नई दिल्ली। उद्योग ने केंद्र सरकार से डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग की है। तेल रहित चावल की भूसी (डीओआरबी) चावल मिलिंग का एक उप-उत्पाद है, जो पशु आहार का एक महत्वपूर्ण घटक है तथा इसका उपयोग विशेष रूप से मवेशियों और मुर्गी के खाने के लिए किया जाता है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 28 जुलाई 2023 को डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर रोक लगा दी थी, जिसे तब से कई बार बढ़ाया गया है। अभी हाल ही में फरवरी 2025 में इस पर लगी रोक को सरकार ने 30 सितंबर 2025 तक बढ़ाया है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए ने केंद्र सरकार से डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के संबंध में गहरी चिंता व्यक्त करते लिखा है कि इस निर्णय के कारण कई क्षेत्रों के लिए दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो रहे हैं। इसलिए हमने सरकार से प्रतिबंध हटाने के साथ ही व्यापक आर्थिक, कृषि और पर्यावरणीय लाभों का मूल्यांकन करने का आग्रह किया है। अतिरिक्त तेल रहित चावल की भूसी का निर्यात करने से कई लाभ मिलते हैं जैसे कि अतिरिक्त स्टॉक की खपत एवं प्रसंस्करण क्षेत्र में बढ़ोतरी के अलावा, उत्पादन सुविधाओं को बेहतर उपयोग के साथ ही रोजगार एवं मूल्य संवर्धन और विदेशी मुद्रा आय में बढ़ोतरी है।
वर्षों के प्रयास से भारत ने डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात के लिए बाजार विकसित किया है, जोकि मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देश हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में अपने आपको स्थापित किया है लेकिन निर्यात नीति में अचानक बदलाव से विश्व बाजार में भारत की बनी हुई साख को नुकसान पहुंचाने का खतरा है।
पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी राज्य डी-ऑयल राइस ब्रान के महत्वपूर्ण उत्पादक हैं। इसके निर्यात पर रोक लगा देने से पूर्वी भारत में डी-ऑयल राइस ब्रान प्रोसेसिंग को अपना परिचालन बंद करना पड़ रहा है, जिससे चावल मिलिंग उद्योग पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इसके अलावा, पशु आहार में डीडीजीएस (डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्यूबल्स) की बढ़ती उपलब्धता और उपयोग ने डीओआरबी की मांग को काफी हद तक प्रतिस्थापित कर दिया है, जिससे घरेलू बाजारों में इसके निपटान की चुनौती और भी बढ़ गई है।
इन्हीं गंभीर चिंताओं के मद्देनजर, एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री और संबंधित मंत्रियों से मांग की है कि वे निर्यात प्रतिबंधों पर तत्काल पुनर्विचार करें और घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किए बिना डीओआरबी के निर्यात की अनुमति दें।

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