भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को पिछले दो वर्षों में अनाज के भंडारण की
समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था लेकिन इस बार गेहूं का ज्यादा उत्पादन
होने और उसकी सरकारी खरीद बढऩे पर निगम के सामने अनाज के भंडारण का गंभीर
मसला खड़ा हो सकता है। संभावित स्थिति से निपटने के लिए निगम अभी से रणनीति
बनाने में जुट गया है। केंद्रीय खाद्य, आपूर्ति एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने
15 फरवरी को जारी एक बयान में कहा था कि अप्रैल से शुरू होने वाले गेहूं
खरीद सत्र में सरकार ने 3.3 करोड़ टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है। यह
वर्ष 2016 में की गई 2.29 करोड़ टन खरीद से करीब 33 फीसदी अधिक है। हालांकि
गेहूं खरीद का यह लक्ष्य पूरे साल के लिए रखा गया है लेकिन इसमें से बहुत
बड़ा हिस्सा अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान ही खरीद लिया जाएगा।
इसी तरह खरीफ फसलों के विपणन वर्ष 2016-17 में सरकारी एजेंसियों ने 15
फरवरी तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 4.37 करोड़ टन धान की खरीद कर ली है।
इसके अलावा एफसीआई ने छोटे किसानों के कंसोर्टियम एसएफएसी और भारतीय
राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के साथ मिलकर 15 फरवरी तक करीब
10 लाख टन दालें भी खरीदी हैं। सरकार ने पहले खरीफ सत्र में उपजे धान के
लिए 3.3 करोड़ टन खरीद का लक्ष्य रखा था लेकिन बाद में उसमें 50 लाख टन की
बढ़ोतरी कर दी गई।
एफसीआई के एक सूत्र ने बताया कि सरकार ने उसे देश के अलग-अलग इलाकों
से दालों की खरीद करने को कहा है लेकिन उसे रखने के लिए अतिरिक्त स्थान की
जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य भी करीब 1 करोड़
टन बढ़ा दिया है। उस अधिकारी ने कहा, 'ऐसी स्थिति में हमें इस साल खरीदे
हुए अनाज को रखने के लिए अतिरिक्त स्थान की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए हम निजी
गोदामों की सेवाएं ले सकते हैं।' पिछले दो वर्षों में तो अनाज उत्पादन कम
रहने से सरकारी खरीद में भी उछाल नहीं आई थी। इस वजह से एफसीआई को भंडारण
के लिए जगह की कमी महसूस नहीं हुई थी। उस दौरान निजी गोदामों की जरूरत ही
नहीं पड़ी।
वैसे इस साल भी निजी गोदामों की जरूरत तभी पड़ेगी जब बड़ी
बहुराष्ट्रीय अनाज कंपनियों की तरफ से किसानों की दी जाने वाली कीमतें
सरकारी मूल्य से कम होंगी। एफसीआई के एक अधिकारी ने कहा, 'अगर कंपनियों ने
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक भाव दिया तो भरोसेमंद कंपनियां अधिक
अनाज खरीद सकती हैं। इसके बावजूद एफसीआई ने मार्च के अंत से शुरू होने
वाली खरीद प्रक्रिया में 2.55 करोड़ टन से लेकर 2.85 करोड़ टन गेहूं खरीदने
की योजना बनाई है।'
बहरहाल यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों में अनाज की खरीद करने वाली
सरकारी एजेंसियों ने अपनी भंडारण क्षमता में काफी सुधार किया है। केंद्र और
राज्य सरकारों की खरीद एजेंसियों की कुल भंडारण क्षमता छह वर्षों में एक
तिहाई बढ़कर 8.14 करोड़ टन हो गई है। इनके अलावा केंद्रीय भंडारण निगम,
राज्य भंडारण निगम और निजी निवेशकों ने भी 1.33 करोड़ टन भंडारण की क्षमता
का निर्माण किया है। एफसीआई ने इसमें से 1.24 करोड़ टन क्षमता वाले गोदामों
का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।
नैशनल कोलैटरल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय कौल
का कहना है कि परंपरागत अनाज बाजारों में भंडारण को लेकर कोई समस्या नहीं
होगी लेकिन गैर-परंपरागत बाजारों में ऐसी समस्या खड़ी हो सकती है। दरअसल
सरकार का अनुमान है कि वर्ष 2016-17 के फसल सत्र में चावल और गेहूं दोनों
का ही उत्पादन अच्छा रहेगा। कृषि मंत्रालय ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा
है कि इस बार चावल का उत्पादन 10.88 करोड़ टन और गेहूं का उत्पादन 9.66
करोड़ टन रह सकता है। (BS Hindi)
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