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14 जून 2011

अनिश्चितता के चलते फल उत्पादन में आशातीत वृद्धि नहीं

आर.एस. राणा नई दिल्ली
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विरोधाभास - किसानों को फसल से कम फायदा जबकि उपभोक्ताओं के लिए दाम दोगुनेसेब :- नए बाग लगाने के लिए उच्च क्वालिटी के पौधों की कमी है। खाद और दवाइयां भी नहीं मिल रहीं।संतरा :- मौसम में बदलाव के कारण फलों की खेती लाभकारी नहीं है। नई पीढ़ी बागानों में कम रुचि ले रही है।आम:- फलों के उत्पादन में प्रकृति का बड़ा महत्वपूर्ण रोल है। आंधी-तूफान से आम की फसल को काफी नुकसान हुआ। केला :- जलगांव में भाव तेजी से गिरे। दो माह में भाव 600 रुपये से घटकर 400-500 रुपये क्विंटल रह गए।फलों की खेती में मौसम और बाजार संबंधी अनिश्चितता के चलते ज्यादा जोखिम होने के कारण इसका उत्पादन ज्यादा नहीं बढ़ रहा है। फलों की खेती का क्षेत्रफल में भी आशातीन बढ़ोतरी नहीं हो रही है। वर्ष 2010-11 में देश में फलों के बुवाई क्षेत्रफल में केवल 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि इस दौरान फलों के उत्पादन में मात्र पांच फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) के अनुसार वर्ष 2010-11 में फलों की बुवाई 64.52 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि इस दौरान उत्पादन 7.51 करोड़ टन होने का अनुमान है।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2010-11 में फलों की बुवाई 64.52 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि इसके पिछले साल 63.29 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
वर्ष 2010-11 में देश में फलों का उत्पादन बढ़कर 7.51 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 7.15 करोड़ टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2011-12 में बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के लिए 1,200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। जबकि 2010-11 में 986 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था जिसमें से 970.86 करोड़ रुपये जारी किए गए।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिस अनुपात में जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है, उसके अनुसार फलों का उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। इसके अलावा पिछले दो-तीन सालों में आम आदमी की फल खरीदने की शक्ति भी बढ़ी है। इसीलिए फलों के दाम पिछले दो-तीन साल में लगभग दोगुने हो चुके हैं।
मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं बढऩे से उपभोक्ता को महंगे दाम पर फल खरीदने पड़ रहे हैं। दिल्ली में एक दर्जन केले का दाम 40 रुपये, एक किलो आम 50 रुपये, एक किलो लीची 70 रुपये किलो की दर से बिक रही है। हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष रविंद्र सिंह चौहान ने बताया कि नए बाग लगाने के लिए उच्च क्वालिटी के पौधों की कमी है। साथ ही खाद और दवाइयां उचित मात्रा में नहीं मिलने से उत्पादन प्रभावित होता है।
इसके अलावा नए बाग सीमित मात्रा में लग रहे हैं। आम उत्पादन संघ के अध्यक्ष इंशराम अली ने बताया कि फलों के उत्पादन में प्रकृति का बड़ा महत्वपूर्ण रोल है। चालू सीजन में आंधी-तूफान से आम की फसल को काफी नुकसान हुआ है। फलों की फसलों में जोखिम ज्यादा होने के कारण नए बाग सीमित मात्रा में ही लग रहे हैं।
संतरा उत्पादक संघ के अध्यक्ष मोहनरावजी टोटे ने बताया कि मार्केटिंग की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है। इसीलिए नए किसान बागान लगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। फलों की फसलों पर मौसम की मार भी पड़ती रहती है। वर्ष 2008-09 में महाराष्ट्र के विदर्भ में सूखे जैसे हालात बनने से संतरे के करीब 20 हजार बाग सूख गए थे।
जलगांव कि केला किसान भागवत विश्वनाथ पाटिल ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण किसानों के लिए फलों की खेती लाभकारी नहीं रह गई है। इसीलिए नई पीढ़ी बागानों में कम रुचि ले रही है। जलगांव में केला 400 से 500 रुपये क्विंटल की दर से बिक रहा है। पिछले दो महीने में इसकी कीमतों में करीब 600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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