नई दिल्ली। तेल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण घरेलू बाजार में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सरसों की कीमतों में मंदा आया। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 50 रुपये कमजोर होकर दाम 6,675 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 2 लाख बोरियों की हुई।
विदेशी बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम एक फीसदी के करीब कमजोर हुए। हालांकि इस दौरान शिकागो में सोया तेल की कीमतों में शाम से सत्र में तेजी आई। उधर डालियान में खाद्वय तेलों में गिरावट दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार बाजार में इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाला ट्रम्प प्रशासन चीनी वस्तुओं के आयात पर 40 फीसदी टैरिफ लगा सकता है। बुधवार को घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में दूसरे दिन गिरावट आई, जबकि इस दौरान सरसों खल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई।
उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। घरेलू बाजार में तेल मिलों के मुकाबले, किसान एवं स्टॉकिस्ट के पास सरसों का बकाया स्टॉक ज्यादा मात्रा में बचा हुआ है। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण घरेलू बाजार में सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।
चीन से आयात पर अमेरिकी टैरिफ की आशंका और खाद्वय तेल बाजार में सुस्त मांग के कारण मलेशियाई क्रूड पाम तेल (सीपीओ) वायदा गुरुवार को लगातार दूसरे सत्र में गिरावट के साथ बंद हुआ।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज, बीएमडी पर फरवरी डिलीवरी के पाम तेल वायदा अनुबंध में 46 रिंगिट यानी की 0.96 फीसदी की गिरावट आकर भाव 4,769 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुए। इस दौरान डालियान के सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध में 1.41 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि इसके पाम ऑयल वायदा अनुबंध में 3.94 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में, सोया तेल की कीमतों में 0.85 फीसदी की तेजी आई।
विश्व स्तर पर कमजोर मांग की आशंका ने पाम तेल की कीमतों पर दबाव डाला। वैसे भी नवंबर और दिसंबर में पर्याप्त आपूर्ति की उम्मीद है क्योंकि प्रमुख खरीदार भारत ने पहले ही खाद्वय तेलों का पर्याप्त स्टॉक जमा कर लिया है।
पाम तेल के व्यापार की मुद्रा रिंगिट डॉलर के मुकाबले 0.2 फीसदी मजबूत हुआ, जिससे मलेशियाई पाम तेल विदेशी खरीदारों के लिए महंगा हो गया।
जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में गुरूवार को भी गिरावट आई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 20 रुपये कमजोर होकर 1,365 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 20 रुपये घटकर 1,355 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान जयपुर में सरसों खल के भाव 70 रुपये कमजोर होकर 2,355 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 2 लाख बोरियों की हुई, जबकि इसके पिछले कार्यदिवस में आवक केवल 1.95 लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में सरसों की एक लाख बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में 20 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 25 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 5 हजार बोरी तथा गुजरात में 10 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 40 हजार बोरियों की आवक हुई।
विदेशी बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। मलेशियाई पाम तेल के दाम एक फीसदी के करीब कमजोर हुए। हालांकि इस दौरान शिकागो में सोया तेल की कीमतों में शाम से सत्र में तेजी आई। उधर डालियान में खाद्वय तेलों में गिरावट दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार बाजार में इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाला ट्रम्प प्रशासन चीनी वस्तुओं के आयात पर 40 फीसदी टैरिफ लगा सकता है। बुधवार को घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में दूसरे दिन गिरावट आई, जबकि इस दौरान सरसों खल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई।
उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। घरेलू बाजार में तेल मिलों के मुकाबले, किसान एवं स्टॉकिस्ट के पास सरसों का बकाया स्टॉक ज्यादा मात्रा में बचा हुआ है। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण घरेलू बाजार में सरसों तेल में मांग अभी बनी रहेगी, लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के दाम पर ही निर्भर करेगी।
चीन से आयात पर अमेरिकी टैरिफ की आशंका और खाद्वय तेल बाजार में सुस्त मांग के कारण मलेशियाई क्रूड पाम तेल (सीपीओ) वायदा गुरुवार को लगातार दूसरे सत्र में गिरावट के साथ बंद हुआ।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज, बीएमडी पर फरवरी डिलीवरी के पाम तेल वायदा अनुबंध में 46 रिंगिट यानी की 0.96 फीसदी की गिरावट आकर भाव 4,769 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुए। इस दौरान डालियान के सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा अनुबंध में 1.41 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि इसके पाम ऑयल वायदा अनुबंध में 3.94 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में, सोया तेल की कीमतों में 0.85 फीसदी की तेजी आई।
विश्व स्तर पर कमजोर मांग की आशंका ने पाम तेल की कीमतों पर दबाव डाला। वैसे भी नवंबर और दिसंबर में पर्याप्त आपूर्ति की उम्मीद है क्योंकि प्रमुख खरीदार भारत ने पहले ही खाद्वय तेलों का पर्याप्त स्टॉक जमा कर लिया है।
पाम तेल के व्यापार की मुद्रा रिंगिट डॉलर के मुकाबले 0.2 फीसदी मजबूत हुआ, जिससे मलेशियाई पाम तेल विदेशी खरीदारों के लिए महंगा हो गया।
जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी और एक्सपेलर की कीमतों में गुरूवार को भी गिरावट आई। कच्ची घानी सरसों तेल के भाव 20 रुपये कमजोर होकर 1,365 रुपये प्रति 10 किलो रह गए, जबकि सरसों एक्सपेलर तेल के दाम भी 20 रुपये घटकर 1,355 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान जयपुर में सरसों खल के भाव 70 रुपये कमजोर होकर 2,355 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 2 लाख बोरियों की हुई, जबकि इसके पिछले कार्यदिवस में आवक केवल 1.95 लाख बोरियों की ही हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में सरसों की एक लाख बोरी, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में 20 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 25 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 5 हजार बोरी तथा गुजरात में 10 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 40 हजार बोरियों की आवक हुई।
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