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19 अप्रैल 2025

सीसीआई अभी तक 22 लाख गांठ कॉटन की कर चुकी है बिक्री

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई चालू फसल सीजन 2024-25 की खरीदी हुई कॉटन में से 22 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो की बिक्री घरेलू बाजार में कर चुकी है, जिनमें से ज्यादातर की खरीद स्पिनिंग मिलों ने की है।


सूत्रों के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से  शुरू हुए चालू फसल सीजन में सीसीआई किसानों से करीब एक करोड़ गांठ कॉटन की खरीद कर चुकी है, जिसमें से निगम ने 22 लाख गांठ की बिक्री की है। अत: निगम के पास अभी कॉटन का भारी भरकम स्टॉक है तथा सीसीआई घरेलू बाजार में कॉटन की बिक्री, हाजिर भाव के मुकाबले उंचे दाम पर कर रही है। इसलिए आगामी दिनों कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण सोमवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव सोमवार को 100 रुपये तेज होकर 53,800 से 54,400 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5600 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5470 से 5530 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5590 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,700 से 54,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 33,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम तेज हुए। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है तथा रुई के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे बने हुए हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही हैं। इसलिए मिलों की कॉटन में मांग बनी रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक भी कम है। हालांकि विश्व बाजार में कॉटन के दाम, घरेलू बाजार की तुलना में नीचे बने हुए हैं, जिस कारण इसके आयात पड़ते सस्ते हैं।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

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