आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू उद्योग के भले के लिए केंद्र सरकार को आयातित क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क को 5 फीसदी कम कर देना चाहिए, जबकि रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को ज्यों का त्यों रखे। इससे घरेलू खाद्य तेल रिफाइनरी उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।
दिल्ली में आयोजित ग्लोब आॅयल में सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहां कि केंद्र सरकार को क्रुड पॉम तेल और रिफाइंड तेल के आयात में शुल्क के अंतर को 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर देना चाहिए। इससे रिफाइंड तेल के बजाए क्रुड पॉम तेल का आयात ज्यादा होगा, जिसका फायदा घरेलू उद्योग को मिलेगा। इस समय क्रुड पॉम तेल पर आयात शुल्क 30 फीसदी है जबकि रिफाइंड पाम तेल के आयात शुल्क 40 फीसदी है। दिसंबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन के औसतन भाव जहां 661 डॉलर प्रति टन रहे, वहीं क्रुड पॉम तेल के भाव इस दौरान 662 डॉलर प्रति टन थे।
भारतीय खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश है, तथा तेल वर्ष 2016—17 (नवंबर—16 से अक्टूबर—17) के दौरान कुल खपत के करीब 70 फीसदी खाद्य तेलों को आयात किया गया है। ऐसे में सरकार को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तिलहनों के उत्पादन को ज्यादा प्रोत्साहन देने की जरुरत है। तेल वर्ष 2016—17 के दौरान कुल 146 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है। अत: खाद्य तेलों का आयात बढ़ने से घरेलू तिलहनी फसलों के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई भावांतर योजना को अच्छी पहल बताते हुए उन्होंने कहां कि इससे सोयाबीन के किसानों को फायदा होगा।
उन्होंने कहां कि आम बजट 2018—19 में केंद्र सरकार ने किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) डेढ़ गुना देने का जो ऐलान किया है, इससे किसानों को लाभ होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से नीति निर्धारण में प्राइवेट उद्योग को भी भागदारी बनाने की मांग की है इससे मांग और सप्लाई की सही तस्वीर का पता चलेगा, जिससे नीति बनानी आसान होगी। .......... आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू उद्योग के भले के लिए केंद्र सरकार को आयातित क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क को 5 फीसदी कम कर देना चाहिए, जबकि रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को ज्यों का त्यों रखे। इससे घरेलू खाद्य तेल रिफाइनरी उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।
दिल्ली में आयोजित ग्लोब आॅयल में सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहां कि केंद्र सरकार को क्रुड पॉम तेल और रिफाइंड तेल के आयात में शुल्क के अंतर को 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर देना चाहिए। इससे रिफाइंड तेल के बजाए क्रुड पॉम तेल का आयात ज्यादा होगा, जिसका फायदा घरेलू उद्योग को मिलेगा। इस समय क्रुड पॉम तेल पर आयात शुल्क 30 फीसदी है जबकि रिफाइंड पाम तेल के आयात शुल्क 40 फीसदी है। दिसंबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन के औसतन भाव जहां 661 डॉलर प्रति टन रहे, वहीं क्रुड पॉम तेल के भाव इस दौरान 662 डॉलर प्रति टन थे।
भारतीय खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश है, तथा तेल वर्ष 2016—17 (नवंबर—16 से अक्टूबर—17) के दौरान कुल खपत के करीब 70 फीसदी खाद्य तेलों को आयात किया गया है। ऐसे में सरकार को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तिलहनों के उत्पादन को ज्यादा प्रोत्साहन देने की जरुरत है। तेल वर्ष 2016—17 के दौरान कुल 146 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है। अत: खाद्य तेलों का आयात बढ़ने से घरेलू तिलहनी फसलों के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई भावांतर योजना को अच्छी पहल बताते हुए उन्होंने कहां कि इससे सोयाबीन के किसानों को फायदा होगा।
उन्होंने कहां कि आम बजट 2018—19 में केंद्र सरकार ने किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) डेढ़ गुना देने का जो ऐलान किया है, इससे किसानों को लाभ होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से नीति निर्धारण में प्राइवेट उद्योग को भी भागदारी बनाने की मांग की है इससे मांग और सप्लाई की सही तस्वीर का पता चलेगा, जिससे नीति बनानी आसान होगी। .......... आर एस राणा
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