नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान डीओसी के निर्यात में 7 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,388,327 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 2,566,051 टन का ही हुआ था। इस दौरान सरसों डीओसी के साथ ही कैस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अक्टूबर में देश से डीओसी के निर्यात में 5 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 305,793 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में इनका निर्यात 289,931 टन का ही हुआ था।
एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर 2024 के दौरान सोयाबीन डीओसी का निर्यात बढ़कर 10.23 लाख टन का हो गया, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 6.74 लाख टन का ही हुआ था। इस दौरान यूएई, ईरान और फ्रांस द्वारा अधिक मात्रा में आयात किया गया।
भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक आवश्यक पशु आहार घटक के रूप में रेपसीड डीओसी का प्रमुख निर्यातक रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में, भारत ने लगभग 2.2 मिलियन टन सरसों डीओसी का निर्यात किया था, जिससे किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण सहायता मिली थी। लेकिन, इस वर्ष कई चुनौतियां सामने आई हैं जिस कारण अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक, सरसों डीओसी के निर्यात में लगभग 25 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 1.51 मिलियन टन की तुलना में चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में केवल 1.18 मिलियन टन सरसों डीओसी का ही निर्यात हुआ। निर्यात में आई गिरावट का प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सरसों डीओसी के ऊंचे दाम होना है।
वैश्विक स्तर पर सोयाबीन डीओसी की उपलब्धता ज्यादा है। वैश्विक सोयाबीन उत्पादन में लगभग 28 मिलियन टन की वृद्धि होकर कुल उत्पादन 422 मिलियन टन तक पहुँच गया। खाद्य और ऊर्जा के लिए सोयाबीन तेल की बढ़ती माँग ने पेराई गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सोयाबीन डीओसी की अधिक आपूर्ति हुई है। अत: सरसों डीओसी सहित अन्य सभी डीओसी की कीमतों पर दबाव बना है। एसोसिएशन ने सरकार से अपील की है कि वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डीओसी के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए परिवहन सब्सिडी, ब्याज छूट आदि के माध्यम से 15 फीसदी प्रोत्साहन देने पर विचार करे।
भारतीय बंदरगाह पर अक्टूबर में सोया डीओसी का भाव कमजोर होकर 429 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि सितंबर में इसका दाम 490 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का मूल्य अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर घटकर 271 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि सितंबर में इसका भाव 283 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान कैस्टर डीओसी का दाम सितंबर के 89 डॉलर प्रति टन से घटकर अक्टूबर में 88 डॉलर प्रति टन रह गया।
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