केंद्र ने प्याज की तेजी रोकने के लिए एमईपी 700 डॉलर किया
आर एस राणा
नई दिल्ली। प्याज की कीमतों में चल रही तेजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 425 डॉलर से बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर दिया। साथ ही 10,000 टन प्याज आयात के लिए भी निविदा आमंत्रित की है।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने प्याज की नई फसल की आवक के समय अप्रैल महीने में प्याज के एमईपी को 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर 250 डॉलर प्रति टन किया था लेकिन घरेलू मंडियों में प्याज की कीमतों में आई तेजी के कारण उपभोक्ताओं के हित के लिए केंद्र सरकार ने जून महीने में एमईपी को बढ़ाकर 425 डॉलर प्रति टन कर दिया था।
प्याज की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है तथा खुदरा में प्याज के भाव बढ़कर 70 से 75 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। आजादपुर मंडी में सप्ताहभर में प्याज की कीमतों में 600 से 750 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। मंडी में पूना लाईन के प्याज का भाव बढ़कर 1,900 से 2,100 रुपये प्रति 40 किलो हो गया।
इस समय प्याज का लीन सीजन चल रहा है तथा मंडियों में इस समय रबी सीजन का प्याज आ रहा है, अक्टूबर में खरीफ के प्याज की आवक षुरु हो जायेगी। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में प्याज का करीब 20 से 22 लाख टन का बकाया स्टॉक जमा है लेकिन तेजी के कारण स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है।
प्याज की पैदावार देष में रबी सीजन के अलावा खरीफ और लेट खरीफ में भी होता है। रबी प्याज की आवक उत्पादक मंडियोें में मार्च से जून महीने तक होती है जबकि खरीफ प्याज की आवक अक्टूबर से दिसंबर तक तथा लेट खरीफ प्याज की आवक उत्पादक मंडियों में जनवरी से मार्च तक होती है। खरीफ में प्याज का उत्पादन 15 से 20 फीसदी और लेट खरीफ में 20 से 25 फीसदी होता है जबकि रबी में प्याज का उत्पादन 60 से 65 फीसदी तक होता है। इस समय उत्पादक मंडियों में रबी सीजन की प्याज की आवक बनी हुई है।
कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में प्याज की बुवाई 11.92 लाख हैक्टेयर में हुई है तथा पैदावार 193.57 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी बुवाई 12.03 लाख हैक्टेयर में हुई थी तथा पैदावार 194.01 लाख टन की हुई थी। रबी सीजन में प्याज की खुदाई के समय कई क्षेत्रों में बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से भी फसल को नुकसान हुआ था जिसकी वजह से प्याज का स्टॉक पिछले साल की तुलना में कम हुआ, उसकी का असर इस समय कीमतों पर देखा जा रहा है।
वित वर्ष 2014-15 के के दौरान 10.86 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में देष से 13.58 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था जबकि इसके पिछले वित वर्ष 2012-13 में 16.66 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था।............आर एस राणा
आर एस राणा
नई दिल्ली। प्याज की कीमतों में चल रही तेजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 425 डॉलर से बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर दिया। साथ ही 10,000 टन प्याज आयात के लिए भी निविदा आमंत्रित की है।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने प्याज की नई फसल की आवक के समय अप्रैल महीने में प्याज के एमईपी को 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर 250 डॉलर प्रति टन किया था लेकिन घरेलू मंडियों में प्याज की कीमतों में आई तेजी के कारण उपभोक्ताओं के हित के लिए केंद्र सरकार ने जून महीने में एमईपी को बढ़ाकर 425 डॉलर प्रति टन कर दिया था।
प्याज की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है तथा खुदरा में प्याज के भाव बढ़कर 70 से 75 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। आजादपुर मंडी में सप्ताहभर में प्याज की कीमतों में 600 से 750 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। मंडी में पूना लाईन के प्याज का भाव बढ़कर 1,900 से 2,100 रुपये प्रति 40 किलो हो गया।
इस समय प्याज का लीन सीजन चल रहा है तथा मंडियों में इस समय रबी सीजन का प्याज आ रहा है, अक्टूबर में खरीफ के प्याज की आवक षुरु हो जायेगी। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में प्याज का करीब 20 से 22 लाख टन का बकाया स्टॉक जमा है लेकिन तेजी के कारण स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है।
प्याज की पैदावार देष में रबी सीजन के अलावा खरीफ और लेट खरीफ में भी होता है। रबी प्याज की आवक उत्पादक मंडियोें में मार्च से जून महीने तक होती है जबकि खरीफ प्याज की आवक अक्टूबर से दिसंबर तक तथा लेट खरीफ प्याज की आवक उत्पादक मंडियों में जनवरी से मार्च तक होती है। खरीफ में प्याज का उत्पादन 15 से 20 फीसदी और लेट खरीफ में 20 से 25 फीसदी होता है जबकि रबी में प्याज का उत्पादन 60 से 65 फीसदी तक होता है। इस समय उत्पादक मंडियों में रबी सीजन की प्याज की आवक बनी हुई है।
कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में प्याज की बुवाई 11.92 लाख हैक्टेयर में हुई है तथा पैदावार 193.57 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी बुवाई 12.03 लाख हैक्टेयर में हुई थी तथा पैदावार 194.01 लाख टन की हुई थी। रबी सीजन में प्याज की खुदाई के समय कई क्षेत्रों में बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से भी फसल को नुकसान हुआ था जिसकी वजह से प्याज का स्टॉक पिछले साल की तुलना में कम हुआ, उसकी का असर इस समय कीमतों पर देखा जा रहा है।
वित वर्ष 2014-15 के के दौरान 10.86 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में देष से 13.58 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था जबकि इसके पिछले वित वर्ष 2012-13 में 16.66 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था।............आर एस राणा
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