आर एस राणा
नई
दिल्ली। उत्पादक राज्यों में खराब मौसम ने केंद्र सरकार को आयातित गेहूं
को हतोत्साहित करने के लिए शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला कुछ समय के लिए
टालने पर मजबूर कर दिया है। केंद्रीय कृषि सचिव एस के पटनायक ने शुक्रवार
को दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि गेहूं के आयात शुल्क में
बढ़ोतरी पर फैसला नहीं हो सका।
गेहूं के उत्पादन के बारे
में उन्होंने कहां कि चालू रबी में अभी तक मौसम फसल के अनुकूल ही रहा है
इसलिए गेहूं का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है।
हालांकि उन्होंने माना कि उत्पादन की सही तस्वीर 15 मार्च के बाद ही साफ
होगी। गेहूं के आयात पर इस समय 20 फीसदी आयात शुल्क है। सूत्रों के अनुसार
कृषि मंत्रालय ने आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढाकर 40 फीसदी करने का
प्रस्ताव किया था। चालू रबी सीजन में गेहूं की बुवाई में कमी आई है जबकि
उत्पादक राज्यों में चालू सप्ताह के शुरु में मौसम खराब हो गया था।
एग्रीकल्चर—2022
कार्यशाला के बारे में उन्होंने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के
लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक के साथ ही निजी
निवेश की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। इस कार्यशाला में कृषि
वैज्ञानिकों के साथ ही किसान प्रतिनिधियों और निजी सेक्टर को आमंत्रित किया
गया है। कार्यशाला के पहले दिन 19 फरवरी
को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ ही केंद्रीय कृषि
मंत्री राधामोहन सिंह बैठक में शामिल होंगेे जबकि 20 फरवरी को प्रधानमंत्री
खुद इस बैठक में शामिल होकर वैज्ञानिकों, किसानों संगठनों और अधिकारियों
के साथ विचार—विमर्श करेंगे।
इसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को
मजबूत बनाने के लिए शुरु की गई सभी बड़ी परियोजनाओं की बारिकी से समीक्षा
की जायेगी। किसानों के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुधार में राज्यों
की अहम भूमिका है, इसलिए राज्यों के प्रतिनिधियों को कार्यशाला में
आमंत्रित किया गया है।
कार्यशाला में
पशुधन, डेयरी और पोल्ट्री के साथ ही मत्सय पालन को प्रोत्साहन देने के
उपायों पर भी विचार किया जायेगा। किसानों के उत्पादों की बिक्री के लिए
मार्केटिंग, एग्रो लॉजिस्टिक और एग्रो वैल्यू सिस्टम को मजबूत बनाने पर जोर
दिया जायेगा।
किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
(एमएसपी) कैसे मिलें, इस पर कार्यशाला में कृषि विशेषज्ञों के साथ ही किसान
प्रतिनिधियों की सलाह अहम रहेगी। देश में 2 हैक्टेयर से छोटी जोत वाले
किसानों की संख्या ज्यादा है इसलिए छोटी जोत वाले किसानों की आय बढ़ाने के
उपायों पर मुख्य जोर दिया जायेगा।.....आर एस राणा
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