बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पंजीकरण
प्रक्रिया शुरू करने से पहले यह प्रस्ताव रखा है कि पंजीकरण और लेन-देन
शुल्क के मामले में जिंस एक्सचेंजों के ब्रोकरों पर भी वहीं शर्तें लागू
होनी चाहिए, जो शेयर बाजार के ब्रोकरों पर लगी हुई हैं। इस समय जिंस ब्रोकर
सीधे वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के नियंत्रण में नहीं हैं। अब एफएमसी का
विलय सेबी में किया जा रहा है। जिंस ब्रोकिंग समुदाय के प्रतिनिधियों के
साथ हाल की एक बैठक में सेबी ने कहा कि जिंस ब्रोकरों पर वहीं नियम लागू
होने चाहिए, जो इक्विटी ब्रोकरों पर लगे हुए हैं। सेबी ने कहा कि इक्विटी
ब्रोकर 50,000 रुपये का पंजीकरण शुल्क चुकाते हैं, इसलिए जिंस ब्रोकरों पर
भी इतना ही पंजीकरण शुल्क लगना चाहिए।
इसके अलावा सेबी ने यह भी कहा कि लेन-देने फीस बराबर होनी चाहिए, इसलिए जिंस ब्रोकरों को 0.02 फीसदी ट्रांजेक्शन शुल्क चुकाना चाहिए। इक्विटी ब्रोकर वायदा में कारोबार के लिए इतना ही ट्रांजेक्शन शुल्क लगाते हैं। इसका मतलब है कि वायदा प्लेटफॉर्म पर 1 करोड़ रुपये के लेन-देन पर 200 रुपये ट्रांजेक्शन शुल्क लगेगा। इस समय सेबी खुद में एफएमसी के प्रस्तावित विलय से पहले जिंस ब्रोकरों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देश तैयार कर रहा है। जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण अगस्त के अंत तक शुरू होने के आसार हैं, जबकि सेबी में एफएमसी का विलय सितंबर तक पूरा होने की संभावना है।
हालांकि जिंस ब्रोकरों ने सेबी को सिफारिश दी है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जिंस एक्सचेंजों के सदस्यों में विभेद किया जाना चाहिए। वहीं जिंसों में सीटीटी (जिंस लेन-देन क र) और गैर-सीटीटी सेगमेंट को अलग-अलग रखा जाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि जिंस ब्रोकरों ने प्रस्ताव रखा है कि राष्ट्रीय स्तर के ब्रोकर से 50,000 और क्षेत्रीय ब्रोकर से 25,000 रुपये पंजीकरण शुल्क वसूला जाए, जबकि सेबी 50,000 रुपये के एकसमान पंजीकरण शुल्क के पक्ष में है। उन्होंने कहा, 'हमने कहा है कि क्षेत्रीय एक्सचेंजों के सदस्यों की वित्तीय क्षमता कमजोर होती है और इसलिए उन्हें कम फीस चुकाने की मंजूरी दी जाए। एक राष्ट्रीय ब्रोकर के लिए 50,000 रुपये का पंजीकरण शुल्क ठीक है।' दरअसल संपूर्ण बाजार के विकास के लिए सिस्टम में क्षेत्रीय ब्रोकरों का होना जरूरी है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि क्षेत्रीय ब्रोकरों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। (BS Hindi)
इसके अलावा सेबी ने यह भी कहा कि लेन-देने फीस बराबर होनी चाहिए, इसलिए जिंस ब्रोकरों को 0.02 फीसदी ट्रांजेक्शन शुल्क चुकाना चाहिए। इक्विटी ब्रोकर वायदा में कारोबार के लिए इतना ही ट्रांजेक्शन शुल्क लगाते हैं। इसका मतलब है कि वायदा प्लेटफॉर्म पर 1 करोड़ रुपये के लेन-देन पर 200 रुपये ट्रांजेक्शन शुल्क लगेगा। इस समय सेबी खुद में एफएमसी के प्रस्तावित विलय से पहले जिंस ब्रोकरों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देश तैयार कर रहा है। जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण अगस्त के अंत तक शुरू होने के आसार हैं, जबकि सेबी में एफएमसी का विलय सितंबर तक पूरा होने की संभावना है।
हालांकि जिंस ब्रोकरों ने सेबी को सिफारिश दी है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जिंस एक्सचेंजों के सदस्यों में विभेद किया जाना चाहिए। वहीं जिंसों में सीटीटी (जिंस लेन-देन क र) और गैर-सीटीटी सेगमेंट को अलग-अलग रखा जाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि जिंस ब्रोकरों ने प्रस्ताव रखा है कि राष्ट्रीय स्तर के ब्रोकर से 50,000 और क्षेत्रीय ब्रोकर से 25,000 रुपये पंजीकरण शुल्क वसूला जाए, जबकि सेबी 50,000 रुपये के एकसमान पंजीकरण शुल्क के पक्ष में है। उन्होंने कहा, 'हमने कहा है कि क्षेत्रीय एक्सचेंजों के सदस्यों की वित्तीय क्षमता कमजोर होती है और इसलिए उन्हें कम फीस चुकाने की मंजूरी दी जाए। एक राष्ट्रीय ब्रोकर के लिए 50,000 रुपये का पंजीकरण शुल्क ठीक है।' दरअसल संपूर्ण बाजार के विकास के लिए सिस्टम में क्षेत्रीय ब्रोकरों का होना जरूरी है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि क्षेत्रीय ब्रोकरों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। (BS Hindi)
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