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30 अप्रैल 2024

सीसीआई ने छह लाख गांठ कॉटन की बिक्री की, हाजिर बाजार में ग्राहकी कमजोर

नई दिल्ली। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में अभी तक 33 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की खरीद की है, जिसमें से निगम ने अभी तक 6 लाख गांठ की बिक्री भी कर दी है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई कॉटन की बिक्री खरीद भाव से ज्यादा दाम पर कर रही है, तथा निगम के पास करीब 27 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है।

घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को दोपहर बाद उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में नरमी आई, जबकि गुजरात में इसके दाम स्थिर हो गए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 57,800 से 58,300 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर स्थिर हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5800 से 5825 रुपये प्रति मन बोले गए।हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5725 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5500 से 5925 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम नरम होकर 57,800 से 58,000 रुपये कैंडी रह गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 37,000 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को तेजी का रुख रहा। हालांकि आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में शाम के सत्र में नरमी आई।

स्पिनिंग मिलों की सीमित मांग कमजोर होने से उत्तर भारत के राज्यों कॉटन के दाम नरम हुए जबकि गुजरात इसके दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में नरमी आई है, जिस कारण घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिल केवल जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही हैं। हालांकि कपास की आवकों में कमी आने के कारण जिनर्स नीचे दाम पर कॉटन बेचने से हिचक रहे हैं।

जानकारों के अनुसार देशभर की अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में सूती धागे में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए आगामी दिनों में मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। उधर सीसीआई कॉटन की बिक्री हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे दाम पर कर रही है। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी।

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