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27 दिसंबर 2019

विश्व बाजार में दाम बढ़ने से तेजी खाद्य तेल और तिलहन में तेजी

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी के साथ ही चालू रबी में तिलहन की बुआई कम होने से घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में तेजी बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में सरसों के भाव बढ़कर 4,500 रुपये और सोयाबीन के दाम बढ़कर 4,500 से 4,525 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
विश्व बाजार में सीपीओ के दाम तीन साल की उंचाई पर कारोबार कर रहे हैं, वहीं सोयाबीन पांच के उंचे भाव पर पहुंच गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रुड पॉम तेल का भाव भी तीन साल के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है। क्रुड पॉम तेल की बायोफ्यूल में खपत बढ़ने के साथ ही दक्षिण एशियाई देशों में इसके उत्पादन में कम आना है। खाद्य तेलों के व्यापारी के अनुसार विश्व बाजार में दाम उंचे बने हुए हैं, जबकि चालू सीजन में सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है तथा सरसों की बुआई कम हुई है। इसलिए सरसों के साथ ही सोयाबीन और खाद्य तेलों की कीमतों में अभी तेजी बनी रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि सरसों तेल का भाव           950 रुपये और सोया रिफाइंड तेल का भाव 900 से 910 रुपये प्रति 10 किलो हो गया। सोया डीओसी के भाव महाराष्ट्र में 37,500 से 38,000 रुपये प्रति टन हो गए, हालांकि सोया डीओसी में निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि तिलहन और खाद्य तेलों की मौजूदा कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है।
चालू रबी में तिलहन की की बुआई 71.79 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 73.32 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। सरसों की बुआई घटकर 63.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 65.32 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। हालांकि मूंगफली की बुआई चालू रबी में बढ़कर 3.53 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2.89 लाख हेक्टयेर में ही हुई थी।..........  आर एस राणा

चीनी उत्पादन 32 फीसदी कम, पिछले साल के मुकाबले 81 मिलों में नहीं हुई है पेराई आरंभ

आर एस राणा
नई दिल्ली। पेराई सीजन आरंभ हुए तीन महीने बीतने को है, लेकिन अभी तक देशभर में केवल 419 चीनी मिलों में ही पेराई शुरू हुई है जबकि पिछले साल इस समय 500 मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी। कम मिलों में पेराई आरंभ के साथ ही मिल चलने में हुई देरी के कारण पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 में अभी तक चीनी का उत्पादन 32.29 फीसदी घटकर 63.10 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल इस समय तक 93.20 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।
चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन अनुमान कम है, जबकि विदेशी बाजार में कीमतें तेज है जिससे आगे निर्यात सौदों में और तेजी आने का अनुमान है। इसलिए चीनी की कीमतों में आगे तेजी रहने का अनुमान है। उद्योग के अनुसार अभी तक 20 लाख टन से ज्यादा चीनी के निर्यात सौदे चालू पेराई सीजन में हो चुके हैं।
नेशनल फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के अनुसार चालू पेराई सीजन में अभी तक केवल 419 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हुई है। महाराष्ट्र में चालू सीजन में केवल 133 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो पाई है जबकि पिछले साल 188 मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी। कर्नाटक में 63, गुजरात में 15 और आंध्रप्रदेश में 9 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 65,16 और 14 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी। उत्तर प्रदेश में जरुर चालू सीजन में 119 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जोकि पिछले साल की 117 मिलों के मुकाबले दो मिलों में ज्यादा है। तमिलनाडु में भी केवल 9 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हुई है जबकि पिछले साल 24 मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी।
उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़ा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में घटा
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 27.75 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 24.30 लाख टन से ज्यादा है। महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन घटकर केवल 12.60 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल इस समय तक 37.90 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 13.95 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल इस समय तक 18.10 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। गुजरात में 2.20 लाख टन और आंध्रप्रदेश में 40 हजार टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 4.10 लाख टन और 90 हजार टन का उत्पादन हो चुका था।
कुल उत्पादन 263 लाख टन होने का अनुमान
एनएफसीएसएफ के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 263 लाख टन होने का अनुमान है जिसमें उत्तर प्रदेश में 118 लाख टन, महाराष्ट्र में 55 लाख टन, कर्नाटक में 33 लाख टन और गुजरात में 10 टन, आंध्रप्रदेश में 5 लाख टन, बिहार में 8 लाख टन, हरियाणा में 7 लाख टन और मध्य प्रदेश में 4.50 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है। अन्य राज्यों में पंजाब में 7 लाख टन, तमिलनाडु में 8 लाख टन, तेलंगाना में 2.50 लाख टन और उत्तराखंड में 4 लाख टन तथा अन्य राज्यों में एक लाख टन के उत्पादन का अनुमान है।....आर एस राणा

आयात महंगा होने से मसूर की कीमतों में सुधार, चालू रबी में बुआई घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। आयात पड़ते महंगे होने के कारण मसूर की कीमतों में सुधार आया है। कनाडा और आस्ट्रेलिया से आयातित मसूर की कीमतों के भाव में सुधार आने से मुंबई को कोलकत्ता में इसके भाव में सुधार देखा गया। व्यापारियों के अनुसार चालू रबी में मसूर की बुआई घटी है, जिस कारण आयातित उड़द के दाम बढ़े हैं, जबकि बंगलादेश की आयात मांग में भी सुधार आया है।
उत्तर प्रदेश की बरेली मंडी में मोटी मसूर के भाव 5,200 रुपये और छोटी मसूर के 7,150 रुपये तथा कानपूर में उत्तर प्रदेश लाइन की मसूर के भाव 5,075 रुपये और मध्य प्रदेश लाइन की मसूर के भाव 5,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इंदौर मंडी में मसूर के भाव 4,700 से 4,750 रुपये और उत्पादक मंडियों में 4,300 से 4,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। आयातित मसूर के भाव कोलक्कता बंदरगाह पर 5,100 से 5,250 रुपये और मुंबई में कनाडा की मसूर के भाव 4,700 से 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार मसूर की बुआई चालू रबी में 14.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 15.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मध्य प्रदेश में चालू रबी में मसूर की बुआई 4.58 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उत्तर प्रदेश में मसूर की बुआई 5.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.82 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। बिहार में मसूर की बुआई पिछले साल के 1.96 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.72 लाख हेक्टेयर में और पश्चिम बंगाल में पिछले साल के 1.35 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.18 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
फसल सीजन 2018-19 में मसूर का उत्पादन 15.6 लाख टन का ही हुआ था, जोकि इसके पिछले साल के 16.2 लाख टन से कम था। चालू रबी में बुआई में आई कमी से इस बार भी उत्पादन अनुमान में कमी है, जबकि आयात भी महंगा हुआ है, इसलिए मौजूदा भाव में व्यापारी और भी तेजी करेंगे।...... आर एस राणा

गेहूं के साथ ही रबी दलहन और मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी, तिलहन की घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। रबी की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही दलहन और मोटे अनाजों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है लेकिन तिलहन की बुआई अभी भी पिछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी फसलों की कुल बुआई बढ़कर 537.21 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 504.69 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई बढ़कर चालू सीजन में 277.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 250.02 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। चालू सीजन में दलहन की बुआई बढ़कर 131.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 131.38 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 86.70 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 89.28 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है।
मसूर की बुआई पिछले साल से पिछड़ी
अन्य दालों में मसूर की बुआई चालू रबी में 14.49 लाख हेक्टेयर में और मटर की 8.73 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 15.62 और 8.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द और मूंग की बुआई क्रमश: 5.01 और 1.83 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.24 और 2.59 लाख हेक्टयेर में हुई थी। अन्य दालों की बुआई चालू रबी में 4.55 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।
मोटे अनाजों में ज्वार और जौ की बुआई बढ़ी, मक्का की कम
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 43.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 40.10 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में बढ़कर 25.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 21.57 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मक्का की बुआई चालू रबी में 11.06 लाख हेक्टेयर और जौ की बुआई 7.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.41 और 6.55 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई पिछड़ी
रबी तिलहन की बुआई चालू सीजन में 71.79 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 73.08 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई 63.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 65.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मूंगफली की बुआई 3.55 लाख हेक्टेयर में और अलसी की बुआई 2.71 लाख हेक्टेयर तथा सनफ्लावर की बुआई 77 हजार हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल इस समय तक मूंगफली की बुआई 2.90 और असली की बुआई 2.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में बढ़कर 12.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 10.11 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।...........  आर एस राणा

प्याज के दाम अभी भी 100 रुपये से उपर, सरकार ने 12,500 टन आयात के और किए सौदे

आर एस राणा
प्याज की खुदरा कीमतें अभी कई शहरों में 100 रुपये प्रति किलो से उपर बनी हुई है, जबकि केंद्र सरकार ने 12,500 टन प्याज आयात के और अनुबंध किए हैं। सरकार कुल 42,500 टन प्याज आयात के सौदे कर चुकी है तथा चालू महीने के अंत तक आयातित प्याज भारत पहुंचना शुरू हो जायेगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार दिल्ली में प्याज का खुदरा भाव शुक्रवार को 112 रुपये, गोरखपुर में 110 रुपये, शिमला में 120 रुपये तथा लुधियाना में 110 रुपये प्रति किलो रहा। बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में अच्छी क्वालिटी के प्याज का भाव शुक्रवार को थोक में 80 रुपये, कोल्हापुर में 90 रुपये, पुणे में 80 रुपये और कर्नाटक की कोलार मंडी में 140 रुपये प्रति किलो रहा। चालू सप्ताह में प्याज की थोक कीमतों में हल्की गिरावट आई है। 16 दिसंबर को महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में थोक में प्याज का भाव 100 रुपये और कोल्हापुर में 140 रुपये प्रति किलो था।
अभी तक कुल 42,500 टन प्याज आयात के अनुबंध सौदे
सार्वजनिक एमएमटीसी ने प्याज की घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए तुर्की से 12,500 टन और प्याज मंगवाने के लिए अनुबंध किया है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार 12,500 टन प्याज के इस अनुबंध के साथ आयात के लिए अब तक अनुबंधित कुल प्याज की मात्रा 42,500 टन हो गयी है। एमएमटीसी को उपभोक्ता मामलों के विभाग के मूल्य स्थिरीकरण कोष प्रबंधन समिति (पीएसएफएमसी) ने प्याज आयात के लिए कहा है। नए आयात सौदों का प्याज जनवरी के मध्य तक भारत में पहुंचना शुरू हो जाएगा। पहले किए गए अनुबंधों के तहत लगभग 12,000 टन विदेशी प्याज इस माह के अंत तक देश में पहुंच जाएगा। इससे प्याज की कीमतों में नरमी आने का अनुमान है।
सरकार ने इसी महीने खुदरा विक्रेताओं पर स्टॉक लिमिट कम की थी
प्याज की कीमतों को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को खुदरा विक्रेताओं के लिए प्याज के स्टॉक की लिमिट को 5 टन से घटाकर 2 टन कर दिया था साथ ही केंद्र ने राज्यों को यह भी निर्देश दिया है कि प्याज की कीमतों को काबू में रखने के लिए जमाखोरी से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाएं। दिसंबर के शुरुआत में केंद्र सरकार ने खुदरा प्याज विक्रेताओं के लिए स्टॉक होल्डिंग लिमिट को 10 टन से घटाकर 5 टन किया था। इस दौरान होलसेल विक्रेताओं के लिए प्याज की स्टॉक करने की लिमिट को 50 टन से घटाकर 25 टन कर दिया था।.............  आर एस राणा

किसानों को उचित भाव मिलने लगा तो सरकार ने बढ़ा दिया उड़द का आयात कोटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। उड़द की कीमतों में सुधार आने से किसानों को उचित भाव मिलने लगा था, लेकिन केंद्र सरकार ने आयात कोटे को 128.57 फीसदी की बढ़ोतरी कर 4 लाख टन कर दिया। इससे घरेलू बाजार में उड़द की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए उड़द के आयात कोटे को 2.5 लाख टन बढ़ा दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी ट्रेड नोटिस के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 4 लाख टन उड़द का आयात हो सकेगा। इससे पहले सरकार ने केवल 1.50 लाख टन उड़द के आयात को मंजूरी दी हुई थी जिसमें सरकार ने 2.5 लाख टन और जोड़कर 4 लाख टन कर दिया है। डीजीएफटी के अनुसार इस कोटे के तहत उड़द के आयात के लिए दाल मिलों को 20-31 दिसंबर के बीच ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिसमें योग्य आवेदक को ही लाइसेंस जारी किया जाएगा।
आयात कोटे में बढ़ोतरी से कीमतों में नरमी आने का अनुमान
कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी चंद्रशेखर नादर ने बताया कि उत्पादक मंडियों में उड़द के भाव 6,500 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं तथा मंडियों में दैनिक आवक अच्छी है। खरीफ उड़द की आवक मंडियों में अभी बनी रहेगी। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन 2019-20 के लिए उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। उन्होंने बताया कि चैन्नई में आयातित उड़द एफएक्यू का भाव 7,250 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल है। चालू सीजन में कई राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से उड़द की फसल को नुकसान हुआ था, जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि उड़द के आयात कोटे में बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है।
खरीफ में उत्पादन अनुमान कम, रबी में बुआई बढ़ी
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 खरीफ में उड़द का उत्पादन 24.3 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 25.6 लाख टन का उत्पादन हुआ था। चालू रबी में उड़द की बुआई बढ़कर 4.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 4.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रबी सीजन में उड़द का सबसे ज्यादा उत्पादन तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में होता है।..........  आर एस राणा

दलहन आयात 42 फीसदी से ज्यादा बढ़ा, मटर पर न्यूनतम आयात मूल्य 200 रुपये प्रति किलो तय

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी दलहन आयात लगातार बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले सात महीनों में आयात 42.65 फीसदी बढ़कर 18.73 लाख टन को हो गया। सरकार ने मटर के आयात पर सख्ती करते हुए न्यूनतम आयात मूल्य 200 रुपये प्रति किलो तय कर दिया जिससे मटर के साथ ही चना की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।
केंद्र सरकार ने मटर के आयात पर सख्ती करते हुए न्यूनतम आयात मूल्य 200 रुपये प्रति किलो तय कर दिया है, इससे मटर के साथ ही चना की कीमतों में घरेलू बाजार में सुधार आने का अनुमान है। मटर का आयात सिर्फ कोलकाता बंदरगाह के रास्ते ही किया जायेगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार सभी तरह के मटर के आयात पर न्यूनतम आयात मूल्य 200 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया है। साथ ही आयात सिर्फ कोलकाता बंदरगाह के माध्यम से ही करने की अनुमति दी गई है। केंद्र सरकार ने मटर के 1.50 लाख टन के ही आयात की अनुमति दी हुई है। दलहन के कुल आयात में मटर की हिस्सेदारी सबसे होती है तथा कनाडा से मटर का सबसे ज्यादा आयात होता है।
मूल्य के हिसाब से दालों का आयात 59.75 फीसदी बढ़ा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान दालों का आयात 42.65 फीसदी बढ़कर 18.73 लाख टन का हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 13.13 लाख टन दालों का आयात ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले सात महीनों आयात 59.75 फीसदी बढ़कर 6,256 करोड़ रुपये का हो गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,916 करोड़ मूल्य की दालों का आयात हुआ था।
सरकार ने उड़द, मूंग, मटर, अरहर के आयात की मात्रा कर रखी है तय
चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने उड़द और मूंग के आयात की मात्रा डेढ़-डेढ़ लाख टन तय कर रखी है जबकि अरहर के आयात मात्रा 5.75 लाख टन (चार लाख टन प्राइवेट आयातक और 1.75 लाख टन सरकारी सत्र पर) की अनुमति दे रखी है। मटर के आयात की सीमा भी डेढ़ लाख टन तय कर रखी है जबकि चना के आयात पर 60 फीसदी और मटर के आयात पर 30 फीसदी आयात शुल्क तय रखा है। इसके बावजूद भी भी आयातक हाईकोर्ट से स्टे आर्डर लेकर आयात दलहन मंगा रहे हैं।
खरीफ में उत्पादन अनुमान कम
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में खरीफ में दालों का उत्पादन घटकर 82.3 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ में इनका उत्पादन 92.2 लाख टन का हुआ था। फसल सीजन 2018-19 में देश में दलहन का कुल उत्पादन 234 लाख टन का हुआ था जोकि इसके पिछले साल के 254.2 लाख टन से कम था।.........  आर एस राणा

चीनी का उत्पादन 45.81 लाख टन, पिछले साल की तुलना में 35 फीसदी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में 15 दिसंबर तक 48.81 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 35 फीसदी कम है। पिछले साल इस समय तक 70.54 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 406 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय तक 473 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी। प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटक में चीनी के उत्पादन में कमी दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन बढ़ा
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 21.25 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2.31 लाख टन ज्यादा है। पिछले पेराई सीजन की समान अवधि तक राज्य में केवल 18.94 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में राज्य में 119 चीनी मिलों में पेराई चल रही है, जबकि पिछले साल इस समय तक 116 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हुई थी।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में बाढ़ और सूखे से गन्ने की फसल को नुकसान
महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 15 दिसंबर तक केवल 7.66 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक राज्य में 29 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। राज्य में 124 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय तक 178 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी। इसी तरह से कर्नाटक में भी चालू पेराई सीजन में अभी तक केवल 10.62 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जोकि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 3.32 लाख टन कम है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों में पेराई करीब महीनेभर की देरी से शुरू हुई है तथा इन राज्यों में बाढ़ और सूखे से गन्ने की फसल को नुकसान हुआ था, जिस कारण चालू पेराई सीजन में रिकवरी की दर भी कम आ रही है।
तेल विपणन कंपनियों ने 163 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीद के सौदे किए
अन्य राज्यों में गुजरात में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर तक 1.52 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3.10 लाख टन से कम है। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में 30 हजार टन, तमिलनाडु में 73 हजार टन, बिहार में 1.35 लाख टन, पंजाब में 75 हजार टन तथा हरियाणा में 65 हजार टन और मध्य प्रदेश में 35 हजार टन चीनी का उत्पादन हुआ है। इस्मा के अनुसार चालू गन्ना पेराई सीजन में तेल विपणन कंपनियों ने दो निविदा के माध्यम से 163 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीद के सौदे किए हैं, जिसमें से 10.38 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन सीधे गन्ने के रस से किया जायेगा।...........  आर एस राणा

मध्य प्रदेश में यूरिया के लिए लाठिया खा रहे हैं किसान, सरकार और विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप में मस्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। एक तरफ मध्य प्रदेश के किसान एक-एक बोरी यूरिया के लिए तरस रहे हैं वहीं दूसरी और सरकार और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेला जा रहा हैं। गेहूं की फसल महीनेभर से ज्यादा की हो गई है, लेकिन यूरिया नहीं मिलने से किसान सहकारी समितियों के साथ ही खाद विक्रेताओं के चक्कर काटने पर मजबूर हैं, लेकिन यूरिया खाद नहीं मिल रहा।
राज्य के हरदा जिले के टिमरनी तहसील के गांव समाधरा के किसान रोहित कुमार ने बताया उनकी गेहूं की फसल 38 दिन की हो चुकी है जबकि कृषि वैज्ञानिकों के हिसाब से 22 से 28 दिन की फसल हो जाने पर यूरिया खाद डालना चाहिए, लेकिन खाद मिल ही नहीं रहा। उन्होंने बताया कि हालत यह है कि स्कूल जाने वाले बच्चों को लाइन में लगाना पड़ता है, लेकिन शाम को पता चलता है कि खाद के 500 कट्टे ही आए थे, जबकि 800 से 1,000 किसान लाइन में लगे थे। खाद के लिए लाइन में लगे किसानों पर पुलिस लाठियां बरसा रही है। उन्होंने बताया कि इसका फायदा बिचौलियें उठा रहे हैं, तथा कई किसान 450 रुपये में एक कट्टा यूरिया का खरीदने को मजबूर हैं, जबकि सरकारी रेट 266 रुपये का है। उन्होंने बताया कि पिछले 14 साल से मैं खती कर रहा है, लेकिन ऐसा संकट पहली बार देखा है।
खाद विक्रेताओं को नहीं मिल रहा है यूरिया
हरदा जिले के खाद विक्रेता गजानंद कृषि सेवा केंद्र के संचालक सुनील गुर्जर ने बताया कि सरकार 80 फीसदी खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से और 20 फीसदी प्रावइेट दुकानों के माध्यम से कर रही है लेकिन पिछले दो महीने से हमें यूरिया का एक कट्टा भी नहीं मिला है। हमें हर बार यही आश्वासन दिया जाता है, कि अबकि बार रैक लगने पर खाद मिलेगा, लेकिन मिल नहीं रहा है जबकि किसान खाद के लिए दुकान के चक्कर लगा रहे हैं। अंकित कृषि सेवा केंद्र के संचालक विरेंद्र मिश्रा ने बताया कि जिले में यूरिया का संकट बना हुआ है। किसान पहले पानी के साथ ही यूरिया का छिड़काव करते हैं, लेकिन खाद नहीं मिलने से किसान नाराज हैं। उन्होंने बताया कि पूरे सीजन में अभी तक एक कट्टा यूरिया का नहीं मिल पाया है। अब हमें आश्वासन दिया गया है कि 20 दिसंबर के बाद यूरिया मिल जायेगा।
इसी सप्ताह राज्य के कृषि ने केंद्रीय कृषि और उर्वरक मंत्री से की थी मुलाकात
राज्य के कृषि मंत्री सचिन यादव ने ट्वीट कर कहा है कि मुख्यमंत्री के प्रयासों की वजह से केंद्र सरकार ने पूर्व में की गई 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग मान ली है, इसके लिए कृषि मंत्री एवं उर्वरक मंत्री का धन्यवाद। प्रदेश में यूरिया की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी तथा सभी किसानों को यूरिया उपलब्ध कराया जायेगा। राज्य के कृषि मंत्री ने हाल ही में केंद्रीय कृषि और उर्वरक मंत्री से मुलाकात की थी।
अतिरिक्त आवंटन का श्रेय ले रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा है कि मैंने आज दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से भेंटकर मध्यप्रदेश में हो रही यूरिया की समस्या से अवगत कराया और इसके निवारण के लिए अतिरिक्त यूरिया की मांग की। प्रसन्नता की बात है कि उन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर अतिरिक्त यूरिया आवंटित करने का निर्णय लिया।
मांग की तुलना में 2.60 लाख टन यूरिया कम मिला
राज्य में यूरिया संकट इस कदर है कि विदिशा में ट्रक से किसानों ने यूरिया लूट लिया तो वहीं हाल ही में अशोक नगर में यूरिया के लिए किसानों के बीच आपस मे ही लड़ाई हो गई। राज्य सरकार यूरिया की कमी के लिए केंद्र सरकार को दोष दे रही है। राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ के अनुसार केंद्र सरकार से रबी सीजन के लिए 18 लाख टन यूरिया देने की मांग रखी थी, लेकिन काफी चर्चा के बाद भी 2 लाख 60 हजार टन मांग घटाकर पूरे सीजन के लिए कोटा 15 लाख 40 हजार टन तय कर दिया। अक्टूबर में 4,25,000 टन की मांग थी लेकिन मिला 2,98,000 टन। इसी तरह से नवंबर में 4,50,000 मीट्रिक टन मांगा था तो मिला 4 लाख टन।
राज्य में गेहूं की बुआई बढ़ी
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू रबी में राज्य में गेहूं की बुआई बढ़कर 60.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 44.57 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। राज्य सरकार ने गेहूं की बुआई का लक्ष्य 64 लाख हेक्टेयर का तय किया था, जबकि राज्य में सामान्यत: 57.25 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई होती है।...........  आर एस राणा

सीसीआई की खरीद बढ़ने के बाद भी किसान समर्थन मूल्य से नीचे कपास बेचने को मजबूर

आर एस राणा
नई दिल्ली। कपास की सरकारी खरीद में तो तेजी आई है लेकिन किसान अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर बेचने को मजबूर हैं। कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) की दैनिक खरीद बढ़कर 68 से 70 हजार गांठ (एक गांठ-170 किलो) हो गई है लेकिन उत्पादक मंडियों में किसान अभी भी 4,950 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल के भाव कपास बेचने को मजबूर हैं जबकि केंद्र सरकार ने चालू फसल सीजन 2019-20 के लिए कपास का एमएसपी 5,250-5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
हरियाणा की अबोहर मंडी के कपास कारोबारी राकेश राठी ने बताया कि उत्पादक मंडियों में कपास के भाव 4,950 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीसीआई की खरीद पहले की तुलना में बढ़ी है, लेकिन भाव अभी नीचे बने हुए हैं क्योंकि विदेशी बाजार में कीमतें नीचे हैं जिस कारण निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस समय केवल बंगलादेश की आयात मांग बनी हुई है। वैसे भी चालू सीजन में कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास के भाव मंगलवार को 38,500 से 39,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहे।
सीसीआई ने समर्थन मूल्य पर 16.22 लाख गांठ खरीदी है
सीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम की दैनिक खरीद बढ़कर 68 से 70 हजार गांठ हो गई है हालांकि उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक 2.50 लाख गांठ से ज्यादा की हो रही है। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू सीजन में निगम समर्थन मूल्य पर 16.22 लाख गांठ कपास की खरीद कर चुकी है। अभी तक हुई कुल खरीद में तेलंगाना से राज्य सरकार की एजेंसियों ने 9 लाख गांठ कपास की खरीद की है जबकि महाराष्ट्र से 2.36 लाख गांठ कपास की खरीद हुई है। सीसीआई ने गुजरात से 80 हजार गांठ कपास की खरीद की है। निगम ने पिछले फसल सीजन में 10.70 लाख गांठ कपास की खरीद थी, जिसमें से 1.70 लाख गांठ ही बेची है।
आवक पिछले साल की तुलना में ज्यादा
सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में अभी तक उत्पादक मंडियों में अभी तक 74 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 72.50 लाख गांठ से ज्यादा है। कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार चालू फसल सीजन 2019-20 में देश में कपास का उत्पादन 360 लाख गांठ होने का अनुमान होने का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में 9.09 फीसदी अधिक है। पिछले साल देश में 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था।
निर्यात बढ़ने का अनुमान, आयात में आयेगी कमी
सीएबी के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में कपास का निर्यात बढ़कर 50 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 44 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ था। कपास का आयात पिछले साल के 31 लाख गांठ से घटकर 25 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। सीएबी के अनुसार के चालू सीजन के आरंभ में पहली अक्टूबर 2019 को कपास का बकाया स्टॉक 44.41 लाख गांठ का बचा हुआ था जबकि पहली अक्टूबर 2020 में शुरू होने वाले सीजन के आरंभ में बकाया 48.41 लाख गांठ का स्टॉक बचने का अनुमान है।..........  आर एस राणा

गेहूं की बुआई 9.62 फीसदी बढ़ी, कुल बुआई 487 लाख हेक्टेयर के पार

विश्व बाजार में दाम बढ़ने से खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात नवंबर में घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कीमतें बढ़ने से खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में नवंबर में 0.50 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 11.28 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में 11.33 लाख टन का निर्यात हुआ था। नवंबर में खाद्य तेलों के आयात में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन अखाद्य तेलों के आयात में कमी आई है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार नवंबर में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 10.97 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में 10.73 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था। अखाद्य तेलों का आयात नवंबर में घटकर 30,796 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में इनका आयात 60,540 टन का हुआ था। आरबीडी पामोलीन का आयात नवंबर में बढ़कर 1,24,909 टन का हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में इसका आयात 1,08,911 टन का ही हुआ था।
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी
एसईए के अनुसार तेल वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-18 से नवंबर-19) के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 149.13 लाख टन का हुआ था, जोकि इसके पिछले साल के 145.16 लाख टन से ज्यादा था। देश में तेल वर्ष 2016-17 में रिकार्ड 150.77 लाख टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात हुआ था। अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में खाद्य तेलों की कीमतों में भारी तेजी दर्ज की गई है। भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन का भाव नवंबर में बढ़कर औसतन 663 डॉलर प्रति टन रहा, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 567 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पाम तेल का भाव नवंबर में बढ़कर 636 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि अक्टूबर में इसका दाम औसतन 541 डॉलर प्रति टन था। क्रुड सोया तेल के भाव इस दौरान 722 डॉलर से बढ़कर 763 डॉलर प्रति टन हो गए।..........  आर एस राणा

ओलावृष्टि से रबी फसलों को नुकसान, अगले 24 घंटों में और बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश के कई जिलों में बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से रबी फसलों गेहूं, चना, सरसों और जौ को नुकसान हुआ है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी तथा मैदानी भागों में बारिश होने का अनुमान है।
पिछले 24 घंटों के दौरान, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में एक दो स्थानों पर भारी बर्फबारी हुई जबकि उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी देखी गई। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश में ओलावृष्टि की कुछ घटनाओं के साथ कुछ स्थानों पर गरज के साथ बारिश देखी गई। गुजरात, बिहार, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। जबकि ओडिशा और आंध्रप्रदेश के तटीय स्टेशनों और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में अलग-अलग स्थानो में हल्की बारिश देखने को मिली।
राजस्थान में मुख्यमंत्री ने नुकसान की भरपाई का दिया आश्वासन
राजस्थान के नागौर, जोधपुर, सीकर, झुंझुनूं और चूरू के आस-पास के इलाकों में बारिश के साथ ही ओलावृष्टि हुई है। सबसे अधिक ओले नागौर की जायल तहसील इलाके में गिरने के समाचार हैं। यहां जमीन ओलों से सफेद हो गई। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में गुरुवार को ओलावृष्टि से फसल खराबे पर चिंता जताते हुए कहा कि इस संकट की घड़ी में प्रदेश सरकार किसानों के साथ है, ओलावृष्टि से हुए खराबे की जांच कराकर उन्हें राहत प्रदान की जायेगी। राज्य के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में तेज बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान की जानकारी चिंताजनक है। इस विपदा के समय में राज्य सरकार किसानों के साथ है और ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों की जांच करवाकर उन्हें जल्द राहत प्रदान की जाएगी|
मध्य प्रदेश के भोपाल, देवास और रायसेन में फसलों को नुकसान
मध्य प्रदेश के भोपाल, देवास और रायसेन के साथ प्रदेश के अन्य जिलों में भी बारिश के साथ ओले गिरे। रायसेन में तेज हवाओं के साथ बारिश और जमकर ओलावृष्टि हुई, जिले के सेहतगंज और भोपाल रोड पर ओले की सफेद चादर सी बिछ गई। बारिश से राज्य में चना, गेहूं और सरसों के साथ ही सब्जियों की फसलों को नुकसान की आशंका हैं बारिश और ओलावृष्टि को देखते हुए राज्य के कृषि मंत्री सचिन यादव ने ट्वीट करके किसानों को चिंता न करने के लिए कहा है। उन्होंने ट्वीट किया कि आज प्रदेश के बहुत से जिलों से ओलावृष्टि की दुःखद खबरें प्राप्त हुई है, किसान भाइयों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। कमलनाथ सरकार किसानों की सरकार है। हम किसानों के साथ हर संकट में साथ खड़े है और हर संभव मदद करने के लिए तैयार हैं।
हरियाणा के कई जिलों में ओलावृष्टि से नुकसान
हरियाणा के नुहं, नगीना, फ़िरोज़पुर झिरका, पुन्हाना और पिनगवां आदि जिलों में भी ओलावृष्टि होने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। पुन्हाना की अनाज मंडी में रखा हजारों क्विंटल धान बारिश में भीग गया, जबकि ओलावृष्टि की वजह से सरसों, गेहूं के साथ ही टमाटर और बैंगन आदि की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है।
अगले 24 घंटों में उत्तर भारत के राज्यों में बारिश का अनुमान
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ अभी बना हुआ है जो पूर्व दिशा की ओर जा रहा है। इस सिस्टम के प्रभाव से विकसित हुआ चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर-पश्चिमी राजस्थान और उससे सटे पंजाब पर बना हुआ है। अगले 24 घंटों के दौरान, पश्चिमी हिमालय की पहाड़ियों पर मध्यम से भारी बारिश और हिमपात जारी रहने की उम्मीद है जबकि पंजाब, उत्तर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और तमिलनाडु के कुछ स्थानों पर छिटपुट हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिलेगी। सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में छिटपुट बारिश और हिमपात की आशंका है। असम, तटीय आंध्र प्रदेश और केरल में एक दो स्थानों पर हल्की बारिश देखी जा सकती है। उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में न्यूनतम तापमान में दो से चार डिग्री की कमी आएगी। उत्तरी मैदानी इलाकों में मध्यम से घने कोहरे की आशंका है।...........  आर एस राणा

चालू सीजन में 354.50 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान : सीएआई

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2019-20 में कपास का उत्पादन 13.62 फीसदी बढ़कर 354.50 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है। अक्टूबर-नवंबर में पांच लाख गांठ कपास के निर्यात सौदे हो चुके हैं जबकि इतनी मात्रा में ही आयात भी हो चुका है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास का उत्पादन 354.50 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 312 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था। सीएआई ने पहले अनुमान को जारी रखा है लेकिन कुछ राज्यों में उत्पादन अनुमान में बदलाव किया है। एसोसिएशन के मुताबिक उत्तर भारत में पैदावार 2.50 लाख गांठ कम होकर पहले अनुमान 65.5 लाख गांठ के मुकाबले 63 लाख गांठ रह सकती है। वहीं मध्य क्षेत्र में उत्पादन एक लाख गांठ कम होकर 196 लाख गांठ की जगह 195 लाख गांठ रहने का अनुमान है।
गुजरात में पिंक बॉलवर्म और बारिश से फसल को नुकसान
गुजरात में पिंक बॉलवर्म के हमले और बारिश से नुकसान की वजह से पैदावार करीब 4 लाख गांठ कम होकर 96 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। वहीं महाराष्ट्र में उत्पादन 3 लाख गांठ बढ़कर 83 लाख गांठ होने की उम्मीद है। साथ ही तेलंगाना में 3 लाख गांठ और कर्नाटक में 50,000 गांठ पैदावार बढ़कर इन राज्यों में क्रमश: 51 लाख गांठ और 20.50 लाख गांठ होने का अनुमान है। अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश में 16 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 15 लाख गांठ और तमिलनाडु में 5 लाख गांठ तथा ओडिशा में 4 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान है।
निर्यात पिछले साल के बराबर, आयात में कमी आने का अनुमान
सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन के पहले दो महीनों अक्टूबर-नवंबर में कपास का निर्यात 5 लाख गांठ का हुआ है, जबकि इतनी मात्रा में ही आयात भी हो चुका है। चालू फसल सीजन में 42 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान है जोकि पिछले साल के लगभग बराबर ही है। कपास का आयात चालू सीजन में घटकर 25 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 32 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। उत्पादक मंडियों में अक्टूबर-नवंबर में 56.15 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है।
सीएबी का उत्पादन अनुमान ज्यादा
कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) ने फसल सीजन 2019-20 में देश में कपास का उत्पादन 360 लाख गांठ होने का अनुमान जारी किया है, तथा निर्यात 50 लाख गांठ होने का अनुमान सीएबी का है। ..........  आर एस राणा

सोयाबीन का आयात बढ़कर तीन लाख टन होने का अनुमान : सोपा

आर एस राणा
नई दिल्ली। सोयाबीन के उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है जिससे चालू फसल सीजन में आयात बढ़कर तीन लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में 1.80 लाख टन का आयात हुआ था।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार चालू फसल सीजन 2019-20 में सोयाबीन का उत्पादन घटकर 89.84 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 109.33 लाख टन का उत्पादन हुआ था। नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों में 1.70 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, अत: चालू सीजन में कुल उपलब्धता 91.54 लाख टन की बैठेगी।
बेनिन से लग रहे हैं सोयाबीन के आयात पड़ते
सोपा के उपाध्यक्ष नरेश गोयनका ने बताया कि बेनिन से सोयाबीन के आयात पड़ते लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता कम है, जिस कारण आयात पिछले साल से ज्यादा ही होगा। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन के भाव 4,000 से 4,050 रुपये और प्लांट डिलीवरी भाव 4,150 से 4,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। सोया रिफाइंड तेल में मांग अच्छी बनी हुई है लेकिन डीओसी में निर्यात पड़ते नहीं लग रहे है। सोया डीओसी के भाव 33,000 से 33,500 रुपये प्रति टन हैं।
डीओसी के निर्यात में भारी कमी
सोपा के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में उत्पादक मंडियों में 30.50 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है जबकि पिछले साल इस दौरान 41 लाख टन की आवक हुई थी। सोया डीओसी का उत्पादक अक्टूबर-नवंबर में 11.74 लाख टन का हुआ है, जबकि इस दौरान निर्यात केवल 1.13 लाख टन का ही हुआ है। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में 4.57 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ था। कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2019-20 में सोयाबीन का 135.05 लाख टन होने का है, जबकि पिछले साल 137.86 लाख टन का उत्पादन हुआ था।............ आर एस राणा

तोरिया के एमएसपी में 525 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 4,425 रुपये किया

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रबी तिलहन की फसल तोरिया का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 525 रुपये बढ़ाकर 4,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी विपणन सीजन 2019-20 के लिए तोरिया का एमएसपी 3,900 रुपये प्रति क्विंटल था। तोरिया की फसल रबी सीजन की अन्य तिलहनी फसल सरसों के बजाए कम अवधि में तैयार होती है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए तोरिया का एमएसपी तय किया गया है, तथा आगामी रबी विपणन सीजन में तोरिया की एमएसपी पर खरीद के लिए नेफेड के साथ ही स्मॉल फार्मर्स एग्री बिजनेस कंसोर्टियम (एसएफएसी) और अन्य नामित केंद्रीय एजेंसियों ने नामित किया गया है। आगामी रबी विपणन सीजन 2020-21 में ये कंपनियों तोरिया की सीधे किसानों से खरीद करेंगी।
कम समय पर पककर तैयार होती है तोरिया की फसल
तोरिया की फसल एक छोटी अवधि की फसल है। सरसों की नई फसल की आवक उत्पादक मंडियों में जहां मार्च में आती है, वहीं तोरिया की नई फसल की आवक फरवरी में शुरू हो जाती है। तोरिया की खेती मुख्य रूप से पूर्व में असम, बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में की जाती है। इसके अलावा इसकी खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सीमित क्षेत्रों में भी की जाती है। तोरिया रबी मौसम में उगाई जाने वाली तिलहनी फसल है। तोरिया की कुछ किस्में 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए सरसों का एमएसपी 4,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।...........  आर एस राणा

रबी में गेहूं के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी, दलहन की घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। रबी की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई में तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन दालों की बुआई अभी भी पिछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में फसलों की बुआई बढ़कर 418.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 413.36 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई बढ़कर चालू सीजन में 202.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 194.21 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। चालू सीजन में दलहन की बुआई पिछड़कर 105.16 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 111.90 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 76.54 लाख हेक्टेयर से घटकर 71.77 लाख हेक्टयेर में ही हुई है। मसूर की बुआई चालू रबी में 12.12 लाख हेक्टेयर में और मटर की 7.24 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 13.53 और 7.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द और मूंग की बुआई क्रमश: 3.69 और 1.09 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 3 और 1.15 लाख हेक्टयेर में हुई थी।
मोटे अनाजों की कुल बुआई बढ़ी, मक्का की घटी
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 35.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 32.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में बढ़कर 21.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 18.20 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मक्का की बुआई चालू रबी में 7.88 लाख हेक्टेयर और जौ की बुआई 5.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 8.71 और 5.45 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
रबी तिलहन में सरसों की बुआई थोड़ी पिछे
रबी तिलहन की बुआई चालू सीजन में 65.05 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 66.10 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई 59.12 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 60.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मूंगफली की बुआई 2.43 लाख हेक्टेयर में और अलसी की बुआई 2.07 लाख हेक्टेयर तथा सनफ्लावर की बुआई 65 हजार हेक्टेयर में हुई है।.............  आर एस राणा

विश्व बाजार में कीमतें कम होने से डीओसी का निर्यात नवंबर में 64 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीतमें कम होने की वजह से नवंबर में डीओसी के निर्यात में 64 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 1,26,128 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में इसका निर्यात 3,53,405 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार डीओसी की कीमतें विश्व बाजार में नीचे बनी हुई है, जिसका असर निर्यात सौदे पर पड़ रहा है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान डीओसी का निर्यात 21 फीसदी घटकर 16,52,599 टन का ही हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 20,86,321 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2018-19 में डीओसी का कुल निर्यात 33,24,693 टन का हुआ था।
सोया डीओसी के निर्यात में आई सबसे ज्यादा कमी
एसईए के अनुसार नवंबर में सोया डीओसी के निर्यात में सबसे ज्यादा गिरावट आई है, नवंबर में सोया डीओसी का केवल 9,574 टन का ही निर्यात हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर में 63,800 टन का निर्यात हुआ था। चालू तेल वर्ष के पहले 8 महीनों में सोया डीओसी का निर्यात घटकर 4,37,275 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 7,53,954 टन का हुआ है। सरसों डीओसी का निर्यात नवंबर में तो कम हुआ है लेकिन चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर के दौरान कुल निर्यात बढ़कर 7,76,161 टन का हुआ है जबकि वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 6,67,775 टन का हुआ था। केस्टर डीओसी का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में 4,31,692 टन और राइस ब्रान डीओसी का निर्यात 1,15,160 टन का हुआ है।
डीओसी की कीमतें नवंबर में हुई तेज
सोया डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर नवंबर में बढ़कर 449 डॉलर प्रति टन हो गए जबकि अक्टूबर में इसका भाव 439 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से सरसों डीओसी का भाव अक्टूबर के 237 डॉलर से बढ़कर नवंबर में 249 डॉलर प्रति टन हो गया। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर के दौरान दक्षिण कोरिया ने डीओसी का आयात ज्यादा किया है, लेकिन वियतनाम, ईरान, थाइलैंड और ताईवान ने आयात कम किया है। ..... आर एस राणा

पेराई में देरी से पहले दो महीनों में चीनी उत्पादन 54 फीसदी घटा : उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में पेराई में देरी होने से पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 के पहले दो महीनों में नवंबर अंत तक चीनी का उत्पादन 54 फीसदी घटकर 18.85 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 40.69 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र की चीनी मिलों में देरी से पेराई आरंभ हुई है तथा अभी भी राज्य की केवल 43 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 175 मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी। राज्य में 30 नवंबर तक केवल 67,000 टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले पेराई सीजन में अक्टूबर-नवंबर में 18.89 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में सूखे और बाढ़ से गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ है जिस कारण राज्य में चीनी का उत्पादन पिछले साल के 107 लाख टन की तुलना में चालू पेराई सीजन में 58.3 लाख टन ही होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश में बढ़ा है उत्पादन
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में नवंबर अंत तक चीनी का उत्पादन थोड़ा बढ़कर 10.81 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान राज्य में 9.14 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ था। राज्य की 111 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 105 चीनी मिलों ने ही पेराई आरंभ की थी।
कर्नाटक एवं अन्य राज्यों में उत्पादन कम
कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 30 नवंबर 2019 तक राज्य में 61 चीनी मिलों ने 5.21 लाख टन चीनी का उत्पादन ही किया है जबकि पिछले पेराई सीजन में राज्य की 63 चीनी मिलों ने 8.40 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। गुजरात में बेमौसम बारिश की वजह से राज्य चीनी मिलों ने करीब 20 दिन की देरी से पेराई आरंभ की है। राज्य में 14 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है तथा अभी तक 75 हजार चीनी का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में 16 मिलों ने पेराई आरंभ कर दी थी, और 2.05 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। अन्य उत्पादक राज्यों में 50 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ की है तथा 1.41 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ है जबकि पिछले साल 60 मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी तथा 2.21 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।
चीनी मिलों पर पिछले पेराई सीजन का 5,000 करोड़ रुपये किसानों का अभी भी बकाया
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों ने करीब 15 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे ईरान, श्रीलंका, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों को किए हैं। चीनी के भाव उत्तर भारत में एक्स फैक्ट्री 3,250 से 3,300 रुपये और महाराष्ट्र में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,100 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। गन्ना उत्पादक राज्यों के अनुसार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का पेराई सीजन 2018-19 का 30 नवंबर 2019 तक करीब 5,000 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है।
उत्पादन अनुमान पिछले साल की तुलना में कम
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 260 लाख टन होने का ही होने का अनुमान है जबकि खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 में देश में चीनी का उत्पादन 273 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन 331 लाख टन से कम है। हालांकि पेराई सीजन के आरंभ में 140 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा है, जिस कारण चीनी की कुल उपलब्धता 413 लाख टन की बैठेगी, जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 260 लाख टन की ही होती है। ............   आर एस राणा

01 दिसंबर 2019

दिसंबर अंत तक ही मिलेगी प्याज की उंची कीमतों से राहत, आयात भी महंगा

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई शहरों में प्याज के खुदरा दाम 80 से 100 प्रति किलो बने हुए हैं। दिसंबर के अंत तक ही इससे राहत मिलने की उम्मीद है। जनवरी के शुरू में महाराष्ट्र और गुजरात में लेट खरीफ प्याज की फसल की आवक बनेगी, इसलिए दिसंबर के अंत में ही गिरावट आने का अनुमान है। आयातित प्याज महंगा होने के साथ ही इसकी क्वालिटी भी हल्की है। प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान में अक्टूबर और नवंबर में हुई बेमौसम बारिश के साथ ही कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बनने से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ। इसीलिए उत्पादक मंडियों में प्याज की दैनिक आवक नहीं बढ़ पा रही है।
राजस्थान से आ रहा है इस समय नया प्याज
दिल्ली आजादपुर मंडी की पोटेटो एंड अनियन मर्चेंट एसोसिएशन (पोमा) के महासचिव राजेंद्र शर्मा ने आउटलुक को बताया कि दिल्ली में इस समय राजस्थान से प्याज की आवक हो रही है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक तथा गुजरात में फसल को भारी नुकसान हुआ, जिस कारण इन राज्यों की अपनी मांग ही पूरी नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि शनिवार को दिल्ली में 80 ट्रक प्याज की आवक हुई, जिसमें से 76 ट्रक राजस्थान से आए थे। बाकी चार ट्रक आयातित प्याज के हैं। अफगानिस्तान से आयातित प्याज आ रहा है लेकिन इसकी क्वालिटी हल्की होने के कारण खुदरा विक्रेता इसे खरीद नहीं कर रहे हैं। अफगानिस्तान से आयातित प्याज का भाव आजादपुर मंडी में 50 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि राजस्थान के प्याज का भाव 50 से 65 रुपये प्रति किलो रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 1.2 लाख टन प्याज के आयात की अनुमति दी है, लेकिन जिस देश में सालाना करीब 200 लाख टन की खपत होती हो, वहां 1.2 लाख टन से क्या होता है? वैसे भी दैनिक खपत ही करीब 50 हजार टन से ज्यादा की होती है।
जनवरी के आरंभ में आएगी लेट खरीफ प्याज की फसल
दिल्ली के प्याज के थोक कारोबारी सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि प्याज का उत्पादन रबी, खरीफ और लेट खरीफ सीजन में होता है। कुल उत्पादन का 60 से 65 फीसदी रबी सीजन में होता है जबकि 35 से 40 फीसदी उत्पादन खरीफ और लेट खरीफ में होता है। खरीफ की फसल की रोपाई जुलाई-अगस्त में की जाती है तथा इसकी खुदाई अक्टूबर से दिसंबर के दौरान होती है। लेट खरीफ की प्याज की रोपाई अक्टूबर-नवंबर में होती तथा इसकी खुदाई जनवरी-फरवरी में होती है। अत: लेट खरीफ प्याज की फसल की आवक जनवरी में बनेगी, इसलिए दिसंबर के अंत तक ही कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि खरीफ और लेट खरीफ प्याज की फसल का भंडारण भी नहीं किया जाता है।
उत्पादक मंडियों में थोक में ही दाम ऊंचे
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार महाराष्ट्र की पीपलगांव मंडी में शुक्रवार को बढ़िया क्वालिटी के प्याज का भाव 68 से 78.51 रुपये प्रति किलो रहा जबकि 19 अक्टूबर को इसका भाव 34 से 61.56 रुपये प्रति किलो था। मंडी में शुक्रवार को प्याज की आवक 3,800 क्विंटल की हुई। पुणे मंडी में प्याज का भाव शुक्रवार को बढ़िया क्वालिटी का 80 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि 19 नवंबर को इसका भाव 65 रुपये प्रति किलो था। लासलगांव मंडी में प्याज का भाव शुक्रवार को 62.26 रुपये प्रति किलो रहा जबकि 19 नवंबर को इसका भाव 63 रुपये प्रति किलो थे। अन्य मंडियों मालेगांव में शुक्रवार को प्याज का भाव 64.80 रुपये और कोल्हापुर में 75 रुपये प्रति किलो रहा। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार फुटकर में प्याज के भाव शनिवार को दिल्ली में 76 रुपये, देहरादून में 75 रुपये, जम्मू में 80 रुपये, हिसार में 75 रुपये तथा पंचकुला में 90 रुपये प्रति किलो रहे।
बेमौसम बारिश से खरीफ प्याज उत्पादन में कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है। चालू खरीफ और लेट खरीफ में इसका उत्पादन घटकर 52.06 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ और लेट खरीफ में उत्पादन 69.91 लाख टन का हुआ था। मंत्रलाय के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में प्याज के उत्पादन का अनुमान 234.85 लाख टन का था, जो इसके पिछले साल के 232.62 लाख टन से ज्यादा ही था।............  आर एस राणा

रबी फसलों की बुआई 338 लाख हेक्टेयर के पार, दलहन की बुआई पिछे

आर एस राणा
नई दिल्ली। रबी फसलों की बुआई में तो तेजी आई है, लेकिन कई राज्यों में अक्टूबर और नवंबर में हुई बेमौसम बारिश से दालों की बुआई पिछे चल रही है। रबी फसलों की बुआई 338.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 339.75 लाख हेक्टेयर के लगभग बराबर ही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई बढ़कर चालू सीजन में बढ़कर 150.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 141.25 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। चालू सीजन में दलहन की बुआई 10 फीसदी पिछड़कर 89.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 99.15 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 68.40 लाख हेक्टेयर से घटकर 61.59 लाख हेक्टयेर में ही हुई है। मसूर की बुआई चालू रबी में 10.29 लाख हेक्टेयर में और मटर की 6.37 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 11.88 और 6.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
मोटे अनाजों में ज्वार और जौ की बुआई बढ़ी
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 29.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 28.27 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में बढ़कर 18.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 16.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मक्का की बुआई चालू रबी में 6.30 लाख हेक्टेयर और जौ की बुआई 4.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 7.15 और 4.16 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
तिलहन की बुआई में आई कमी
रबी तिलहन की बुआई चालू रबी में 60.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 63.69 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई 55.40 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 55.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मूंगफली की बुआई 1.92 लाख हेक्टेयर में और अलसी की बुआई 1.75 लाख हेक्टेयर तथा सनफ्लावर की बुआई 60 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है।..........  आर एस राणा

चालू पेराई सीजन में चीनी उत्पादन 273 लाख टन होने का अनुमान : सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर से शुरू चालू पेराई सीजन 2019-20 में देश में चीनी का उत्पादन 273 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन 331 लाख टन से कम है। उत्पादन में कमी जरुर आने का अनुमान है लेकिन पिछले पेराई सीजन का बकाया स्टॉक ज्यादा होने के कारण कुल उपलब्धता ज्यादा है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री दानवे रावसाहब दादाराव ने राज्यसभा में बताया कि महाराष्ट्र में सूखे और बाढ़ से गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ है जिस कारण राज्य में चीनी का उत्पादन पिछले साल के 107 लाख टन की तुलना में चालू पेराई सीजन में 58.3 लाख टन ही होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 273 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पहली अक्टूबर 2019 को 140 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: चालू पेराई सीजन में चीनी की कुल उपलब्धता 413 लाख टन की होगी जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 260 लाख टन की ही होती है।
15 नवंबर तक चीनी उत्पादन में आई गिरावट
उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों में नकदी की स्थिति में सुधार लाने, तोकि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान किया जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने के साथ ही 60 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति भी दी हुई है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 260 लाख टन होने का ही होने का अनुमान है। चालू पेराई सीजन में 15 नवंबर तक देश में चीनी का उत्पादन 63.8 फीसदी कम होकर कुल उत्पादन 4.85 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 13.38 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। ..... आर एस राणा

कपास का उत्पादन 9 फीसदी बढ़ने का अनुमान, 50 लाख गांठ निर्यात की उम्मीद-सीएबी

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2019-20 में कपास का उत्पादन 9 फीसदी बढ़कर 360 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो। होने का अनुमान है। साथ ही कपास का निर्यात बढ़कर 50 लाख गांठ और आयात कम होकर 25 लाख गांठ ही होने की उम्मीद है।
टेक्सटाइल कमिश्नर की अध्यक्षता में हुई कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) की पहली बैठक में फसल सीजन 2019-20 में देश में कपास का उत्पादन 360 लाख गांठ होने का अनुमान जारी किया है जोकि पिछले साल की तुलना में 9.09 फीसदी अधिक है। पिछले साल देश में 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन बढ़कर 95 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 87.50 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में कपास का उत्पादन 82 लाख गांठ और तेलंगाना में 53 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 75.50 और 43 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।
राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में उत्पादन अनुमान कम
अन्य राज्यों राजस्थान में कपास का उत्पादन 25 लाख गांठ, हरियाणा में 22 लाख गांठ और पंजाब में 13 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 26 लाख गांठ, 23 लाख गांठ और 10 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था। भारी बारिश और बाढ़ से मध्य प्रदेश में चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन घटकर 20 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 24 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। आंध्रप्रदेश में चालू सीजन में 20 लाख गांठ, कर्नाटक में 18 लाख गांठ और तमिलनाडु में 6 लाख गांठ तथा ओडिशा में 4 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।
आयात कम होने एवं निर्यात बढ़ने का अनुमान
सीएबी के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में कपास का निर्यात बढ़कर 50 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 44 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ था। कपास का आयात पिछले साल के 31 लाख गांठ से घटकर 25 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। सीएबी के अनुसार के चालू सीजन के आरंभ में पहली अक्टूबर 2019 को कपास का बकाया स्टॉक 44.41 लाख गांठ का बचा हुआ था जबकि पहली अक्टूबर 2020 में शुरू होने वाले सीजन के आरंभ में बकाया 48.41 लाख गांठ का स्टॉक बचने का अनुमान है। .... आर एस राणा

दलहन आयात कोटा बढ़ाने से दालों की कीमतों पर दबाव, खाद्य तेलों में सुधार


-चालू रबी में दालों की बुआई पिछे चल रही है, हालांकि व्यापारियों का मानना है कि आगे बुआई में तेजी आयेगी। कई राज्यों में अक्टूबर और नवंबर मेें बेमौसम बारिश से बुआई पिछड़ी है।

-रबी दलहन फसल की बुआई करीब 19 फीसदी पिछड़ गई है। रबी दलहन की बुआई 19.27 फीसदी पिछड़कर 71.26 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल अभी तक 88.27 लाख हेक्टेयर बुआई हो चुकी थी। चना की बुआई चालू रबी में पिछले साल के 61.91 लाख हेक्टेयर से घटकर 48.35 लाख हेक्टेयर हो हुई है।

-दलहन की बुआई में आई से केंद्र सरकार दलहन आयात का कोटा बढ़ा सकती है, इस तरह से खबर बाजार में चलाई जा रही है, जिससे दालों की कीमतों पर दबाव है।
-जानकारों के अनुसार सरकार दलहन आयात का कोटा बढ़ाती है, तो केवल उड़द और मूंग का आयात कोटा ही बढ़ेगा।

-खाद्य तेलों के आयात पर केंद्र सरकार सख्ती कर सकती है, माना जा रहा है कि रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात को फ्री कैटेगरी से हटाकर प्रतिबंधित श्रेणी में डाल सकती है, हालांकि क्रुड पॉम तेल को फ्री कैटेगरी में ही रखने का प्रस्ताव है। उद्योग ने क्रुड और रिफाइंड तेल के आयात शुल्क अंतर को भी बढ़ाने की मांग की है, अगर ऐसा होता है खाद्य तेलों की कीमतों में सुधार बन सकता है। 

सीसीआई की कपास खरीद की गति धीमी, किसान एमएसपी से नीचे बेचने को मजबूर

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू खरीफ विपणन सीजन में कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने समर्थन मूल्य पर मात्र दो लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद ही की है जोकि अभी तक हुई कुल आवक का मात्र 6 फीसदी है। सरकारी खरीद के अभाव में किसानों को समर्थन मूल्य से 400 से 500 रुपये नीचे दाम पर कपास बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।
सीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू सीजन में 24 नवंबर तक उत्पादक मंडियों में 32 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है जिसमें से निगम ने केवल दो लाख गांठ की खरीद ही की है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा खरीद तेलंगाना से राज्य सरकार की एजेंसी के साथ 1.20 लाख गांठ कपास खरीदी है, जबकि अन्य राज्यों में 22 हजार गाांठ कपास की खरीद पंजाब से, 19 हजार गांठ राजस्थान से, 13 हजार गांठ गुजरात से और 12 हजार गांठ की खरीद हरियाणा से की है। इसके अलावा कर्नाटक से भी थोड़ी खरीद की गई है। उन्होंने बताया कि उत्पादक मंडियों में आ रही कपास में नमी की मात्रा ज्यादा आ रही है जिस कारण खरीद सीमित मात्रा में ही की जा रही है। पिछले साल 24 नवंबर तक उत्पादक मंडियों में 36 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी थी। पिछले फसल सीजन में निगम ने एमएसपी पर 10.70 लाख गांठ कपास की खरीद की थी, जिसमें से 1.70 लाख गांठ बेची गई है।
व्यापारियों को नीचे दाम पर बेच रहे किसान कपास
महाराष्ट्र के जिला परभणी के सोनपेठ के कपास किसान सुधीर बिंदू ने बताया कि सीसीआई खरीद नाममात्र की ही कर रही है जिस कारण व्यापारियों को 4,900 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर कपास बेचनी पड़ रही है जबकि केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए मीडियम स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य 5,255 रुपये और लॉन्ग स्टेपल का 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। सीसीआई के एक अधिकारी के अनुसार निगम ने 8 फीसदी नमी यूक्त कपास की खरीद 5,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही है, तथा 12 फीसदी नमी युक्त कपास की खरीद निगम 5,328 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही है। इससे ज्यादा नमी होने पर निगम खरीद नहीं कर रही है।
विश्व बाजार में कीमतें नीची होने से निर्यात सौदे कम
राजस्थान की अलवर मंडी के कपास के थोक कारोबारी ने बताया कि उत्पादक मंडियों में कपास के भाव 4,950 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल (क्वालिटी के अनुसार) चल रहे हैं तथा आगे कपास की दैनिक आवक बढ़ने का अनुमान है। विश्व बाजार में कपास दाम नीचे बने हुए हैं, जिस कारण निर्यात सौदे भी सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। न्यूयार्क कॉटन के दिसंबर वायदा में कपास के भाव 27 नवंबर को 64.91 सेंट प्रति पाउंड रहे, जबकि 18 अक्टूबर को इसके भाव 64.99 सेंट प्रति पाउंड थे। उन्होंने बताया कि बेमौसम बारिश से महाराष्ट्र और गुजरात में कपास की फसल की आवक में देरी हुई है, साथ ही क्वालिटी भी प्रभावित हुई है।
कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में कपास का उत्पादन 322.67 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 287.08 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। कपास की बुआई चालू खरीफ में 127.67 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जोकि इसके पिछले साल के 121.05 लाख हेक्टेयर से ज्यादा थी। उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन 13.62 फीसदी बढ़कर 354.50 लाख गांठ होने का अनुमान है।.......... आर एस राणा

पहली छमाही में दलहन आयात 38 फीसदी बढ़ा, रोक के बावजूद हो रहा है उड़द आयात

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों को मूंग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है, इसके बावजूद भी चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर में दालों का कुल आयात 38.13 फीसदी बढ़ गया। अक्टूबर से उड़द के आयात पर रोक लगी हुई, लेकिन हाईकोर्ट से स्टे आर्डर लेकर आयातक आयात कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए मूंग का समर्थन मूल्य 7,050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में किसान 6,600 से 6,700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर मूंग बेचने को मजबूर हैं। सार्वजनिक कंपनी नेफेड मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद तो कर रही है लेकिन अभी 22 नवंबर तक केवल 36,300 टन मूंग की खरीद ही एमएसपी पर हुई है जबकि चालू खरीफ में उत्पादन 14.2 लाख टन होने का अनुमान है। अत: समर्थन मूल्य पर खरीद नाममात्र की ही हो रही है। मूंग के अलावा मंडियों में चना, मसूर और अरहर के भाव भी समर्थन मूल्य से नीचे बने हुए हैं।
स्टे आर्डर लेकर कर रहे हैं उड़द का आयात
उड़द के भाव तो मंडियों में समर्थन मूल्य से उपर बने हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में अक्टूबर तक डेढ़ लाख टन उड़द के आयात की अनुमति दी थी, जबकि अप्रैल से अक्टूबर के दौरान ही 1.56 लाख टन उड़द का आयात हो चुका है। सूत्रों के अनुसार राजस्थान के आयातकों ने हाईकोर्ट से उड़द आयात के लिए स्टे आर्डर लिया है, अत: करीब 2,000 कंटेनर (एक कंटेनर-24 टन उड़द) जल्द ही मुंबई और चैन्नई बंदरगाह पर पहुंचने वाली हैं।
अप्रैल से सितंबर के दौरान 14.78 लाख टन दालों का हो चुका है आयात
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान 14.78 लाख टन होने का आयात हो चुका है जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 38.13 फीसदी ज्यादा है। पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में इस दौरान 10.70 लाख टन दालों का ही आयात हुआ था। दिल्ली के एक दलहन कारोबारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में उड़द, मूंग, अरहर और मटर के आयात की अनुमति केवल दाल मिलर्स को ही दी थी, लेकिन आयातित दालें खुले बाजार में बिक रही है। उन्होंने बताया कि लेमन अरहर का भाव मुंबई में 5,000 से 5,100 रुपये, उड़द एसक्यू का भाव 7,400 से 7,500 रुपये तथा एफएक्यू के व्यापार 6,400 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं।
खरीफ में दालों का उत्पादन अनुमान कम
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए डेढ़ लाख टन उड़द, डेढ़ लाख टन मूंग और डेढ़ लाख टन ही मटर के आयात की अनुमति दी थी, तथा आयातकों को आयात भी 31 अक्टूबर तक ही करना था। इसके अलावा सरकार ने मसूर के आयात पर 30 फीसदी आयात शुल्क और चना के आयात पर 60 फीसदी का आयात शुल्क लगा रखा है। कृषि मंत्रालय के अ
नुसार फसल सीजन 2018-19 में खरीफ में दालों का उत्पादन घटकर 82.3 लाख टन ही होने का अनुमान है जोकि इसके पिछले साल के 85.9 लाख टन से कम है। अरहर की नई फसल की आवक उत्पादक मंडियों में दिसंबर में बढ़ेगी, जबकि अरहर के दाम मंडियों ममें 5,500 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।.... आर एस राणा

लाइसेंस मिलने के डेढ़ महीने में ही गेहूं का एचडी 3226 बीज बेचने लगीं कंपनियां

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के खेत में गेहूं की फसल भले ही 142 से 150 दिन में पककर तैयार होती है, लेकिन बीज कंपनियों का कमाल देखिए 30 अगस्त 2019 को कंपनियों को गेहूं की नई किस्म एचडी 3226 (पूसा यशस्वी) का बीज तैयार करने के लिए लाइसेंस मिला, और डेढ़ महीने दिन बाद ही कंपनियों का बीज मार्केट में आ गया, वह भी अन्य बीजों से करीब दोगुने दाम पर।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देश में विकसित अब तक के सबसे अधिक पौष्टिक गेहूं एचडी 3226 (पूसा यशस्वी) का बीज तैयार करने के लिए बीज उत्पादक कंपनियों को 30 अगस्त 2019 को लाइसेंस जारी किया था। बीज कंपनियों को 100 किलो फाउंडेशन बीज दिया गया था जिससे कंपनियां बीज तैयार करके अगले साल रबी सीजन में किसानों को बीज उपलब्ध करा सकें। लेकिन हरियाणा के कई जिलों में कपंनियों ने अक्टूबर 2019 से ही इस बीज की बिक्री 20 किलो ग्राम के पैकेट में शुरू कर दी। प्राइवेट बीज विक्रेता किसानों को यह बीज 900 रुपये प्रति 20 किलो की दर से बेच रहे हैं जबकि अन्य किस्म के बीज 1,180 से 1,200 रुपये में 40 किलो मिल रहे हैं।
प्राइवेट बीज विक्रेता 20 किलो की पैकिंग 900 रुपये में बेच रहे हैं
हरियाणा के सोनीपत जिले गांव सोहटी गांव के किसान नरेंद्र कुमार ने बताया कि खरखौदा से एक प्राइवेट बीज विक्रेता के यहां से एचडी 3226 किस्म का बीज 20 किलो की पैकिंग में 900 रुपये में खरीदा है। उन्होंने बताया कि यह बीज बहादुगढ़ में भी कई दुकानों पर बिक रहा है। उन्होंने बताया कि पूसा में एचडी 3226 का बीज 8 किलो की पैकिंग में 320 रुपये के हिसाब से मिल रहा था, लेकिन वहां बीज समाप्त हो गया था, इसलिए प्राइवेट दुकान से खरीदना पड़ा।
कंपनी को पहले ही बीज मिल गया था
राज बीज कंपनी रोहतक, जिसका बीज एचडी 3226 प्राइवेट दुकानों पर बिक रहा है, के मालिक नवनीत खुराना ने आउटलुक को बताया कि आईएआरआई ने अगस्त 2019 में बीज कंपनी को 100 किलो फाउंडेशन बीज दिया। इससे बीज तैयार करके कंपनियों को अगले साल से इसकी बिक्री करनी है। लेकिन इस पर रिसर्च तो पिछले चार से चल रही है। इसलिए कंपनी को यह बीज पहले ही मिल गया था। हालांकि कहां से मिला इस बारे में उन्होंने नहीं बताया। बीज की कीमत के बारे में उन्होंने बताया कि आईएआरआई ने 100 किलो फाउंडेशन बीज 65,000 रुपये में दिया है, इसलिए हमे उंचे दाम पर बेचना पड़ रहा है। अगले साल बीज की उपलब्धता ज्यादा रहेगी, तब कीमत में कमी आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि हम किसानों को सलाह दे रहे हैं, इस बार केवल प्रयोग के तौर पर इसकी बुआई करें।
चालू रबी में एचडी 3226 किस्म का बीज बेचना गलतः आईएआरआई
आईएआरआई में जोनल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट व बिजनेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट यूनिट की इंचार्ज डॉ. नीरू भूषण ने बताया कि इस साल 30 अगस्त को बीज कंपनियों से एचडी 3226 का बीज तैयार करने के लाइसेंस दिए गए हैं। इसके हिसाब से कंपनियों को इस साल बीज तैयार करना है, तथा अगले साल रबी सीजन में इस बीज की बिक्री शुरू करनी चाहिए। अगर कंपनियां चालू सीजन में ही एचडी 3226 की बिक्री कर रही हैं, तो यह गलत है। ....... आर एस राणा