कुल पेज दृश्य

30 दिसंबर 2017

एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी की दैनिक टिप्स

प्रिय पाठकों,
एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी में दैनिक आधार पर किस भाव पर खरीद करें, क्या स्टोप लोस लगाए तथा टारगेट क्या है। ट्रायल लेने के लिए हमें फोन करें या ई-मेल करें,। यह सर्विस मोबाईल पर एसएमएस के माध्यम से दी जायेगी। इस सेवा के लिए हमें ई मेल
rsrana2001@gmail.com, rsrana2017@yahoo.com,   पर भेजे या फिर मोबाईल नं0 - 09811470207, 07678684719 पर संपर्क करें।
धन्यवाद,
आर एस राणा
09811470207

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी।
............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........
एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के लिए ----------------हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

आर एस राणा
rsrana2001@gmail.com
rsrana2017@yahoo.com
mobile no.  09811470207 , 07678684719

मध्य प्रदेश, कर्नाटका और आध्रप्रदेश में चना की बुवाई ज्यादा, यूपी में कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां मध्य प्रदेश और कर्नाटका तथा आंध्रप्रदेश में चना की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बुवाई घटी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चना की कुल बुवाई बढ़कर चालू रबी में 101.87 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 89.26 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में चना की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 34.96 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 28.50 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से कर्नाटका में चना की बुवाई बढ़कर 13.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 10.44 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। आंध्रप्रदेश में भी चना की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 4.99 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.04 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
राजस्थान में चालू रबी में चना की बुवाई घटकर 15.05 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 15.79 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में चालू रबी में चना की बुवाई घटकर 5.52 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 6.32 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। अन्य राज्यों में बिहार में 1.02 लाख हैक्टेयर में, छत्तीसगढ़ में 2.81 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 2.89 लाख हैक्टेयर में और झारखंड में 1.99 लाख हैक्टेयर में चना की बुवाई हो चुकी है।
कर्नाटका के साथ ही आंध्रप्रदेश की मंडियों में नए चना की आवक चालू हो गई है, जबकि महाराष्ट्र की मंडियों में चालू महीने के आखिर तक नई फसल की आवक बनेगी। इन राज्यों में बुवाई में बढ़ोतरी से पैदावार भी ज्यादा होने का अनुमान है। उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है जबकि आयातित चना भी बराबर आ रहा है। ऐसे में आगामी दिनों में चना की कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है।  ............  आर एस राणा

मसूर की बुवाई ज्यादा, उड़द और मूंग की कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां मसूर की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं उड़द के साथ ही मूंग की बुवाई में कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मसूर की बुवाई बढ़कर 16.83 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 16.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में मसूर की बुवाई बढ़कर 5.89 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 5.47 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। उधर उत्तर प्रदेश में चालू रबी में मसूर की बुवाई घटकर 5.92 लाख हैक्टयेर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 6.44 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। अन्य राज्यों में बिहार में 2.13 लाख हैक्टेयर में और पश्चिमी बंगाल में 1.41 लाख हैक्टयेर में मसूर की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 2.09 और 1.02 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
उड़द की बुवाई चालू रबी में घटकर 6.46 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.73 लाख हैक्टेयर में उड़द की बुवाई हो चुकी थी। मूंग की बुवाई चालू रबी सीजन में अभी तक केवल 2.96 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 3.62 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। ,..........   आर एस राणा

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में गेहूं की बुवाई कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के साथ ही हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की बुवाई में कमी आई है, जबकि पंजाब में बुवाई पिछले साल से बढ़ी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की कुल बुवाई घटकर अभी तक केवल 273.85 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 290.74 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चालू रबी में गेहूं की बुवाई घटकर अभी तक केवल 92.65 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 97.58 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मध्य प्रदेश में चालू सीजन में गेहूं की बुवाई घटकर 42.61 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 50.37 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। हरियाणा में गेहूं की बुवाई पिछले साल के 25.13 लाख हैक्टेयर से घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 24.78 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। राजस्थान में भी गेहूं की बुवाई अभी तक केवल 27.30 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 29.75 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
पंजाब में चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 34.80 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 34.70 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। अन्य राज्यों में गुजरात में गेहूं की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 10.13 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल राज्य में इस समय तक 8.93 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। बिहार में चालू रबी में गेहूं की बुवाई 20.70 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 20.68 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। अन्य राज्यों में छत्तीसगढ़ में गेहूं की बुवाई 1.12 लाख हैक्टेयर में, हिमाचल प्रदेश में 3.54 लाख हैक्टेयर में, जम्मू-कश्मीर में 1.83 लाख हैक्टेयर में, झारखंड में 1.75 लाख हैक्टेयर में, कर्नाटका में 1.74 लाख हैक्टेयर में, महाराष्ट्र में 6.48 लाख हैक्टेयर में और उत्तराखंड में 3.47 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।
केंद्रीय पूल में पहली दिसंबर को गेहूं का स्टॉक 216.65 लाख टन का है जबकि पिछले साल पहली दिसंबर 2016 को इसका स्टॉक केवल 164.96 लाख टन का ही था। पहली जनवरी  को तय मानकों के हिसाब गेहूं का बफर स्टॉक 108 लाख टन और 30 लाख टन रिजर्व को मिलाकर कुल 138 लाख टन का होना चाहिए। अतः केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तय मानकों से ज्यादा है। स्टॉक ज्यादा होने का प्रमुख कारण खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत मिलों द्वारा गेहूं की खरीद नहीं करना है।  ...............   आर एस राणा

29 दिसंबर 2017

रबी में दलहन की बुवाई बढ़ी, गेहूं के साथ ही मोटे अनाज व तिलहन की घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां दलहन की रिकार्ड बुवाई हुई है, वहीं तिलहन के साथ ही गेहूं की बुवाई में कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में कुल फसलों की बुवाई बढ़कर 565.79 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल के समान अवधि में 571.47 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई घटकर 273.85 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 290.74 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी दलहन की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 150.63 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 138.34 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। सामान्यतः रबी सीजन में दलहन की बुवाई 139.52 लाख हैक्टेयर में ही होती है।
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना के साथ ही मसूर की बुवाई भी बढ़ी है। चना की बुवाई बढ़कर 101.88 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 89.26 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में 16.83 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.11 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। उड़द और मूंग की बुवाई चालू रबी में पिछले साल की तुलना में घटी है।
चालू रबी में तिलहनों की बुवाई घटकर 74.27 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 79.56 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई अभी तक केवल 63.58 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 68.94 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी में मूंगफली की बुवाई 4.33 लाख हैक्टेयर में और अलसी की बुवाई 3.63 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में अभी तक 50.71 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय 51.28 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार घटकर 29.20 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 30.56 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। जौ की बुवाई भी चालू रबी में घटकर 7.12 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 7.18 लाख हैक्टेयर में जौ की बुवाई हो चुकी थी। मक्का की बुवाई जरुर चालू रबी में बढ़कर 13.57 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक मक्का की बुवाई केवल 13.15 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
धान की रौपाई चालू रबी में बढ़कर अभी तक 16.33 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 11.55 लाख हैक्टेयर में ही रौपाई हो पाई थी।.....  आर एस राणा

कपास का उत्पादन 375 लाख गांठ होने का अनुमान-सीएआई

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 375 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है। कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार पिछले साल कपास का उत्पादन 337.25 लाख गांठ का हुआ था। कॉटन एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार कपास का उत्पादन 377 लाख गांठ होने का अनुमान है।
सीएआई के अनुसार चालू सीजन कपास का आयात घटकर 20 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका आयात 27 लाख गांठ का हुआ था। निर्यात भी चालू फसल सीजन में घटकर 55 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 63 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। सीएआई के अनुसार चालू सीजन में अभी तक उत्पादक मंडियों में 147 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है।  .......  आर एस राणा

केंद्रीय पूल में 17.05 लाख दलहन का स्टॉक

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय पूल में दलहन का 17.05 लाख टन का बंपर स्टॉक मौजूद है जबकि सार्वजनिक कंपनियां केंद्रीय पूल से अभी तक केवल 3.5 लाख टन दलहन की ही बिक्री कर पाई हैं। केंद्रीय पूल में दलहन के कुल स्टॉक में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी अरहर और मूंग की है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर घरेलू मंडियों से 16.71 लाख टन दलहन की खरीद की खरीद की गइ है जबकि 3.79 लाख टन दालें सार्वजनिक कपंनियों के माध्यम से आयात की गई थी। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में 21 दिसंबर 2017 तक उत्पादक राज्यों से 3.49 लाख टन दालों की खरीद की गई है, इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मूंग की 2 लाख टन से ज्यादा है।
केंद्रीय पूल में दलहन के भारी-भरकम स्टॉक को हल्का करने के लिए केंद्र सरकार दलहन निर्यात करने पर विचार कर रही है, तथा करीब पौने दो लाख टन दलहन अफगनानिस्तान और अन्य पड़ौसी देशों को निर्यात करने की योजना है। रबी में चना के साथ ही मसूर की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है। माना जा रहा है कि चना और मसूर की के भाव नई फसल पर उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे रहेंगे, अतः इनकी भी एमएसपी पर खरीद बढ़ेगी। ऐसे में आगे केंद्रीय पूल में दलहन का स्टॉक और बढ़ने की उम्मीद है, जिसका असर दलहन की कीमतों पर रहेगा।  ................  आर एस राणा

बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 24 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 24.07 फीसदी और गैर बासमती चावल का निर्यात 41.85 फीसदी बढ़ा है। आगामी दिनों में बासमती चावल के निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है जिससे बासमती धान खासकर के पूसा 1,121 की कीमतों में और तेजी आने की संभावना है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 16,838.05 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 13,570.99 करोड़ रुपये का ही हुआ था।
गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान मूल्य के हिसाब से 14,804.25 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 10,436.75 करोड़ रुपये का हुआ था।
उत्पादक राज्यों में बासमती धान की दैनिक आवक कम होने लगी है तथा आगामी दिनों में दैनिक आवक और कम हो जायेगी। बासमती चावल में निर्यात मांग नए साल की छुट्टियां समाप्त होने के बाद और बढ़ेगी, इसलिए आगामी दिनों में इनकी कीमतों में तेजी आने का अनुमान है। हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा बासमती धान 1,121 के भाव शुक्रवार को 3,350 रुपये, डीपी के भाव 3,200 रुपये और पूसा 1,509 के भाव 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे। पूसा बासमती चावल 1,121 सेला का भाव 6,300 रुपये, स्टीम का 6,900 रुपये और रॉ का भाव 7,200 रुपये प्रति क्विंटल रहा।  ..............   आर एस राणा

आज डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले 3 महीने के ऊपरी स्तर पर

आज डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले 3 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। एक डॉलर की कीमत 64 रुपये के नीचे चली गई है। आज साल 2017 का अंतिम कारोबारी दिन है और आज के दिन नायमैक्स पर क्रूड का दाम 60 डॉलर के पार चला गया है। आपको बता दें पिछले 2.5 साल में पहली बार ये इस स्तर पर पहुंचा है। ब्रेंट क्रूड में भी 66 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। अमेरिका में एकाएक करीब 97 लाख बैरल क्रूड का भंडार गिर गया है। ऐसे में कीमतों को सपोर्ट मिला है। इस साल के दौरान कच्चा तेल घरेलू बाजार में करीब 5 फीसदी बढ़ा है। जबकि ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 13 से 18 फीसदी तक उछल गया है। डॉलर के मुकाबले रुपये में इस साल करीब 6 फीसदी की मजबूती आई है। इसी लिए ग्लोबल मार्केट के मुकाबले घरेलू बाजार में क्रूड का दाम कम बढ़ा है। सोना और चांदी भी एक महीने के ऊपरी स्तर पर चले गए हैं।

28 दिसंबर 2017

ग्लोबल मार्केट में सोना 1290 डॉलर के करीब

ग्लोबल मार्केट में सोना 1290 डॉलर के बेहद करीब पहुंच गया है। ये पिछले 3.5 हफ्ते का ऊपरी स्तर है। डॉलर में सुस्ती से सोने को सपोर्ट मिला है। डॉलर इंडेक्स भी 3 हफ्ते के निचले स्तर पर है। इस बीच चांदी पिछले 1 महीने के ऊपरी स्तर पर जाकर ठहर गई है। इसमें 16.5 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। कच्चे तेल में आज भी तेजी जारी है। ग्लोबल मार्केट में ब्रेंट का दाम 2.5 साल के ऊपरी स्तर पर है। इसमें 66.6 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। जबकि नायमैक्स क्रूड 60 डॉलर के बेहद करीब पहुंच गया है।  मेटल में भी तेजी जारी है और लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर पिछले 4 साल का ऊपरी स्तर छू चुका है। चीन में मांग बढ़ने के अनुमान से कीमतों को सपोर्ट मिला है। इस साल कॉपर में करीब 30 फीसदी की तेजी आ चुकी है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बढ़ गई है और 1 डॉलर की कीमत 64.20 रुपये के पार है।

27 दिसंबर 2017

ओएमएसएस के तहत 9.84 लाख टन गेहूं की निविदा आमंत्रित

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 9,84,150 टन गेहूं बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की है। ओएमएसएस के तहत गेहूं बेचने के लिए एफसीआई ने न्यूनतम भाव 1,790 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत सबसे ज्यादा गेहूं का आवंटन महाराष्ट्र के लिए 3.62 लाख टन का, हरियाणा के लिए 2.69 लाख टन और मध्य प्रदेश के लिए 1.14 लाख टन का आवंटन किया है। अन्य राज्यों में पश्चिमी बंगाल के लिए 60 हजार टन, उड़ीसा के लिए 50 हजार टन, तमिलनाडु के लिए 22,400 टन, राजस्थान के लिए 20 हजार टन, दिल्ली के लिए 16,000 टन, केरल के लिए 16,300 टन, उत्तर प्रदेश के लिए 15,000 टन, आंध्रप्रदेश के लिए 6,500 टन, पंजाब के लिए 5,150 टन, जम्मू-काश्मीर के लिए 4,250 टन, असम के लिए 4,000 टन, उत्तराखंड के लिए 3,200 टन, कर्नाटका के लिए 2,500 टन, बिहार के लिए 2,000 टन और गोवा के लिए 1,500 टन तथा गुजरात और झारखंड के लिए क्रमशः 1,000-1,000 टन का आवंटन किया है।
एफसीआई द्वारा बिक्री के लिए गेहूं का भाव उंचा तय किया हुआ है, जबकि उत्पादक मंडियों में इसके भाव नीचे बने हुए हैं, यहीं कारण है कि ओएमएसएस के तहत फ्लोर मिलें गेहूं की खरीद नहीं कर रही हैं। .........   आर एस राणा

केंद्रीय पूल से दलहन निर्यात की तैयारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन का बंपर बफर स्टॉक हल्का करने के लिए केंद्र सरकार हर तरह के प्रयास कर रही है लेकिन बफर स्टॉक कम नहीं हो पा रहा है। केंद्र सरकार अब केंद्रीय पूल से दलहन के निर्यात की तैयारी कर रही है। बफर स्टॉक को हल्का करने के लिए पहले राज्य सरकारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में दलहन आवंटन की योजना थी, लेकिन कुछ राज्य इसमें रुचि ले पाए।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने 1.70 लाख टन दलहन निर्यात की योजना बनाई है, यह दालें अफगानिस्तान और अन्य पड़ौसी देशों को निर्यात की जायेंगी। हालांकि इससे घरेलू बाजार में दलहन की कीमतों पर खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि केंद्रीय पूल में दलहन का करीब 17 से 18 लाख टन का स्टॉक जमा है।   ......   आर एस राणा

किसानों को नहीं होगा घाटा, मिलेगा मुआवजा

किसानों को केंद्र सरकार बड़ी राहत दे सकती है। खास करके आलू, प्याज और दूसरी सब्जियों को घाटे में बेचने वाले किसानों के लिए केंद्र सरकार एमएसपी की तर्ज पर मार्केट सपोर्ट प्राइज नीति बनाने में जुटी है। नई नीति के तहत घाटे में फसल बेचने पर किसानों को मुआवजा मिलेगा। सरकार फसल, सब्जियों का एक वाजीब कीमत तय करेगी। ये नई नीति जिन फसलों की एमएसपी नहीं होती है उनके लिए होगी। जिसके तहत वाजिब किमत से कम दाम में फसल बेचने पर सरकार मुआवजा देगी। वाजिब कीमत और बेचे गए फसल की कीमत के अंतर का सरकार भुगतान करेगी। किसानों को मिले दाम का आकलन मंडी के औसत कीमत पर तय किया जाएगा। किसानों को भुगतान सीधे उनके खाते में किया जाएगा। बता दें कि प्याज, आलू, मिर्ची की एमएसपी नहीं मिलती। अभी सिर्फ 25 आइटम पर सरकार एमएसपी तय करती है।

आज डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी

आज डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आई है। एक डॉलर की कीमत 64.15 रुपये के पार चली गई है जो पिछले 2 हफ्ते का निचला स्तर है। ग्लोबल मार्केट में सोना पिछले 3 हफ्ते के ऊपरी स्तर से दबाव में आ गया है। इसमें हल्की गिरावट के साथ कारोबार हो रहा है। हालांकि इसका भाव अभी भी 1280 डॉलर के ऊपर है। वहीं कच्चे तेल में भी 2.5 साल के ऊपरी स्तर से गिरावट आई है। ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 0.5 फीसदी फिसल गया है। अभी ब्रेंट 66 डॉलर और नायमैक्स 59 डॉलर के ऊपर है। कल की तेजी के बाद आज नैचुरल गैस में भी हल्की गिरावट आई है। लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर का दाम 3.5 साल का ऊपरी स्तर छू चुका है। चीन में मांग बढ़ने के अनुमान से कीमतों को सपोर्ट मिला है।

26 दिसंबर 2017

उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 28 लाख टन के करीब

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर से 22 दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 12.70 फीसदी बढ़कर 27.99 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 21.94 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार चालू पेराई सीजन में जल्दी पेराई आरंभ होने से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। राज्य में इस समय 116 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा चालू पेराई सीजन में गन्ने में रिकवरी की दर औसतन 10.10 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले साल रिकवरी की दर 9.86 फीसदी की थी।
चीनी में स्टॉकिस्टों की मांग बढ़ने से 25 रुपये का सुधार आया है, हालांकि मिलों के पास उत्पादन बढ़ रहा है तथा आगे चीनी मिलों की बिकवाली और बढ़ेगी, इसलिए ज्यादा तेजी की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन स्टॉकिस्टों की मांग आने से मौजूदा भाव में और भी 25 से 40 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आ सकता है। दिल्ली में मंगलवार को चीनी के भाव 3,600 से 3,675 रुपये प्रति क्विंटल रहे।    ..................   आर एस राणा

फिर बढ़ सकती है प्याज की एमईपी

एक बार फिर प्याज की एमईपी बढ़ सकती है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक ​प्याज के दामों पर काबू पाने के कदम के तहत प्याज का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइज यानि एमईपी 850 डॉलर प्रति टन से बढ़ कर 1050 डॉलर प्रति टन किया जा सकता है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही प्याज की एमईपी 850 डॉलर प्रति टन की गई थी जिसको अब फिर बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब ये हैं कि एमईपी के नीचे प्याज का इंपोर्ट संभव नहीं होगा। पिछले दिनों हुई सचिवों की बैठक में इस पर सहमति बनी है।

कच्चे तेल में तेजी

कच्चे तेल में आज तेजी आई है,  सप्लाई में कमी और डॉलर में नरमी से ग्लोबल मार्केट में इसका भाव 2.5 साल के ऊपरी स्तर के पास चला गया है। अगले हफ्ते फोर्टिस पाइपलाइन को दोबारा शुरू होने की भी उम्मीद है। ऐसे में सवाल ये है कि ये तेजी कितनी टिकाऊ है। इस बीच नैचुरल गैस में जोरदार उछाल आया है। घरेलू बाजार में इसका दाम करीब 3.5 फीसदी उछल गया है। सोने में तेजी आई है और घरेलू बाजार में इसका दाम 28750 रुपये के ऊपर चला गया है। पिछले 2 हफ्ते में सोने का भाव करीब 700 रुपये बढ़ गया है। चांदी में भी बढ़त पर कारोबार हो रहा है, इसका भाव 38000 रुपये के पार है। बेस मेटल में कॉपर और लेड को छोड़कर बाकी में दबाव है। आज एलएमई बंद है और चीन में बेस मेटल की चाल बेहद सुस्त है। स्टील की कीमतों में आई गिरावट से शंघाई में निकेल का दाम पिछले 5 महीने के ऊपरी स्तर से गिर गया है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया सपाट है। एक डॉलर की कीमत 64 रुपए के पास है।

22 दिसंबर 2017

रबी में दलहन की बुवाई में भारी बढ़ोतरी, तिलहन और गेहूं की पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां दलहन की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है, वहीं तिलहन के साथ ही गेहूं की बुवाई में कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में कुल फसलों की बुवाई बढ़कर 546.02 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल के समान अवधि में 544.97 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई घटकर 262.74 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 272.62 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी दलहन की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 146.06 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 133.94 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना के साथ ही मसूर की बुवाई भी बढ़ी है। चना की बुवाई बढ़कर 99.89 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 87.71 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में 16.57 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 15.90 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। उड़द की बुवाई चालू रबी में पिछले साल बढ़ी है लेकिन मूंग की बुवाई कम हुई है।
चालू रबी में तिलहनों की बुवाई घटकर 73.03 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 78.27 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई अभी तक केवल 62.80 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 68.22 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी में मूंगफली की बुवाई 4.14 लाख हैक्टेयर में और अलसी की बुवाई 3.48 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में अभी तक 49.41 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय 49.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार घटकर 28.96 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 30.32 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। जौ की बुवाई भी चालू रबी में घटकर 6.89 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.97 लाख हैक्टेयर में जौ की बुवाई हो चुकी थी। मक्का की बुवाई जरुर चालू रबी में बढ़कर 12.76 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक मक्का की बुवाई केवल 12.18 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
धान की रौपाई चालू रबी में बढ़कर अभी तक 14.78 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 10.31 लाख हैक्टेयर में ही रौपाई हो पाई थी।.............   आर एस राणा

पॉम तेल में गिरावट से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों में मंदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। आयातित पॉम तेल की कीमतों में मंदा आने से घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। केंद्र सरकार द्वारा आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाने के बावजूद भी नवंबर में खाद्य तेलों का आयात ज्यादा हुआ था, जबकि घरेलू मंडियों में खरीफ तिलहनों की आवकों का भी दबाव है इसलिए घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है।
विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में मंदा बना हुआ है, मलेशिया में पॉम तेल की कीमतों में 2 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। भारत द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा देने से मलेशिया में पॉम तेल का भंडार पिछले दो साल के उपरी स्तर पर पहुंच गया है जिसका इसकी कीमतों पर पड़ा है।
सोयाबीन की कीमतों में भी विश्व बाजार में गिरावट बनी हुई है। ब्राजील में सोयाबीन की रिकार्ड पैदावार का अनुमान है जबकि अर्जेंटीना में भी मौसम सुधरने से इसकी पैदावार बढ़ने का अनुमान है। यही कारण है कि विश्व बाजार में सोयबीन के भाव पिछले 3 महीने के नीचले स्तर पर आ गए हैं।   ...........  आर एस राणा

डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की कमजोरी

आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की कमजोरी के साथ कारोबार हो रहा है।  ग्लोबल मार्केट में कच्चा तेल और सोना बेहद छोटे दायरे में कारोबार कर रहे हैं। इसमें ऊपरी स्तर से दबाव दिख रहा है।

21 दिसंबर 2017

चना पर 30 फीसदी आयात शुल्क लगा, शाम तक होगी अधिसूचना जारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चना के आयात पर 30 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया है, तथा शाम तक इसकी अधिसूचना जारी हो जायेगी। सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताह भी आयात शुल्क बढ़ाने का लेकर सचिव की कमेटी की बैठक हुई थी, लेकिन महंगाई बढ़ने के कारण इस पर फैसला नहीं हो सका था।
चना की कीमतों में आयात शुल्क लगने की खबर से तेजी आई है, माना जा रहा है कि मौजूदा भाव में 100 से 150 रुपये की और तेजी आये, तो स्टॉक बेचना चाहिए, क्योंकि चालू सीजन में घरेलू बाजार में चना की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है, तथा अगले महीने दक्षिण भारत के राज्यों में नए चना की आवक चालू हो जायेगी। उधर आस्ट्रेलिया में चना का उत्पादन 10.50 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में कम है। भारत सरकार द्वारा आयातित चना पर 30 फीसदी शुल्क लगा देने से आस्ट्रेलिया में चना की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है। आस्ट्रेलियाई पुराने चना के भाव 20 दिसंबर को बंदरगाह पर 4,300 रुपये और नए चना के भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल थे।   ...............  आर एस राणा

सोना दो हफ्ते के ऊपरी स्तर पर

सोना दो हफ्ते के ऊपरी स्तर पर है। इसमें 1265 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। अमेरिका में टैक्स रिफॉर्म बिल पास होने के बाद डॉलर दो हफ्ते के निचले स्तर पर फिसल गया है। हालांकि गोल्डमैन सैक्स ने अगले साल सोने को 1200 डॉलर तक गिरने की आशंका जताई है। इस बीच एलएमई पर कॉपर दो महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। आज डॉलर के मुकाबले रुपए में हल्की मजबूती आई है। कल की जोरदार तेजी के बाद कच्चा तेल दबाव में आ गया है। हालांकि दबाव के बावजूद ब्रेंट 64 डॉलर के ऊपर है। जबकि नायमैक्स क्रूड में 58 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार 65 लाख बैरल गिर गया है। और ये पिछले 2साल के निचले स्तर पर आ गया है। ऐसे में कल कच्चे तेल में जोरदार तेजी आई थी। लेकिन अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन साल 1970 के बाद सबसे ऊपरी स्तर पर चला गया है। ऐसे में ऊपरी स्तर से क्रूड में दबाव भी शुरु हो गया है।


20 दिसंबर 2017

चीनी वायदा के ट्रांजेक्शन चार्ज में भारी कटौती




स्टॉक लिमिट हटने के बाद कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स ने चीनी वायदा के ट्रांजेक्शन चार्ज में भारी कटौती की है। एक्सचेंज ने इसे 4 रुपये से घटाकर 10 पैसे कर दिया है। यानि प्रति 1 लाख रुपये के सौदे पर दस पैसे ट्रांजेक्शन चार्ज लगेगा। दरअसल एक्सचेंज पर चीनी के सौदे होने बंद हो गए थे। स्टॉक लिमिट की वजह से कारोबारी चीनी में सौदे नहीं कर रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार का स्टॉक लिमिट हटाने के फैसले के बाद एक्सचेंज को चीनी वायदा में कारोबार बढ़ने की उम्मीद है।   

डॉलर के मुकाबले रुपया रुपया 3 महीने के ऊपरी स्तर

डॉलर के मुकाबले रुपया रुपया 3 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। डॉलर की कीमत 64 रुपये के पास आ गई है। डॉलर में नरमी है, ऐसे में रुपये को सपोर्ट मिला है। इस साल के दौरान रुपये में करीब 6 फीसदी की मजबूती आ चुकी है। वहीं डॉलर में नरमी से ग्लोबल मार्केट में सोने में तेजी का रुख है। कॉमैक्स पर सोना 1260 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रहा है। कच्चे तेल में भी बढ़त जारी है और ब्रेंट का दाम 64 डॉलर के पास है। चीन में उत्पादन घटने से लंदन मेटल एक्सचेंज पर एल्युमिनियम का दाम बढ़ गया है।

19 दिसंबर 2017

ओएमएसएस के तहत 10.46 लाख टन गेहूं की निविदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं बेचने के लिए 10.46 लाख टन की निविदा मांगी हैं, निविदा भरने का न्यूनतम भाव 1,790 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्पादक राज्यों में गेहूं का भाव निविदा के भाव से कम होने के कारण फ्लोर मिलें उत्पादक मंडियों से ही गेहूं की खरीद कर रही है। अतः ओएमएसएस के तहत बिक्री न के बराबर हो पा रही है।
एफसीआई द्वारा जारी निविदा के अनुसार महाराष्ट्र में 3028 लाख टन और हरियाणा में 2.69 लाख अन तथा मध्य प्रदेश में 1.14 लाख टन गेहूं बेचने हेतु निविदा मांगी है। इसके अलावा पंजाब से 97,650 टन, पश्चिमी बंगाल के लिए 60 हजार, उड़ीसा के लिए 50 हजार टन, तमिलनाडु के लिए 21 हजार टन, राजस्थान के लिए 20 हजार टन, चंडीगढ़ के लिए 17,300 टन, दिल्ली के लिए 16,000 टन, उत्तर प्रदेश के लिए 15 हजार टन, केरल के लिए 14 हजार टन और आंध्रप्रदेश के लिए 6,500 टन गेहूं का आवंटन किया है। ..........  आर एस राणा