नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों को अरहर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीदी का आश्वासन दिया है। राज्यों में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को दिल्ली में 8 राज्यों के मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की और देश में दालों को लेकर आत्मनिर्भरता पर चर्चा की तथा देश में दलहन उत्पादन को बढ़ावा के लिए अरहर, उड़द और मसूर उत्पादक किसानों की 100 फीसदी फसल खरीद करने का भरोसा दिया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण सुनिश्चित करने तथा दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अरहर, उड़द और मसूर की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि किसानों के पंजीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के माध्यम से ई-समृद्धि पोर्टल शुरू किया गया है और केंद्र सरकार इस पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर इन दालों की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि वे सुनिश्चित खरीद की केंद्र की सुविधा का लाभ उठा सकें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन 3 फसलों के उत्पादन में 2027 तक देश की आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य है। उन्होंने 2015-16 से दाल उत्पादन में 50 फीसदी की वृद्धि के लिए राज्यों के प्रयासों की सराहना की, साथ ही प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने और किसानों को दालों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात की सराहना की कि देश ने मूंग व चना में आत्मनिर्भरता हासिल की है और पिछले 10 वर्षों के दौरान आयात पर निर्भरता 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी है। उन्होंने राज्यों से केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया, ताकि भारत न केवल दलहन सहित खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनें बल्कि दुनिया का फूड बास्केट भी बने।
उन्होंने मौजूदा खरीफ सीजन से शुरू की जा रही आदर्श दलहन ग्राम योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे चावल की फसल कटने के बाद दालों के लिए उपलब्ध परती भूमि का उपयोग करें। उन्होंने राज्य सरकारों से अरहर की अंतर-फसल को भी जोरदार तरीके से अपनाने पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकारों को एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए।
उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को समय पर तथा गुणवत्तापूर्ण इनपुट जैसे कि अच्छी गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता पर जोर दिया तथा इस संबंध में केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। अच्छे बीजों की उपलब्धता के लिए केंद्र ने 150 दलहन बीज हब खोले हैं तथा कम उत्पादकता वाले जिलों में आईसीएआर द्वारा क्लस्टर फ्रंट लाइन प्रदर्शन (सीएफएलडी) दिए जा रहे हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए जलवायु अनुकूल किस्मों तथा कम अवधि वाली किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे राज्य बीज निगमों को मजबूत करके अपने बीज वितरण प्रणालियों को मजबूत करें।
देश में दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई, ताकि आयात में कमी करके, उत्पादन बढ़ाया जा सके। बैठक मे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना जैसे प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों के कृषि मंत्री शामिल हुए।
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