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29 अप्रैल 2025

केंद्र ने मई के लिए 23.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया, भाव में तेजी के आसार

नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने सोमवार को घरेलू बाजार में मई 2025 के लिए 23.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है, जोकि पिछले साल मई में जारी किए गए कोटे की तुलना में कम है।


केंद्रीय खाद्वय मंत्रालय ने मई 2024 में घरेलू बिक्री के लिए 27 लाख टन चीनी का मासिक कोटा आवंटित किया था। मालूम हो कि केंद्रीय खाद्वय मंत्रालय ने अप्रैल 2025 के लिए 23.5 लाख टन चीनी के कोटे का आवंटन किया था। हालांकि मंत्रालय ने मार्च 2024 के कोटे को 10  अप्रैल तक बढ़ा दिया था।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मी के मौसम के कारण बाजार में अच्छी मांग रहने की संभावना है। पिछले साल मई में चीनी की खपत 26.10 लाख टन हुई थी। इसे देखते हुए, चीनी की कीमतों में तेजी बनी रहने की उम्मीद है।

घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सोमवार को 20 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। एम ग्रेड 30 चीनी के थोक भाव (जीएसटी सहित) सोमवार को दिल्ली में बढ़कर 4,370 रुपये, कानपुर में 4,330 रुपये तथा मुंबई में 4,180 रुपये और कोलकाता में 4,370 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दिल्ली में चीनी के खुदरा भाव सोमवार को 45 रुपये, कानपुर में 44 रुपये तथा मुंबई में 44 रुपये और कोलकाता में 45 रुपये प्रति किलो रहे।

बीते सप्ताह शुक्रवार को विश्व बाजार में चीनी की कीमतें बढ़कर दो सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, जिसका प्रमुख कारण ब्राजील में शुष्क मौसम को लेकर चिंता होना है। इसका गन्ने की पैदावार पर असर पड़ने का डर है। जुलाई डिलीवरी के लिए रॉ शुगर के भाव 0.26 सेंट यानी 1.5 फीसदी बढ़कर 18.18 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुई थी, जबकि अगस्त डिलीवरी के लिए सफेद चीनी के दाम 9.50 डॉलर यानी की 1.9 फीसदी बढ़कर 514.00 डॉलर प्रति टन पर बंद हुई थी।

सीसीआई ने 4 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की बिक्री की

नई दिल्ली। 21 अप्रैल से 25 अप्रैल के दौरान कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई करीब 4,03,600 गांठ, एक गांठ 170 किलो कॉटन की बिक्री की। इस दौरान मिलों ने 1,91,700 गांठ एवं व्यापारियों ने 2,06,900 गांठ कॉटन की खरीद की।


सीसीआई ने चालू सप्ताह में फसल सीजन 2023-24 में खरीदी हुई करीब 400 गांठ की बिक्री भी की। सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने चालू सप्ताह में कॉटन की बिक्री कीमतों में 200 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो की बढ़ोतरी की है। घरेलू बाजार में कॉटन का सबसे ज्यादा स्टॉक सीसीआई के पास है, ऐसे में नई फसल की आवक तक हाजिर बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण शनिवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में सुधार आया, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसकी कीमत स्थिर हो गई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को लगातार 5वें दिन 50 रुपये तेज होकर दाम 54,500 से 54,800 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5750 से 5760 रुपये प्रति मन बोले गए।

हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5660 से 5720 रुपये प्रति मन बोले गए।

ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5740 से 5780 रुपये प्रति मन बोले गए।

खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,800 से 56,000 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 35,700 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में तेजी जारी रही, हालांकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार आईसीई कॉटन वायदा के दाम शुक्रवार को कमजोर होकर बंद हुए थे। हालांकि घरेलू बाजार में सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है तथा रुई के दाम पिछले साल की तुलना में अभी भी नीचे बने हुए हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही हैं। इसलिए मिलों की कॉटन में मांग बनी रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

गेहूं की सरकारी खरीद में आई तेजी, कुल खरीद 182 लाख टन पर पहुंची

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में 23 अप्रैल 2025 तक देशभर में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 183.91 लाख टन की हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा की है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 54.20 फीसदी ज्यादा है। पिछले रबी सीजन में इस दौरान 119.26 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी।


भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार 23 अप्रैल तक हुई गेहूं की कुल खरीद में पंजाब एवं मध्य प्रदेश और हरियाणा का योगदान ज्यादा है। हाल ही में पंजाब के साथ ही हरियाणा से गेहूं की खरीद में तेजी आई है। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में पंजाब से 59.27 लाख टन, मध्य प्रदेश से 54.09 लाख टन तथा हरियाणा से 56.64 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।

अन्य राज्यों में राजस्थान से 8.26 लाख टन, उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 5.51 लाख टन तथा बिहार से 9,991 टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हुई है। गुजरात से चालू रबी में 2,553 टन तथा एवं हिमाचल प्रदेश से 749 टन गेहूं खरीदा गया है।

व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार ने स्टॉकिस्टों, व्यापारियों एवं मिलर्स को हर सप्ताह गेहूं के स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य किया हुआ है, इसके बावजूद भी चालू सीजन में स्टॉकिस्टों द्वारा भारी मात्रा में गेहूं की खरीद की जा रही है। व्यापारी मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक दाम पर गेहूं की खरीद कर रहे हैं।

क्रूड पाम तेल एवं आरबीडी पामोलीन के आयात शुल्क में अंतर 15 फीसदी किया जाए - उद्योग

नई दिल्ली। घरेलू रिफाइनिंग उद्योग के हितों के लिए उद्योग ने केंद्र सरकार से क्रूड पाम तेल, सीपीओ एवं आरबीडी पामोलीन के आयात शुल्क के अंतर को बढ़ाकर 15 फीसदी करने की मांग की है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी को भेजे गए ज्ञापन में घरेलू रिफाइनिंग उद्योगों को समान अवसर प्रदान करने के लिए सीपीओ और आरबीडी पामोलिन के बीच आयात शुल्क अंतर  को 15 फीसदी तक बढ़ाने का अनुरोध किया।

एसईए ने खाद्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि क्रूड पाम तेल और आरबीडी पामोलिन के बीच शुल्क का अंतर इस समय केवल 7.5 फीसदी है, जिससे क्रूड पाम तेल के बजाए, आरबीडी पामोलीन का आयात ज्यादा मात्रा में हो रहा है। इसका सीधा फायदा मलेशिया और इंडोनेशिया की रिफाइनिंग उद्योग को रहा है। अत: सीपीओ और आरबीडी पामोलिन के बीच आयात शुल्क अंतर  को 15 फीसदी किया जाए।

उद्योग ने लिखा है कि क्रूड पाम तेल और आरबीडी पामोलीन के आयात शुल्क में 15 फीसदी का अंतर करने से आरबीडी पामोलीन के बजाए क्रूड पाम तेल के आयात में बढ़ोतरी होगी, जिससे  घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को फायदा होगा।

25 अप्रैल 2025

नेफेड ने रबी में एमएसपी पर केवल 2.48 लाख टन दलहन एवं तिलहन खरीदी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन 2025 में नेफेड ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर पीएसएस स्कीम के तहत 20 अप्रैल तक केवल 2.48 लाख टन ही दलहन एवं तिलहन की फसलों की खरीद की है।


सूत्रों के अनुसार चालू रबी सीजन में दलहन की प्रमुख फसल चना की खरीद एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20 अप्रैल तक नेफेड ने केवल 10,385 टन की खरीद की है। इसमें सबसे ज्यादा चना तेलंगाना से 5,792 टन तथा मध्य प्रदेश से 3,718 टन एवं आंध्र प्रदेश से 183 टन तथा राजस्थान एवं महाराष्ट्र से क्रमश: 545 टन तथा 145 टन चना की सरकारी खरीद हुई है।

इसी तरह से चालू रबी में मसूर की खरीद समर्थन मूल्य 6,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20 अप्रैल तक 51,155 टन की खरीद ही हो पाई है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की 49,795 टन की तथा उत्तर प्रदेश की 1,360 टन की है। अधिकांश उत्पादक राज्यों की मंडियों में मसूर के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से नीचे बने हुए हैं।

उड़द की खरीद समर्थन मूल्य, एमएसपी पर चालू रबी सीजन में 20 अप्रैल तक शुरू ही नहीं हो पाई है।

मूंग की खरीद चालू रबी सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 8,682 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 4,417 टन की आंध्रप्रदेश से 20 अप्रैल तक हुई है। अधिकांश उत्पादक राज्यों की मंडियों में मूंग एमएसपी से नीचे बिक रही है।

रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की खरीद चालू रबी सीजन में एमएसपी 5,950 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 20 अप्रैल तक 1,79,883 टन की हुई है। इसमें सबसे ज्यादा हरियाणा से 1,61,85 टन की तथा मध्य प्रदेश से 11,743 टन एवं राजस्थान से 5,893 टन की हुई हैं। इसके अलावा असम से 1,044 टन तथा उत्तर प्रदेश से 16.30 टन सरसों एमएसपी पर खरीदी गई है।

सनफ्लावर की खरीद चालू रबी सीजन में नेफेड ने एमएसपी 7,280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 2,135 टन की तेलंगाना से हुई है। 

विश्व बाजार में दाम तेज होने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन महंगी

नई दिल्ली। विश्व बाजार में दाम तेज होने से घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ गई। अत: बुधवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव बुधवार को लगातार दूसरे दिन 50 रुपये तेज होकर दाम 54,100 से 54,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 20 रुपये तेज होकर 5710 से 5720 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 20 रुपये बढ़कर 5620 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 30 रुपये तेज होकर 5700 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव तेज होकर 55,600 से 55,700 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 37,600 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में तेजी आई। एनसीडीएक्स पर अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 0.5 रुपये तेज होकर भाव 1,463 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन शाम के सत्र में तेजी का रुख रहा।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है तथा रुई के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे बने हुए हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही हैं। इसलिए मिलों की कॉटन में मांग बनी रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है।

उत्तर भारत के साथ ही गुजरात एवं महाराष्ट्र की अधिकांश जिनिंग मिलें उत्पादन बंद कर चुकी है तथा मंडियों में इस समय जो कपास की आवक हो रही है उसकी क्वालिटी काफी हल्की है।

सीसीआई चालू फसल सीजन की खरीदी हुई करीब 24 लाख गांठ कॉटन घरेलू बाजार में बेच चुकी है तथा अभी भी सीसीआई के पास कॉटन का भारी, भरकम स्टॉक है। अत: आगामी दिनों में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में 295.30 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि इससे पहले 301.75 लाख गांठ तथा आरंभ में 304.25 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान जारी किया था। पिछले फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 325.29 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

गेहूं की एमएसपी पर खरीद 62 फीसदी बढ़कर 142 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में 21 अप्रैल 2025 तक देशभर में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 142.13 लाख टन की हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश और हरियाणा की है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 61.99 फीसदी ज्यादा है। पिछले रबी सीजन में इस दौरान 87.76 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी।


भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार गेहूं की अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश और हरियाणा के साथ ही पंजाब का योगदान ज्यादा है। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में मध्य प्रदेश से 49.55 लाख टन तथा हरियाणा से 50.36 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब से चालू रबी में 29.93 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हो पाई है।

अन्य राज्यों में राजस्थान से 7.30 लाख टन, उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 4.85 लाख टन तथा बिहार से 8,928 टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हुई है। गुजरात से चालू रबी में 2,456 टन तथा एवं हिमाचल प्रदेश से 449 टन गेहूं खरीदा गया है।

जनवरी से मार्च के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 17 फीसदी घटा - उद्योग

नई दिल्ली। चालू वर्ष 2025 के पहले तीन महीनों जनवरी से अप्रैल के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 17.34 फीसदी घटकर 1,52,125 टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 1,84,037 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार मार्च में कैस्टर तेल का निर्यात घटकर 1,52,125 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इसका निर्यात 65,170 टन हुआ था।

एसईए के अनुसार मूल्य के हिसाब से वर्ष 2025 के पहले तीन महीनों में कैस्टर तेल का निर्यात घटकर 2,034.66 करोड़ रुपये का ही हुआ है, जबकि पिछले वर्ष 2024 के जनवरी से मार्च के दौरान इसका निर्यात 2,265.68 करोड़ रुपये का हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार चालू सीजन में बुआई में आई कमी से कैस्टर सीड का उत्पादन कम होने का अनुमान है। हालांकि उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवकों का दबाव बना हुआ है।

गुजरात की मंडियों में मंगलवार को कैस्टर सीड के भाव 1,240 से 1,225 रुपये प्रति 20 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान राजकोट में कमर्शियल तेल के भाव 5 रुपये घटकर 1,260 रुपये और एफएसजी के 5 रुपये कमजोर होकर 1,270 रुपये प्रति 10 किलो रह गए।

गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवक मंगलवार को 1.90 लाख बोरी, एक बोरी 35 किलो की हुई।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के दौरान कैस्टर सीड का उत्पादन 18.22 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले फसल सीजन की तुलना में 8 फीसदी कम है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में कैस्टर सीड की बुआई 12 फीसदी घटकर केवल 8.67 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। 

गेहूं की सरकारी खरीद 127.33 लाख टन के पार, पिछले साल की तुलना में 70 फीसदी ज्यादा



नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में 20 अप्रैल 2025 तक देशभर में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 127.33 लाख टन की हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश और हरियाणा की है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 70.25 फीसदी ज्यादा है। पिछले रबी सीजन में इस दौरान 74.79 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी।

भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार गेहूं की अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश और हरियाणा के साथ ही पंजाब का योगदान ज्यादा है। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में मध्य प्रदेश से 47.15 लाख टन तथा हरियाणा से 47.07 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब से चालू रबी में 21.93 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हो पाई है।

अन्य राज्यों में राजस्थान से 6.74 लाख टन, उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 4.31 लाख टन तथा बिहार से 8,344 टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हुई है। गुजरात से चालू रबी में 2,359 टन तथा चंडीगढ़ से 3,704 टन एवं हिमाचल प्रदेश से 319 टन गेहूं खरीदा गया है।

व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्टों, व्यापारियों एवं मिलर्स को हर सप्ताह स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य किया हुआ है, इसके बावजूद भी चालू सीजन में स्टॉकिस्टों द्वारा भारी मात्रा में गेहूं की खरीद की जा रही है।

चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में केंद्र सरकार ने 310 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। चालू रबी सीजन में पंजाब से 124 लाख टन तथा हरियाणा से 75 लाख टन, मध्य प्रदेश से 60 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश 30 लाख टन के अलावा राजस्थान से 20 लाख टन और  गुजरात से एक लाख टन की खरीद का लक्ष्य है।

रबी विपणन सीजन 2024-25 में केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य किया था, लेकिन 266 लाख टन ही खरीदारी हो पाई थी।

चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब एवं हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के किसानों से 2,425 रुपये प्रति क्विंटल, एमएसपी की दर से गेहूं की खरीद की जा रही है जबकि मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में राज्य सरकार गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस दे रही है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2024-25 में देश में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 326 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 315.6 लाख से ज्यादा है।

गेहूं की सरकारी खरीद 97 लाख टन के पार, मंडियों में आवक 150 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 97 लाख टन की हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश और हरियाणा की है। इस दौरान देशभर की मंडियों में गेहूं की आवक 150.56 लाख टन की हो चुकी है।


भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई के अनुसार गेहूं की अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश और हरियाणा के साथ ही पंजाब का योगदान ज्यादा है। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में मध्य प्रदेश से 42.78 लाख टन तथा हरियाणा से 35.47 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पंजाब से चालू रबी में 9.53 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हो पाई है।

अन्य राज्यों में राजस्थान से 5.33 लाख टन, उत्तर प्रदेश से चालू रबी में 3.75 लाख टन तथा बिहार से 7,145 टन गेहूं की सरकारी खरीद ही हुई है। गुजरात से चालू रबी में 1,983 टन तथा चंडीगढ़ से 3,704 टन एवं हिमाचल प्रदेश से 180 टन गेहूं खरीदा गया है।

व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्टों, व्यापारियों एवं मिलर्स को हर सप्ताह स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य किया हुआ है, इसके बावजूद भी चालू सीजन में स्टॉकिस्टों द्वारा भारी मात्रा में गेहूं की खरीद की जा रही है।

चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में केंद्र सरकार ने 310 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। चालू रबी सीजन में पंजाब से 124 लाख टन तथा हरियाणा से 75 लाख टन, मध्य प्रदेश से 60 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश 30 लाख टन के अलावा राजस्थान से 20 लाख टन और  गुजरात से एक लाख टन की खरीद का लक्ष्य है।

रबी विपणन सीजन 2024-25 में केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य किया था, लेकिन 266 लाख टन ही खरीदारी हो पाई थी।

चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब एवं हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के किसानों से 2,425 रुपये प्रति क्विंटल, एमएसपी की दर से गेहूं की खरीद की जा रही है जबकि मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में राज्य सरकार गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस दे रही है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2024-25 में देश में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 326 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 315.6 लाख से ज्यादा है।

19 अप्रैल 2025

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान डीओसी का निर्यात 11 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान डीओसी के निर्यात में 11 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 4,342,498 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 4,885,437 टन का ही हुआ था। इस दौरान सरसों डीओसी के साथ ही कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है तथा मूल्य के हिसाब से इसमें 21 फीसदी की गिरावट आकर कुल 15,368.0 करोड़ रुपये से घटकर 12,171.0 करोड़ रुपये का ही हुआ है


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार मार्च में देश से डीओसी के निर्यात में 3 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 409,148 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इनका निर्यात 395,382 टन का हुआ था।

यूरोपीय संघ में सरसों डीओसी की चल रही कमी के कारण वैश्विक कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरसों डीओसी का एक प्रमुख उपभोक्ता चीन वर्तमान में मुख्य रूप से कनाडा और यूरोपीय संघ से आयात करता है। वर्तमान आपूर्ति बाधाओं और बढ़ती कीमतों को देखते हुए, भारत के पास चीनी बाजार में अपनी खोई हुई हिस्सेदारी को तलाशने और पुनः प्राप्त करने का एक नया अवसर है।

अगर चीन भारतीय सरसों डीओसी के आयात पर मौजूदा सख्त शर्तों में ढील देता है, तो भारत एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकता है और चीन की मांग का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर सकता है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सरसों डीओसी की कीमत हैम्बर्ग के बाहर 335 डॉलर प्रति टन है, जबकि कांडला एफएएस के बाहर भारतीय सरसों डीओसी की कीमत सिर्फ 209 डॉलर प्रति टन है। इस अवसर का लाभ उठाने से न केवल भारत के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों को स्थिर करने में भी मदद मिल सकती है।

भारत सरकार ने जुलाई 2023 में घरेलू कीमतों में हुई बढ़ोतरी का हवाला देते हुए डी-ऑइल राइस ब्रान (डीओआरबी) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो लगभग 18,000 रुपये प्रति टन तक पहुँच गया था। प्रतिबंध से पहले, भारत सालाना लगभग 4 से 5 लाख टन डीओआरबी निर्यात कर रहा था। इसका निर्यात मुख्य रूप से वियतनाम, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देशों को हो रहा था। हालांकि, तब से बाजार में काफी बदलाव आया है। डीओआरबी की मौजूदा कीमत गिरकर 8,000 रुपये प्रति टन से नीचे आ गई है। इसके अतिरिक्त, पशु आहार में घुलनशील (डीडीजीएस) के साथ डिस्टिलर ड्राइड ग्रेन की बढ़ती उपलब्धता और अपनाने से डीओआरबी की घरेलू मांग में काफी कमी आई है, जिस कारण इसके निपटान की चुनौती बढ़ गई है।

डीओआरबी के निर्यात पर प्रतिबंध से घरेलू चावल की भूसी प्रसंस्करण उद्योग और चावल मिलर्स पर गंभीर असर पड़ रहा है। यह समस्या पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में विशेष रूप से गंभीर है, जो डीओआरबी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं, लेकिन अतिरिक्त उत्पादन को अवशोषित करने के लिए उनके पास अच्छी तरह से विकसित पशु चारा उद्योग का अभाव है। अत: एसईए ने केंद्र सरकार से इसके निर्यात पर लगी रोक को हटाने का आग्रह किया है।

वित्त वर्ष 2024-25 अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के दौरान सोया डीओसी का कुल निर्यात लगभग पिछले वर्ष के लगभग समान ही रहा। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान इसका निर्यात 21.27 लाख टन का हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान 21.33 लाख टन का निर्यात हुआ था। गैर जीएम सोया डीओसी होने के कारण यूरोपीय देशों द्वारा अधिक आयात किया गया।

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सरसों डीओसी का कुल निर्यात पिछले वर्ष की समान अवधि के 22.13 लाख टन की तुलना में घटकर 18.75 लाख टन का ही हुआ।

भारतीय बंदरगाह पर मार्च में सोया डीओसी का भाव कमजोर होकर 356 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि फरवरी में इसका दाम 370 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य मार्च में भारतीय बंदरगाह पर 196 डॉलर प्रति रह गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 248 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम फरवरी के 82 डॉलर प्रति टन से कमजोर होकर मार्च में 75 डॉलर प्रति टन रह गया।

समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई 14 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 14.69 फीसदी बढ़कर 65.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 57.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 11 अप्रैल 25 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 14.33 फीसदी बढ़कर 31.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 27.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 13.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 11.51 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 10.90 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 9.03 लाख हेक्टेयर और 2.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 11.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.86 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 6.85 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 4.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 5.32 और 4.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 41 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 13 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 9.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 8.58 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.40 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.31 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 36,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.99 लाख हेक्टेयर में, 4.11 लाख हेक्टेयर में तथा 31,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। 

उद्योग ने सरकार से डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग की

नई दिल्ली। उद्योग ने केंद्र सरकार से डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग की है। तेल रहित चावल की भूसी (डीओआरबी) चावल मिलिंग का एक उप-उत्पाद है, जो पशु आहार का एक महत्वपूर्ण घटक है तथा इसका उपयोग विशेष रूप से मवेशियों और मुर्गी के खाने के लिए किया जाता है।


विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 28 जुलाई 2023 को डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर रोक लगा दी थी, जिसे तब से कई बार बढ़ाया गया है। अभी हाल ही में फरवरी 2025 में इस पर लगी रोक को सरकार ने 30 सितंबर 2025 तक बढ़ाया है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए ने केंद्र सरकार से डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के संबंध में गहरी चिंता व्यक्त करते लिखा है कि इस निर्णय के कारण कई क्षेत्रों के लिए दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो रहे हैं। इसलिए हमने सरकार से प्रतिबंध हटाने के साथ ही व्यापक आर्थिक, कृषि और पर्यावरणीय लाभों का मूल्यांकन करने का आग्रह किया है। अतिरिक्त तेल रहित चावल की भूसी का निर्यात करने से कई लाभ मिलते हैं जैसे कि अतिरिक्त स्टॉक की खपत एवं प्रसंस्करण क्षेत्र में बढ़ोतरी के अलावा, उत्पादन सुविधाओं को बेहतर उपयोग के साथ ही रोजगार एवं मूल्य संवर्धन और विदेशी मुद्रा आय में बढ़ोतरी है।

वर्षों के प्रयास से भारत ने डी-ऑयल राइस ब्रान के निर्यात के लिए बाजार विकसित किया है, जोकि मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देश हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में अपने आपको स्थापित किया है लेकिन निर्यात नीति में अचानक बदलाव से विश्व बाजार में भारत की बनी हुई साख को नुकसान पहुंचाने का खतरा है।
 
पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी राज्य डी-ऑयल राइस ब्रान के महत्वपूर्ण उत्पादक हैं। इसके निर्यात पर रोक लगा देने से पूर्वी भारत में डी-ऑयल राइस ब्रान प्रोसेसिंग को अपना परिचालन बंद करना पड़ रहा है, जिससे चावल मिलिंग उद्योग पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इसके अलावा, पशु आहार में डीडीजीएस (डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्यूबल्स) की बढ़ती उपलब्धता और उपयोग ने डीओआरबी की मांग को काफी हद तक प्रतिस्थापित कर दिया है, जिससे घरेलू बाजारों में इसके निपटान की चुनौती और भी बढ़ गई है।

इन्हीं गंभीर चिंताओं के मद्देनजर, एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री और संबंधित मंत्रियों से मांग की है कि वे निर्यात प्रतिबंधों पर तत्काल पुनर्विचार करें और घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किए बिना डीओआरबी के निर्यात की अनुमति दें।

चालू सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान - आईएमडी

नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस साल सामान्य से अधिक बारिश होने की भविष्यवाणी की है साथ ही आईएमडी ने मानसून के मौसम के दौरान अल नीनो की स्थिति बनने की संभावना को भी खारिज कर दिया।


आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत में चार महीने (जून से सितंबर) के मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और कुल वर्षा 87 सेंटीमीटर के दीर्घावधि औसत का 105 फीसदी होने का अनुमान है।

आईएमडी के अनुसार, सामान्य बारिश का मतलब है कि चार महीने के मानसून सीजन में 87 सेंटीमीटर की औसत बारिश का 96 फीसदी से 104 फीसदी इसमें पांच फीसदी कम या ज्यादा बारिश होने का अनुमान। यह औसत पिछले 50 सालों के आंकड़ों पर आधारित है। आईएमडी के अनुसार इस बार मानसून बारिश सामान्य होगी जिससे देश के किसानों को फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम मानसूनी बारिश से जुड़ी अल नीनो की स्थितियां इस बार विकसित होने की संभावना नहीं है।

देश के कई हिस्से पहले से ही भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं और अप्रैल से जून की अवधि में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने का अनुमान है।

मानसून देश के कृषि क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे लगभग 42.3 फीसदी आबादी की आजीविका का आधार जुड़ा हुआ है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18.2 फीसदी का योगदान देता है।

कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 फीसदी हिस्सा वर्षा आधारित प्रणाली पर निर्भर है। यह देशभर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी अहम है। इसलिए, मानसून के मौसम में सामान्य वर्षा का पूर्वानुमान देश किसानों के साथ आम जनता के लिए एक बड़ी राहत है।

हालांकि सामान्य वर्षा का यह मतलब नहीं है कि पूरे देश में हर जगह एक समान बारिश होगी। जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा आधारित प्रणाली की परिवर्तनशीलता और अधिक बढ़ जाती है।

जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश के दिनों की संख्या घट रही है, जबकि भारी बारिश की घटनाएं (थोड़े समय में अधिक बारिश) बढ़ रही हैं। इससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और कुछ क्षेत्रों में सूखे की स्थिति पैदा होती है।

सीसीआई अभी तक 22 लाख गांठ कॉटन की कर चुकी है बिक्री

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई चालू फसल सीजन 2024-25 की खरीदी हुई कॉटन में से 22 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो की बिक्री घरेलू बाजार में कर चुकी है, जिनमें से ज्यादातर की खरीद स्पिनिंग मिलों ने की है।


सूत्रों के अनुसार पहली अक्टूबर 2024 से  शुरू हुए चालू फसल सीजन में सीसीआई किसानों से करीब एक करोड़ गांठ कॉटन की खरीद कर चुकी है, जिसमें से निगम ने 22 लाख गांठ की बिक्री की है। अत: निगम के पास अभी कॉटन का भारी भरकम स्टॉक है तथा सीसीआई घरेलू बाजार में कॉटन की बिक्री, हाजिर भाव के मुकाबले उंचे दाम पर कर रही है। इसलिए आगामी दिनों कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण सोमवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव सोमवार को 100 रुपये तेज होकर 53,800 से 54,400 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए। पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5600 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5470 से 5530 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5590 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,700 से 54,800 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 33,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम तेज हुए। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है तथा रुई के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे बने हुए हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही हैं। इसलिए मिलों की कॉटन में मांग बनी रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक भी कम है। हालांकि विश्व बाजार में कॉटन के दाम, घरेलू बाजार की तुलना में नीचे बने हुए हैं, जिस कारण इसके आयात पड़ते सस्ते हैं।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

चालू तेल वर्ष के पहले पांच महीनों में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 0.4 फीसदी घटा- एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों नवंबर-24 से मार्च-25 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 0.4 फीसदी कम होकर 5,806,142 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 5,830,115 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार मार्च 2025 में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 16 फीसदी घटकर 998,344 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इनका आयात 1,182,152 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्वय तेलों का आयात 970,602 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 27,742 टन का हुआ है।

मौसम की जानकारी देने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने 2025 के लिए अपना मानसून का पूर्वानुमान जारी किया है। कंपनी को उम्मीद है कि जून से सितंबर के चार महीने की अवधि के लिए दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 103 फीसदी (+/-5 फीसदी के साथ) के बराबर 'सामान्य' रहेगा। सामान्य मानसून एलपीए का 96-104 फीसदी है। भौगोलिक संभावनाओं के संदर्भ में, स्काईमेट को पश्चिमी और दक्षिण भारत में अच्छी बारिश की उम्मीद है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मुख्य मानसून वर्षा वाले क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा होगी। पश्चिमी तट के साथ-साथ केरल, तटीय कर्नाटक और गोवा में भी अधिक वर्षा होने की संभावना है। पूर्वोत्तर क्षेत्र और उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में इस मौसम के दौरान सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है।

अमेरिका द्वारा भारत से 90 दिनें के लिए टैरिफ वापस लेने के बाद भी यूएस और चीन के बीच व्यापार युद्ध का असर पाम तेल कीमतों पर हो सकता है, फिर भी यूएसए को पाम ऑयल निर्यात 10 फीसदी आयात शुल्क के अधीन रहेगा। ये टैरिफ यूएस के अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए पाम ऑयल की लागत बढ़ा देंगे। टैरिफ की मूल्य वृद्धि से यूएस खाद्य निर्माताओं और उपभोक्ताओं को पाम ऑयल को अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले घरेलू विकल्पों, जैसे सोया तेल से बदलने के लिए प्रेरित करने की संभावना है, जिससे यूएस सोयाबीन किसानों को लाभ होगा। सकारात्मक बात यह है कि यूएस पाम ऑयल का अपेक्षाकृत छोटा उपभोक्ता है, जो 78 मिलियन टन वैश्विक पाम ऑयल खपत का केवल 1.9 मिलियन टन या वैश्विक पाम ऑयल उपयोग का लगभग 2.4 फीसदी हिस्सा है।

चालू तेल वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों नवंबर 24 से मार्च 25 के दौरान 886,607 टन की तुलना में 662,890 टन रिफाइंड तेल (आरबीडी पामोलीन) का आयात किया गया तथा नवंबर 23 से मार्च 24 के दौरान आयात किए 4,878,625 टन की तुलना में 4,976,787 टन क्रूड तेल का आयात किया गया। अत: आरबीडी पामोलीन के कम आयात के कारण रिफाइंड तेल का अनुपात 15 फीसदी से घटकर 12 फीसदी का रह गया, जबकि सोया तेल के आयात में वृद्धि के कारण क्रूड पाम तेल का अनुपात 85 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी हो गया।

फरवरी के मुकाबले मार्च में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा। मार्च में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव घटकर 1,133 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि फरवरी में इसका दाम 1,146 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम मार्च में घटकर 1,184 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि फरवरी में इसका भाव 1,197 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोया तेल का भाव मार्च में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 1,097 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि फरवरी में इसका भाव 1,156 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर फरवरी के 1,216 डॉलर से बढ़कर मार्च में 1,220 डॉलर प्रति टन का हो गया।

अक्टूबर से मार्च के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 15.37 फीसदी घटा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2024-25 के पहले छह महीनों अक्टूबर 24 से मार्च 25 के दौरान सोया डीओसी का निर्यात 15.37 फीसदी घटकर केवल 11.12 लाख टन का ही हुआ है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 13.47 लाख टन का हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन के अक्टूबर से मार्च के दौरान 47.74 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जबकि नई सीजन के आरंभ में 1.33 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। इस दौरान 11.12 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है जबकि 4.35 लाख टन की खपत फूड में एवं 32.50 लाख टन की फीड में हुई है। अत: पहली अप्रैल को मिलों के पास 1.10 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.80 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार फसल सीजन 2024-25 के पहले छह महीनों में देशभर की उत्पादक मंडियों में 72 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जिसमें से मार्च अंत तक 61 लाख टन की पेराई हुई है। इस दौरान 2.70 लाख टन सोयाबीन की खपत डारेक्ट हुई है जबकि 0.07 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों एवं व्यापारियों तथा किसानों के पास पहली अप्रैल को 38.51 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 64.83 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2024-25 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 125.82 लाख टन का हुआ है, जबकि 8.94 लाख टन का बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 134.76 लाख टन की बैठी है, जबकि चालू सीजन में करीब एक लाख टन सोयाबीन के आयात का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में 118.74 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जबकि नई फसल की आवक के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: पिछले साल कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठी थी, जबकि 6.25 लाख टन का आयात हुआ था।

केंद्र सरकार खाद्य तेलों के लिए मानक पैक आकार बहाल करें - एसईए

नई दिल्ली। उद्योग ने केंद्र सरकार से खाद्य तेलों और इसी तरह की वस्तुओं के लिए मानक पैक आकार को बहाल करने की मांग की है, क्योंकि पैकेज्ड कमोडिटीज (संशोधन) नियम, 2022 के तहत दूसरी अनुसूची को हटाने के बाद गैर-मानक पैक आकार का प्रचलन बढ़ गया है, जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो रहे हैं।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार से खाद्य तेलों और इसी तरह की वस्तुओं के लिए मानक पैक आकार को बहाल करने की मांग की है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को सौंपे ज्ञापन में एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा कि पैकेज्ड कमोडिटीज (संशोधन) नियम, 2022 के तहत दूसरी अनुसूची को हटाने के साथ ही मानकीकृत पैक आकार की अनिवार्यता को हटा दिया गया है। इससे गैर-मानक तेल पैक जैसे 800 ग्राम, 810 ग्राम, 850 ग्राम, 870 ग्राम आदि का प्रचलन बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता भ्रमित हो रहे हैं और कीमतों की तुलना में गड़बड़ी हो रही है।

उन्होंने कहा कि थोड़ी-बहुत भिन्न मात्रा वाले पैक अक्सर एक जैसे दिखाई देते हैं, जिससे उपभोक्ता भ्रमित होते हैं और उद्योग जगत के खिलाड़ी मूल्य के बजाय मामूली ग्राम भिन्नता के आधार पर अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा में धकेल दिए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि मानकीकरण की कमी से मूल्य निर्धारण में अस्पष्टता आती है साथ ही समान से समान तुलना हतोत्साहित करती है, और इससे विश्वास भी कम होता है खासकर के तब जब खाद्वय तेल आम तौर पर एमआरपी से कम कीमत पर बेचे जाते हैं। अत: खाद्य तेल पैकेजिंग को वजन के आधार पर मानकीकृत करना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह एलएम (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 की मूल दूसरी अनुसूची के अनुसार खाद्य तेलों और इसी तरह की वस्तुओं के लिए मानक पैक आकार को बहाल करे, केवल कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए छोटे पैक को छोड़कर।

पंजाब एवं हरियाणा से गेहूं की सरकारी खरीद में चालू सप्ताह के अंत तक तेजी का अनुमान

नई दिल्ली। अनुकूल मौसम के कारण चालू सप्ताह के अंत तक पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों से गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद में तेजी आने का अनुमान है।


भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, आईसीएआर के निदेशक आर तिवारी के अनुसार पंजाब एवं हरियाणा में मौसम फसल के अनुकूल है तथा इन राज्यों में चालू सप्ताह के अंत तक गेहूं की कटाई में तेजी आयेगी। देशभर के राज्यों में गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है, जिस कारण रिकार्ड उत्पादन का अनुमान है। अतः: चालू सप्ताह के अंत तक हरियाणा के साथ ही पंजाब में भी गेहूं की सरकारी खरीद में तेजी आने का अनुमान है।

सूत्रों के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 20 लाख टन की हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.50 लाख टन ज्यादा है। हालांकि अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब एवं हरियाणा का योगदान कम है।

गेहूं की अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ ही उत्तर प्रदेश तथा गुजरात का योगदान ज्यादा है। इन राज्यों में गेहूं की नई फसल की आवक 10 से 12 दिन पहले शुरू हो गई थी। देशभर की मंडियों में अभी तक 38 लाख टन गेहूं की आवक हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15.3 लाख टन से दोगुनी से भी ज्यादा है।

चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में केंद्र सरकार ने 310 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। चालू रबी सीजन में पंजाब से 124 लाख टन तथा हरियाणा से 75 लाख टन, मध्य प्रदेश से 60 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश 30 लाख टन के अलावा राजस्थान से 20 लाख टन और  गुजरात से एक लाख टन की खरीद का लक्ष्य है।

रबी विपणन सीजन 2024-25 में केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य किया था, लेकिन 266 लाख टन ही खरीदारी हो पाई थी। हालांकि यह रबी विपणन सीजन 2023-24 में खरीदे गए 262 लाख टन से ज्यादा था, लेकिन निर्धारित लक्ष्य को देखें तो काफी कम था। रबी रबी विपणन सीजन 2023-24 में भी 341 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा गया था। इसी तरह से वर्ष 2022-23 में भी गेहूं की खरीद का आंकड़ा निराश करने वाला था।

चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब एवं हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के किसानों से 2,425 रुपये प्रति क्विंटल, एमएसपी की दर से गेहूं की खरीद की जा रही है। मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में राज्य सरकार गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस दे रही है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2024-25 में देश में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। गेहूं की बुआई चालू रबी सीजन में बढ़कर 326 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 315.6 लाख से ज्यादा है। 

मिलों की कमजोर मांग से लगातार तीसरे दिन गुजरात के साथ ही उत्तर भारत में कॉटन मंदी

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण शनिवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में लगातार तीसरे दिन कॉटन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव शनिवार को 50 रुपये कमजोर होकर 53,500 से 53,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। पिछले तीन कार्यदिवस में कॉटन की कीमतों में 450 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया है।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव कमजोर होकर 5580 से 5590 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5430 से 5500 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5570 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,100 से 54,200 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 48,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

व्यापारियों के अनुसार अमेरिकी टैरिफ की चिंता से विश्व बाजार में कॉटन के दाम पिछले तीन दिनों से लगातार कमजोर हुए हैं। अमेरिका के विरोध में चीन द्वारा सभी अमेरिकी आयातों पर 34 फीसदी टैरिफ लगाने से कॉटन के बाजार की अनिश्चितताएं और व्यापार में व्यवधान और बढ़ गया है, क्योंकि चीन अमेरिका से सबसे ज्यादा कॉटन उत्पादों का आयात करता है। अत: घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की मांग भी कॉटन में कमजोर बनी रही, जिस कारण कीमतों पर दबाव है। हालांकि घरेलू स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, तथा सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है। इसलिए विश्व बाजार की तुलना में घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में गिरावट कम आई है।

घरेलू बाजार में कॉटन का सबसे ज्यादा स्टॉक कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई के पास है तथा सीसीआई दाम हाजिर बाजार की तुलना में कॉटन उंचे दाम पर बेच रही है। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों की तेजी, मंदी सीसीआई के बिक्री दाम पर भी निर्भर करेगी।

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन 294.25 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जो क‍ि इसके पहले के अनुमान 299.26 लाख गांठ के मुकाबले कम है।

04 अप्रैल 2025

गेहूं की सरकारी खरीद 7,48,054 लाख टन टन के पार

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में 3 अप्रैल 2025 तक गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद 7,48,054 लाख टन की हो चुकी है तथा अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की 6,67,811 लाख टन की है।


सूत्रों के अनुसार 3 अप्रैल तक राजस्थान की मंडियों से केवल 65,575 टन तथा उत्तर प्रदेश की मंडियों से 13,771 टन गेहूं की खरीद ही समर्थन मूल्य पर हो गई है। इस दौरान बिहार की मंडियों से इस दौरान केवल 360.49 टन एवं गुजरात से 536.60 टन गेहूं सरकारी एजेंसियों ने खरीदा है।

चालू रबी विपणन सीजन 2025-26 में केंद्र सरकार ने 310 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। चालू रबी सीजन में पंजाब से 124 लाख टन तथा हरियाणा से 75 लाख टन, मध्य प्रदेश से 60 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश 30 लाख टन के अलावा राजस्थान से 20 लाख टन की खरीद का लक्ष्य है।

रबी विपणन सीजन 2024-25 में केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य किया था, लेकिन 266 लाख टन ही खरीदारी हो पाई थी। हालांकि यह रबी विपणन सीजन 2023-24 में खरीदे गए 262 लाख टन से ज्यादा था, लेकिन निर्धारित लक्ष्य को देखें तो काफी कम था। रबी रबी विपणन सीजन 2023-24 में भी 341 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा गया था। इसी तरह से वर्ष 2022-23 में भी गेहूं की खरीद का आंकड़ा निराश करने वाला था।

चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब एवं हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के किसानों से 2,425 रुपये प्रति क्विंटल, एमएसपी की दर से गेहूं की खरीद की जा रही है लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार बोनस दे रही है। हालांकि खुले बाजार में गेहूं का मूल्य अधिक होने के कारण सरकारी खरीद की रफ्तार धीमी है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2024-25 में देश में रिकॉर्ड 1154.30 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। केंद्रीय पूल में भी पहली अप्रैल 2025 को लगभग 120 लाख टन गेहूं का स्टॉक होगा, जोकि तय मानकों बफर से अधिक है। 

चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन की बुआई ज्यादा, तिलहन की कम

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन तथा मोटे अनाज की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि तिलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 28 मार्च 2025 तक फसलों की बुआई 10.96 फीसदी बढ़कर 53.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 48.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 14.87 फीसदी बढ़कर 30.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 26.50 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में 12 फीसदी बढ़कर 8.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 7.40 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 6.17 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.67 लाख हेक्टेयर और 1.70 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 8.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 8.22 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 6.22 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 2.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 5.13 और 2.81 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 31 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 13 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई घटकर 6049 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 6.32 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो चुकी थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 2.96 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 2.72 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 31,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 3.09 लाख हेक्टेयर में, 2.81 लाख हेक्टेयर में तथा 27,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। 

सीसीआई ने महीने के पहले दिन 1,52,700 गांठ कॉटन बेची

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने पहली अप्रैल 2025 को घरेलू बाजार में 1,52,700 गांठ, एक गांठ - 170 किलो कॉटन की बिक्री की। निगम ने इसकी बिक्री 100 से 300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी 356 किलो के अधिक भाव पर की।


सूत्रों के अनुसार निगम ने पहली अप्रैल को फसल सीजन 2024-25 की मिलों को 63,500 गांठ कॉटन की बिक्री की है। इसमें कर्नाटक में 8,200 गांठ जिसमें 28 एमएम की बिक्री 55,000 रुपये तथा 29 एमएम की 55,400 रुपये प्रति कैंडी की दर से की। इसके अलावा निगम ने महाराष्ट्र में 40,600 गांठ जिसमें से 28 एमएम की बिक्री 55,100 से 55,300 रुपये तथा 29 एमएम की 55,400 रुपये और 30 एमएम की 55,800 रुपये प्रति कैंडी की दर से की। गुजरात में 4,300 गांठ 28 एमएम की कॉटन 55,100 से 55,200 रुपये प्रति कैंडी के भाव बेची। ओडिशा में निगम ने 1,800 गांठ 30 एमएम की कॉटन 55,800 रुपये प्रति कैंडी की दर से की।

इसी तरह से तेलंगाना में फसल सीजन 2024-25 की कॉटन निगम ने 8,600 गांठ बेची, जिसमें से 28 एमएम की बिक्री 55,000 रुपये तथा 29 एमएम की 55,400 रुपये और 30 एमएम की 55,800 रुपये प्रति कैंडी की दर से की।

सीसीआई ने मिलों को फसल सीजन 2023-24 कॉटन की 6,000 गांठ 28 एमएम की तेलंगाना एवं महाराष्ट्र में 54,500 से 54,800 रुपये प्रति कैंडी की दर से की।

व्यापारियों को सीसीआई ने फसल सीजन 2024-25 की 83,200 गांठ कॉटन की बिक्री पहली अप्रैल को की। इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 56,900 गांठ, तेलंगाना में 9,200 गांठ तथा कर्नाटक में 5,900 गांठ के अलावा मध्य प्रदेश में 2,700 गांठ तथा गुजरात में 8,500 गांठ की बिक्री की।