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30 नवंबर 2024

सीसीआई ने उत्पादक राज्यों में ई-नीलामी के माध्यम से 76,500 गांठ कॉटन बेची

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने सोमवार को उत्पादक राज्यों में ई-नीलामी के माध्यम से 76,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की बिक्री की। इस दौरान सबसे ज्यादा कॉटन निगम ने तेलंगाना में बेची।

सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने फसल सीजन 2023-24 में खरीद हुई कॉटन की बिक्री तेलंगाना में 63,900 गांठ की 53,400 से 54,900 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो की दर पर मिलों के साथ ही व्यापारियों को की। इसके अलावा निगम ने महाराष्ट्र में 2,600 गांठ कॉटन 52,900 से 54,500 रुपये प्रति कैंडी के हिसाब से की। इस दौरान अहमदाबाद में निगम ने 6,300 गांठ और ओडिशा में 3,100 गांठ के अलावा मध्य प्रदेश 600 गांठ की बिक्री की।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण सोमवार को दोपहर बाद गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी आई।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव में सोमवार को 150 रुपये की तेजी आकर दाम 54,400 से 54,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5650 से 5660 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 5630 से 5660 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव तेज होकर 5630 से 5680 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव तेज होकर 54,300 से 54,400 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए। देशभर की मंडियों में कपास की आव 1,74,500 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में में तेजी का रुख रहा। इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में तेजी आई।

स्पिनिंग मिलों की मांग बनी रहने के कारण गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में तेजी आई है। हालांकि व्यापारी अभी बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है। जानकारों के अनुसार खपत का सीजन होने के बावजूद भी सूती धागे की स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है साथ ही कॉटन के निर्यात में भी पड़ते नहीं लग रहे। हालांकि चालू सीजन में बुआई में आई कमी के साथ ही कई राज्यों में अक्टूबर में हुई बारिश से कॉटन के उत्पादन और क्वालिटी पर पड़ने की आशंका है। इसलिए कॉटन की कीमतों में सीमित तेजी, मंदी बनी रहने का अनुमान है। हालांकि विश्व बाजार में दाम कम होने के कारण चालू सीजन में अभी तक आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए हैं। 

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