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27 दिसंबर 2019

मध्य प्रदेश में यूरिया के लिए लाठिया खा रहे हैं किसान, सरकार और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप में मस्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। एक तरफ मध्य प्रदेश के किसान एक-एक बोरी यूरिया के लिए तरस रहे हैं वहीं दूसरी और सरकार और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेला जा रहा हैं। गेहूं की फसल महीनेभर से ज्यादा की हो गई है, लेकिन यूरिया नहीं मिलने से किसान सहकारी समितियों के साथ ही खाद विक्रेताओं के चक्कर काटने पर मजबूर हैं, लेकिन यूरिया खाद नहीं मिल रहा।
राज्य के हरदा जिले के टिमरनी तहसील के गांव समाधरा के किसान रोहित कुमार ने बताया उनकी गेहूं की फसल 38 दिन की हो चुकी है जबकि कृषि वैज्ञानिकों के हिसाब से 22 से 28 दिन की फसल हो जाने पर यूरिया खाद डालना चाहिए, लेकिन खाद मिल ही नहीं रहा। उन्होंने बताया कि हालत यह है कि स्कूल जाने वाले बच्चों को लाइन में लगाना पड़ता है, लेकिन शाम को पता चलता है कि खाद के 500 कट्टे ही आए थे, जबकि 800 से 1,000 किसान लाइन में लगे थे। खाद के लिए लाइन में लगे किसानों पर पुलिस लाठियां बरसा रही है। उन्होंने बताया कि इसका फायदा बिचौलियें उठा रहे हैं, तथा कई किसान 450 रुपये में एक कट्टा यूरिया का खरीदने को मजबूर हैं, जबकि सरकारी रेट 266 रुपये का है। उन्होंने बताया कि पिछले 14 साल से मैं खती कर रहा है, लेकिन ऐसा संकट पहली बार देखा है।
खाद विक्रेताओं को नहीं मिल रहा है यूरिया
हरदा जिले के खाद विक्रेता गजानंद कृषि सेवा केंद्र के संचालक सुनील गुर्जर ने बताया कि सरकार 80 फीसदी खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से और 20 फीसदी प्रावइेट दुकानों के माध्यम से कर रही है लेकिन पिछले दो महीने से हमें यूरिया का एक कट्टा भी नहीं मिला है। हमें हर बार यही आश्वासन दिया जाता है, कि अबकि बार रैक लगने पर खाद मिलेगा, लेकिन मिल नहीं रहा है जबकि किसान खाद के लिए दुकान के चक्कर लगा रहे हैं। अंकित कृषि सेवा केंद्र के संचालक विरेंद्र मिश्रा ने बताया कि जिले में यूरिया का संकट बना हुआ है। किसान पहले पानी के साथ ही यूरिया का छिड़काव करते हैं, लेकिन खाद नहीं मिलने से किसान नाराज हैं। उन्होंने बताया कि पूरे सीजन में अभी तक एक कट्टा यूरिया का नहीं मिल पाया है। अब हमें आश्वासन दिया गया है कि 20 दिसंबर के बाद यूरिया मिल जायेगा।
इसी सप्ताह राज्य के कृषि ने केंद्रीय कृषि और उर्वरक मंत्री से की थी मुलाकात
राज्य के कृषि मंत्री सचिन यादव ने ट्वीट कर कहा है कि मुख्यमंत्री के प्रयासों की वजह से केंद्र सरकार ने पूर्व में की गई 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग मान ली है, इसके लिए कृषि मंत्री एवं उर्वरक मंत्री का धन्यवाद। प्रदेश में यूरिया की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी तथा सभी किसानों को यूरिया उपलब्ध कराया जायेगा। राज्य के कृषि मंत्री ने हाल ही में केंद्रीय कृषि और उर्वरक मंत्री से मुलाकात की थी।
अतिरिक्त आवंटन का श्रेय ले रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा है कि मैंने आज दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से भेंटकर मध्यप्रदेश में हो रही यूरिया की समस्या से अवगत कराया और इसके निवारण के लिए अतिरिक्त यूरिया की मांग की। प्रसन्नता की बात है कि उन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर अतिरिक्त यूरिया आवंटित करने का निर्णय लिया।
मांग की तुलना में 2.60 लाख टन यूरिया कम मिला
राज्य में यूरिया संकट इस कदर है कि विदिशा में ट्रक से किसानों ने यूरिया लूट लिया तो वहीं हाल ही में अशोक नगर में यूरिया के लिए किसानों के बीच आपस मे ही लड़ाई हो गई। राज्य सरकार यूरिया की कमी के लिए केंद्र सरकार को दोष दे रही है। राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ के अनुसार केंद्र सरकार से रबी सीजन के लिए 18 लाख टन यूरिया देने की मांग रखी थी, लेकिन काफी चर्चा के बाद भी 2 लाख 60 हजार टन मांग घटाकर पूरे सीजन के लिए कोटा 15 लाख 40 हजार टन तय कर दिया। अक्टूबर में 4,25,000 टन की मांग थी लेकिन मिला 2,98,000 टन। इसी तरह से नवंबर में 4,50,000 मीट्रिक टन मांगा था तो मिला 4 लाख टन।
राज्य में गेहूं की बुआई बढ़ी
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू रबी में राज्य में गेहूं की बुआई बढ़कर 60.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 44.57 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। राज्य सरकार ने गेहूं की बुआई का लक्ष्य 64 लाख हेक्टेयर का तय किया था, जबकि राज्य में सामान्यत: 57.25 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई होती है।...........  आर एस राणा

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