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22 अप्रैल 2024

वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में बासमती चावल का निर्यात 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 14.12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 37.36 फीसदी की भारी गिरावट आई है।


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 14.11 फीसदी बढ़कर 46.79 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 41 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान 37.36 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 100.81 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 160.96 लाख टन का हुआ था।

फरवरी 2024 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5.75 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी 2023 में इसका निर्यात केवल 4.45 लाख टन का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात फरवरी 2024 में घटकर केवल 9.55 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी 2023 में इसका निर्यात 15.31 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में भारी कमी आई है।

जानकारों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में आई कमी के कारण बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में पिछले डेढ़ से दो महीनों में मंदा आया है।

गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद शुरू होने के कारण हरियाणा की मंडियों में धान की आवक नहीं हो रही जबकि पंजाब की अमृतसर मंडी में शनिवार को पूसा 1,121 किस्म के धान के भाव 4,400 से 4,525 रुपये और 1,718 किस्म के धान के भाव 4,300 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली के नया बाजार में शनिवार को पूसा 1,121 स्टीम चावल का भाव नरम होकर 8,800 से 9,000 रुपये और इसका सेला चावल का 7,800 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। इस दौरान पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का दाम 7,700 से 7,900 रुपये और इसके सेला चावल का 6,800 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। व्यापारियों के अनुसार मौजूदा कीमतों राइस मिलों को पड़ते नहीं लग रहे, ऐसे में बासमती चावल की कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है।

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