आर एस राणा
नई
दिल्ली। गर्मी अभी शुरू भी नहीं हुई है कि मध्य क्षेत्र और पश्चिमी
क्षेत्र के जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस साल के औसत स्तर से भी नीचे आ
गया है, अत: गर्मी का पारा चढ़ने के साथ जैसे ही पानी की मांग में बढ़ोतरी
होगी, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के अलावा
गुजरात और महाराष्ट्र में स्थिति चिंताजनक हो सकती है। इन राज्यों में पीने
के पानी के साथ ही किसानों को फसलों की बुवाई के लिए सिंचाई में भी
परेशानी आयेगी।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी
रिपोर्ट के अनुसार 22 फरवरी 2018 को मध्य क्षेत्र के उत्तर प्रदेश,
उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 12 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर
उनकी कुल भंडारण क्षमता के 37 फीसदी पर आ गया है जोकि पिछले 10 साल के औसत
42 फीसदी से भी कम है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी
का स्तर 57 फीसदी था।
यही हाल पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों का भी
है। पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र में 27 जलाशयों में पानी का
स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 40 प्रतिशत रह गया है जोकि पिछले दस साल के
औसत अनुमान 44 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी
क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का 49 फीसदी पानी था।
दक्षिण
भारत के आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 31 जलाशयों
में पानी का स्तर पिछले साल से तो ज्यादा है लेकिन 10 साल के औसत स्तर पर
काफी कम है। 22 फरवरी 2018 को इन जलाशयों में पानी का स्तर कुल भंडारण का
29 फीसदी रह गया है जोकि दस साल के औसत 37 फीसदी से काफी कम है। पिछले साल
की समान अवधि में इन राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर 22 फीसदी ही था।
देश
के सभी 91 जलाशयों में 22 फरवरी 2018 को पानी का स्तर घटकर उनकी कुल
भंडारण क्षमता के 37 फीसदी पर आ गया है जबकि 15 फरवरी 2018 को इनमें 39
फीसदी पानी था। ...... आर एस राणा
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