कुल पेज दृश्य

20 अगस्त 2015

महाराष्ट्र और कर्नाटका में बारिष कम होने से अरहर को नुकसान की आषंका


म्यंामार में स्टॉक कम होने से आयात पड़ते महंगे, घरेलू बाजार में और तेजी संभव
आर एस राणा
नई दिल्ली। अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटका में बारिष सामान्य से कम होने का असर इसकी फसल पर पड़ने की आषंका बनी हुई है। इसीलिए अरहर की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। म्यांमार में अरहर का स्टॉक कम है जबकि नई फसल आने में अभी काफी टाइम है, ऐसे में घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटका में मध्य जुलाई से मध्य अगस्त तक बारिष सामान्य से कम हुई है जिससे फसल को नुकसान होने की आषंका है। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में अरहर की बुवाई 32.18 लाख हैक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 31.67 लाख हैक्टेयर से तो ज्यादा है, बारिष की कमी का असर पैदावार पर पड़ सकता है। महाराष्ट्र में चालू खरीफ में अरहर की बुवाई 9.43 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 9.03 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। कर्नाटका में केवल 5.25 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है जबकि पिछले इस समय तक 6.3 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
दलहन कारोबारी दुर्गा प्रसाद ने बताया कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में स्टॉक कम होने के साथ ही आयात पड़ते महंगे होने से घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। पिछले दस दिनों में अरहर की कीमतों में करीब 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। दिल्ली में गुरूवार को अरहर की कीमतें बढ़कर 9,500 से 10,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है जबकि उत्तर प्रदेष की कानपुर मंडी में इसके भाव 9,250 रुपये, लातूर मंडी में अरहर लाल के भाव 10,500 रुपये, इंदौर मंडी में 10,000 रुपये और नागपुर मंडी में 10,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
दलहन व्यापारी संतोष उपाध्याय ने बताया कि म्यंमार में अरहर का स्टॉक कम पिछले साल से कम है साथ ही भारत की बढ़ती आयात मांग के कारण भाव में लगातार तेजी बनी हुई है। मुंबई में लेमन अरहर के भाव बढ़कर 9,650 से 9,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए जबकि 10 अगस्त को इसके भाव 8,000 रुपये प्रति क्विंटल थे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2014-15 में अरहर की पैदावार घटकर 27.8 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 31.17 लाख टन की हुई थी।........आर एस राणा

कोई टिप्पणी नहीं: