलाई 2022 के

अहमदनगर
चना.नया
देसी 4600
चापा 4700
मोसमी 4800
आवक 1300 बोरी
तुअर.नयी
काली 6600
लाल 6800
सफेद 6800
आवक 900 बोरी
मूँग 5000/7000
आवक 300 बोरी
उड़द 4500/7500
आवक 400 बोरी

1401 steam 8700 delhi for

बरवाला गेहूं 2060 ग्राहक हैं

Bulandshahr Mandi UP
1509-3301-3901
Aarival -6000 bag

ऐलनाबाद मंडी बोली भाव
 दिनांक 14/07/2022
भरत कानसरिया
नरमा = 9600
ग्वार =4300/4500
सरसो = 5650/6200
चना = 4500/4616
कनक = 2000/2030
जो = 2400/2491
मूग = 3500/5100


MANDI- GARHMUKTESHWAR. UP

Aarival- 5'000. Bags.

Rate- 3800 se 4000.

Chharra Mandi makka 1890.2031 arrival 10000 kuntal sarson 5950.6100 arrival 250 katta pady no arrival

सिरसा मंडी ग्रुप
दिनांक 14-07-2022
नरमा   = 9700/-
कनक  = 2020/-
सरसों  = 6080/-
Sirsa Mandi group
मूँग.    = 5450/-
ग्वार    = 4890/-
चना    = 4400/-

Gulaothi Mandi
Wheat 🌾 2150
Arrival   500bags

Gharaunda mandi 1509 @3571

Narela mandi
New
1509-3800
1121-4525
Sugandh-3695

MANDI- DABRA. MP

Aarival- 7'000. Bags.

New 1509.
Rate- 3850. Top

MANDI- BILASPUR. UP

Aarival- 30'000.+ Bags.

Sarbati New.
Rate- 1900 se 2120.

MANDI- JAHANGIRABAD. UP

Aarival- 5'000. Bags.

1509. New.
Rate- 3801 se 4061.

Moisture 20/25.


MANDI- GARHMUKTESHWAR. UP

Aarival- 5'000. Bags.

Rate- 3800 se 4000.


MANDI- NARELA. DEHLI

1509. New.
Rate- 3800. KRBL.

बर्मा में दाम बढ़ने के साथ ही कई राज्यों में भारी बारिश से अरहर एवं उड़द में तेजी

नई दिल्ली। बर्मा में कीमतें बढ़ने के साथ ही देश के कई राज्यों में पिछले 48 घंटों के दौरान हुई भारी बारिश से खरीफ दलहन को नुकसान होने की आशंका से घरेलू बाजार में बुधवार को अरहर एवं उड़द की कीमतें तेज हुई। इस दौरान चना एवं मसूर के भाव नरम हुए, जबकि मूंग की कीमतें लगभग स्थिर बनी रही।

भारतीय आयातकों की मांग से बर्मा में अरहर और उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। बर्मा में लेमन अरहर के भाव 20 डॉलर तेज होकर दाम 865 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। जानकारों के अनुसार भारतीय आयातकों ने आज लेमन अरहर के 50 कंटेनरों का व्यापार 760 डॉलर प्रति टन, एफओबी आधार पर किया।

इसी तरह से बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25-25 डॉलर की तेजी आकर भाव क्रमश: 920 डॉलर और 1,020 डॉलर प्रति टन हो गए। हालांकि, भारत के खरीदारों द्वारा उड़द का कोई व्यापार नहीं किया गया। बर्मा से भारत में चेन्नई के लिए लगभग 5,000 टन उड़द और अरहर लेकर आने वाला एक वैसल रवाना हुआ है, इसके अलावा चालू महीने में दो वैसल और अरहर और उड़द के लोड होने की खबर है।

जानकारों के अनुसार आयातित अरहर और उड़द का बकाया स्टॉक कम है, साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से अरहर और उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 79.66 के स्तर पर आ गया। अत: आयात महंगा होने से अरहर और उड़द की कीमतों में आगे और तेजी आने के आसार हैं।

दलहन उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और आगे भी भारी बारिश की चेतावनी ने दलहन किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में पिछले 48 घंटों के दौरान भारी बारिश हुई है, जिससे अरहर और उड़द की फसल को नुकसान होने की आशंका है वहीं क्वालिटी को भी नुकसान होगा।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान गुजरात रीजन में सामान्य की तुलना में क्रमश: 253 फीसदी और 864 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इसी तरह से मध्य महाराष्ट्र में इस दौरान 175 फीसदी और विदर्भ में 523 फीसदी तथा मराठवाड़ा में 1,393 फीसदी बारिश ज्यादा हुई है। तेलंगाना में इस दौरान सामान्य के मुकाबले 1,096 फीसदी और कर्नाटक में 300 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

चना एवं मसूर की कीमतों में आज गिरावट दर्ज की गई, लेकिन चना में व्यापारी ज्यादा मंदे में नहीं है। माना जा रहा है कि आगे चना दाल और बेसन की खपत में सुधार आयेगा। कनाडा से आयातित मसूर के भाव में कमजोर होने से घरेलू बाजार में मसूर की कीमतों में नरमी दर्ज की गई।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर 2022 की फसल के भाव 25 रुपये तेज होकर दाम 6,900 से 6,925 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली डिलीवरी के लिए महाराष्ट्र की नांदेड़ लाईन की अरहर के भाव 6,900 से 7,100 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर स्थिर बने रहे।

इस दौरान चेन्नई में बर्मा की लेमन अरहर की कीमतें 50 रुपये तेज होकर 6,575 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दाल मिलों की मांग सुधरने से मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 50 रुपये तेज होकर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।  

इस दौरान मुंबई में अफ्रीकी लाइन की अरहर के भाव स्थिर बने रहे। तंजानिया की अरुषा और मटवारा अरहर के भाव क्रमश: 5,700 रुपये और 5,500 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5,550 से 5,600 रुपये और मलावी अरहर के भाव 5,150 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव के भाव में 100-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,500 रुपये तथा 8,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आंध्रप्रदेश लाइन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 100 रुपये तेज होकर 7,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 7,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के हाजिर डिलीवरी के भाव 75 रुपये तेज होकर 8,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि अगस्त डिलीवरी के भाव भी 75 रुपये बढ़कर 8,250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

कोलकाता में उड़द एफएक्यू के भाव 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

कनाडा से आयातित मसूर के भाव बंदरगाह पर 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि कनाडा की मसूर के दाम इस दौरान 7,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

ऑस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर में 7,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, वहीं कनाडा की मसूर के भाव इस दौरान 7,250 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर टिके रहे।

दिल्ली में चना की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर, राजस्थानी के भाव 4,950 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,875 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चालू तेल वर्ष के पहले आठ महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात एक फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2021-22 (नवंबर-21 से जून-22 ) के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में एक फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 8,760,640 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 8,674,012 टन का ही हुआ था।

साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जून में खाद्य एवं  अखाद्य तेलों के आयात में 0.44 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 991,650 टन का ही हुआ, जबकि पिछले साल जून में इनका आयात 996,014 टन का हुआ था। जून में जहां खाद्य तेलों का आयात 941,471 टन का हुआ, वहीं इस दौरान अखाद्य तेलों का आयात 50,179 टन का हुआ।

एसईए के अनुसार इंडोनेशियाई सरकार ने पाम तेल के निर्यात पर 28 अप्रैल को प्रतिबंध लगाया था, जिस कारण निर्यात घटकर 10 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया। अत: इंडोनेशियाई सरकार द्वारा निर्यात पर रोक लगा देने से वहां इन्वेंट्री बढ़ गई, तथा कारखानों के टैंक भी भरे गए। सूत्रों के अनुसार इंडोनेशिया में पाम तेल का स्टॉक बढ़कर इस दौरान करीब 8.5 मिलियन टन से अधिक हो गया। इसी कारण इंडोनेशिया ने 23 मई 2022 को निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया, साथ ही इन्वेंट्री को कम करने के लिए निर्यात कर और लेवी को 575 डॉलर से घटाकर 488 डॉलर कर दिया, साथ ही इसमें और भी कमी करने की उम्मीद है। अत: इंडोनेशिया सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उठाये जा रहे कदमों से पाम तेल की कीमतों में हाल ही में भारी गिरावट आई है।

भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन के भाव घटकर जून में 1,519 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि मई में इसका भाव 1,769 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल के भाव जून में घटकर 1,557 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि मई में इसका भाव 1,811 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रुड सोया तेल का भाव मई के 1,889 डॉलर से घटकर जून में 1,686 डॉलर प्रति टन रह गया।

अक्टूबर से जून के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 70 फीसदी घटा, सोयाबीन का आयात बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2021-22 के पहले 9 महीनों अक्टूबर से जून के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 69.87 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 5.63 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में 18.69 लाख टन का निर्यात हुआ था।

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, सोपा के अनुसार अक्टूबर से जून अंत तक 75 लाख टन सोयाबीन की आवक उत्पादक मंडियों में हो चुकी है, जिसमें से 60 लाख टन की पेराई हो चुकी है। इस दौरान 2.25 लाख टन की सीधी खपत हो चुकी है, जबकि 0.69 लाख टन का निर्यात हो चुका है। अत: पहली जुलाई को मिलों, व्यापारियों एवं किसानों के पास 48.17 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की सामन अवधि के 13.04 लाख टन से ज्यादा है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन में 118.89 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवकों के समय 1.83 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 120.72 लाख टन की बैठी थी। अक्टूबर से जून अंत तक करीब 3.39 लाख टन सोयाबीन का आयात हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अविध के 1.79 लाख टन से ज्यादा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 8 जुलाई तक सोयाबीन की बुआई 54.42 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की अवधि के 69.54 लाख हेक्टेयर से कम है। महाराष्ट्र में चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई 32.17 लाख हेक्टेयर में और मध्य प्रदेश में 10.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 34.78 लाख हेकटेयर और 24.21 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राजस्थान में जरुर चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 5.66 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 4.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

09 जुलाई 2022

मंडियों में 9 जुलाई 2022 को जिंसों के भाव इस प्रकार रहे

मंडियों में 9 जुलाई 2022 को जिंसों के भाव इस प्रकार रहे।

MANDI- BILASPUR. UP

Sarbati New.
Rate- 1950.

ऐलनाबाद मंडी बोली भाव
 दिनांक 09/07/2022
भरत कानसरिया
नरमा = 9700
ग्वार = 4000/4500
सरसो = 5570/6273
चना = 4000/4550
कनक = 1975/2011
तारा मीरा = 4970

सिरसा मंडी ग्रुप
दिनांक 09-06-2022
नरमा = 9800/-(लगभग)
गेहूं  = 1980-2010/-
Sirsa Mandi group
सरसों = 5500-6295/-
गवार =4500-4911/-
मूंग = 4000-5251/-

Aligarh Mandi
1509 Hand@ 3800 to 3975

सरसो 6100 रुपये सिरा रेटआज 9 जुलाई  को कालांवाली मंडी, में बोली पर बिकी ,औसत 5900 से 6000,गेंहू 1950, गवार 4800 से 4900

Karnal Mandi 1509 rate 3880

Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Sarso Boli 6471

Chana Boli 4425

Guwar Boli 4949

आज गंगोह अनाज मंडी में 1509 की 5000 बोरी मंडी में आई 🌾🌾🌾
भाव 3700 से लेकर के 3881 तक रहे

दिल्ली चना भाव
राजस्थान 4825/50
मध्यप्रदेश 4775/4800

सरसो का भाव


*★सरसों *
(MUSTARD)
★जयपुर (JAIPUR)-6850 -50

★दिल्ली (DELHI)
42%कंडीसन-6600 -50

नरमा भाव
सिरसा 9800
आदमपुर 10000

Karnal Mandi Paddy 1509 Arrival 4000 Bags@3650 To 3850 Bayer Local and K R B L

DATE- 09/07/2022.

MANDI- KARNAL. HARYANA

Aarival- 4'000. Bags.

Paddy 1509 New.
Rate- 3650 se 3850.

 Bayer Local and K R B L

DATE- 09/07/2022.

MANDI- JAHANGIRABAD. UP

Aarival- 8'000. Bags.

Paddy 1509 New
Rate- 3500 se 3881.

DATE- 09/07/2022.

MANDI- NARELA. DEHLI

1121 HAND Old.
Rate- 4500.

1509. HAND Old.
Rate- 4175.

Basmati. HAND Old.
Rate- 3752.

New 1509 rate 3201-3501
Aarival 3000 bag
Mausam kharab (baarish)
Grahak kamjor
Garh mandi UP

सिरसा मंडी ग्रुप
दिनांक 09-06-2022
नरमा = 9800/-(लगभग)
गेहूं  = 1980-2010/-

Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Narma---10000

बर्मा में उड़द मंदी तो अरहर तेज, घरेलू बाजार दलहन में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली, 8 जूलाई। बर्मा में भाव तेज होने के साथ घरेलू बाजार में दाल मिलों की हाजिर मांग बनी रहने के कारण शुक्रवार को बर्मा की लेमन अरहर के भाव तेज हो गए, जबकि अन्य दालों के दाम लगभग स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार अरहर एवं उड़द के आयातकों को डिस्पैरिटी का सामना करना पड़ रहा है, तथा चालू खरीफ में अरहर के साथ ही उड़द की बुआई पिछड़ रही है। इसलिए इनके भाव में आगे और सुधार आयेगा।

सूत्रों के अनुसार स्थानीय एवं निर्यातकों की मांग कमजोर होने के कारण बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में आज 15-20 डॉलर की गिरावट आकर भाव क्रमश: 915 डॉलर और 1,015 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। भारतीय आयातकों की खरीद नहीं हो रही है।

हालांकि इस दौरान स्थानीय मांग बढ़ने से लेमन अरहर के भाव में 15 डॉलर की तेजी आकर भाव 845 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ हो गए। व्यापारियों के अनुसार भारत में चेन्नई के लिए उड़द-अरहर का एक वैसल 12 जुलाई को बर्मा से लोड होने की उम्मीद है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 46.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 46.10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

हालांकि खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर और उड़द की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है। अरहर की बुआई चालू खरीफ में 16.58 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 23.22 लाख हेक्टेयर से कम है। इसी तरह से उड़द की बुआई चालू खरीफ में घटकर केवल 7.47 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.33 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। हालांकि मूंग की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 16.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.65 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

गुजरात में समर मूंग की सरकारी खरीद 21 जुलाई से शुरू होगी, उत्पादक मंडियों में मूंग के भाव एमएसपी से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल नीचे हैं तथा मूंग एमएसपी पर बेचने के लिए किसानों को 11 से 20 जुलाई तक पंजीकरण कराना होगा। उधर मध्य प्रदेश में भी मूंग की सरकारी खरीद के जल्द शुरू होने का अनुमान। इससे मूंग की कीमतों में सुधार बन सकता है।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर 2022 की फसल के भाव 50 रुपये तेज होकर 6,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली डिलीवरी के लिए महाराष्ट्र की नांदेड़ लाईन की अरहर के भाव 6,800 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे।

इस दौरान चेन्नई में बर्मा की लेमन अरहर की कीमतें 50 रुपये तेज होकर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

दाल मिलों की मांग सुधरने से मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 50 रुपये बढ़कर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इस दौरान मुंबई में अफ्रीकी लाइन की अरहर के भाव स्थिर बने रहे। तंजानिया की अरुषा और मटवारा अरहर के भाव क्रमश: 5,600 से 5,700 रुपये और 5,550 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5,475 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। मलावी अरहर के भाव 5,050 से 5,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 7,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि कनाडा की मसूर के दाम इस दौरान 7,025 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार मिलर्स आयातित के बजाए घरेलू मसूर की खरीद ज्यादा मात्रा में कर रहे हैं, तथा कनाडा से आगामी दिनों में मसूर का आयात बढ़ने की उम्मीद है। क्योंकि कनाडा से आयातित मसूर के भाव बंदरगाह पर 6,925 रुपये प्रति क्विंटल है।

इंदौर में मसूर के बिल्टी भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

ऑस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर में 7,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, वहीं कनाडा की मसूर के भाव इस दौरान 7,250 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर टिके रहे।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव के भाव क्रमश: 7,450 से 7,475 रुपये तथा 8,250 से 8,275 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

आंध्रप्रदेश लाइन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7,900 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर हुआ।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतें 7,250 से 7,275 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के हाजिर डिलीवरी के भाव 8,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में राजस्थानी के भाव 4,850 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,775 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मूंग के बिल्टी भाव इंदौर में 50 रुपये घटकर 5,800 से 5,950 रुपये और एवरेज क्वालिटी के 5,000 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

खरीफ फसलों की कुल बुआई 9 फीसदी से ज्यादा पिछड़ी, दलहन की बुआई में हल्का सुधार

नई दिल्ली। पहली जून से 8 जुलाई तक देशभर के 22 फीसदी हिस्से में मानसूनी बारिश कम हुई है, जिसका असर खरीफ फसलों की बुआई पर देखा जा रहा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में 8 जुलाई 2022 तक फसलों की बुआई 9.27 फीसदी पिछड़कर 406.66 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 448.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मंत्रालय के अनुसार धान की रोपाई चालू खरीफ में 72.24 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 95 लाख हेक्टयेर से कम है।

हालांकि दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 46.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 46.10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 16.58 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 7.47 लाख हेक्टेयर में और मूंग की 16.02 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 23.22 लाख हेक्टेयर में, 8.33 लाख हेक्टेयर में और 11.65 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 65.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 64.36 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 4.50 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 26.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल समय तक इनकी बुआई क्रमश: 4.59 लाख हेक्टेयर और 14.93 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। इसके अलावा मक्का की बुआई चालू खरीफ में 31.84 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 41.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 77.80 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 97.56 लाख हेक्टेयर से कम है। तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में 20.51 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 54.43 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लवर की 1.16 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई है, जबकि पिछले साल इनकी बुआई क्रमश: 25.31 लाख हेक्टेयर में, 69.54 लाख हेक्टेयर में और 80 हजार हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 84.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 84.75 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

अच्छी बारिश से राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई 72 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली। प्री मानसून के साथ ही मानसूनी बारिश अच्छी होने से राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई में तेजी आई है। राज्य में पांच जुलाई तक फसलों की बुआई 72 फीसदी बढ़कर 72.26 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 42.01 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 6 जुलाई तक पश्चिमी राजस्थान में जहां 64 फीसदी बारिश सामान्य से ज्यादा हुई है, वहीं पूर्वी राजस्थान में इस दौरान 25 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर राज्य में 6.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.79 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। हालांकि कुल बुआई तय लक्ष्य 8 लाख हेक्टेयर से अभी भी कम है। ग्वार सीड की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 9.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.51 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। ग्वार सीड की बुआई का लक्ष्य 25 लाख हेक्टेयर तय किया गया है।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में 5.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 5.68 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हुई थी। इसी तरह से सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में राज्य में बढ़कर 5.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 4.11 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 12.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 10.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

राज्य में दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 16.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 6.15 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ दलहन में मूंग की बुआई राज्य में 9.07 लाख हेक्टेयर में और मोठ की 4.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.90 लाख हेक्टेयर में और 34 हजार हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

धान, ज्वार, बाजरा एवं मक्का की बुआई चालू खरीफ में 26.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15.09 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। बाजरा की बुआई चालू सीजन में बढ़कर 21.42 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 1.68 लाख हेक्टेयर में और ज्वार की 2.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश:  9.02 लाख हेक्टेयर, 4.21 और 1.50 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

05 जुलाई 2022

बासमती चावल

 भारतीय निर्यातको ने पिछले सप्ताह ईरान से बासमती चावल के जो सौदे किये थे उन सौदों की
की शिप्मैन्ट कुछ भारतिय निर्यातक 20 से 22 जुलाई को ईरान को रवाना करेंगे

शिपमैन्ट के चलते भारतीय घरेलू बाजार मे आने बाले 15 दिन बहूत महात्यपूर्ण रह सकते हैं इस शिप्मैन्ट के चलते भारतीय घरेलू बाजार मे 1/2 दिन के अन्दर कुछ और नये बासमती खरिदार देखने को मिल सकते हैं

उधर सऊदि अरब से बासमती चावल की  1121 स्टीम और 1401 स्टीम के साथ साथ बासमती सेले मे भी हज के चलते अच्छी मॉग निकलने लगी है
जिसके चलते घरेलु बाजार मे पुसा सेला मे 3/4 दिनो मे करीब रू.300/400 कि तेजी़ देखने को मिली है|

हाला के जिन भारतीय बडे़ निर्यातकों के पास सौदों की मात्रा का चावल मौजुद है वह निर्यातक बाजार मे धीरे धीरे चावल परचेज़ कर के अपने सौदों का शिप्मैन्ट पूरा कर सकते हैं

और कुछ भारतीय निर्यातक चावल से खाली हैं बह निर्यातक केवल बाजार पर ही निरभर हैं
हो सकता है अगले कुछ दिनो मे कहीं बाजार मे अफरा तफरी का माहौल न बन जाऐ|भारतीय घरेलू बाजार मे पहले से ही चावल की कमी है ऐसे मे घरेलु चावल बाजार पर अभि कोई दवाब नहीं दिख रहा है

मंडियों में 5 जुलाई के जिंसों के भाव

मंडियों में 5 जुलाई के जिंसों के भाव

 

Sella 1718@8500
Sugand @7700

 

Narela mandi Wheat 2150 rs 2200

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Today delhi market

1121 steam 8900-9000
1401 steam 8150-8250 

Garh Mandi
1509...........3950/

गढ़मुक्तेश्वर मंडी यूपी
न्यू 1509 कंपाइन
3601@4000
7000bags
Ek dheri
4100
सरबती Noori
No
05.07.2022

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 Sᗩᗪᑌᒪ Sᕼᗩᕼᗩᖇ
 
सरसौ आमदनी 550 किव: से ऊपर
बोली भाव  5820 से  6115 तक

गेहूं आमदनी 600 किव:की
बोलीभाव 1951 से  2029 तक

गुवार आमदनी 15 किव: की
बोली भाव 4650 तक

जौ आमदनी 150 किव: की
बोली भाव 2431 से  2610 तक

तारामिरा बोली भाव 5300 तक 

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धान मन्डी-गोलूवाला 05-07-2022
आषाढ़ शुक्ल पक्ष-षष्ठी (मंगलवार)
🌱गेहू-1851-2025/-
🌱चना-4450-4500/-
🌱जौ-2607/-
🌱सरसों-5651-6125/-250-कि.
🌳खल बिनोला-3700/- 0.98kg

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Karnal 1509 3925

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नोहर मंडी भाव

चना   4500   4550
गुवार   4800   5005
सरसों   5900    6200
अरण्डी    6500   7000   7346
कंनक    2040
जौ    2500
तारामीरा    5200
मोठ    6000   675

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Mansa
Moong 6130 top

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Narela Mandi New 1509. ₹₹₹₹₹₹3653

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आज सलोनी भाव 7350 रुपए

 सरसों

जयपुर-6800

दिल्ली-6600

संगरिया 6416

नोहर 5800/6200

आदमपुर 6230

सिरसा 6250

भरतपुर 6401

भटिंडा 6000

हापुड़ 6600

अलवर 6500

उचाना सरसो 6400

गोलू वाला 6125



ग्वार भाव

सिरसा 4500/4900

नोहर 4700/5000

आदमपुर 4950

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कृषि उपज मंडी समिति संगरिया
दिनांक 05.07.2022 के बाजार भाव

जौ
उच्चतम 2865
न्यूनतम 2400

गेहूं
उच्चतम 2016
न्यून्तम 1988

सरसों
उच्चतम 6416
न्यून्तम 5781

ग्वार
उच्चतम 4615

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Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Sarso Boli 6231

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सिरसा मंडी ग्रुप
दिनांक 05-07-2022
नरमा 8000-10200/-
गेहूं 1960-1990/-
मूंग 4800-5220/-
सरसों 5500-6251/-
गवार 4400-4901/-

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ऐलनाबाद मंडी बोली भाव
 दिनांक 05/07/2022
भरत कानसरिया
नरमा = 10100
ग्वार = 4000/4600
सरसो = 5700/6213
चना = 3800/4570
जो = 2400/2550
कनक = 1960/2000

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मिलों की कमजोर मांग से उड़द एवं मसूर नरम, केंद्रीय पूल में अरहर एवं उड़द का बकाया स्टॉक कम

नई दिल्ली। दाल मिलों की कमजोर मांग एवं स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से सोमवार को उड़द और मसूर की कीमतों में नरमी दर्ज की गई, जबकि अरहर के भाव स्थिर बने रहे। नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से चना की कीमतों में सुधार आया। जानकारों के अनुसार अरहर एवं उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं, तथा आगामी दिनों दालों की खपत में सुधार आयेगा, इसलिए इनके भाव बढ़ने का अनुमान है।

जानकारों के अनुसार सरकार द्वारा उड़द के आयात की खबर से बाजार में मुनाफावसूली आने से कीमतों में नरमी तो आई है, लेकिन एक तो आयात पड़ते महंगे हैं। दूसरा खरीफ उड़द की आवक सितंबर में बनेगी, इसलिए आगे उड़द की कीमतों में फिर सुधार आने के आसार हैं। अरहर का उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक तो है, लेकिन एक तो केंद्रीय पूल में अरहर कम है, दूसरा नई फसल की आवक दिसंबर में बनेगी। अरहर के आयात पड़ते भी महंगे हैंं। इसलिए अरहर की कीमतों में भी आगे सुधार आने क आसार हैं।

कनाडा से मसूर का आयात होने से इसकी कीमतों पर दबाव है, लेकिन चालू महीने के अंत तक देसी मसूर की आवक कम हो जायेगी, तथा मध्य जुलाई के बाद मसूर दाल की खपत बढ़ने का अनुमान है। इसलिए मसूर की कीमतों में ज्यादा मंदा आने के आसार नहीं है। चना की कीमतों में आगे हल्का सुधार और भी बनने की उम्मीद है।

कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स, सीएआईटी ने सरकार से प्रि पैक्ड और प्री लेबल्ड पर 5 फीसदी जीएसटी लगाए जाने पर पुनर्विचार करने को कहां है। आज सीएआईटी की मीटिंग में कहां गया कि जीएसटी से देश की 6,500 अनाज मंडियों में काम कर रहे व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। सभी पर एक समान 5 फीसदी जीएसटी लगाने से छोटे कारोबारी खत्म हो जायेंगे, तथा बड़ी कंपनियों का वर्चस्व बढ़ेगा। साथ ही इससे उपभोक्ताओं को भी महंगा सामान खरीदना पड़ेगा। जीएसटी को लेकर देशभर के व्यापारी एवं मिल मालिक हड़ताल पर जाने का विचार कर रहे हैं।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार देशभर में मानसून सक्रिय हो गया है, हालांकि देशभर के करीब 32 फीसदी क्षेत्रफल में अभी भी बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है। मोसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण-पूर्व राजस्थान, तटीय कर्नाटक और गुजरात के कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। ओडिशा के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक दो स्थानों पर तेज बारिश हो सकती है। तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।

खरीफ दलहन उत्पादक राज्यों में मध्य जुलाई तक बारिश कैसी होगी, इस पर भी दालों की तेजी, मंदी निर्भर करेगी। अच्छी बारिश हुई तो फिर बुआई में बढ़ोतरी की संभावना बनेगी।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर 2022 की फसल के भाव 6,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली डिलीवरी के लिए महाराष्ट्र की नांदेड़ लाईन की अरहर के भाव 6,650 से 6,850 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर बोले गए।

इस दौरान चेन्नई में बर्मा की लेमन अरहर की कीमतें 6,500 से 6,525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर में मिलों की सीमित मांग से भाव 6,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें भी स्थिर बनी रही। तंजानिया की अरुषा अरहर के दाम 5,550-5,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मटवारा अरहर के दाम 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर हो गई। मलावी अरहर के दाम 5,000 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,450 रुपये और 8,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

आंध्रप्रदेश लाइन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 100 रुपये कमजोर 7,900 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू हाजिर डिलीवरी के भाव में 100 रुपये का मंदा आकर दाम 8,075 रुपये और अगस्त डिलीवरी के दाम 100 रुपये कमजोर होकर 8,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,250 रुपये और 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कनाडा की मसूर के भाव मुंबई और मुंद्रा बंदरगाह के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई मसूर की कीमतें स्थिर बने रही। ऑस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर में जहां 7,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, वहीं कनाडा की मसूर के भाव इस दौरान 7,250 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर टिके रहे।

दिल्ली में चना के दाम 25 रुपये तेज होकर राजस्थानी के भाव 4,850 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,775 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

कॉटन का उत्पादन 315.43 लाख गांठ, सीजन के अंत में 39.29 लाख गांठ बकाया स्टॉक

नई दिल्ली। कपास उत्पादन और खपत संबंधी समिति (सीओसीपीसी) ने कपास के अनुसार चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन 315.43 लाख गांठ होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 352.48 लाख गांठ से कम है। चालू सीजन के आरंभ में 71.84 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 15 लाख गांठ का आयात होने का अनुमान है। ऐसे में कुल उपलब्धता 402.27 लाख गांठ की बैठेगी। चालू सीजन में कॉटन की घरेलू खपत 321 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि 42 लाख गांठ कॉटन के निर्यात की उम्मीद है।

चालू फसल सीजन 2021-22 के अंत यानी 30 सितंबर को देश में 39.29 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन का बकाया स्टॉक बचेगा, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 71.84 लाख गांठ से कम है।

सीओसीपीसी के अनुसार फसल सीजन 2021-22 में उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 44.48 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 60.53 लाख गांठ से कम है। गुजरात में कपास का उत्पादन चालू सीजन में 75.57 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 71.18 लाख गांठ एवं मध्य प्रदेश में 14.27 लाख गांठ होने का अनुमान है। फसल सीजन 2020-21 में इन राज्यों में कॉटन का उत्पादन क्रमश: 72.18 लाख गांठ, 101.05 लाख गांठ एवं 13.38 लाख गांठ का हुआ था।

फसल सीजन 2021-22 के दौरान दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में 66.45 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 15.18 लाख गांठ एवं कर्नाटक 19.52 लाख गांठ तथा तमिलनाडु में 2.80 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है, जबकि इसके पिछले फसल सीजन में इन राज्यों में क्रमश: 57.97 लाख गांठ, 16 लाख गांठ एवं 23.20 लाख गांठ तथा 2.43 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।

ओडिशा में चालू फसल सीजन में 5.70 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 0.28 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है, जबकि पिछले साल ओडिशा में 5.51 लाख गांठ एवं अन्य राज्यों में 0.23 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

01 जुलाई 2022

देश की विभिन्न मंडियों में 1 जुलाई को जिंसों के भाव

देश की विभिन्न मंडियों में 1 जुलाई को जिंसों के भाव

 

 New Sarbti panjab seed Narela 2150

1121..4350
Narela midiam
Sarbati seed 2150

Gadarpur.
1509............3725/

Bhattu Guar 4450

Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Sarso Boli 6451

Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Guwar Boli 4850

SIRSA
Narma 💨 10400

Mandi Adampur
Sarwan Pandit
Narma Boli 10850

स्टॉकिस्टों की कमजोर बिकवाली से अरहर एवं उड़द तेज, अन्य दालों के भाव लगभग स्थिर

 नई दिल्ली। आयात पड़ते महंगे होने के साथ ही स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आने से गुरूवार को अरहर के साथ ही उड़द की कीमतें में सुधार आया, जबकि अन्य दालों के दाम लगभग स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार देश के कई राज्यों में बारिश सामान्य की तुलना में कम होने खरीफ दलहन की बुआई प्रभावित हो रही है, जबकि आयात महंगा है। इसलिए अरहर और उड़द के साथ मसूर की कीमतों में आगे और भी सुधार बनने के आसार है। बेसन में मांग बढ़ने से चना में भी हल्की तेजी बन सकती है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार जून में देशभर के 36 सबडिवीजनों में 20 में बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है। यानी की देश के आधे से ज्यादा भाग में जून में बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है जिसका असर खरीफ दलहन की बुआई पर पड़ेगा। जिन राज्यों में बारिश कम हुई, उनमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक के साथ ही छत्तीसगढ़ और ओडिशा प्रमुख दलहन उत्पादक राज्य हैं।

बर्मा में आज उड़द एसक्यू और एफएक्यू के भाव क्रमश: 1,070 डॉलर और 970 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे। सूत्रों के अनुसार जून महीने में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में क्रमश: 125 डॉलर और 130 डॉलर प्रति टन की तेजी आ चुकी है। पहली जून को बर्मा में एसक्यू और एफएक्यू के भाव क्रमश: 940 डॉलर और 845 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ  थे। घरेलू बाजार में हालांकि इसके अनुपात में कीमतें तेज नहीं हो पाई, क्योंकि दालों में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी कमजोर थी। बर्मा में लेमन अरहर के दाम आज 870 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे।

केंद्रीय पूल में अरहर और उड़द का बकाया स्टॉक कम है, जबकि डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से आयात पड़ते भी महंगे हैं, इसलिए इनकी कीमतों में आगे और भी सुधार आयेगा। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 78.96 के स्तर पर बंद हुआ है। जानकारों के अनुसार मध्य जुलाई तक दलहन के प्रमुख उत्पादक राज्यों में बारिश औसत से कम रही है, तो फिर दालों के बुआई क्षेत्र में भी कमी आयेगी। जिससे इनकी कीमतों में तेजी को और बल मिलेगा।

कनाडा से करीब 55 हजार टन मसूर लेकर दो वैसल आ रहे हैं, जिनमें से एक वैसल मुंद्रा बंदरगाह पर पहुंच गया है, तथा दूसरा वैसल अगले छह से सात दिनों में मुंद्रा बंदरगाह पर पहुंच जायेगा। हालांकि आयातित मसूर के पड़ते महंगे हैं, इसलिए आयातक मसूर के भाव तेज करना चाहते हैं।  

देशभर में मानसूनी बारिश शुरू होने के बाद बेसन में मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे चना की कीमतों में आगे सुधार तो आयेगा, लेकिन बड़ी तेजी के आसार नहीं है। वैसे भी नेफेड कई राज्यों में केंद्रीय पूल से पुराने चना की बिकवाली कर रही है।
 
दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर 2022 की फसल के भाव 50 रुपये तेज होकर 6,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली डिलीवरी के लिए महाराष्ट्र की नांदेड़ लाईन की अरहर के भाव भी 150 रुपये बढ़कर 6,750 से 6,950 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

इस दौरान चेन्नई में बर्मा की लेमन अरहर की कीमतें 100 रुपये बढ़कर 6,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर में मिलों की मांग से भाव 50 रुपये तेज होकर दाम 6,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें स्थिर बनी रही। तंजानिया की अरुषा अरहर के दाम 5,550-5,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मटवारा अरहर के दाम 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर हो गई। मलावी अरहर के दाम 5,000 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव के भाव क्रमश: 7,600 से 7,625 रुपये और 8,425 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 8,200 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर हुआ।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर दाम 7,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में उड़द एफएक्यू के भाव 7,500 रुपये एवं एसक्यू के 8,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में कनाडा एवं मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतें क्रमश: 7,100 रुपये और 7,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

उत्तर प्रदेश की कानपुर मंडी में देसी मसूर के दाम 25 रुपये तेज होकर 7,150 से 7,175 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

कनाडा की मसूर के भाव मुंबई और मुंद्रा बंदरगाह के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई मसूर की कीमतें स्थिर बने रही। ऑस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर में जहां 7,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, वहीं कनाडा की मसूर के भाव इस दौरान 7,250 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर टिके रहे।

दिल्ली में राजस्थानी चना के दाम 25 रुपये तेज होकर 4,825 से 4,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

अच्छी बारिश के बावजूद शुरूआती चरण में तेलंगाना में खरीफ फसलों की बुआई 9 फीसदी पिछड़ी

नई दिल्ली। अच्छी बारिश के बावजूद भी शुरूआती चरण में चालू खरीफ सीजन में तेलंगाना में 29 जून तक खरीफ फसलों की बुआई 9.41 फीसदी पिछे चल रही है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 29.62 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 32.70 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में दलहनी फसलों की बुआई अभी तक केवल 1.96 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.70 लाख हेक्टेयर से कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में 1.66 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3.05 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 22.75 लाख हेक्टेयर ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 24.88 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी। कपास की बुआई राज्य में औसतन 49.96 लाख हेक्टेयर में होती है।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 1.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.92 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में 1.91 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस सयम तक इनकी बुआई 1.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान, ज्वार, बाजरा एवं मक्का तथा रागी की बुआई चालू खरीफ में 79,012 हेक्टेयर में ही हुइर्द है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 1.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। धान की रोपाई चालू सीजन में 46,778 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 72,313 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

जानकारों के अनुसार राज्य में खरीफ फसलों की बुआई शुरूआती चरण में पिछले चल रही है, लेकिन जून में राज्य में बारिश सामान्य की तुलना में 9 फीसदी ज्यादा हुई है, इसलिए आगामी दिनों में बुआई के कार्य में तेजी आयेगी।

राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई बढ़ी, कपास के साथ ही ग्वार की आगे

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में राजस्थान में कपास के साथ ही गुवार की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली के साथ ही सोयाबीन की बुआई पिछड़ रही है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 29 जून तक राज्य में 39.93 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 30.90 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।


निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर राज्य में 5.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.38 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। हालांकि कुल बुआई तय लक्ष्य 8 लाख हेक्टेयर से कम है। ग्वार सीड की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 4.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में 3.55 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 5.09 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हो चुकी थी। इसी तरह से सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 2.22 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2.27 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में 6.04 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस सयम तक इनकी बुआई 7.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 8.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 4.45 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ दलहन में मूंग की बुआई राज्य में 6.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.58 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान, ज्वार, बाजरा एवं मक्का की बुआई चालू खरीफ में 14.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.15 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। बाजरा की बुआई चालू सीजन में बढ़कर 12.37 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 6.97 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।