मुंबई June 06, 2011
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने पावर एक्सचेंजों को बोली का समय एक घंटे से घटाकर 15 मिनट करने को कहा है। वहीं, नियामक ने पावर एक्सचेंजों में सायंकालीन ट्रेडिंग के प्रस्ताव को फिलहाल टाल दिया है। अधिकारियों ने कहा कि बोली में भाग लेने वालों के लिए समय में कटौती करने का मकसद बिजली बाजार के ढांचे में सुधार लाना है और एक्सचेंजों को प्रक्रियागत विवरण तैयार करने के लिए इस महीने के अंत तक का समय दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि 'इससे बाजार में केवल निश्चित समय पर ऊर्जा की फिजिकली डिलिवरी का ही कारोबार हो सकेगा। इससे एक्सचेंज से बिजली खरीदने वालों के लिए अनिश्चितता खत्म हो जाएगी। कम समय और वास्तविक बोली और उपलब्धता से निर्माताओं को भी बिजली की उचित कीमत मिल सकेगी' अधिकारी ने कहा कि ओटीसी बाजार में बोली के समय को घटाकर 15 मिनट करने से एक्सचेंजों में बिजली की खरीद और द्विपक्षीय या बाजार से इतर सौदों के बीच कीमत अंतर कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि रिन्यूएबल संसाधनों पर आधारित बिजली को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि अनुबंध करने और पवन ऊर्जा व सोलर ऊर्जा की वास्तवित डिलिवरी के समय में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि एक घंटे का समय बहुत अधिक होता है, क्योंकि ये दोनों पवन की गति और सूर्य की रोशनी पर आधारित प्राकृतिक संसाधन हैं, जो मानव के वश में नहीं हैं। सायंकालीन ट्रेडिंग के बारे में सीईआरसी का यह मानना है कि सुबह का बाजार ही कारोबार के लिए पर्याप्त है और अभी तरलता काफी कम है। एक उच्च अधिकारी ने कहा कि सायंकालीन बाजार शुरू करने से बाजार की तरलता खत्म हो जाएगी। सुबह के सत्र में प्राइस डिस्कवरी पर विपरीत असर पड़ेगा। इसके अलावा सीईआरसी ने पावर एक्सचेंजों को इंट्रा-डे में कम तरलता पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। एक्सचेंजों ने लेन-देन के लिए एक अलग क्लीयरिंग हाउस के गठन का भी आग्रह किया है। एक अधिकारी के मुताबिक, 'ट्रेडिंग एक्सचेंज से अलग एक क्लीयरिंग हाउस स्थापित करने की मांग की गई। इस पर कार्य करने के लिए एक्सचेंजों के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित की गई है। हालांकि आयोग की विद्युत नियामक निर्देशों में इसका प्रावधान किया गया है, लेकिन इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।' (BS Hindi)
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