27 जून 2011
बदल गया मक्के का गणित
बिजनेस भास्कर नई दिल्लीकभी मोटे अनाजों का शुमार होने वाले मक्का का औद्योगिक उपयोग बढ़ रहा है। मक्का का उपयोग देश में स्टार्च, ग्लूकोज, मक्का तेल के लिए ज्यादा होने लगा है। विश्व स्तर पर मक्का का उपयोग एथनॉल बनाने में बढ़ रहा है। अमेरिका में मक्के का बड़े पैमाने पर उपयोग एथनॉल बनाने में हो रहा है। यही वजह है कि मक्का के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। भारत से मक्के का निर्यात भी बढ़ रहा है। इससे घरेलू पॉल्ट्री उद्योग कच्चे माल यानि पॉल्ट्री फीड की तेजी से दबाव महसूस कर रहा है।देश में मक्का की कुल खपत में सालाना करीब 10 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2010-11 में मक्का में घरेलू मांग करीब 184.7 लाख टन होने का अनुमान है। वर्ष 2011-12 में खपत बढ़कर 203 लाख टन की होने की संभावना है। जबकि मक्का की पैदावार देश में पिछले पांच साल में करीब 34 फीसदी बढ़ी है। वर्ष 2006-07 में देश में मक्का की पैदावार 151 लाख टन की हुई थी जबकि वर्ष 2010-11 में पैदावार बढ़कर 202.3 लाख टन होने का अनुमान है। भारत से मक्का का निर्यात पिछले महीनों में काफी ज्यादा रहा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की कीमतों में नरमी आने से भारत से निर्यात सौदों में कमी आई है। भारतीय निर्यातक 280-290 डॉलर प्रति टन (एफओबी) भाव ऑफर कर रहे हैं लेकिन इन भावों में मांग खरीदार तैयार नहीं हैं। (Business Bhaskar.....R S Rana)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें