नई दिल्ली 06 03, 2011
देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अब महिलाओं का रुतबा बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे में 18 साल से अधिक उम्र की लड़की या महिला को परिवार का प्रमुख बनाने का प्रस्ताव शामिल है। अब तक राशन कार्ड के वितरण के दौरान जीवित पुरुष सदस्य को ही परिवार का मुखिया माना जाता था। अधिकारियों का कहना है कि प्रस्तावित विधेयक में अनाज की मासिक अधिप्राप्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। मसौदे में राज्य में खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने पर नकद देने की भी बात कही गई है। प्रस्ताव पारित हुआ तो खुले बाजार से अनाज खरीदने में महिलाओं की रायशुमारी बढ़ेगी। मसौदे में प्रस्ताव है कि अगर किसी परिवार में सभी महिलाओं की उम्र 18 साल से कम है तो उनमें से सबसे बड़ी महिला की उम्र 18 साल होते ही उसे परिवार का मुखिया बनाया जाए।संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्टï्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने भी राशन कार्ड के वितरण में महिला को परिवार का मुखिया बनाने की सिफारिश की थी। खाद्य सुरक्षा बिल काफी हद तक परिषद की सिफारिशों पर ही आधारित है।मसौदे में परिवार के बजाय व्यक्तियों के आधार पर अनाज बांटने का प्रस्ताव भी शामिल है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की अध्यक्षता में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण पर बनाए गए कार्यकारी समूह ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था।फिलहाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार को तय मात्रा में अनाज मिलता है। इसमें परिवार के सदस्यों की संख्या को अहमियत नहीं दी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सही तरीके से अनाज का आवंटन नहीं हो पाता है। विधेयक में गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले 29 फीसदी परिवारों को कानूनी रूप से अनाज देने का प्रस्ताव है। हालांकि एनएसी ने इसके दायरे में गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले 44 फीसदी परिवारों को लाने की सिफारिश की थी।मसौदे में कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करने की भी सिफारिश है। मसौदे में केंद्रीय या राज्य स्तर पर इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को तीन साल की कारावास या 3 लाख रुपये का जुर्माना या फिर कारावास व जुर्माना दोनों लगाने का प्रस्ताव है। मसौदे में अनाज वितरण संबंधी शिकायतों को 15 दिन में सुलझाने का निर्देश है। एनएसी की सिफारिश मानते हुए गर्भवती महिलाओं, असहाय, बेघर, प्रवासी मजदूर और बच्चों को अनाज या पका हुआ भोजन देने का भी प्रस्ताव है। (BS Hindi)
04 जून 2011
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