मुंबई June 02, 2011
जिंस वायदा बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने जिंस वायदा कारोबार के उदारीकरण के लिए कई कदम उठाने का फैसला किया है। सभी जिंस एक्सचेंजों के लिए एकसमान जुर्माने का ढांचा तैयार करने की खातिर एफएमसी ने दिशा-निर्देशों का मसौदा बनाने की योजना बना रहा है। मौजूदा समय में जुर्माने का फैसला एक्सचेंज विशेष करता है और यह एक्सचेंज प्लैटफॉर्म पर कारोबारी की गलती और प्रदर्शन पर निर्भर करता है। ऐसे में जुर्माना हर मामले में अलग-अलग होता है।दूसरा, बुधवार देर शाम आयोजित एक्सचेंज के अधिकारियों की बैठक में नियामक ने नो योअर क्लाइंट (केवाईसी) के नियमों को कारोबारियों के और ज्यादा अनुकूल बनाने के प्रति बचनबद्धता जाहिर की है। कारोबारियों और एक्सचेंज के अधिकारियों को लगता है कि केवाईसी नियमों में अस्पष्टता ने कारोबार को मुश्किल बना दिया है, इसलिए उन्होंने इसके सरलीकरण की मांग की है।इसके साथ ही एफएमसी ने जिंस वायदा कारोबार में आमूल बदलाव की खातिर अन्य नियमों की देखरेख के लिए अनुभवी सदस्य डी एस कमलाकर की अध्यक्षता में अधिकारियों की एक कमेटी बनाई है। कमलाकर की अध्यक्षता वाली कमेटी सोयाबीन व सोया तेल जैसे अंतरराष्ट्रीय जिंसों के लिए कारोबारी समय का विस्तार 5 बजे से रात 11.30 करने जैसे मुद्दे पर नियामक को सहयोग दे सकता है। कारोबारियों को लगता है कि इन जिंसों का कारोबार वैश्विक स्तर पर होता है और भारतीय एक्सचेंज अमेरिका व यूरोपीय यूनियन जैसे विकसित देशों में एक्सचेंज खुलने के पहले ही बंद हो जाते हैं।ऐसे में घरेलू एक्सचेंज में अनुबंध या तो प्रीमियम पर होते हैं या फिर छूट पर, जो वैश्विक बाजार में होने वाले उतारचढ़ाव पर निर्भर करता है। उस समय हालांकि लाभ मिलता दिखता है, लेकिन इसके फंडामेंटल्स सामान्यत: बदल जाते हैं। इसलिए भारतीय कारोबारी वैश्विक कारोबारी समय के दौरान कीमतों में होने वाले उतारचढ़ाव से वस्तुत: दूर रहते हैं। लेकिन एफएमसी चेयरमैन बी सी खटुआ ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने से पहले और ज्यादा बातचीत पर जोर दे रहे हैं।माना जा रहा है कि खटुआ ने कोमलकर को निर्देश दिया है कि मार्केट मेकर्स की नियुक्ति, सोने-चांदी व ऊर्जा कारोबार पर लेन-देन शुल्क घटाने, एकसमान पोजिशन सीमा आदि जैसे मुद्दों पर वह सभी जिंस एक्सचेंजों के बीच आमराय बनाने की कोशिश करे। लेकिन एक्सचेंज के विभिन्न अधिकारी इन मुद्दों के प्रति आशंकित हैं।मार्केट मेकर्स की बाबत एक्सचेंज के अधिकारियों का तर्क है कि जिंस वायदा बाजार ऐसी व्यवस्था के लिए अभी पर्याप्त रूप से परिपक्व नहीं हुआ है। विदेश से इस व्यवस्था की प्रतिकृति किसी एक एक्सचेंज में कारोबार होने वाली किसी एक जिंस में नहीं दोहराई जा सकती। भारत में हालांकि एक जिंस का कारोबार विभिन्न एक्सचेंजों में होता है और दुर्भाग्य से किसी एक एक्सचेंज में वह तरल (लिक्विड) होता है जबकि दूसरे में नहीं। ऐसे में मार्केट मेकर्स को प्रोत्साहन देने से एक एक्सचेंज का कारोबार व मात्रा दूसरे एक्सचेंज द्वारा छीन लिया जाएगा और एक्सचेंजों के बीच विवाद उसी रफ्तार से बढ़ेगा, जो जिंस वायदा कारोबार के लिए अच्छा नहीं होगा।जिंस एक्सचेंजों की स्थापना शुरुआती दौर में कृषि जिंसों को प्रोत्साहित करने ेक लिए हुई थी। ऐसे में गैर-कृषि जिंसों के लिए लेन-देन शुल्क में कमी लाने का मतलब होगा जिंस वायदा के प्राथमिक मकसद को कुचल देना। इसके उलट कई एक्सचेंज के अधिकारियों ने कहा था कि खुदरा सहभागिता बढ़ाने के लिए कृषि जिंसों के लेन-देन शुल्क में कमी लाई जाए।एकसमान पोजिशन सीमा के लिए कारोबार का पता लगाना काफी मुश्किल है, जब तक कि सेबी की तरह एफएमसी केंद्रीकृत सर्वर के जरिए पूरे कारोबार की निगरानी न करे। चूंकि हर एक्सचेंज की पोजिशन सीमा अलग-अलग होती है, लिहाजा हर एक्सचेंज के लिए हर जिंस में एकसमान पोजिशन सीमा तय करना अव्यवहारिक होगा। हालांकि इस बैठक में कृषि जिंसों के मिनी कॉन्ट्रैक्ट पेश करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई, लेकिन इस पर कोई आमराय नहीं बन पाई।स्टांप ड्यूटी में बढ़ोतरी टलीमहाराष्ट्र सरकार ने जिंस वायदा कारोबार में स्टांप ड््यूटी में प्रस्तावित बढ़ोतरी को फिलहाल टाल दिया है। राज्य सरकार ने हालांकि नई तारीख की घोषणा नहींं की है, लेकिन इस कदम से कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है। इसकी पुष्टि करते हुए एफएमसी के चेयरमैन बी सी खटुआ ने कहा - जिंस एक्सचेंजों की बात सरकार के सामने रखने में नियामक उसकी अगुआई कर रहा था और राज्य के वित्त मंत्री से लगातार संपर्क में था। उन्होंने कहा - यह अच्छा हुआ कि सरकार ने फैसला टाल दिया है। खटुआ ने कहा कि नई तारीख पर फैसला लेने से पहले सरकार एफएमसी से संपर्क करेगी। 23 मार्च को पेश बजट में सरकार ने जिंस कारोबार में हर एक लाख के लेनदेन पर 5 रुपये की स्टांप ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव रखा था, जो मौजूदा प्रति लाख 1 रुपये के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसे 1 जून से लागू किया जाना था। महाराष्ट्र में पंजीकृत ब्रोकरों को इस निर्देश का पालन करना था, अगर उन्हें अपनी दुकानें बंद न करनी हों तो। महाराष्ट्र के ब्रोकरों को इसका भार अपने क्लाइंट पर डालना होगा। 5 रुपये प्रति लाख के कारोबार पर या 0.005 फीसदी सभी नकद व डेरिवेटिव लेनदेन पर (डिलिवरी व गैर-डिलिवरी दोनों पर)।आदर्श रूप में लेनदेन की लागत का भार उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा क्योंकि लेनदेन शुल्क बढऩे के बाद जिंस की लागत काफी ज्यादा बढ़ जाएगी।एमसीएक्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ लेमन रूटेन ने कहा - स्टांप ड््यूटी में प्रस्तावित बढ़ोतरी को टाल देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले का मैं स्वागत करता हूं। इससे राज्य को अन्य प्रतिस्पर्धी राज्यों से नए कारोबारियों को मुंबई व राज्य के दूसरे हिस्से में आने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही जिंस वायदा कारोबार भारतीय की विकास दर में और ज्यादा योगदान दे पाएगा।फिलहाल, जिंस एक्सचेंज प्रति करोड़ रुपये के कारोबार पर 200 रुपये शुल्क वसूलते हैं। अगर सरकार ने ड्यूटी में बढ़ोतरी की तो शुल्क बढ़कर 700 रुपये प्रति करोड़ हो जाएगा, जो देश में सबसे महंगा होगा। इससे डब्बा कारोबार को भी प्रोत्साहन मिलेगा। एनसीडीईएक्स के चीफ बिजनेस अफसर विजय कुमार ने कहा कि इस फैसले के टलने से हेजर्स व सटोरियों को लाभ मिलेगा और वे जिंस बाजार में बिना किसी परेशानी के कारोबार कर पाएंगे।कई ब्रोकिंग फर्म महाराष्ट्र से अपना कारोबार समेटकर गुजरात जाने लगे थे क्योंकि वहां स्टांप ड्यूटी न के बराबर है। गुजरात सरकार ने महाराष्ट्र के कारोबारियों को आकर्षित करने के लिए राज्य में बड़ा बिजनेस पार्क स्थापित किया है। ऐश डेरिवेटिव ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज के सीईओ दिलीप भाटिया ने कहा कि इससे महाराष्ट्र के बाहर कारोबार करने की इच्छा रखने वाले अब वहीं रूक जाएंगे यानी वहीं उनका कारोबार चलता रहेगा।पिछले दो महीने में जिंस वायदा कारोबार की मात्रा में करीब 50 फीसदी की उछाल आई है और यह 70,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है जबकि पहले 40,000-45,000 करोड़ रुपये था। ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक (कमोडिटी) नवीन माथुर ने कहा कि इस फैसले से कम से कम अनिश्चितता दूर हो गई है। (BS Hindi)
06 जून 2011
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