आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार जोरशोर से प्रयास कर रही है। अत: प्रस्तावित पेस्टीसाइड्स प्रबंधन बिल-2017 पर कृषि मंत्रालय ने सभी हितधारकों से सुझाव मांगे है। हितधारकों को अपने सुझाव 15 दिन में देने होंगे।
नई दिल्ली। किसानों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार जोरशोर से प्रयास कर रही है। अत: प्रस्तावित पेस्टीसाइड्स प्रबंधन बिल-2017 पर कृषि मंत्रालय ने सभी हितधारकों से सुझाव मांगे है। हितधारकों को अपने सुझाव 15 दिन में देने होंगे।
देश में कृषि रसायनों मुख्य रूप से कीटनाशकों का सही
उपयोग न होने के कारण हर वर्ष इनके कुप्रभाव से हजारों किसानों को अपने
जीवन की बलि देनी पड़ती है। अत: किसानों के हितों की रक्षा के लिए कृषि
मंत्रालय पेस्टीसाइड्स प्रबंधन बिल-2017 को संसद से पारित कराना चाहता है
जो किसानों के हितों को पूर्ति करने वाला है। सूत्रों के अनुसार 11 जनवरी
2018 को केंद्रीय कृषि सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बिल से
संबंधित सभी पहलुओं पर विचार कर इसका ड्राफ्ट तैयार किया है।
इस
प्रस्तावित विधेयक में पेस्टीसाइड्स को नये सिरे से परिभाषित किया गया है।
इसमें खराब गुणवत्ता, मिलावटी या हानिकारक कीटनाशकों के नियमन एवं अन्य
मानदंड निर्धारित किये गए हैं।
देश में अभी भी बहुत से ऐसे
पेस्टीसाइड्स हैं जो अत्यधिक जहरीले हैं। इनमें दो पेस्टीसाइड्स
मोनोक्रोटोफॉस तथा आक्सीडेमेटान मिथाइल है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा
अत्यधिक विषैली श्रेणी (1 ए) में रखा गया है। देश के किसान अभी भी इनका
उपयोग कर रहे हैं। मोनोक्रोटोफॉस पेस्टीसाइड्स विश्व के 60 देशों में
प्रतिबंधित है। दूसरे पेस्टीसाइड्स जैसे फोरेट 37 देशों में, ट्राइजोफॉस 40
देशों में और फास्फोमिडान 49 देशों में प्रतिबंधित है परन्तु इनका उपयोग
देश व प्रदेश में किसानों द्वारा बिना सोचे-समझे किया जा रहा है। जिसके
कारण उन्हें इसका कुप्रभाव झेलना पड़ता है। बाजार में बिना रोक-टोक के
उपलब्ध होने के कारण किसान इनका लगातार उपयोग कर रहे हैं।
साल
2016 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेस्टीसाइड्स प्रबंधन विधेयक 2008
को नए सिरे से चर्चा एवं पारित किये जाने के लिये कामकाज की सूची में शामिल
किया गया था लेकिन यह पारित नहीं हो सका था। इससे पहले भी तत्कालीन संप्रग
सरकार ने वर्ष 2008 में पेस्टीसाइड्स प्रबंधन विधेयक संसद में पेश किया
था, लेकिन उस समय भी इसे पारित नहीं किया जा सका था। ...... आर एस राणा
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