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19 अप्रैल 2025

चालू तेल वर्ष के पहले पांच महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 0.4 फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों नवंबर-24 से मार्च-25 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 0.4 फीसदी कम होकर 5,806,142 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 5,830,115 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार मार्च 2025 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 16 फीसदी घटकर 998,344 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इनका आयात 1,182,152 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्वय तेलों का आयात 970,602 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 27,742 टन का हुआ है।

मौसम की जानकारी देने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने 2025 के लिए अपना मानसून का पूर्वानुमान जारी किया है। कंपनी को उम्मीद है कि जून से सितंबर के चार महीने की अवधि के लिए दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 103 फीसदी (+/-5 फीसदी के साथ) के बराबर 'सामान्य' रहेगा। सामान्य मानसून एलपीए का 96-104 फीसदी है। भौगोलिक संभावनाओं के संदर्भ में, स्काईमेट को पश्चिमी और दक्षिण भारत में अच्छी बारिश की उम्मीद है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मुख्य मानसून वर्षा वाले क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा होगी। पश्चिमी तट के साथ-साथ केरल, तटीय कर्नाटक और गोवा में भी अधिक वर्षा होने की संभावना है। पूर्वोत्तर क्षेत्र और उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में इस मौसम के दौरान सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है।

अमेरिका द्वारा भारत से 90 दिनें के लिए टैरिफ वापस लेने के बाद भी यूएस और चीन के बीच व्यापार युद्ध का असर पाम तेल कीमतों पर हो सकता है, फिर भी यूएसए को पाम ऑयल निर्यात 10 फीसदी आयात शुल्क के अधीन रहेगा। ये टैरिफ यूएस के अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए पाम ऑयल की लागत बढ़ा देंगे। टैरिफ की मूल्य वृद्धि से यूएस खाद्य निर्माताओं और उपभोक्ताओं को पाम ऑयल को अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले घरेलू विकल्पों, जैसे सोया तेल से बदलने के लिए प्रेरित करने की संभावना है, जिससे यूएस सोयाबीन किसानों को लाभ होगा। सकारात्मक बात यह है कि यूएस पाम ऑयल का अपेक्षाकृत छोटा उपभोक्ता है, जो 78 मिलियन टन वैश्विक पाम ऑयल खपत का केवल 1.9 मिलियन टन या वैश्विक पाम ऑयल उपयोग का लगभग 2.4 फीसदी हिस्सा है।

चालू तेल वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों नवंबर 24 से मार्च 25 के दौरान 886,607 टन की तुलना में 662,890 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) का आयात किया गया तथा नवंबर 23 से मार्च 24 के दौरान आयात किए 4,878,625 टन की तुलना में 4,976,787 टन क्रूड तेल का आयात किया गया। अत: आरबीडी पामोलीन के कम आयात के कारण रिफाइंड तेल का अनुपात 15 फीसदी से घटकर 12 फीसदी का रह गया, जबकि सोया तेल के आयात में वृद्धि के कारण क्रूड पाम तेल का अनुपात 85 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी हो गया।

फरवरी के मुकाबले मार्च में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा। मार्च में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव घटकर 1,133 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि फरवरी में इसका दाम 1,146 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम मार्च में घटकर 1,184 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि फरवरी में इसका भाव 1,197 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोया तेल का भाव मार्च में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 1,097 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि फरवरी में इसका भाव 1,156 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर फरवरी के 1,216 डॉलर से बढ़कर मार्च में 1,220 डॉलर प्रति टन का हो गया।

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