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19 नवंबर 2024

बारह फीसदी तक नमी वाली कपास को किसान एमएसपी से नीचे दाम नहीं बेचे - सीसीआई

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने देशभर के कपास किसानों से अपील की है कि वे 12 फीसदी तक नमी वाली कपास को एमएसपी दरों से नीचे दाम पर न बेचें। किसानों की सुविधा के लिए सीसीआई ने देश भर में कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए लगभग 500 खरीद केंद्र खोले हुए हैं।


सीसीआई के अनुसार किसान अधिक जानकारी के लिए कृपया Cott-Ally mobile app डाउनलोड करें। सीसीआई पांच राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास की खरीद कर रही है क्योंकि बाजार में कपास की कीमत एमएसपी से कम हैं।

पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए चालू खरीफ विपणन सीजन में निगम अभी तक 2.25 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कपास की खरीद कर चुकी है। जानकारों के अनुसार भारतीय कपास अभी भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में लगभग 5 फीसदी महंगी है। साथ ही धागे की स्थानीय एवं निर्यात कमजोर है, इसलिए कपास की कीमत कमजोर बनी हुई हैं।

केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2024-25 के लिए कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी में 501 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। अत: मीडियम स्टेपल कैटेगरी की कपास का एमएसपी 7,121 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि लॉन्ग स्टेपल कैटेगरी की कपास का एमएसपी 7,521 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर के कारण गुरुवार को गुजरात में कॉटन के दाम कमजोर हुए, जबकि इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में तेजी आई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में गुरुवार को 150 रुपये की गिरावट आकर दाम 54,400 से 54,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5620 से 5630 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5610 से 5620 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5610 से 5650 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 54,000 से 54,100 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,31,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में गिरावट का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में लगातार तीसरे दिन कॉटन की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में इसके भाव में सुधार आया। विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में हाल ही में मंदा आया है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव है। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं।

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